Last Updated on April 30, 2022 by admin
आमाशय के अन्दर की केवटी का लगातार बढ़ते रहने की स्थिति को आमाशय का बड़ा होना या पेट का बड़ा होना कहते हैं। इस रोग में दोपहर को खाया हुआ भोजन शाम को उल्टी के द्वारा बाहर निकल जाता है। पेट बढ़ने का मुख्य कारण है यकृत (लीवर) एवं प्लीहा (तिल्ली) का बढ़ना।
आयुर्वेदिक औषधियों से पेट बड़ा होने का उपचार :
1. कूठ : कूठ को गुलाबजल में अच्छी तरह पीसकर पेट पर लेप करने से पेट का बढ़ना ठीक होता है। इसका प्रयोग हाथ-पैर की सूजन को दूर करने के लिए भी किया जाता है।
2. लोध्र : लोध्र चूर्ण लगभग आधा से एक ग्राम की मात्रा में 3 से 4 ग्राम मिश्री मिलाकर खाने से पेट की मांसपेशियां सिकुड़ जाती है और पेट सामान्य हो जाता है।
3. गुग्गुल : गुग्गुल की एक ग्राम के आधे भाग से एक ग्राम तक की मात्रा सुबह-शाम सेवन करने से आमाशय के बढ़ने के कारण पेट का फैलना सामान्य हो जाता है।
4. इन्द्रायन : इन्द्रायन की जड़ का पिसा हुआ चूर्ण एक ग्राम के चौथे भाग से आधे ग्राम की मात्रा में लेकर सोंठ के चूर्ण और गुड़ के साथ मिलाकर सुबह-शाम लेने से जलोदर, यकृत या प्लीहा का बढ़ना ठीक होता है।
5. चिरचिरी : चिरचिरी (अपागर्म) की जड़ 5 ग्राम से 10 ग्राम या जड़ का काढ़ा 15 से 50 मिलीलीटर की मात्रा में कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर सुबह-शाम पीने से आमाशय का फैलने के कारण पेट का बढ़ना कम होता है।
6. सफेद पुनर्नवा : सफेद पुनर्नवा की जड़ का चूर्ण 5 से 10 ग्राम की मात्रा में लेकर सोंठ के चूर्ण के साथ मिलाकर सुबह-शाम लेने से दस्त आकर पेट साफ होता है और पेट का बढना कम होता है।
7. लाल पुनर्नवा :
- लाल पुनर्नवा के पत्तों का रस 10 से 20 मिलीलीटर या इसकी जड़ का रस 6 से लेकर 10 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम पीने से पेट का बढ़ना कम होता है।
- लाल पुनर्नवा के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) को पीसकर गर्म करके पेट पर लेप करने से पेट का बढ़ना कम होता है।
8. मकोय : मकोय का रस 10 से 20 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम लेने से पेट का बड़ा होना कम होता है।
9. अमरबेल : किसी भी रंग वाली अमरबेल को पीसकर काढ़ा बनाकर 20 से 40 मिलीलीटर की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से यकृत या प्लीहा बढने के कारण पेट का बढ़ना कम होता है। ध्यान रखें कि पीले रंग वाली अमरबेल का प्रयोग न करें।
10. क्रव्याद : क्रव्याद के रस की छोटी-छोटी गोलियां बनाकर रखें और इसमें से 2 से 4 गोली सेंधानमक व छाछ (मट्टे) या नींबू के साथ सेवन करें। इससे पेट का बढ़ना कम होता है।
11. पिप्पली : पिप्पली और पलाश का चूर्ण लगभग 1-1 ग्राम की मात्रा में लेकर शहद मिलाकर पेट पर लेप करें। इससे पेट का बढ़ना व उल्टी बंद होती है।
12. पलाश क्षार : पलाश का रस और यवाक्षार को अच्छी तरह मिलाकर धृतकुमारी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से यकृत व तिल्ली बढ़ने के कारण पेट का बढ़ना ठीक होता है।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)