मूत्र असंयमिता (पेशाब न रोक पाना) का इलाज – Urinary Incontinence ka Ilaj in Hindi

Last Updated on September 20, 2020 by admin

मूत्र असंयम या मूत्र असंयमिता कई लोगों के लिए भावनात्मक रूप से दर्द पहुंचाने वाला हो सकता है। आम बोलचाल की भाषा में कहें तो यह ऐसी स्थिति होती है, जब किसी व्यक्ति को अपने मूत्र पर नियंत्रण नहीं रहता। दुनिया भर में करोड़ों लोग इस समस्या से ग्रस्त हैं। ऐसा माना जाता है कि महिलाओं में यह समस्या अधिक होती है। महिलाएं पुरूषों की अपेक्षा दुगुनी मात्रा में इस समस्या से ग्रस्त होती है। वृद्ध महिलाएं युवा की अपेक्षा अधिक आक्रान्त होती है। हर रोगी को एक ही प्रकार का उपचार लाभ नहीं करता सबके लिए रोगानुसार अलग- अलग प्रकार के उपचार करने पड़ते हैं। अधिकांश महिलाओं को शल्य क्रिया के बिना भी लाभ हो जाता है।

मूत्र असंयमिता रोग क्या है ? (Urinary Incontinence in Hindi)

मूत्र असंयमिता अर्थात मूत्राशय पर नियंत्रण न होना जिसके कारण मूत्र स्वयं ही निकल जाता है अर्थात मूत्राशय मूत्र रोकने की क्षमता से वंचित हो जाता है। यह समस्या महिलाओं को अत्यंत विचलित करने वाली होती है। पुरूषों में भी यह समस्या हो सकती है जैसे बेनाइन प्रोस्टेट हायपरप्लेशिया (Benign Prostate Hyperplasia BPH) के पुरूष रूग्ण में बार-बार मूत्र प्रवृत्ति होती है, रोगी मूत्र को रोक नहीं पाता। रात में भी उसे बार-बार यूरिन के लिए जाना ही पड़ता है। खांसते या छींकते समय भी मूत्र निकल आता है।
उम्र बढ़ने के साथ यह मूत्र प्रवृत्ति की समस्या भी बढ़ती जाती है। इस समस्या से दैनिक जीवनचर्या प्रभावित होती है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

पेशाब न रोक पाने के कारण (Urinary Incontinence Causes in Hindi)

