Last Updated on March 1, 2024 by admin
पुष्प, जहाँ अपने दर्शनसे मनको आह्लादित एवं प्रफुल्लित करते हैं, वहीं वे अपनी सुगन्धिसे सम्पूर्ण परिवेशको आप्यायित कर सुवासित भी कर देते हैं। अपने आराध्यके चरणों में प्रेमी भक्तकी पुष्पाञ्जलि प्रेमास्पदका सहसा प्राकट्य करा देती है। पुष्पोंकी अनन्त महिमा है। पुष्पके सभी अवयव उपयोगी होते हैं। इनके यथाविधि उपयोगसे अनेक रोगोंका शमन किया जा सकता है। फूलोंके रससे तैयार किया गया लेप बाह्य रूपसे त्वचापर लगानेसे उसकी सुगन्धि हृदय तथा नासिकातक अपना प्रभाव दिखाकर मनको आनन्दित कर देती है। सबसे अच्छी बात यह है कि पुष्प-चिकित्साके कोई दुष्प्रभाव नहीं होते।
फूलोंको शरीरपर धारण करनेसे शरीरकी शोभा, कान्ति, सौन्दर्य और श्रीकी वृद्धि होती है। उनकी सुगन्धि रोगनाशक भी है। फूलके सुगन्धित परमाणु वातावरणमें घुलकर नासिकाकी झिल्लीमें पहुँचकर अपनी सुगन्धिका अहसास कराते हैं और मस्तिष्कके अलग-अलग हिस्सोंपर अपना प्रभाव दिखाकर मधुर उत्तेजना-सा अनुभव कराते हैं। पुष्पकी सुगन्धिका मस्तिष्क, हृदय, आँख, कान तथा पाचनक्रिया आदिपर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। ये थकानको तुरंत दूर करते हैं। इनकी सुगन्धिसे की गयी उपचारप्रणाली को ‘एरोमा थरेपी’ कहा जाता है। यहाँ कुछ पुष्पोंके संक्षेपमें औषधीय प्रयोग दिये जा रहे हैं, सम्यक् जानकारी प्राप्त करके उनसे लाभ उठाया जा सकता है|
रोगों का इलाज में फूलों के फायदे : phoolon ke fayde aur upyog
1. कमल के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- कमल और लक्ष्मी का सम्बन्ध अविभाज्य है। कमल सृष्टिकी वृद्धिका द्योतक है। इसके परागसे मधुमक्खी शहद तो बनाती ही है, इनके फूलोंसे तैयार किये गये गुलकन्दका उपयोग प्रत्येक प्रकारके रोगों में तथा क़ब्ज़के निवारण हेतु किया जाता है।
- कमलके फूलके अंदर हरे रंगके दाने-से निकलते हैं, जिन्हें भूनकर मखाने बनाये जाते हैं, परंतु उनको कच्चा छीलकर खानेसे ओज एवं बलकी वृद्धि होती है।
- इसका गुण शीत है। इसका सबसे अधिक प्रयोग अञ्जनकी भाँति नेत्रों में ज्योति बढ़ानेके लिये शहदमें मिलाकर किया जाता है।
- पँखड़ियों को पीसकर उबटनमें मिलाकर चेहरेपर मलनेसे चेहरेकी सुन्दरता बढ़ती है।
2. केवड़ा के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- इसकी गन्ध कस्तूरी-जैसी मोहक होती है। इसके पुष्प दुर्गन्धनाशक तथा उन्मादक हैं।
- केवड़ेका तेल उत्तेजक श्वासविकार में लाभकारी है।
- इसका इत्र सिरदर्द और गठियामें उपयोगी है।
- इसकी मंजरीका उपयोग पानीमें उबालकर कुष्ठ, चेचक, खुजली तथा हृदयरोगों में स्नान करके किया जा सकता है।
- इसका अर्क पानीमें डालकर पीनेसे सिरदर्द तथा थकान दूर होती है। बुखार में एक बूंद देनेसे पसीना बाहर आता है।
- इसका इत्र दो बूंद कानमें डालनेसे कानका दर्द ठीक हो जाता है।
3. गुलाब के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- गुलाबका पुष्प सौन्दर्य, स्नेह एवं प्रेमका प्रतीक है।
- इसका गुलकंद रेचक है, जो पेट और आँतोंकी गर्मी शान्त करके हृदयको प्रसन्नता प्रदान करता है। ✦गुलाबजल से आँखें धोनेसे आँखोंकी लाली तथा सूजन कम होती है।
- गुलाबका इत्र उत्तेजक होता है तथा इसका तेल मस्तिष्कको ठंडा रखता है।
- गुलाबके अर्कका भी मधुर भोज्य पदार्थों में प्रयोग किया जाता है। गर्मीमें इसका प्रयोग शीतवर्धक होता है।( और पढ़े – गुलाब के 56 लाजवाब फायदे व आयुर्वेदिक नुस्खे)
4. चम्पा के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- चम्पाके फूलोंको पीसकर कुष्ठरोगके घावमें लगाया जा सकता है।
