Last Updated on August 2, 2022 by admin
मोठ दाल क्या है : moth dal in hindi
मोठ एक दलहन की उपज है। यह मूंग की तरह का मोटा अन्न है, इसे वनमूंग भी कहा जाता है। थोड़ा-बहुत लगभग सारे भारत में पैदा होती है। खेत तैयार करने के बाद इसकी बुबाई वर्षा ऋतु के प्रारंभ ही हो जाती है। खरीफ की फसल के साथ सर्दी के आगमन पर यह पककर तैयार हो जाती; लगभग दीपावली के आस-पास काट ली जाती है। किसी प्रकार की भूमि में, जहाँ पानी न ठहरता हो, भली प्रकार उगाई जाती है। अकसर पहली वर्षा के साथ ही बाजरे के साथ बीज छिटक दिए जाते हैं। अधिक वर्षा इसे नुकसान पहुँचाती है। अन्य दालों के समान इसकी फली में से दाने निकलते हैं, जिनकी दाल बनती है, इसी ‘मोठ दाल’ कहते हैं। अन्य दालों की भाँति इसकी दाल भी खाई जाती है, परंतु देहात तथा आदिवासी तबकों में अधिक।
मोठ दाल के विविध भाषाओं में नाम :
- अंग्रेजी – Matbean, Moath, Kidney bean |
- कन्नड़ – मडिके |
- गुजराती – माठ, मठ |
- तमिल – तुलुक्कापायरि |
- तेलुगू – कुंकंपेनसालु |
- पंजाबी – मोठ, भिओनी |
- मराठी – माठ, मटकी |
- कच्छ – कोएड |
- सिंध – मोहर |
- बुंदेली – मोठ |
- संस्कृत – मकुष्ठ, अमृता, अरण्यमुद्ग, बसंता, मकुष्ठका |
- हिंदी – मोठ, शृंगा
मोठ दाल के औषधीय गुण : moth dal ke gun
- निघंटुकारों ने मोठ को रस में मधुर, वीर्य में शीत, पिपाक में मधुर, कफपित्तनाशक बताया है।
- आयुर्वेदिक चिकित्सकों की सम्मति में यह कसैली, मीठी, रक्तपित्तनाशक, पथ्य, रुचिकारक आदि दोषों की नाशक है।
- इसकी दाल बलकारक, दीपन, पाचन, ज्वरघ्न, दाहनाशक, हलकी, आँखों के लिए हितकर, वीर्यवर्धक के साथ-साथ पित्त-कफ तथा रक्त दोषों को दूर करती है।
- मोठ की जड़ मादक तथा विषैली होती है।
- इसके प्रति 100 ग्राम खाद्य भाग में कैलोरी 343, वसा 1.6 ग्राम, सोडियम 30 मिग्रा., पोटैशियम 11.91 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट्स 62 ग्राम, प्रोटीन्स 23 ग्राम, कैल्सियम 15 प्रतिशत, लौह तत्त्व 60 प्रतिशत, मैग्नीशियम 95 प्रतिशत तक होता है।
मोठ दाल के सामान्य उपयोग : moth dal ke upyog
- मोठ की दाल बनाई जाती है, जो सुपाच्य होती है।
- यह घोड़ों का उत्तम आहार है, मोठ खिलाने से घोड़ों की थकान उतर जाती है।
- मोठ की रोटी भी बना ली जाती है;
- यह नमकीन उद्योग तथा चाट-पकौड़े आदि में भी उपयोग की जाती है।
- घरेलू चिकित्सा में भी इसका उपयोग होता है।
मोठ दाल के फायदे : moth dal ke labh hindi me
मोठ की दाल पोषक तत्त्वों से संपन्न है। यह कृमिनाशक तथा ज्वरनाशक है। आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने इसके कई चिकित्सीय उपयोग बताए हैं। इसकी दाल पित्त, कफ, ज्वर, रक्तपित्त, दाह, उन्माद आदि रोगों में पथ्य है।
1. अरुचिकर : मोठ को उबालकर इसमें प्याज, हरी मिर्च, नमक तथा नीबू रस डालकर खाई जाए तो भोजन से होनेवाली अरुचि को दूर करती है। खाने में बड़ी स्वादिष्ट है। नमकीन विक्रेताओं की दुकान पर मिलनेवाली मोठ दाल बड़ी रुचिकर, स्वादु तथा भूख बढ़ानेवाली होती है। नमकीनों में इसका अपना विशिष्ट स्थान है। ( और पढ़े –भूख बढ़ाने के 32 अचूक उपाय )