मूत्र असंयमिता रोग के क्या कारण हो सकते है ? –

  1. स्त्री मूत्रवह संस्थान :- इसमें विकृति होने से मूत्र असंयमिता (मूत्र असंयम) होता है। मुख्यतः बढ़ती उम्र में मूत्राशय की मांसपेशियों में कमजोरी से मूत्र असंयम होता है। पूर्व में पेल्विक सर्जरी के दौरान स्कार (Scar) निर्मिती से भी मूत्र असंयम की संभावना होती है।
  2. पुरूष मूत्रवह संस्थान :- मूत्र अनियंत्रण कोई बीमारी नहीं बल्कि एक लक्षण है। डॉक्टर का परामर्श लेकर इसका निदान कर उपचार ले सकते है।
  3. अस्थायी मूत्र असंयम :- (Temporary Urinary Incontinence) कुछ पेय पदार्थ, खाद्य पदार्थ व औषधियां जैसे मूत्रल औषधियां (डाययूरेटिक्स) अस्थायी मूत्रअसंयम के लिए जिम्मेदार होते है अर्थात् ऐसे पदार्थ जिनसे मूत्राशय उत्तेजित होकर मूत्र की मात्रा बढ़ाते है।
    अल्कोहल, कैफीन, कोल्डड्रिंक्स, आर्टिफिशल मधुर पदार्थ, चॉकलेट और जिस आहार में मिर्च मसाले, शुगर, एसिड ज्यादा होता है उनसे मूत्रअसंयम की समस्या हो सकती है।
    औषधि में हृदयरोग व ब्लडप्रेशर की औषधियां, निद्राजनक, मांसपेशी को रिलेक्स करने वाली औषधि, विटामिन सी की अधिक मात्रा से मूत्र असंयम हो सकता है।
  4. मूत्रवह संस्थान संक्रमण (Urinary Tract Infection UTI) :- संक्रमण से मूत्राशय प्रभावित होता है जिससे मूत्र प्रवृत्ति की तीव्र इच्छा होती है और कभी-कभी मूत्र असंयमिता की स्थिति निर्मित होती है।
  5. कब्ज :- मलाशय का स्थान मूत्राशय के पास ही है दोनों की नाड़ियां भी समान ही होती है। कब्ज के कारण नसें ओवरएक्टिव हो जाती है जिससे मूत्र प्रवृत्ति की इच्छा बार-बार होती है।
  6. गर्भावस्था :- हार्मोन परिवर्तन व बेबी का अधिक वजन भी मूत्र असंयम निर्मित करता है।
  7. नार्मल डिलेवरी :- वजाइनल festast (Vaginal Delivery) अर्थात नार्मल डिलेवरी से मूत्राशय (Bladder) की मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। इससे मूत्राशय की नाड़ियां व सहायक ऊतक (Tissue) भी डैमेज हो जाते है। जिसके कारण श्रोणि का प्रोलेप्स हो जाता है। प्रोलेप्स के कारण मूत्राशय, गर्भाशय, मलाशय या छोटी आंत अपने नार्मल स्थान से हटकर बाहर योनि प्रदेश की ओर धकेले जाते हैं। इस प्रकार के अंग बाहर निकलने से भी मूत्र असंयमिता की समस्या होती है। अधिक डिलेवरी (Repeated Child Birth) के कारण मूत्र असंयम होता है।
  8. रजोनिवृत्ति (Menopause) :- रजोनिवृत्ति के बाद महिलाओं में इस्ट्रोजन हार्मोन का स्राव कम होता है। इस हार्मोन से मूत्राशय व मूत्रप्रेसक की टिशू (Tissue) के स्तर स्वस्थ रहते है। इनके टिश्यूज में विकृति आने से मूत्रअसंयम की समस्या बढ़ती है।
  9. हिस्टेरेक्टामी (Hysterectomy) :- महिलाओं में मूत्राशय व गर्भाशय को एक ही (Common) मांसपेशी व लिंगामेंट्स से सहारा होता है। यूटेरस निकालने के ऑपरेशन (हिस्टेरेक्टामी) से श्रोणि मांसपेशी में विकृति आकर मूत्र असंयमिता की तकलीफ होती है।
  10. प्रोस्टेट का बढ़ना :- वृद्ध पुरूषों में मूत्र असंयम की समस्या प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने से होती है जिसे बेनाइन प्रोस्टेट हायपरप्लेशिया (Benign Prostate Hyperplasia BPH) कहते है।
  11. प्रोस्टेट कैंसर :- पुरूषों में प्रोस्टेट कैंसर का उपचार न करने से मूत्र असंयम की समस्या होती है पर अधिकांशतः मूत्र असंयम प्रोस्टेट कैंसर के उपचार के साइड इफेक्ट के कारण भी होता है।
  12. रूकावट (Obstruction) :- मूत्रवह संस्थान में ट्यूमर या पथरी होने पर यूरिन का नार्मल फ्लो कम हो जाता है जिससे मूत्र असंयमिता की समस्या होती है।
  13. न्यूरोलाजिकल रोग (Neurological Disorder) :- मल्टीपल स्क्ले रोसिस (Multiple Sclerosis), पार्किन्सन रोग, ब्रेन ट्यूमर, ब्रेन स्ट्रोक (Brain Stroke) या रीढ़ की इन्जुरी (spinal Injury) में मूत्राशय को नियंत्रित करने वाली नाड़ियों को प्रभावित करती है जिससे मूत्र असंयम का कष्ट होता है।
  14. लिंग :- महिलाएं मूत्र असंयम के रोग से अधिक ग्रस्त होती है। पुरूषों की अपेक्षा गर्भावस्था, शिशुजन्म, रजोनिवृत्ति और स्त्री मूत्रवह स्रोतस की रचना के कारण भी यह होता है। जबकि पुरूषों में प्रोस्टेट ग्रंथि के कारण मूत्र असंयम होता है।
  15. आयु :- जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है मूत्राशय (Bladder) व मूत्रप्रसेक (Urethra) की मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। उम्र के कारण मूत्राशय की मूत्र को रोकने की शक्ति भी कम हो जाती है। उम्र के अनुसार मूत्राशय की मांसपेशियों द्वारा मूत्र जमा करने की क्षमता कम हो जाती है। उम्र के अनुसार इन्वाल्नटरी ब्लैडर का संकुचन भी होने लगता है जिससे मूत्र असंयमिता की स्थिति निर्मित होती है।
  16. स्थूलता :- अधिक वजन से मूत्राशय व आसपास की मांसपेशियों पर दबाव पड़ता है जिससे वे कमजोर हो जाती है व जरा सा खांसने या छींकने से मूत्र निकलने लगता है।
  17. धूम्रपान :- तंबाकू के प्रयोग से भी मूत्र असंयम की समस्या बढ़ती है।
  18. पारिवारिक इतिहास :- यदि परिवार के करीबी सदस्य को मूत्र असंयमिता है तो आपको भी यह समस्या होने की अधिकाधिक संभावना है।
  19. मधुमेह (Diabetes) :- मधुमेह के कारण भी मूत्र असंयमिता की संभावना बढ़ जाती है।