- इसका अर्क रक्त-कृमिको नष्ट करता है।
- इसके फूलोंको सुखाकर बनाया गया चूर्ण खुजलीमें उपयोगी है।
- यह ज्वरहर, उत्सर्जक, नेत्रज्योतिवर्धक तथा पुरुषोंको शक्ति एवं उत्तेजना प्रदान करता है।
5. सौंफ (शतपुष्पा) के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
सौंफ अत्यन्त गुणकारी है। सौंफके पुष्पोंको पानीमें डालकर उबाल ले, साथमें एक बड़ी इलायची तथा कुछ पुदीनेके पत्ते भी डाल दे। अच्छा यह रहे कि मिट्टीके बरतनमें उबाले पानीको ठंडा करके दाँत निकलनेवाले बच्चे या छोटे बच्चे जो गर्मीसे पीडित हों, उन्हें एक-एक चम्मच कई बार दे। इससे उनके पेटकी पीडा शान्त होगी तथा दाँत भी ठीक प्रकारसे निकलेंगे।( और पढ़े – सौंफ खाने के 61 लाजवाब फायदे)
6. गेंदे के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- मलेरियाके मच्छरोंका प्रकोप दूर करनेके लिये यदि गेंदेकी खेती गंदे नालों और घरके आसपास की जाय तो इसकी गन्धसे मच्छर दूर भाग जाते हैं।
- लीवरके रोगीके लीवरकी सूजन, पथरी एवं चर्मरोगों में इसका प्रयोग किया जा सकता है।
7. बेला के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- यह अत्यधिक सुगन्धयुक्त पुष्प है। यह गर्मीमें अधिकतासे फूलनेवाला पौधा है। बेलेके हार या पुष्पोंको अपने पास रखनेसे पसीनेमें गन्ध नहीं आती।
- इसकी सुगन्ध प्रदाहनाशक है।
- इसकी कलियों को चबानेसे स्त्रियोंके मासिक धर्मका अवरोध दूर हो जाता है।
8. रातरानी के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- इसकी गन्ध इतनी तीव्र होती है कि यह दूर-दूरतकके स्थानोंको मुग्ध कर देती है।
- इसका पुष्प प्रायः सायंकालसे लेकर अर्धरात्रिके कुछ पूर्वतक सुगन्ध अधिक देता है। परंतु इसके बाद धीरे-धीरे क्षीण होने लगता है।
- इसकी गन्ध से मच्छर नहीं आते।
- इसकी गन्ध मादक और निद्रादायक है।
9. सूरजमुखी के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- इसमें विटामिन ए तथा डी होता है।
- यह सूर्यको प्रकाश न मिलनेके कारण होनेवाले रोगोंको रोकता है।
- इसका तेल हृदयरोगों में कोलेस्ट्रॉलको कम करता है।
10. चमेली के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- चर्मरोगों, पायरिया, दन्तशूल, घाव, नेत्ररोगों और फोड़े-फुसियों में चमेलीका तेल बनाकर उपयोग किया जाता है।
- यह शरीरमें रक्तसंचारकी मात्रा बढ़ाकर उसे स्फूर्ति प्रदान करता है। इसके पत्ते चबानेसे मुँहके छाले तुरंत दूर हो जाते हैं। मानसिक प्रसन्नता देने में चमेलीका अद्भुत योगदान है।
11. केसर के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- यह मनको प्रसन्न करता तथा चेहरेको कान्तिमान् बनाता है।
- यह शक्तिवर्धक, वमनको रोकनेवाला तथा वात, पित्त एवं कफ (त्रिदोषों) का नाशक है।
- तन्त्रिकाओं में व्याप्त उद्विग्नता एवं तनावको केसर शान्त रखता है। इसलिये इसे प्रकृति-प्रदत्त ‘ट्रैकुलाइजर’ भी कहा जाता है।
- दूध या पान के साथ इसका सेवन करने से यह अत्यन्त ओज, बल, शक्ति एवं स्फूर्तिको बढ़ाता है।
12. अशोक के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- यह मदन-वृक्ष भी कहलाता है। इसके फूल, छाल तथा पत्तियाँ स्त्रियोंके अनेक रोगों में औषधिके रूपमें उपयोगी हैं।
- इसकी छालका आसव सेवन कराकर स्त्रियोंकी अधिकांश बीमारियोंको ठीक किया जा सकता है।
13. ढाक (पलाश) के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- ढाक को अप्रतिम सौन्दर्यका प्रतीक माना जाता है; क्योंकि इसके गुच्छेदार फूल बहुत दूरसे ही आकर्षित करते हैं। इसी आकर्षणके कारण इसे वनकी ज्योति भी कहते हैं।
- इसका चूर्ण पेटके किसी भी प्रकारके कृमिका नाश करनेमें सहायक है।
