Ashwagandha ke Fayde | अश्वगंधा के फायदे ,गुण ,उपयोग और नुकसान

Last Updated on July 31, 2020 by admin

अश्वगंधा क्या है ? : What is Ashwagandha in Hindi

अश्वगंधा का झाड़ीदार पौधा 1 से 5 फुट ऊंचा होता है और इस पौधे की जड़ उपयोग में ली जाती है इसलिए अश्वगन्धा वस्तुतः जड़ी ही है। इसकी कच्ची जड़ में अश्व (घोड़ा) जैसी गन्ध आती है इसलिए इसे ‘अश्वगन्धा’ कहते हैं।

इसका सेवन नियमित रूप से 3 से 4 माह तक करने से शरीर में घोड़े जैसा बल और साहस पैदा होता है इसलिए इसका ‘अश्वगन्धा’ नाम सार्थक भी है।

संस्कृत भाषा में इसके कई नाम हैं। अश्वगन्धा के अलावा “भावप्रकाश” के अनुसार घोड़े के जितने नाम हैं उनके अन्त में ‘गन्धा’ जोड देने से अश्वगन्धा वाचक नाम बन जाता है जैसे वाजिगन्धा, हयगन्धा, तुरंगगन्धा, सेन्धवगन्धा आदि।

इसकी जड़ जब सूख जाती है तब घोड़े की गन्ध दूर हो जाती है पर इसके गुणों में कमी नहीं होती। असगन्ध, देश के भेद से, पांच प्रकार का होता है। भूमि और जलवायु के अन्तर से इसके स्वरूप में फ़र्क आ जाता है।
अश्वगंधा बहुत आसानी से पंसारी या जड़ी बूटी बेचने वाली दूकान पर मिल जाता है।

अश्वगंधा का विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Ashwagandha in Different Languages

Ashwagandha in –

  • संस्कृत – अश्वगन्धा
  • हिन्दी – असगन्ध
  • मराठी – आसगन्ध
  • गुजराती – आसन्ध
  • बंगला – अश्वगन्धा
  • तेलुगु – पिल्ली आंगा, पनेरु
  • कन्नड़ – आसान्दु, अश्वगन्धी
  • तामिल – आम कुलांग
  • फारसी – मेहेमत वररी
  • इंगलिश – विण्टर चेरी (Winter Cherry)
  • लैटिन – Withania Somnifera)

अश्वगंधा का पौधा कहां पाया या उगाया जाता है ? : Where is Ashwagandha Plant Found or Grown?

अश्वगंधा का पौधा आम तौर पर देश के सभी भागों में पैदा होता है पर मध्यप्रदेश के मन्दसौर जिले की मनासा तहसील क्षेत्र में इसकी इतनी पैदावार होती है कि इसकी सारी मांग की पूर्ति इसी क्षेत्र की फसल से होती है।
इसके बीज वर्षा काल में बोये जाते हैं, शरद ऋतु में फूल आते हैं और शीतकाल में फल आते हैं। इसकी फसल शीतकाल में निकाल ली जाती है।

अश्वगंधा का उपयोगी भाग : Beneficial Part of Ashwagandha Plant in Hindi

अश्वगंधा की जड़ प्रयोग की जाती है।

अश्वगंधा के औषधीय गुण : Ashwagandha ke Gun in Hindi

  1. अश्वगंधा हलकी, स्निग्ध, तिक्त, कटु व मधुर रस युक्त है।
  2. यह विपाक में मधुर और उष्ण वीर्य है।
  3. अश्वगंधा अत्यन्त शुक्रवर्द्धक, बलवर्द्धक, रसायन है।
  4. यह कड़वी, कसैली, गर्म तथा वात-कफ का शमन करने वाली है।
  5. अश्वगंधा शोथ,क्षय और श्वेत कुष्ट का नाश करने वाली औषधि है।
  6. यह शरीर को पुष्ट तथा सुडौल करने वाली चमत्कारी वनस्पति है।

