Last Updated on October 28, 2020 by admin
सुंदरता प्रकृति की देन है। आयुर्वेद की दृष्टि से सुंदरता साधन नहीं साधना है। हर व्यक्ति की सुंदरता की व्याख्या अलग-अलग हो सकती है। बच्चों की नज़र में माँ सुंदर होती है और युवाओं को अभिनेता और अभिनेत्रियाँ सुंदर लगती हैं । कोई गोरेपन को सुंदरता मानता है तो किसी को साँवले सलोने लोग पसंद होते हैं। सुंदरता की व्याख्या भले ही अलग हो लेकिन स्वास्थ्य की व्याख्या तो बदल नहीं सकती। स्वास्थ्य ही सुंदरता का मूलमंत्र है।
वर्तमान समय में बाहरी सुंदरता को अधिक महत्त्व दिया जाता है, तभी तो संपूर्ण शरीर का 10% भी जो हिस्सा नहीं है उसका 90% ध्यान रखा जाता है। पैर जीवनभर शरीर का भार उठाते हैं, मनुष्य को सीधा खड़ा रखते हैं लेकिन पैरों की ओर कम ध्यान दिया जाता है। साड़ी, पंजाबी पोशाक परिधान में पैर दिखाई नहीं देते परंतु कई परिधान ऐसे हैं जिनमें पैर दिखाई देते हैं, इसलिए अब पैरों की भी देखभाल की जाती है।
पैरों में तैल ग्रंथियाँ अपेक्षाकृत कम होती हैं। अतः ठंड और गर्मी में पैरों की त्वचा सूख जाती है। तेज़
हीन हो जाती है और फट जाती है। यदि पैरों पर ध्यान न दिया गया तो चेहरा भी निस्तेज हो जाता है। पैर थकें हों तो मुख भी शांत दिखाई देता है। यदि आप चाहते हैं कि पैर सुंदर दिखाई दें तो उनकी देखभाल करें।
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पैरों को सुंदर बनाने के लिए आसान घरेलू उपाय (Pairon ko Sundar Banane ke Gharelu Upay in Hindi)
पैरों को सुन्दर कैसे बनाये ?
1). भारत देश गर्म और नम मौसम का है। आयुर्वेद में दिनचर्या के अंतर्गत कहा गया है कि सुबह उठकर ठंडे पानी से हाथ पैर और मुँह धोना चाहिए। पैरों को पादाभ्यंग करें। तिल तेल की मालिश करें, इस्से त्वचा नर्म और मुलायम होगी। रूखापन दूर होगा। थकावट दूर होगी। पैरों में रक्त संचार बढ़ेगा। एड़ियों की बिवाई भर जाएगी। वातदोष दूर होगा। सायटिका और जोड़ों के दर्द में राहत मिलेगी। दृष्टि दोष में सुधार होगा। नींद गहरी आएगी।
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2). तलुओं में जलन होने पर तिल तेल काँसे की कटोरी से मलें। तलुओं पर मेहंदी, चंदन और खस का लेप लगाएँ। ये चूर्ण पानी में घोलकर पैर डुबोकर रखें।
3). अधिक खाने से और व्यायाम न करने से पैर बैडोल हो जाते हैं। इसके लिए कमर से नीचे पूरे पैरों का व्यायाम करना आवश्यक है। कूदना, रस्सी कूदना, साइकिल चलाना और तैरना आदि कसरतें उपयुक्त हैं।
4). कड़े भाग को पत्थर से रगड़ें। मृत त्वचा हटा दें। पैरों और तलुओं पर तेल या क्रीम की मालिश करें।
5). बंद जूता पहनने से पहले पाउडर या कलोन लगाकर ही पहनें।
6). सप्ताह में एक बार पैडीक्योर करें।