- इसके पुष्पों को पानीके साथ पीसकर लुगदी बनाकर पेडूपर रखनेसे पथरीके कारण दर्द होनेपर या मूत्र नउतरनेपर लाभ होता है।
14. गुड़हल (जवा) के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- गुड़हलके पुष्पका सम्बन्ध गर्भाशयसे है। ऋतुकालके बाद यदि फूलको घीमें भूनकर स्त्रियाँ सेवन करें तो ‘गर्भ’ स्थिर होता है।
- गुड़हलके फूल चबानेसे मुँहके छाले दूर हो जाते हैं।
- इसके फूलोंको पीसकर बालों में लेप करनेसे बालोंका गंजापन मिटता है।
- यह उन्मादको दूर करनेवाला एकमात्र पुष्प है।
- गुड़हल शीतवर्धक, वाजीकारक तथा रक्तशोधक है।
- इसे सूजाकके रोगमें गुलकन्द या शर्बत बनाकर दिया जा सकता है।
- इसका शर्बत हृदयको फूलकी भाँति प्रफुल्लित करनेवाला तथा रुचिकर होता है।
15. शंखपुष्पी (विष्णुकान्ता) के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
शंखपुष्पी गर्मियों में अधिक खिलता है। यह घासकी तरह होता है। इसके फूल-पत्ते तथा डंठल तीनोंको उखाड़कर पीसकर पानीमें मिलाकर छान लेने तथा इसमें शहद या मिश्री मिलाकर पीनेसे पूरे दिन मस्तिष्कमें ताजगी रहती है। सुस्ती नहीं आती। इसका सेवन विद्यार्थियों को अवश्य करना चाहिये। ( और पढ़े – शंखपुष्पी के फायदे गुण उपयोग और नुकसान)
16. बबूल (कीकर) के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- बबूलके फूलोंको पीसकर सिरमें लगानेसे सिरदर्द गायब हो जाता है।
- इसका लेप दाद और एग्जिमापर करने से चर्मरोग दूर होता है।
- इसके अर्क के सेवन से रक्तविकार दूर हो जाता है।
- यह खाँसी और श्वासके रोगमें लाभकारी है।
- इसके कुल्ले दन्तक्षयको रोकते हैं।
17. नीम के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- इसके फूलोंको पीसकर लुगदी बनाकर फोड़े-फुसीपर लगानेसे जलन तथा गर्मी दूर होती है।
- शरीरपर मलकर स्नान करनेसे दाद दूर होती है।
- यदि फूलोंको पीसकर पानीमें घोलकर छान ले और इसमें शहद मिलाकर पीये तो वजन कम होता है तथा रक्त साफ होता है।
- यह संक्रामक रोगोंसे रक्षा करनेवाला है। नीम हर प्रकारसे उपयोगी है, इसे घरका वैद्य कहा जाता है।( और पढ़े – नीम के 51 कमाल के फायदे)
18. लौंग के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- यह आमाशय और आँतों में रहनेवाले उन सूक्ष्म कीटाणुओंको नष्ट करती है, जिनके कारण मनुष्यका पेट फूलता है।
- यह रक्तके श्वेत कणोंमें वृद्धि करके शरीरको रोगप्रतिरोधक शक्तिमें वृद्धि करती है।
- शरीर तथा मुँहके दुर्गन्धका नाश करती है।
- शरीरके किसी भी हिस्सेपर इसे घिसकर लगानेसे दर्दनाशक औषधिका काम करती है।
- दाढ़ या दन्तशूल में मुँहमें डालकर चूसनेसे लाभ होता है।
- इसका धूम्रसेवन शरीर में उत्पन्न अनावश्यक तत्त्वोंको पसीनेद्वारा बाहर निकाल देता है।
19. जूही के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- जूहीके फूलोंका चूर्ण या गुलकन्द अम्लपित्तको नष्ट करके पेटके अल्सर तथा छालेको दूर करता है।
- इसके सांनिध्यमें निरन्तर रहनेसे क्षयरोग नहीं होता।
20. माधवी के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- चर्मरोगों के निवारणके लिये इसके चूर्णका लेप किया जाता है।
- गठिया-रोगमें प्रात:काल फूलोंको चबानेसे आराम मिलता है।
- इसके फूल श्वासरोगको भी दूर करते हैं।
21. हरसिंगार (पारिजात) के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- यह गठिया-रोगोंका नाशक है।
- इसका लेप चेहरेकी कान्तिको बढ़ाता है।
- इसकी मधुर सुगन्ध मनको प्रफुल्लित कर देती है।
22. आक के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- इसका फूल कफनाशक है, यह प्रदाहकारक भी है।