अश्वगंधा का रासायनिक विश्लेषण : Ashwagandha Chemical Constituents

  • अश्वगन्धा की जड़ से Cuseohygrine, anahygrine, tropine, anaferine आदि 13 क्षाराभ निकाले गये हैं। कुल क्षाराभ 0.13 से 0.31% होता है।
  • इसके अतिरिक्त अश्वगन्धा की जड में ग्लाइकोसाइड, विटानिआल, अम्ल, स्टार्च, शर्करा व एमिनो एसिड आदि तत्व पाये जाते हैं।

(‘द्रव्य गुण विज्ञान’ से साभार उद्धृत।)

सेवन की मात्रा : How to Consume Ashwagandha

ashwagandhaka istemal kaise karte hain

  • अश्वगन्धा के चूर्ण को आधे से एक चम्मच (3 ग्राम से 6 ग्राम)
  • इसके काढ़े की मात्रा 4-4 चम्मच सुबह शाम लेना चाहिए।

अश्वगन्धा का उपयोग : Uses of Ashwagandha in Hindi

ashwagandha ka upyog in hindi

  • अश्वगन्धा विविध हेतुओं के लिए कई व्याधियों को दूर करने के अलावा स्वास्थ्य की रक्षा और शरीर को सबल, पुष्ट और सुडौल बनाने के लिए बहुत गुणकारी सिद्ध होता है।
  • इसके उपयोग का विवरण सुश्रुत संहिता, चरक संहिता आदि आयर्वेदिक शास्त्रों में कई जगह पढने को मिलता है।
  • आयुर्वेद ने अश्वगन्धा का उपयोग वीर्यवर्द्धक, मांसवर्द्धक, स्तन्यवर्द्धक, गर्भधारण में सहायक, वात रोग नाशक, शूल नाशक तथा यौन शक्ति वर्द्धक माना है।
  • यहां अश्वगन्धा के परीक्षित, सफल सिद्ध और लाभकारी चुनिन्दा प्रयोग प्रस्तुत किये जा रहे हैं।

अश्वगन्धा के फायदे : Benefits of Ashwagandha in Hindi

अश्वगन्धा के लाभ निम्नलिखित है –

हृदय शूल में लाभकारी अश्वगन्धा (Ashwagandha Benefits in Heart Pain in Hindi)

दो ग्राम अश्वगन्धा चूर्ण को गर्म पानी के साथ लेने से वात के कारण उत्पन्न होने वाले हृदय शूल (दर्द) में लाभ होता है।

क्षयरोग (टी.बी.) रोग में लाभकारी अश्वगन्धा (Ashwagandha Benefits in T.B.Treatment in Hindi)

अश्वगन्धा के 20 मिलीलीटर काढ़े के साथ 2 ग्राम अश्वगन्धा चूर्ण सेवन करने से टी.बी. रोग में लाभ होता है।

कमर दर्द मिटाता है अश्वगन्धा (Ashwagandha Uses in Getting Relief from Back Aache Pain in Hindi)

कमरदर्द में 2 से 5 ग्राम अश्वगन्धा चूर्ण को गाय के घी या शक्कर के साथ चाटने से लाभ होता है।

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कमजोरी दूर कर शक्ति बढ़ाने में लाभकारी अश्वगन्धा (Uses of Ashwagandha in Weakness in Hindi)

वृद्धावस्था दूर कर नवयौवन प्राप्ति के लिए अश्वगन्धा चूर्ण को एक वर्ष तक यथाविधि सेवन करना चाहिये। केवल सर्दीयों में ही इसके सेवन से दुर्बल से दुर्बल व्यक्ति भी बलवान हो जाता है।

अल्सर में फायदेमंद अश्वगन्धा के औषधीय गुण (Ashwagandha Uses to Cure Ulcer in Hindi

गौमूत्र में 4 ग्राम अश्वगन्धा चूर्ण मिलाकर सेवन करना चाहिए।

शिशुओं के लिए लाभदायक अश्वगन्धा (Ashwagandha Benefits For Kids & Teenagers)

