Last Updated on August 27, 2019 by admin
श्रेष्ठ आयुर्वेदिक योग मुक्ता पंचामृत रस :
उचित एवं पोषक आहार के अभाव में, आम आदमी, विशेष कर महिलाओं और बच्चों के शरीर में कैल्शियम और लोह तत्व की कमी आम तौर से पाई जाती है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि महिलाएं स्वस्थ और बलवान नहीं रह पातीं और बच्चों के शरीर का उचित विकास नहीं हो पाता और वे रोग प्रतिरोधक शक्ति के अभाव में रोगों के आक्रमण का मुक़ाबला न कर पाने से रोगी तथा निर्बल बने रहते हैं ।
कैल्शियम की पूर्ति करने वाला एक निरापद और अत्यन्त गुणकारी योग मुक्ता पंचामृत रस’ का परिचय प्रस्तुत है ।
मुक्ता पंचामृत रस के घटक द्रव्य :
1- मोतीपिष्टी 8 ग्राम – 1 ग्राम
2- प्रवाल पिष्टी 4 ग्राम – 1 ग्राम
3- वंग भस्म 2 ग्राम – 1 ग्राम
4- शंख भस्म – 1 ग्राम
5- मुक्ता शुक्ति पिष्टी – 1 ग्राम
मुक्ता पंचामृत रस की निर्माण विधि :
सभी द्रव्यों को खरल में डाल कर,गन्ने के रस के साथ छः घण्टे तक घुटाई करें । जब अच्छी घुटाई हो जाए तो बड़ी टिकिया के रूप में बना कर धूप में खूब अच्छी तरह सुखा कर,शराब सम्पुट में बन्द कर, लघुपुट में फूंक दें। यह गन्ने के रस की एक भावना हुई ।
इसी पद्धति से गाय के दूध,तुलसी,विदारीकन्द,घृतकुमारी,शतावरी और सम्भालू के काढ़े की भावना देनी है और टिकिया बना कर सुखा कर पुट दे कर,अन्त में पीस कर कपड़ छन करके,शीशी में भर लें । यह उत्तम ‘मुक्ता पंचामृत रस’ है |
उपलब्धता :
यह योग इसी नाम से बना बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता के यहां मिलता है।
मात्रा और सेवन विधि :
बड़ी आयु वालों को 2-2 रत्ती और बच्चों को आधी आधी रत्ती, सुबह शाम,पीपल के 2-3 ग्राम चूर्ण में मिला कर दूध या शहद के साथ सेवन करना चाहिए ।
मुक्ता पंचामृत रस के फायदे और उपयोग :
✦ यह एक अत्यन्त गुणकारी, विभिन्न रोगों और विकारों को दूर करने वाला सौम्य, निरापद और लाभकारी योग है ।
✦ इसके सेवन से बच्चे सूखा रोग (Rickets)से पीड़ित नहीं हो पाते और पीड़ित हों तो रोग मुक्त और स्वस्थ हो जाते हैं ।
✦ यह योग जीर्ण ज्वर (पुराना बुखार), राजयक्ष्मा, क्षय वाली खांसी को दूर करता है ।
✦ यह योग श्वासकास,गुल्म,जीर्णअतिसार, संग्रहणी,रक्त पित्त,अर्श,प्रमेह,आंतों की कमज़ोरी को दूर करता है ।
✦ यह योग हृदय की दुर्बलता,पित्त प्रकोप जन्य रोग,रक्त का पतलापन,प्रदर रोग,पाण्डु, कामला और हलीमक जैसे रोगों की चिकित्सा में लाभकारी सिद्ध होता है।
✦ इसके साथ चौथाई रत्ती स्वर्ण भस्म मिला कर सेवन करने से विशेष और शीघ्र लाभ होता है ।
✦ इस योग के सेवन से शरीर में कैल्शियम की पूर्ति होती है कैल्शियम की कमी से होने वाले रोगों से बचाव होता है और यदि इन रोगों में से कोई रोग हो तो इस प्रयोग से दूर हो जाता है।
✦ यह पित्त प्रकोप का शमन कर पित्तजन्य रोगों को दूर करता है।
✦ यह योग शीतवीर्य और मूत्रल है अतः पेशाब की रुकावट और जलन दूर करता है ।
✦ जो व्यक्ति शरीर में जलन, आंखों में,पेशाब और पेट में जलन,तीव्र प्यास, मुंह सूखना, शरीर की गरम तासीर होना, गर्मी में कष्ट होना आदि व्याधि से पीड़ित हों, उन्हें मुक्ता पंचामृत रस का सेवन अवश्य करना चाहिए ।
✦ जिन महिलाओं को रक्त प्रदर हो, अत्यार्तव (Menorrhagia)के कारण अधिक मात्रा में रक्तस्राव होता हो उन्हें इस योग का उपयोग गुलकन्द के साथ करना चाहिए और सौ बार पानी से धोए हुए घृत का पिचु(रुई का फाहा) सोते समय योनि के अन्दर रखना चाहिए और सुबह उठते समय यह पिचु निकाल कर फेंक देना चाहिए ।
✦ इस रसायन के सेवन से और भी कई लाभ होते हैं। यह अस्थिक्षय, मांस क्षय,सिर दर्द, परिणाम शूल जैसे रोगों में इस योग का उपयोग हितकारी होता है।
✦ क्रोधी स्वभाव,अति जागरण,अति मानसिक श्रम,अति दौड़धूप और मेहनत,उष्ण पदार्थों के अति सेवन,तेज धूप में अधिक समय तक रहने आदि कारणों से मस्तिष्क में कष्ट व तनाव होता है। इससे मस्तिष्क को त्रास होता है,मस्तिष्क कमज़ोर होता है जिससे मामूली बात पर व्यक्ति को क्रोध आ जाता है, विचार करने की क्षमता और स्मरण शक्ति कम हो जाती है,शरीर में शिथिलता और कमज़ोरी बनी रहती है,तबीयत गिरी गिरी सी रहती है, नींद उड़ जाती है और बात बात पर व्यक्ति झुंझला उठता है ।आयुर्वेदिक योग मुक्ता पंचामृत रस के नियमित सेवन से ये व्याधियां दूर होती हैं।
यह योग इसी नाम से बना बनाया बाज़ार में मिलता है।
मुक्ता पंचामृत रस के नुकसान :
✧ इस आयुर्वेदिक औषधि को स्वय से लेना खतरनाक साबित हो सकता है।
✧ मुक्ता पंचामृत रस को डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।
✧ अधिक खुराक के गंभीर जहरीले प्रभाव हो सकते है।
✧ सबसे अच्छा होगा अगर इसे गर्भवती महिलाओं , स्तनपान कराने वाली माताओं और बच्चों को न दिया जाय ।
✧ बच्चों की पहुंच और दृष्टि से दूर रखें।
✧ सूखी ठंडी जगह पर स्टोर करें।
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