- यदि पीलिया-रोगमें पानमें रखकर एक या दो कली तीन दिनतक दी जाय तो काफी हदतक आराम होता है।
23. कदम्ब के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- यह मदन-वृक्ष भी कहलाता है। गौओंकी बीमारीमें फूल एवं पत्तोंवाली इसकी टहनी लेकर गोशालामें लगा देनेसे बीमारी दूर होती है।
- वर्षा-ऋतुमें पल्लवित होनेवाला यह गोपीप्रिय वृक्ष है।
24. कचनार के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- इसकी कली शरद्-ऋतुमें प्रस्फुटित होती है। इसकी कलियाँ बार-बार मल-त्यागकी प्रवृत्तिको रोकती हैं।
- कचनारकी छाल एवं फूलको जलके साथ मिलाकर तैयार की गयी पुलटिस जले घाव एवं फोड़ेके उपचारमें उपयोगी है।
25. शिरीष के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- यह तेज सुगन्धवाला जंगली वृक्ष है। इसकी सुगन्ध जब तेज हवाके साथ आती है तो मानव झूम-सा जाता है।
- खुजलीमें इसके फूल पीसकर लगाने चाहिये,
- इसके फूलों के काढ़ेसे नेत्र धोनेपर किसी भी प्रकारके नेत्र-विकार में लाभ होगा।
26. नागकेशर के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- यह खुजलीनाशक है और लौंग-जैसा लम्बा तथा डंठीमें लगा रहता है।
- इसके फूलोंका चूर्ण बनाकर मक्खनके साथ या दहीके साथ खानेसे रक्तार्शमें लाभ होता है। इसका चूर्ण गर्भधारणमें भी सहायक है।
27. मौलसिरी (बकुल) के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- इसके फूलों को तेलमें मिलाकर इत्र बनता है।
- मौलसिरी के फूलोंका चूर्ण बनाकर त्वचापर लेप करनेसे त्वचा अधिक कोमल हो जाती है।
- इसके फूलोंका शर्बत स्त्रियों के बाँझपन को दूर करने में समर्थ है।
28. अमलतास के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- ग्रीष्म-ऋतुमें फूलनेवाला गहरे पीले रंगके गुच्छेदार पुष्पोंका यह पेड़ दूरसे देखने में ही आँखोंको प्रिय लगता है।
- इसके फूलोंका गुलकन्द बनाकर खानेसे क़ब्ज़ दूर होता है। परंतु अधिक मात्रामें सेवन करनेसे यह दस्तावर होता है, जी मिचलाता है एवं पेटमें ऐंठन उत्पन्न करता है।
29. अनार के फूल के औषधीय गुण और लाभ :
- शरीर में पित्ती होनेपर अनारके फूलों का रस मिस्री मिलाकर पीना चाहिये।
- मुँह के छालों में फूल रखकर चूसना चाहिये।
- आँख आने पर कली का रस आँख में डालना चाहिये।
फूलों के पौधों की भीतरी कोशिकाओं में विशेष प्रकारके प्रद्रवी झिल्लियों के आवरण वाले कण होते हैं। इन्हें लवक (प्लास्टिड्स) कहते हैं। ये कण जबतक फूलोंका रंग समाप्त न हो जाय, तबतक जीवित रहते हैं। ये लवक दो प्रकारके होते हैं-
1-वर्णिक लवक और 2-हरित लवक।
इनमें रंगीन लवकोंको ‘वर्णी लवक’ कहते हैं। वर्णी लवक ही फूल-पौधोंको विभिन्न रंग प्रदान करते हैं। वर्णी लवकका आकार निश्चित नहीं होता, बल्कि लवक अलग-अलग पौधोंमें अलग-अलग रचनावाले होते हैं। पौधों में सबसे महत्त्वपूर्ण लवक है हरित लवक (क्लोरोप्लास्ट)। हरित लवक पौधोंमें हरा रंग ही नहीं देता, बल्कि पौधों में भोजनका निर्माण भी करता है। हरित लवक कार्बनडाइऑक्साइड, गैस, जल और सूर्यके प्रकाशकी उपस्थितिमें ग्लूकोजजैसे कार्बोहाइड्रेट पदार्थका निर्माण करता है।
पुष्प सूर्य के प्रकाश में सूर्य की किरणों से सम्पर्क स्थापित करके अपनी रंगीन किरणें हमारी आँखों तक पहुँचाते हैं, जिससे शरीर को ऋणात्मक, धनात्मक तथा कुछ न्यूट्रल प्रकाशकी किरणें मिलती हैं जो शरीरके अंदर पहुँचकर विभिन्न प्रकार के रोगों को रोकने में सहायता प्रदान करती हैं। इस प्रकार हम ‘कलर थैरेपी’ द्वारा भी चिकित्सा के लाभ ले सकते हैं।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)