ज्वर आदि रोग से ग्रस्त होने से शिशु निर्बल शरीर हो जाता है। रोग मुक्त होने के बाद शिशु के शरीर को सबल, पुष्ट और सुडौल बनाने के लिए अश्वगन्धा का प्रयोग उत्तम है। अश्वगन्धा का चूर्ण 1-2 ग्राम मात्रा में ले कर एक कप दूध में डाल कर उबालें फिर इसमें 8-10 बूंद घी डाल कर उतार लें। ठण्डा करके शिशु को पिलाएं।
6-7 वर्ष से 10-12 वर्ष के बालकों के लिए मात्रा दुगुनी करके यह प्रयोग 3-4 माह तक कराएं। इस उम्र के बालकों के लिए अश्वगन्धा का (अश्वगन्धादि) घृत बहत ही गुणकारी सिद्ध होता है। शिशु को इस घृत की 3-4 बूंद, दूध के साथ बालकों को आधा चम्मच (3 ग्राम) तक और किशोर व युवा को पाचन शक्ति के अनुसार उचित मात्रा में मिश्री के साथ चाट कर सेवन करना चाहिए। यह घृत इसी नाम से बाज़ार में मिलता है।

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स्तनों में दूध वृद्धि करने में अश्‍वगंधा के प्रयोग से लाभ (Ashwagandha Powder Helps to Increase Breast Milk in Hindi)

अश्वगन्धा, शतावर, विदारीकन्द और मुलहठी- सबका महीन पिसा हुआ चूर्ण समान मात्रा में ले कर मिला लें। एक चम्मच चूर्ण सुबह शाम दूध के साथ सेवन करते रहने से कुछ दिनों में, स्तनों में दूध की मात्रा बढ़ जाती है।

शुक्र वृद्धि व पुष्टि में अश्वगंधा चूर्ण का उपयोग फायदेमंद

युवा एवं प्रौढ़, अविवाहित एवं विवाहित पुरुषों को वीर्य वृद्धि, वीर्य पुष्टि, शरीर पुष्टि, शक्ति और चुस्ती फुर्ती के लिए कम से कम 3 माह तक यह नुस्खा लेना चाहिए । एक चम्मच अश्वगन्धा चूर्ण महीन पिसा हुआ, आधा चम्मच शुद्ध घृत और घृत से तिगुना शहद – तीनों को मिला कर सुबह खाली पेट और रात को सोने से पहले चाट कर मीठा ठण्डा दूध पीना चाहिए। यह प्रयोग पूरे शीतकाल के दिनों में तो अवश्य ही करना चाहिए। दुबले-पतले, पिचके गाल, धंसी हुई आंखों वाले युवक-युवतियों के लिए यह नुस्खा एक वरदान है। अविकसित स्तनों वाली युवतियों को यह नुस्खा 3-4 माह तक सेवन करना चाहिए। उनके स्तन सुविकसित और सुडौल हो जाएंगे।

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शीघ्रपतन में लाभकारी है अश्वगंधा चूर्ण का सेवन

जिन नवविवाहित युवकों अथवा प्रौढ़ विवाहित पुरुषों को शीघ्रपतन की शिकायत हो उन्हें यह नुस्खा 3 से 4 माह तक लगातार सेवन करते रहना चाहिए-
अश्वगन्धा , विधायरा, तालमखाना, मुलहठी और मिश्री – सब 100-100 ग्राम खूब कूट पीस कर कपड़ छन महीन चूर्ण करके मिला लें और तीन बार छान कर शीशी में भर कर एयरटाइट ढक्कन लगाएं । यह चूर्ण एक चम्मच, ज़रा से घी या शहद में मिला कर चाट लें। यदि घी लें तो कुनकुना गर्म दूध पी लें और शहद के साथ लें तो दूध ठण्डा करके ही पिएं। यह एक बहत अच्छा और परीक्षित नुस्खा है।

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शुक्रक्षीणता मिटाए अश्वगंधा चूर्ण का उपयोग

