Last Updated on March 20, 2023 by admin
लता कस्तूरी क्या है ?:
जंगलों में इसकी बेल (लता) होती है और इसके दानों में कस्तूरी जैसी ही खुशबू होती है। कस्तूरी, लता कस्तूरी, जवादिया ये सब लता कस्तूरी के नाम हैं।
लता कस्तूरी के गुण :
- यह वीर्य को बढ़ाती है।
- कफ (बलगम), वात, खुजली को खत्म करती है।
- पसीने की गन्ध को दूर करती है।
विभिन्न रोगों में लता कस्तूरी के फायदे :
1. मुंह की दुर्गन्ध: कस्तूरी के बीज चबाने से मुंह स्वच्छ एवं सुगंधित हो जाता है।
2. कमजोरी: 70 मिलीलीटर लताकस्तूरी, 560 मिलीलीटर एल्कोहल में टिंचर तैयार कर रख लें। इस टिंचर को 1-2 मिलीलीटर सेवन करने से कमजोरी मिट जाती है। इससे पूरे शरीर में उत्तेजना होती है।
3. नाड़ी का छूटना: 70 मिलीग्राम लताकस्तूरी के बीज और 560 मिलीलीटर मद्यसार (एल्कोहल) में टिंचर (मिश्रण) तैयार कर 3.50 से 7 मिलीलीटर सेवन करने से शरीर में गर्मी आ जाती है। इससे नाड़ी रोग में लाभ होता है।
4. गला बैठना:
- लता कस्तूरी के बीज के चूर्ण से धूम्रपान से स्वरभंग (गला बैठने पर) में लाभ होता है।
- शहतूत के पत्तों के काढ़े से गण्डूस (गरारा) करने से स्वरभंग (गला बैठना) में आराम आता है।
5.खांसी :
- खांसी में आराम के लिए लता कस्तूरी के पंचांग का लेप बनाकर छाती पर लगाएं इससे कफ जन्य रोग नष्ट होते हैं।
- खांसी में आराम के लिए लता कस्तूरी के पत्तों का रस 5 से 10 मि.ली शहद के साथ मिलाकर देने से खांसी में आराम होता है।
6. मूत्रकृच्छ्र (पेशाब बड़ी तकलीफ के साथ बूंद-बूंद कर होना): लता कस्तूरी के मूल तथा पत्तों का रस 5 मि.ली की मात्रा में रोगी को पिलाने से मूत्रकृच्छ्र रोग में लाभ होता है।
7. प्रमेय: लता कस्तूरी के मूल तथा पत्तों का रस 10 से 20 मिली की मात्रा में रोगी को पिलाने से प्रमेह रोग में लाभ होता है।
8. योनि रोग: लता कस्तूरी के पत्तों तथा मूल को पेस्ट बना योनि पर लगाने से योनि जन्य रोगों में लाभ होता है।
9. बुखार: लता कस्तूरी के पत्तों का रस 5 मिली की मात्रा में पिलाने से बुखार नष्ट होता है।
10. गले की परेशानी: लता कस्तूरी के बीजों को मुह में रख चूसने से गले के रोग में लाभ होता है।
(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)