महासुदर्शन चूर्ण के फायदे और सेवन विधि | Mahasudarshan Churna in Hindi

Last Updated on August 18, 2022 by admin

महासुदर्शन चूर्ण क्या है ? Mahasudarshan Churna kya hai

Mahasudarshan Churna in hindi

  • महासुदर्शन चूर्ण एक आयुर्वेदिक औषधि है जो बुखार ,मलेरिया ,टाइफाइड अपच, भूख, स्वेदजनक, आहार में अरुचि और मतली(जी मिचलाना) लिवर का बढ़ जाना, थकावट आदि लक्षण होते हैं उनमें यह चूर्ण उपयोगी पाया गया है ।
  • यह जिगर और तिल्ली के रोगों के लिए भी उपयोगी है ।
  • महासुदर्शन चूर्ण रक्त से दोष को दूर करता है और भूख और पाचन को बढ़ाता है ।
  • महासुदर्शन चूर्ण एक अच्छी एंटी वायरल है ।
  • महासुदर्शन चूर्ण रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढाता है ।
  • महासुदर्शन चूर्ण एंटी आक्सीडेंट है और संक्रमण को दुबारा आने से रोकती है ।
  • महासुदर्शन चूर्ण कफ वात,और पित्त को संतुलित करता है और लंबे समय तक शरीर में रहने वाली हरारत को दूर करती है ।
  • महासुदर्शन चूर्ण शीतल पाचक पौष्टिक एवं ज्वर का नाश करने वाली , कृमिनाशक एवं अरुचि को दूर करने वाला है।

महासुदर्शन चूर्ण की सामाग्री : Ingredients of Mahasudarshan Churna

आँवला, हरें, बहेड़ा, हल्दी, दारूहल्दी, कटेरी दोनों, कचूर, सोंठ, मिर्च, पीपल, पीपलामूल, मूर्बा, गिलोय, जवासा, कुटकी, पित्तपापड़ा, नागरमोथा, त्रायमाणा (अभाव में वनप्सा), नेत्रवाला, नीम की छाल, पोहकर मूल, मुलेठी, कुड़ा की छाल, अजवायन, इन्द्रजौ, भारंगी, सहिजन के बीज, शु. फिटकरी, बच, दालचीनी, पद्मखार, खस, सफेद चन्दन, अतीस, खरेंटी (बरियार), शालपर्णी, पृश्निपर्णी, वायविडंग, तगर, चित्रकमूल, देवदारू, चव्य, पटोलपत्र, कालमेघ, करंज बीज का मगज, लौंग, बंशलोचन, कमल, काकोली (अभाव में शकाकुल मिश्री), तेजपत्र, तालीसपत्र और जावित्री- ये 53 दवाएँ समभाग लेकर चूर्ण कर लें। इस चूर्ण के वजन से आधा चिरायते का चूर्ण मिला कर रख लें।
– सि. यो. सं.

सेवन की मात्रा और अनुपान : Dosage & How to Take in Hindi

3 ग्राम से 6 ग्राम गुनगुने जल के साथ दें ।

महासुदर्शन चूर्ण के फायदे और उपयोग : Mahasudarshan Churna Benefits in Hindi

Mahasudarshan Churna ke fayde

1. बुखार – यह चूर्ण निस्सन्देह समस्त ज्वरों को नष्ट करने वाला है। इसके सेवन से एक-दोषज, द्विदोषज, आगन्तुक और विषम ज्वर एवं सन्निपात ज्वर, मानसिक दोषों से उत्पन्न ज्वर, पारी से आने वाला ज्वर, प्राकृतिक ज्वर, वैकृतिक ज्वर, सूक्ष्म रूप से रहने वाला ज्वर, अन्तर्दाह (शरीर के बाहर दाह उत्पन्न करनेवाला), ज्वर बहिर्दाह (शरीर के बाहर दाह उत्पन्न करने वाला) ज्वर, आमज्वर, अनेक देशों के ज्वर-विकार के कारण उत्पन्न होने वाला ज्वर, दवा अनूकूल न पड़ने से उत्पन्न होने वाला ज्वर, यकृत् और प्लीहा जनित ज्वर, शीत ज्वर, पाक्षिक ज्वर, (पन्द्रह दिन पर आने वाला ज्वर), मासिक (एक मास पर आने वाला) ज्वर, विषमज्वर, रजोदोष से उत्पन्न ज्वरादि दूर होते हैं। ज्वर-नाश करने की इसमें कैंसी अद्भुत शक्ति है, इसका वर्णन करते हुए आयुर्वेद में इस प्रकार लिखा गया है।
सुदर्शनं यथा च दानवानां विनाशनम्।
तद्वज्ज्वराणां सर्वेषामिदं चूर्ण विनाशनम् ॥