अधिक भोग विलास या अविवाहित जीवन में लम्बे समय तक हस्तमैथुन द्वारा या अन्य तरीकों से शुक्र का नाश करने से शरीर की धातुएं क्षीण हो जाती हैं जिसका परिणाम शुक्र क्षीणता होना होता है। इस स्थिति को ठीक करने के लिए यह नुस्खा विवाहित पुरुषों को सेवन करना चाहिए-
अश्वगन्धा चूर्ण 1 चम्मच, पिसी मिश्री आधा चम्मच, पिप्पली चूर्ण पाव चम्मच, आधा चम्मच घी और डेढ़ चम्मच शहद- सबको मिला कर चाट लें और ऊपर से, अश्वगंधा चूर्ण एक चम्मच व घी एक चम्मच डाल औंटाया हुआ एक गिलास मीठा दूध बिल्कुल ठण्डा करके पिएं। यह प्रयोग सिर्फ़ सुबह खाली पेट 3-4 माह तक करें । शुक्र क्षीणता दूर हो जाएगी।

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अश्वगंधा के सेवन से दूर होती है शारीरिक कमजोरी (Ashwagandha Uses to Cure Body Weakness in Hindi)

अश्वगंधा का सेवन बल व पुष्टि के लिए रसायन के रूप में, स्त्री-पुरुष और बच्चे जवान बूढ़े सभी कर सकते हैं । शीतकाल के दिनों में इस नुस्खे का सेवन अवश्य करना चाहिए। नुस्खा इस प्रकार है- असगन्ध का चूर्ण 10 ग्राम, गिलोय चूर्ण 5 ग्राम और गिलोय सत्व 1 ग्राम – तीनों को थोड़े से घी में मिला कर चाट लें और ऊपर से मीठा कुनकुना गर्म दूध पी लें। यह प्रयोग सुबह खाली पेट पूरे शीत काल तक करें।

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गर्भवती की कमजोरी मिटाए अश्वगंधा का उपयोग

गर्भवती स्त्री का शरीर कमज़ोर हो तो गर्भस्थ शिशु भी कमज़ोर होता है। सुबह एक कप पानी में 10 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण डाल कर उबालें। जब पानी पाव कप (चौथाई भाग) बचे तब छान कर एक चम्मच शक्कर या पिसी मिश्री डाल कर पी लें। यह प्रयोग 2-3 माह तक लगातार करने से गर्भवती और गर्भ दोनों को ही बल-पुष्टि प्राप्त होती है।

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श्वेत प्रदर रोग में अश्वगंधा का उपयोग फायदेमंद (Ashwagandha Root Benefits to Cure Leukorrhea in Hindi)

अश्वगंधा का उपयोग महिलाओं के श्वेत प्रदर रोग दूर करने की क्षमता भी रखता है। श्वेत प्रदर रोग होना आजकल एक आम बात हो गई है। श्वेत प्रदर से ग्रस्त महिला को सुबह शाम असगन्ध चूर्ण और पिसी मिश्री एक-एक चम्मच मिला कर कुनकुने गर्म मीठे दूध के साथ 3-4 माह तक सेवन करना चाहिए। इस प्रयोग से श्वेत प्रदर रोग और इस रोग से उत्पन्न हई शारीरिक निर्बलतादोनों ही दूर हो जाते हैं।

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वात रोग में लाभकारी है अश्वगंधा का प्रयोग (Ashwagandha Uses in Getting Relief from Arthritis in Hindi)

अपच और क़ब्ज़ होने पर वात कुपित होता है और वात प्रकोप उत्पन्न होने वाली व्याधियों से शरीर पीड़ित होने लगता है। वात प्रकोप का शमन करने में अश्वगंधा बेजोड़ है। वात प्रकोप का शमन करने में ‘अश्वगन्धादि घृत’ का प्रयोग बहुत गुणकारी सिद्ध होता है। एक-एक चम्मच घृत सुबह शाम दूध में डाल कर पीना चाहिए या असगन्ध, शतावर व मिश्री- समान मात्रा में ले कर पीस लें और मिला लें। इस चूर्ण को 1-1 चम्मच मात्रा में दूध के साथ सुबह शाम लेना चाहिए। दोनों में से किसी भी एक प्रयोग से वात प्रकोप के कारण उत्पन्न होने वाले सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।

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प्रजनन शक्ति बढ़ाने मे मदद करता है अश्वगंधा का सेवन (Ashwagandha Helps in Pregnancy Problem in Hindi)