पेशाब न रोक पाने रोग के लक्षण (Urinary Incontinence Symptoms in Hindi)

मूत्र असंयमिता के लक्षण क्या होते हैं ? –

  • कुछ रूग्णों में मूत्र प्रवृत्ति की समस्या कभी-कभी व कम होती है पर कुछ रूग्णों में यह समस्या बार-बार और ज्यादा होती है।
  • रोगी तनावग्रस्त रहता है।
  • कभी-कभी शारीरिक संबंध के समय भी मूत्र प्रवृत्ति हो जाती है जिससे रूग्ण मानसिक व भावनात्मक रूप से तनाव में रहता है।

इस समस्या से ग्रस्त रूग्ण डॉक्टर को यह तकलीफ बताने में भी असहज (Uncomfortable) महसूस करता है। यदि इस समस्या से रूग्ण की जीवनशैली प्रभावित हो रही है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें क्योंकि आगे चलकर यह समस्या गंभीर रूप धारण कर सकती है। इसके कारण रोगी के अन्य कार्य भी प्रभावित होते है। समाज में मिलना-जुलना बंद हो जाता है। बढ़ती उम्र अर्थात वृद्धावस्था में बार-बार टायलेट जाते समय गिरने का खतरा बढ़ जाता है।

पेशाब न रोक पाना रोग के प्रकार (Types of Urinary Incontinence in Hindi)