2. खूनी पेचिश : अतिसार में मरोड़ के साथ मल में रक्त आता है, इसे सामान्य भाषा में ‘ऐंठा’ कहते हैं। इस स्थिति में मोठ को उबालकर इसमें प्याज कदूकस करके या पीसकर मिलाकर खाने को दें। इससे मरोड़ रुककर मल में खून आना बंद हो जाता है। चाय-कॉफी तथा मिर्च मसालेदार चीजों के स्थान पर दही के साथ खिचड़ी सेवन करें। पानी को खूब उबालकर ठंडा करके पीने को दें। ( और पढ़े –दस्त रोकने के 33 घरेलु उपाय )
3. गर्भाशय की सफाई : प्रसव के उपरांत ढंग से गर्भाशय की शुद्धि नहीं हो पाती है; तो उस स्थिति में मोठ की रोटी प्रसविनी को खिलाने से गर्भाशय की सफाई हो जाती है।
4. स्वेद हर : जिनको अधिक पसीना आता है, बार-बार शरीर चिपचिपा हो जाता है। वे मोठ को बारीक पीसकर आटा बना लें। इसके एक मुट्ठी आटे में आधा चम्मच नमक मिलाएँ। दोनों को खूब मिलाकर पसीना आनेवाले स्थान पर मलें। कुछ दिनों के उपयोग से अधिक पसीना आना बंद हो जाता है। ( और पढ़े – अधिक पसीना आने का उपचार)
5. ज्वर में पथ्य : काफी समय से बुखार से पीडित हैं, कमजोरी आ गई है, अन्य कोई भोजन पचता न हो तो मोठ या फिर मूंग-मोठ की दाल का पानी अथवा दाल बनाकर रोगी को दें। यह ज्वर में उत्तम पथ्य है। ( और पढ़े – बुखार के कारण ,लक्षण और इलाज )
6. कब्जनाश : चूंकि मोठ दाल में रेशे पर्याप्त मात्रा में होते हैं, इसलिए मोठ कब्ज से बचाती है; इसके सेवन से शौच साफ होता है। यह दाल पाचन-तंत्र को सुरक्षित तथा दुरुस्त बनाती है। ( और पढ़े – कब्ज दूर करने के 18 रामबाण देसी घरेलु उपचार)
7. रक्तचाप : यह शिकायत आजकल आम हो गई है, बच्चे और जवान भी इसके रोगी देखने में आते हैं। मोठ की दाल शरीर में कोलेस्टरॉल के स्तर को कम करती है, अतः ब्लड प्रेशर की बीमारी में फायदेमंद है। उच्च रक्तचाप में यह बेहद फायदा करती है। ( और पढ़े – उच्च रक्तचाप का सरल घरेलु आयुर्वेदिक उपचार)
8. मोटापा : मोठ या मोठ की दाल नियमित खाने से यह मांसपेशियों को फायदा पहुँचाती है। यह मांसपेशियों के विकास में सहायक तो है ही, रक्त में वसा को कम करने में भी सहायक है।
9. रोग प्रतिरोधक शक्ति : मोठ में अन्य खनिज-लवणों के साथ जिंक भी होता है, जो शरीर में इम्यून पावर को बढ़ाता है। इसके अलावा यह तनाव से होनेवाले दुष्प्रभावों से भी बचाता है।
10. सेहत के अनुकूल : मोठ प्रोटीन का खजाना तथा कैल्सियम का अच्छा स्रोत है; यह शरीर को भरपूर मात्रा में रेशे (फाइबर) भी देती है। इनके अलावा यह दाल विटामिनों तथा खनिजों का भी भंडार है। ये सब स्वास्थ्य को मजबूत बनाने में सहायक हैं। इसमें कृमिनाशक तथा ज्वरनाशक गुण भी हैं।
इन सबके अलावा आमवात अथवा घुटनों-जोड़ों के दर्द में सर्दियों में मोठ के आटे के लड्डू फायदा पहुँचाते हैं। मोठ की दाल का सूप सामान्य जनों के लिए भी स्वास्थ्यवर्धक है।
यह बल तथा स्फूर्ति का संचार करती है, अतः घोड़े तथा काम से थके-हारे बैलों के लिए बेहद फायदेमंद है। वैसे तो यह खाँसी, अतिसार तथा हृदय की कमजोरी को भी दूर करती है।
इसे थोड़ी मात्रा में भूनकर भी खाया जा सकता है, अतः यह सभी प्रकार से लाभप्रद है।
मोठ दाल के नुकसान : moth dal khane ke nuksan
- मोठ के सेवन में एक सावधानी बरतनी चाहिए कि इसे ज्यादा मात्रा में न खाएँ, क्योंकि यह वायु-विकार पैदा करती है।
- दूसरे इसे दुधारू पशुओं को नहीं खिलाना चाहिए, नहीं तो उनका दूध कम हो जाएगा।
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)