7). यदि आप बहुत थके हुए हैं, पैरों में दर्द हो तो एक टब में गुनगुना पानी लेकर नमक डालें और उसमें पैर डालकर बैठें। फिर पैर पोंछकर 45 डिग्री कोन में तकिए पर रखें। थकान मिटाने के लिए पानी में कलोन वॉटर या लवेंडर ऑइल डालकर पैर डुबोकर बैठने से भी आराम मिलता है।
8). पैरों का रूखापन दूर करने के लिए पानी में नींबू का रस डालकर पैर डुबोकर बैठें।
9). पैर अधिक रूखे हों तो सिरका और दही मिलाकर पैरों और अंगुलियों पर लेप करें। इस प्रकार पैर मुलायम होंगे और ठंडक मिलेगी।
10). तलुओं पर मेहंदी लगाने से पूरे शरीर को ठंडक मिलेगी।
11). गर्मियों में आँखों और हाथ-पैरों में जलन हो तो शतघौत घृत लगाएँ।
12). पुलिस, बस कंडक्टर, पोस्टमॅन, किसान, दुकानदार, ड्राइवर और जिन्हें रोज यात्रा करनी पड़ती है, ऐसे लोग पैरों की नियमित देखभाल करें। वे रोज़ रात को घुटनों से लेकर तलवों तक 5-10 मिनट तिल के तेल से पैरों को मालिश करें।
13). नियमित जूते पहनेवाले धुले मोजे पहनें। पैरों में खस और चंदन का लेप लगाएँ।
पैरों के विकारों पर कुछ सरल उपाय :
फटी एड़ियों के लिए घरेलू नुस्खे –
- त्रिफला चूर्ण तेल में गर्म करके, पीसकर पैरों मे लगाएँ।
- कोकम तेल में फिटकरी फुलाकर, मिलाकर लगाएँ।
- देसी घी में नमक मिलाकर एड़ियों पर रगड़ने से वे ठंड में फटेंगी नहीं।
- शिरस का तेल मलने से एड़ियाँ नहीं फटेंगी।
- ठंड में, फटी एड़ियों पर शुद्ध मोम या शहद भर दें।
- पुराने देसी गुड़ को गर्म करें, उसमें हल्दी मिलाकर एड़ियों पर लेप करके पट्टी बाँध दें।
- अरंडी के पत्ते पीसकर लगाने से भी एड़ियाँ नहीं फटतीं।
- जात्यादी मरहम, शतघौत घृत का प्रयोग करें।
( और पढ़े – फटी एड़ियों के लिए 34 घरेलू उपाय )
अंगुलियों के बीच सड़न होने पर घरेलू उपाय –
पहले 1-2 समय नारियल या खाद्यतेल में नमक डालकर मलें। जलन होगी उसके बाद जात्यादी या शतघौत घृत लगाएँ।
कॉर्न का घरेलू उपचार –
रूई के पत्तों का ताज़ा दूध लगाएँ।
पैरों के रूखे और खुरदरे होने पर घरेलू नुस्खे –
- बादाम तेल, गुलाब जल और ग्लिसरीन बराबर मात्रा में मिलाकर लगाएँ।
- रोज़ाना तिल तेल मलें।
पैरों के काले धब्बे दूर करने के उपाय –
- नींबू का रस, ग्लिसरीन और गुलाब जल मिलाकर लगाएँ।
- नाखूनों को दस मिनट गुनगुने पानी में डुबोकर रखें। फिर नींबू रस या माइश्चराइजर से मालिश करें।
ये सभी बाहरी इलाज हैं। संतुलित आहार, व्यायाम, आभ्यंतर औषधि चिकित्सा, पंचकर्म चिकित्सा की सहायता से संपूर्ण सौंदर्य प्राप्त किया जा सकता है। मानव शरीर को आयुर्वेद और प्राकृतिक साधनों की सहायता से सुंदर बनाना समय की आवश्यकता है। आयुर्वेद में वर्णित तत्त्वों के अनुसार आचरण करने से हर किसी को सुंदरता प्राप्त हो सकती है। सभी को स्वास्थ्य लाभ हो सकता है।