मूत्र असंयमिता रोग कितने प्रकार का हो सकता हैं ? –

मूत्र असंयम कई प्रकार का हो सकता है –

  1. तनाव असंयम (Stress Incontinence) :- पेट की निचली मांसपेशियों पर अत्यधिक दबाव की स्थिति में व्यक्ति को अपने मूत्र पर नियंत्रण नहीं रहता। ऐसा व्यायाम, छींकने, हंसने अथवा खांसने के दौरान हो सकता है। दमा या Chronic Obstructive Pulmonary Disease (COPD) के रूग्णों में तनाव पड़ने से मूत्र असंयमिता हो सकता है। तनाव असंयम आमतौर पर तब होता है जब किसी व्यक्ति के पेल्विक ऊतक और मांसपेशियां (Pelvic Tissues &Muscles) कमजोर होते हैं।
    इसका एक कारण गर्भावस्था और शिशु का जन्म भी हो सकता है। इन परिस्थितियों में तनाव तो होता ही है साथ ही श्रोणि क्षेत्र की मांसपेशियों पर अधिक दबाव भी पड़ता है। कुछ अन्य कारण जो तनाव असंयम को बढ़ा सकते हैं, उनमें अधिक वजन होना, कुछ दवाएं और प्रोस्टेट सर्जरी भी शामिल हैं।
  2. ओवरफ्लो असंयम (Overflow Incontinence) :- अगर कोई व्यक्ति अपना मूत्राशय पूरी तरह खाली नहीं कर पाता है, तो यह इस बात का संकेत है कि वह ओवरफ्लो असंयम से जूझ रहा है। इस परिस्थिति में मूत्राशय पूरा भरने के बाद व्यक्ति को मूत्र लीक होने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। यह परिस्थिति पुरूषों में महिलाओं की अपेक्षा अधिक देखी जाती है। इसके मुख्य कारण मूत्राशय की कमजोर मांसपेशियां, ट्यूमर जैसी चिकित्सीय परिस्थितियां जिसके कारण मूत्र पूरी तरह प्रवाहित नहीं हो पाता। मूत्रमार्ग में रूकावट और कब्ज आदि के कारण यह समस्या हो सकती है।
  3. तीव्र असंयम (Acute Incontinence) :- अति सक्रिय मूत्राशय के कारण ऐसी समस्या होती है। इस परिस्थिति में व्यक्ति को शौचालय तक पहुंचने की बहुत जल्दी होती है, लेकिन वहां तक पहुंचने तक भी वह अपने मूत्र पर नियंत्रण नहीं रख पाता। अति सक्रिय मूत्राशय कई कारणों से हो सकता है।

• नर्वस सिस्टम की विकृति ।
• मूत्राशय के नर्वस सिस्टम की विकृति।
• श्रोणिक क्षेत्र की मांसपेशियों का क्षतिग्रस्त होना।

कुछ अन्य चिकित्सीय समस्याएं भी इसका कारण बन सकती हैं। इसमें स्क्लेिरोसिस, मूत्राशय की पथरी और मूत्राशय संक्रमण आदि प्रमुख हैं।

  1. कार्यात्मक असंयम (Functional Incontinence ) :- यह उस परिस्थिति को कहते हैं, जब व्यक्ति समय पर मूत्र कर पाने में असक्षम होता है। अर्थराइटिस (Arthritis) और डिमेंशिया (Dementia) जैसी चिकित्सीय समस्याओं के कारण भी यह परिस्थिति उत्पन्न हो सकती है।
  2. बायपास मूत्रअसंयम (Bypass Incontinence) :- यह स्थिति मूत्रवहसंस्थान व जनन संस्थान के भगंदर (Fistula Urogenital) व जन्मजात विकृति के कारण होता है।
  3. अर्ज मूत्र असंयम (Urge Incontinence) :- इस स्थिति में रोगी को मूत्र का वेग आने पर वह रोक नहीं पाता । रोकने की कोशिश करने पर मूत्र खुद ही निकल जाता है। ज्यादा उम्र की महिलाओं में यह तकलीफ अधिक होती है।

पेशाब न रोक पाना रोग की चिकित्सकीय जाँच (Diagnosis of Urinary Incontinence in Hindi)

मूत्र असयंमिता का निदान (परीक्षण) कैसे किया जाता है ? –

महिलाओं में मूत्र असंयमिता के निदान के लिए शारीरिक परीक्षण, अल्ट्रासाउंड (Ultrasound), यूरोडायनामिक टेस्टिंग (Urodynamic Testing), सिस्टोयूरेथ्रोस्कोपी (Cystourethroscopy) मूत्राशय में टयूमर या पथरी के निदान हेतू किये जाते है।

इन्फेक्शन के लिए मूत्र परीक्षण (Urine Analysis) व यूरीन कल्चर करते है। इसके अलावा ब्लैडर स्ट्रेसटेस्ट (Bladder Stresstest) व डॉक्टर द्वारा रूग्ण इतिहास (Medical History) लिया जाता है व ब्लैडर डायरी रखने का निर्देश दिया जाता है।

पेशाब न रोक पाने का इलाज (Urinary Incontinence Treatment in Hindi)