अर्थात् – जिस प्रकार सुदर्शन चक्र दैत्यों को नष्ट करता है, उसी प्रकार यह चूर्ण ज्वरों का नाश कर देता है। ( और पढ़े –बुखार का सरल घरेलू उपाय )

2. कृमिनाशक – यह चूर्ण शीतल, पाचक, कटु, पौष्टिक, ज्वरघ्न, दाह-नाशक, कृमिनाशक, प्यास, कफ, कुष्ठ, व्रण, अरुचि आदि को दूर करनेवाला है।

3. गर्भावस्‍था में बुखार – गर्भिणी के ज्वर में भी थोड़ी मात्रा में प्रयोग करने से लाभ होता है । इससे आमाशयस्थ ज्वरादि दोष अच्छी तरह पच जाता है ।

4. विषमज्वर – पुराने विषमज्वर में जब विषमज्वर का विष शरीर के अन्दर गुप्त रूप से होता है, और अपना स्वरूप ज्वर के रूप में प्रकट न कर अजीर्ण, अग्निमान्द्य और हल्की हरारत के रूप में प्रकट करता है, तो उस स्थिति में सुदर्शन चूर्ण के उपयोग से बहुत लाभ होता है। इस चूर्ण में ज्वरनाशक गुण सर्वप्रधान है।

5. पेट – आमाशय की शिथिलता को दूर करने के लिए यह एक उत्तम औषध है।

6. कब्ज – इस चूर्ण में दस्त भी साफ होता है। ( और पढ़े – दस्त रोकने के 33 घरेलु उपाय)

7. धातुओं का शोधन – जीर्ण ज्वर में रस-रक्तादि धातुगत ज्वर कारक दोष को नष्ट करके ज्वर को निर्मूल कर देता है, धातुओं का शोधन करता है।

8. पाचन – अन्न प्रणाली के ऊपर यह अपना प्रभाव विशेष रूप से डालता है। मुँह में डालते ही पाकस्थली के रस-प्रवाह को उत्तेजित करता है।

9. बृहदन्त्र के ऊपर भी अपना प्रभाव दिखाता है। ज्वर को नष्ट करने में यह चूर्ण अतीव उपयोगी होने से अनेक वैद्य इसका क्वाथ, फाण्ट, हिम और अर्क आदि के रूप में प्रयोग करते हैं।

10. अधिक कुनैन सेवन से अन्तर्दाह,कानों में गुंजाहट होना या कम सुनाना, मस्तिष्क में शून्यता रहना आदि विकार उत्पन्न होते हैं। इन विकारों में इस चूर्ण का हिम बनाकर सुबह-शाम पिलाने से सभी उपद्रव आसानी से शान्त हो जाते हैं।

11. संक्षेप में यह दोष और दृष्यों का शोधन ज्वरघ्न, रेचक एवं शामक-गुण-प्रधान तथा अतीव गुणकारी औषधि है।

महासुदर्शन चूर्ण के नुकसान | Mahasudarshan Churna Side Effect in Hindi

Mahasudarshan Churna ke Nuksan

डॉक्टर की सलाह के अनुसार महासुदर्शन चूर्ण की सटीक खुराक समय की सीमित अवधि के लिए लें।

(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

7 thoughts on “महासुदर्शन चूर्ण के फायदे और सेवन विधि | Mahasudarshan Churna in Hindi”

  1. महासुदरशन वटी और चूर्ण एक साथ ले सकते हैं क्या

  2. महासुदर्शन चूर्ण इसकी कारगर औषधि नहीं है । वैद्यकीय सलाहनुसार आप तुलसी अर्क व गौ झरन अर्क का दो से तीन माह सेवन करें ।

  3. क्या महासुदर्शन चूर्ण Compound Palmer Gonglion के लिए फायदेमंद है या नहीं इसके कारण हथेली में बनी झिल्ली को ऑपरेशन द्वारा एक बार निकाल दिया गया है दोबारा पुनः दर्द हो रहा है

  4. वैद्यकीय सलाहनुसार चूर्ण की 3 से 6 ग्राम की मात्रा गुनगुने जल के साथ दिन में 2 बार दी जा सकती है …इसे 15 से 20 दिनों तक सेवन किया जा सकता है .

  5. चूर्ण को दिन में कितनी बार लेना है और कितनी मात्रा में लेना इसके इसके अलावा कितने दिन तक लेते रहना है

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