डिम्ब की निर्बलता से कुछ स्त्रियां गर्भ धारण नहीं कर पातीं। ऐसी स्त्रियों को मासिक ऋतु स्राव शुरू होने के 3 दिन बाद से यह नुस्खा 7 दिन तक सेवन करना चाहिए-
दस ग्राम अश्वगंधा ज़रा से घी में, मन्दी आंच पर अच्छे से सेक लें फिर एक गिलास उबलते दूध में डाल कर 15-20 मिनिट तक उबालें। इसके बाद उतार लें। इसमें मिश्री मिला कर सुबह के समय खाली पेट कुनकुना गर्म पी लें। इस प्रयोग को लाभ न होने तक प्रति मास 7 दिन तक इसी ढंग से सेवन करते रहना चाहिए।

अनिद्रा रोग (नींद न आना) में अश्वगंधा के प्रयोग से लाभ (Ashwagandha Powder Helps getting Relief from Insomnia Problem in Hindi)

यूं तो निद्रा की कमी वृद्धावस्था में होने वाली शिकायत रहती है पर बलिहारी इस ज़माने की, जिसने लोगों का, दिन का चैन छीन लिया है और रातों की नींद हराम कर दी है। नींद उड़ने के कारणों में एक कारण होता है वात का कुपित होना जिससे गैस बनती है और गैस के दबाव से नींद उड़ जाती है। पिछली रात और पिछली आयु (वृद्धावस्था) में वात कुपित रहता ही है इससे वृद्ध लोग अनिद्रा रोग से ग्रस्त हो जाते हैं। ऐसे स्त्री-पुरुषों को यह नुस्खा सेवन करना चाहिए एक चम्मच अश्वगंधा चूर्ण घी शक्कर में मिला कर रोज़ शाम को चाट लेना चाहिए। यदि वात प्रकोप भी हो तो इस नुस्खे में पीपलामूल का चूर्ण 2 ग्राम मिला लेना चाहिए। मधुमेह के रोगी शक्कर न मिलाएं। नींद लाने के लिए यह योग उत्तम है।

आधे सिर का दर्द दूर करे अश्वगंधा (Ashwagandha Uses to Cure Migraine Problem in Hindi)

आधे सिर में दर्द होने को आधा सीसी कहते हैं। असगन्ध की ताज़ी जड़ लें। ताज़ी जड़ न मिले तो सूखी जड़ को 1-2 घण्टे पानी में डाल कर रखें। चन्दन की तरह इस जड़ को पत्थर पर घिस कर माथे पर लेप करें। सुबह शाम असगन्ध का चूर्ण 1-1 चम्मच दूध के साथ लें। आधा सीसी का दर्द दूर हो जाएगा

अश्वगंधा से निर्मित कुछ प्रमुख आयुर्वेदिक योग (दवा) :

अश्वगंधा को प्रमुख घटक के रूप में ले कर अनेक आयुर्वेदिक नुस्खे बनाये जाते हैं जो बने बनाये
बाज़ार में मिलते हैं जैसे –

अश्वगन्धादि चूर्ण, अश्वगन्धादि घृत, अश्वगन्धादि गुग्गुलु, अश्वगन्धारिष्ट, अश्वगन्धा पाक, अश्वगन्धादि योग आदि ।
यहां कुछ प्रमुख नुस्खों का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत किया जा रहा है जिससे आप इन नुस्खों (योगों) के गुण-लाभ से परिचित हो कर आवश्यकता के अनुसार इसका सेवन कर लाभ उठा सकें।

अश्वगन्धादि चूर्ण – फायदे और उपयोग

अश्वगंधा और विधारा के चूर्ण को समान मात्रा में मिला कर यह योग बनाया जाता है। इस चूर्ण को 1-1 चम्मच सुबहशाम कुनकुने गर्म मीठे दूध के साथ 3-4 माह तक सेवन करना चाहिए। शीतकाल के दिनों में तो इसका सेवन अवश्य ही करना चाहिए।