मूत्र असयंमिता का इलाज कैसे किया जाता है ? –

जीवनशैली में कुछ बदलाव लाकर आप मूत्र असंयम की शिकायत को कम कर सकते हैं। इसके साथ ही श्रोणि क्षेत्र के कुछ व्यायामों के जरिये भी इस समस्या को नियंत्रित किया जा सकता है। बॉयोफीडबैक के जरिये मूत्राशय पर अधिक नियंत्रण हासिल कर भी मूत्र असंयम को कम किया जा सकता है। इसके अलावा इंजेक्शन, डिवाइस, सर्जरी, ब्लैडर ट्रेनिंग, दवाओं और बिजली के उपयोग से इस समस्या को काबू किया जा सकता है।

1). कीगल एक्सरसाइज से मूत्र असयंमिता का उपचार –

गर्भावस्था या डिलीवरी के एकदम बाद महिलाओं में होने वाली मूत्र असंयम की समस्या से कीगल एक्सरसाइज की मदद से काबू पाया जा सकता है। यह श्रोणि की मांसपेशियों को मजबूत बनाती है, जिससे असंयम को रोकने में मदद मिलती है। इसे करने के लिए अपने घुटनों को मोड़ कर आराम की स्थिति में बैठ जाए। अब आप ध्यान केंद्रित करके पेल्विक फ्लोर मसल्स (Pelvic Floor Muscles) को टाइट करके संकुचित करें। इसे 30 से 50 बार दोहराये । पूरी प्रक्रिया के दौरान स्वतंत्र रूप से सांस लें। इस एक्सरसाइज को करने के दौरान 5 सेकंड के लिए संकुचन करें और फिर 5 सेकंड के लिए आराम करें। धीरे-धीरे इस समय को बढ़ा कर 10 सेकंड कर दें। लेकिन ध्यान रहे कि कीगल एक्सरसाइज भरे हुए ब्लैडर को अधूरा खाली कर देता है।

2). मैग्नेशियम – पेशाब न रोक पाने के उपचार में लाभप्रद

मूत्र असंयमिता के इलाज के लिए मैग्नेशियम भी मदद कर सकता है, खासतौर पर अगर आपको रात में पैर में ऐंठन जैसे मैग्नेशियम की कमी के लक्षणों पर अनुभव होता है। मैग्नेशियम पूरे शरीर की मांसपेशियों को आराम देने के लिए महत्वपूर्ण होता है। इस प्रकार मैग्नेशियम के द्वारा मूत्राशय मांसपेशियों की ऐंठन को कम करने में मदद मिलेगी और मूत्राशय पूरी तरह से खाली भी होगा। इसलिए अपने आहार में नट्स, सीड्स, केले और दही जैसे मैग्नेशियम युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करें।

3). विटामिन डी – पेशाब न रोक पाना के उपचार में लाभदायक

विटामिन डी मूत्र असंयम को नियंत्रित करने के लिए नियंत्रित किया जा सकता है क्योंकि यह मांसपेशियों की ताकत को बनाये रखने में मदद करता है। एक अध्ययन के अनुसार, विटामिन डी के उच्च स्तर के साथ महिलाओं में मूत्र असंयम सहित पेल्विक फ्लोर विकारों के विकास का जोखिम कम होता है।
विटामिन डी के लिए नियमित रूप से 10 मिनट सुबह सूरज की रोशनी में रहें। इसके अलावा विटामिन डी से भरपूर आहार जैसे दूध व डेयरी उत्पादों को अपने आहार में शामिल करें या अपने डॉक्टर की सलाह से विटामिन डी सप्लीमेंट लें।

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4). सेब का सिरका – मूत्र असयंमिता के इलाज में फायदेमंद

