विभिन्न पेड़-पौधों की जड़ों द्वारा रोगों का उपचार

Last Updated on May 25, 2021 by admin

प्राचीनकाल में ऋषि मुनि विभिन्न जड़ी बूटियों से औषधीय उपचार कर रोग ठीक कर देते थे। आयुर्वेद सृष्टि के आदिकाल से विद्यमान है, इसे उपवेद भी कहा गया है।

औषधीय पौधों के विषय में हमारे देश में औषधीय पौधों के विषय में अप्रतिम जानकारियां उपलब्ध हैं। वैदिक चिकित्सकों एवं ग्रंथकारों ने यह निष्कर्ष निकाला कि रोगी अपने आसपास उगने वाली जड़ी बूटियों से ही अपना इलाज भली-भांति कर सकता है। बस शर्त है कि उसे उसका ज्ञान होना चाहिए।

विभिन्न पेड़-पौधों की जड़ों से इलाज :

1). अकलकरा की जड़ से – अकलकरा के पौधे की जड़ को बच्चे के गले में बांधने से मिर्गी का दौरा नहीं आता है। ( और पढ़े – अकरकरा के 29 दिव्य औषधीय प्रयोग )

2). असगंध (अश्वगंध) की जड़ से – अश्वगंधा के पौधों की जड़ को रविपुष्य योग में घर में लेकर गाय के दूध में पीसकर दूध में सेवन करने से स्त्री को पुत्र प्राप्ति की अभिलाषा पूर्ण होती है। ( और पढ़े – अश्वगंधा के अनूठे फायदे )

3). पुनर्नवा की जड़ से – पुनर्नवा की जड़ को हल्दी के काढ़े में देने से खूनी बवासीर में लाभ होता है । ( और पढ़े – पुनर्नवा के फायदे सेवन विधि और उपयोग )

4). इन्द्रायण की जड़ से – इन्द्रायण के वृक्ष की जड़ का लेप लगाने से स्त्री के स्तनों की सूजन एवं फोड़ा ठीक हो जाता है।

5). कौंच (केवांच) की जड़ से – कौंच के पौधे की जड़ को बारीक पीसकर मस्तक पर लेप करने से गहरी नींद आती है।

6). कसौंदी के जड़ से – कसौंदी के वृक्ष की जड़ को भली प्रकार से चबाकर बिच्छू दंशित व्यक्ति के कान में फूंक मारने से विष उतर जाता है।

7). कटेरी की जड़ से – कटेरी के पौधे की जड़ को शहद में पीसकर सूंघने से नींद नहीं आती है। ( और पढ़े – कटेरी के चमत्कारी 36 फायदे और उपयोग विधि )

8). अशोक की जड़ से – अशोक की जड़ का चूर्ण डेढ़ ग्राम लेकर शहद के साथ चाटने से रक्त प्रदर रोग में लाभ होता है ।

9). चमेली की जड़ से – चमेली की जड़ को पीस कर इसका लेप करने से वात दोष के लकवा में लाभ होता है । पुष्य नक्षत्र में लाई गई चमेली के पौधे की जड़ को ताबीज़ में डालकर पहनने से शत्रु पर विजय प्राप्त होती है।

10). ताड़ की जड़ से – ताड़ की जड़ में समान मात्रा में मिश्री, मुलेठी, खजूर व विदारीकन्द का चूर्ण मिलाकर शहद के साथ सेवन करने से बार-बार मूत्र होना (मूत्रातिसार) की बीमारी में लाभ होता है । मूल नक्षत्र में ताड़ वृक्ष की जड धारण करने से पित्र रोग ठीक हो जाता है।

11). काले धतूरा की जड़ से – (i) काले धतूरे की जड़ को कमर में बाधने से बवासीर की बीमारी ठीक हो जाती है। (ii) काले धतूरे के पौधे की जड़ को रविवार के दिन भुजा में धारण करने से प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है। (iii) इसकी जड़ को कैश बॉक्स में रखने से पैसे की आवक बढ़ती है।

12). निर्गुण्डी की जड़ से – निर्गुण्डी की जड़ को बच्चे के गले में धारण करने से उनके दांत शिघ्र निकल आते हैं। निर्गुण्डी के पौधे की जड़ को रविपुष्य नक्षत्र में लाकर पूजन करने से संसारिक सफलता मिलती है। इसका पौधा घर मे होना अत्यंत शुभ माना गया है। ( और पढ़े – निर्गुण्डी के 55 चमत्कारी फायदे व आयुर्वेदिक नुस्खे )

13). नींबू की जड़ से – नींबू के पौधे की जड़ को पीसकर नारी को गर्भावस्था में पिलाने से कन्या रत्न की प्राप्ति होती है।

14). धतूरा की जड़ से – सियार और कुत्ते के काटने पर आक की कली, धतूरा की जड़, पुनर्नवा की जड़-इन्हें शहद के साथ पीसकर लेप करें।

15). आंवले की जड़ से – अश्लेषा नक्षत्र में आंवले के वृक्ष की जड़ लाकर ताबीज़ में भरकर भुजा में बांधने से उच्च अधिकारियों, चोर डाकुओं से, तथा हिंसक जीवों का भय समाप्त हो जाता है।

(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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