लाभ – इसके सेवन से स्नायविक-दौर्बल्य, दिमागी कमज़ोरी, थकावट, शारीरिक निर्बलता, दुबलापन, वात प्रकोप और इसके कारण होने वाली तकलीफें, नर्वस ब्रेक डाउन, त्वचा की मलिनता और झुर्रियां, यौन शक्ति की कमी आदि व्याधियां नष्ट होती हैं। इसे किसी भी आयु के स्त्री-पुरुष सेवन कर सकते हैं। यह कामोत्तेजक नहीं होता इसलिए अविवाहित युवक, छात्र-छात्रा, बच्चे आदि भी सेवन कर सकते हैं। यह इसी नाम से बाज़ार में मिलता है।

अश्वगन्धादि गुगुलु – फायदे और उपयोग

यह योग आमवात की शिकायत दूर करता है। इसकी 2-2 गोली सुबह शाम, पानी के साथ लेना चाहिए।

लाभ – इसके सेवन से उदरवात, उदरशूल, उदरकृमि और मलावरोध आदि व्याधियां नष्ट होती हैं।

अश्वगन्धारिष्ट – फायदे और उपयोग

यह आयुर्वेद के उत्तम योगों में से एक उत्तम योग है। सुबह शाम भोजन के बाद, आधा कप पानी में 2-2 चम्मच अश्वगन्धारिष्ट डाल कर पीना चाहिए। यह स्त्री-पुरुष, युवाप्रौढ़-वृद्ध सबके लिए एक जनरल टॉनिक का काम बखूबी करता है।

लाभ – इसके सेवन से स्नायविक दौर्बल्य, डिप्रेशन, अनिद्रा, थकावट, शारीरिक दुर्बलता, सुस्ती, दिल की बेचैनी व घबराहट, मूर्छा, दिल की धड़कन बढ़ना, वृद्धावस्था के प्रभाव से उत्पन्न शिथिलता, वात प्रकोप और इसके कारण होने वाली शिकायतें, स्त्रियों का हिस्टीरिया रोग, दिमागी कमज़ोरी, शुक्रक्षीणता, यौनशक्ति की कमी आदि व्याधियां दूर होती हैं।
इसका सेवन कम से कम 45 दिन तो करना ही चाहिए। आवश्यकता के अनुसार अधिक दिनों तक भी सेवन कर सकते हैं। शरीर को पुष्ट और सबल बनाने के लिए यह उत्तम योग है

अश्वगन्धादि योग – फायदे और उपयोग

अश्वगंधा और विधारा 80-80 ग्राम, बड़ी इलायची का चूर्ण और कुक्कुटाण्डत्वक भस्म 20-20 ग्राम, वंग भस्म 10 ग्राम और पिसी मिश्री 100 ग्राम – सब को महीन चूर्ण कर मिला लें और शीशी में भर लें। इसे आधा-आधा चम्मच (लगभग 3-4 ग्राम) सुबह शाम दूध के साथ लें।

लाभ – यह चूर्ण स्त्रियों के नये व पुराने श्वेत प्रदर रोग दूर करने में सफल सिद्ध होता है। धैर्यपूर्वक 4-5 माह तक इसका सेवन करना चाहिए। यह स्त्रियों का परम मित्र योग है जो श्वेत प्रदर रोग दूर कर स्त्रियों के शरीर को सबल, सुडौल और पुष्ट बनाता है। यह बनाने में सरल है इसलिए इसका परिचय प्रस्तुत कर रहे हैं। यह बना बनाया बाज़ार में नहीं मिलता इसलिए स्वयं बनाएं और सेवन कर लाभ उठाएं।

इनमें से किसी भी एक योग का सेवन, अपनी आवश्यकता के अनुसार, कर लाभ उठाया जाना चाहिए।

अश्वगंधा के दुष्प्रभाव : Ashwagandha ke Nuksan in Hindi

आयुर्वेद मतानुसार, अश्वगंधा के ये नुकसान भी हो सकते है –

जिनकी प्रकृति गर्म है उनके लिए अश्वगंधा का अधिक मात्रा में सेवन करना हानिकारक होता है।

दोषों को दूर करने के लिए : इसके दोषों को दूर करने के लिए घी ,कतीरा व गोंद का उपयोग करना चाहिये ।

(दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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