एप्पल साइडर सिरका आपके स्वास्थ्य के लिए एक उत्कृष्ट टॉनिक के रूप में काम करता है। यह आपके शरीर के विषाक्त पदार्थों को हटाकर मूत्राशय में संक्रमण को दूर करने में मदद करता है। इसके अलावा यह वजन कम करने में भी आपकी मदद करता है। अधिक वजन मूत्र असंयम की समस्या को बढ़ा देता है क्योंकि कूल्हों और पेट के आसपास अधिक फैट मूत्राशय पर अतिरिक्त दबाव डालता है। समस्या होने पर एक गिलास पानी में 1 से 2 चम्मच सेब के सिरके को मिलाये। फिर इसमें थोड़ा सा शहद मिलाकर दिन में 2 से 3 बार नियमित रूप से लें। लेकिन ध्यान रहे कि अगर आपका ओवरएक्टिव ब्लैडर है तो सेब के सिरके का सेवन न करें।

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5). योग द्वारा पेशाब न रोक पाना बीमारी का उपचार

भी कीगल एक्सरसाइज की तरह मांसपेशियों को कसने में मदद करता है। इसके अलावा योग तनाव को कम करने के लिए अच्छा है और चिंता और मूत्र असंयमिता से संबंधित अवसाद को दूर करने में मदद करता है। मूत्र असंयम के लिए आप मूलबंध, उत्कटासन, त्रिकोणासन और मालासन जैसे योग कर सकते हैं। लेकिन योग करने से पहले किसी योग प्रशिक्षक की मदद लें।

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पेशाब न रोक पाने का आयुर्वेदिक उपचार (Urinary Incontinence Ayurvedic Treatment in Hindi)

मूत्र असयंमिता का आयुर्वेद में इलाज कैसे किया जाता है ? –

आयुर्वेदिक चिकित्सा के अंतर्गत मूत्र असंयमिता का निदान निम्न औषधियों का प्रयोग चिकित्सक परामर्शानुसार प्रयोग करने पर लाभदायक है।

  1. पुरुषों में प्रोस्टेट वृद्धि के कारण मूत्रअसंयम होने पर गोक्षुरादि गुग्गुल व कांचनार गुग्गुल 2-2 गोली सुबह-शाम वरुणादि काढ़ा के साथ लेने से लाभ होता है।
  2. मधुमेह ग्रस्त रुग्ण में स्नायु शिथिलता के कारण बहुमूत्रता की स्थिति निर्मित होती है जिससे मूत्र असंयम होता है। ऐसे रुग्ण को वसंतकुसुमाकर रस 1 गोली सुबह खाली पेट लेना चाहिए, साथ ही चंद्रप्रभावटी व फोर्टेज की 1-1 गोली सुबह -शाम लेने से लाभ होता है।
  3. चंद्रप्रभा वटी, त्रिवंग भस्म, तारकेश्वर रस, शुध्द शिलाजित, बहुमूत्रांतक रस आदि औषधियां चिकित्सक के परामर्शानुसार लेनी चाहिए।

पेशाब न रोक पाने की पंचकर्म चिकित्सा (Urinary Incontinence Panchakarma Chikitsa in Hindi)

मूत्र असयंमिता का पंचकर्म द्वारा इलाज कैसे किया जाता है ? –

पंचकर्म द्वारा शरीर शुद्धि कर औषधि लेने से मूत्रअसंयम में अधिक लाभ होता है। पंचकर्म में बस्ति कर्म, उत्तरबस्ति, शिरोधारा, अभ्यंग व स्वेदन कर्म प्रशिक्षित पंचकर्म तज्ञ के मार्गदर्शन में करने से आशातीत लाभ प्राप्त होता है।

पेशाब न रोक पाने का घरेलू उपचार (Urinary Incontinence Home remedies in Hindi)

मूत्र असयंमिता का घरेलू उपचार कैसे किया जाता है ? –

  1. कब्ज के कारण मूत्र असंयमिता होने पर रात को त्रिफला चूर्ण 1-2 चम्मच लेना चाहिए।
  2. बार-बार वेग आने पर 4 ताजा आंवला या आंवला चूर्ण 1-1 चम्मच सुबह-शाम ले।
  3. बहुमूत्र से ग्रस्त रोगी को मूत्रप्रवृत्ति के लिए नींद से बार-बार उठना पड़ता है। प्यास ज्यादा लगती है व गहरी नींद नहीं आती। ऐसे समय अनार के छिलके को बारीक पीसकर ½ चम्मच कुनकुने पानी के साथ दिन में 2 बार दें। यह प्रयोग 10-15 दिन नियमित करने से बहुमूत्र के विकार पर नियंत्रण आता है।
  4. बार-बार पेशाब के लिए जाना और मात्रा की अपेक्षा ज्यादा पेशाब होने पर तिल का प्रयोग करें। लाल तिल में पुराना गुड़ मिलाकर 3-4 तोले वजन के लड्डू बनाएं उसमें से 1 या 2 रोज सुबह-शाम नियमित लेने से बहुमूत्र रोग में शीघ्र नियंत्रण आता है।
  5. बहुमूत्र के विकार में 2 ग्राम अजवायन, 2 ग्राम गुड़ एकत्र कर पीसें व चार गोली बनाएं व 1-1 गोली चार बार लेने से शीघ्र ही लाभ होता है।
  6. बहुमूत्र से ग्रस्त रूग्ण स्वच्छ अजवायन 1 चम्मच व सफेद तिल 1 चम्मच लेकर पीसकर सुबह-शाम भोजन के पहले खाएं। उसके बाद 2-3 घूँट गरम पानी पीएं। यह उपाय 10-12 दिन नियमित करने से बहुमूत्र रोग दूर होता है। मधुमेह से ग्रस्त रूग्ण ने गुड़ व शक्कर का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

पेशाब न रोक पाने रोग के जोखिम और जटिलताएं (Urinary Incontinence Risks and Complications in Hindi)

मूत्र असयंमिता रोग के जोखिम क्या हो सकते है ? –

  1. त्वचा विकार :- बार-बार मूत्र प्रवृत्ति के कारण गीली त्वचा से संक्रमण, रैशेज, शय्या व्रण (Bed Sores) होते है।
  2. मूत्रवह संक्रमण :- मूत्र असंयमिता से मूत्र वह संस्थान में संक्रमण (UTI) होने की संभावना अधिक रहती है।
  3. वैयक्तिक जीवन पर प्रभाव :- इस समस्या से सामाजिक, कार्यालयीन व वैयक्तिक रिश्ते प्रभावित होते हैं।

पेशाब न रोक पाने रोग से बचने के उपाय (Prevention of Urinary Incontinence in Hindi)

मूत्र असयंमिता रोग की रोकथाम कैसे की जा सकती है ? –

मूत्र असंयमिता की समस्या से आप बच सकते है। निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान रखें।

  1. वजन पर नियंत्रण रखें और श्रोणि प्रदेश के व्यायाम करें।
  2. रेशेदार पदार्थों का सेवन अधिक करें ताकि कब्ज से बचाव होकर मूत्रअसंयम की समस्या से बचाव हो।
  3. बहुमूत्र से ग्रस्त रूग्ण को चावल कम खाना चाहिए । अन्य स्निग्ध व मधुर रसात्मक आहार का सेवन भी कम करें। गेहूं की रोटी तुअर की दाल, दूध, घी, मक्खन, हरी सब्जियां, बादाम, पिस्ता इत्यादि का प्रयोग कर सकते हैं। जो आहार पचने में भारी व गुणों में भारी है ऐसे पदार्थों का सेवन न करें ।
  4. कैफीन, अल्कोहल व अम्ल पदार्थ इत्यादि मूत्राशय को उत्तेजित करने वाले पदार्थ का सेवन व धूम्रपान न करें।

इस प्रकार मूत्र असंयमिता की तकलीफ से रूग्ण मानसिक रूप से अधिक विचलित रहता है। सबसे बड़ी बात यह तकलीफ किसी को बताने में भी रोगी को झिझक होती है। अतः इस समस्या से ग्रस्त रूग्ण तुरंत डॉक्टर से संपर्क कर इसका निदान करें व उपरोक्त उपाय व आयुर्वेदिक उपचार को अपनाकर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करें।

(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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