कुकरौंधा के फायदे ,गुण ,उपयोग और दुष्प्रभाव | Kukundar ke Fayde in Hindi

Last Updated on February 8, 2020 by admin

कुकरौंधा क्या है ? : What is Kukundar (Blumea) in Hindi

कुकरौंधा का एक-दो फुट ऊँचा क्षुप (झाडी) होता है जिसमें कपूर की सी गन्ध आती है। इसके पत्ते कासनी के पत्तों जैसे होते हैं किन्तु ये उन पत्तों से कुछ बड़े, मोटे एवं रोयेंदार होते हैं। ये प्राय: जड़ के पास निकलकर भूमि पर फैले हये होते हैं। इन्हें मसलने से इनसे उग्र गन्ध कपूर जैसी आती है। ऊपरी शाखाओं के अग्रभाग पर छोटे पीताभ या कभी-कभी जामुनी रंग के रोमश पुष्प मुण्डक होते हैं। पुष्प खिलने के बाद इनसे रुई जैसे बारीक रेशे निकलते हैं। बीज-छोटे धूसर भूरे रंग के होते हैं। ये क्षुप बरसात में उगते हैं, शीतकाल में फूलते-फलते हैं तथा गर्मियों तक सूख जाते हैं। कर्पूरयुक्त एक सुगन्धित तैल इसकी पत्तियों में पाया जाता है।

कुकरौंधा की प्रजातियाँ :

कुकरौंधा की अनेक अन्य प्रजातियाँ मिलती हैं जिनमें ये मुख्य हैं –

  • Blumea erientha D.C. ( ब्लूमेआ एरियेन्था)
  • Blumea densiffora D.C. (ब्लूमेआ डेंसिफ्लोरा) और
  • Blumea Balsamifera D.C. (ब्लूमेआ बाल्सामिफेरा)

कुकरौंधा का विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Blumea in Different Languages

Blumea in –

  • संस्कृत (Sanskrit) – कुकन्दर, ताम्रचूड, मृदूच्छक, गंगापत्री
  • हिन्दी (Hindi) – कुकरोधा, कुकुरौंधा, कुकर भांगड़ा, जंगली मूली, कुकरबन्दा, गंधीलि, काकली
  • मराठी (Marathi) – कुकर बन्दा, निमुड़ी, मामुड़ी
  • गुजराती (Gujarati) – कोकरोन्दा, कपुरियो, कलार, चाँचड़मारी
  • बंगाली (Bangali) – कुकसिम, कुकुरशोंगा
  • लैटिन (Latin) – Blumea Lacera
  • अंग्रेजी (English) – Blumea Aurita

कुकरौंधा के औषधीय गुण : Kukundar ke Gun in Hindi

  1. कुकरौंधा मधु, रूक्ष, तीक्ष्ण, विषाक्त, कषाय, विपाक में कटु, उष्णवीर्य, गुणों में कपूर का पर्यायवाची है।
  2. यह कफ नाशक, दीपन, अनुलोमन, पाचन तथा पित्त नाशक है।
  3. कुकरौंधा यकृत उत्तेजक, पसीना लाने वाला तथा कफ नाशक है।
  4. यह कृमि नाशक, ज्वर नाशक, दाह शामक, शिरो विरेचन, व्रण नाशक, मूत्रल तथा ग्राही है।
  5. कुकरौंधा वेदना स्थापक, वात नाशक, अध्मान नाशक, तृषा नाशक तथा अर्श नाशक होता है ।
  6. यह शोथहर, विष नाशक तथा शेरियत स्थापक होता है।
  7. कुकरौंधा रक्त रोधक और शरीर के किसी द्वार से खून निकलने पर इसका व्यवहार संजीवनी का काम करता है।
  8. शरीर का कोई अंग कट जाने पर, मोच आदि में कुकरौंधा अत्यन्त लाभकारी है।
  9. कुकरौंधा चर्म रोग नाशक, Blood pwrifire, Hydrophobia नाशक तथा ज्वर नाशक होता है ।
  10. यह प्रदर नाशक, यकृत सम्बन्धित सभी रोगों का नाश करता है।
  11. इसका नस्य सर्दी, खाँसी, नजला नाशक है।
  12. कुकरौंधा दमा Bronchitis नाशक, मूत्रवर्द्धक, मूत्ररोग नाशक, हैजा नाशक, ताकतवर्द्धक और अत्यन्त पौष्टिक है।

कुकरौंधा का उपयोगी भाग : Useful Parts of Kukundar in Hindi

कुकरौंधा का पंचांग ही औषधि हेतु प्रयुक्त होता है। विशेषत: मूल एवं पत्र प्रयुक्त होते हैं।

सेवन की मात्रा :

इसके स्वरस की उपयुक्त मात्रा 10 मि.लि. है , तथा कल्क (चटनी) की मात्रा 2-6 ग्राम है।

कुकरौंधा का उपयोग : Uses of Kukundar in Hindi

  1. मल द्वार, योनि द्वार, नाक, मूत्रेन्द्रिय तथा अन्य किसी जगह से खून निकलता हो तो उसमें इसकी पत्तियों का लेप तथा पंचाँग का काढ़ा अत्यन्त लाभकारी है।
  2. यदि शरीर का कोई अंग कट जाये, मोच आ जाये, चोट से खून निकलता है तो रूई के फाहा को इसमें भिगा कर बाँधने या लेप करने से उसका बहना बन्द हो जाता है।
  3. इसकी पत्तियों को पीस कर मधु के साथ मिला कर अवलेह या क्वाथ बना कर सेवन करने से खूनी बवासीर ठीक हो जाता है।
  4. इसके रस में फिटकरी मिलाकर पट्टी बाँधने से भयंकर से भयंकर खून का बहना तुरन्त बन्द हो जाता है।
  5. सुबह-शाम एक-एक कप इसका काढ़ा सेवन करने से मासिक धर्म सम्बन्धी रोगों में अत्यन्त लाभ मिलता है तथा अतिरज में यह राम बाण है।
  6. इसका काढ़ा तथा चूर्ण कब्ज, गैस, मन्दाग्नि, अफरा, दर्द, शूल, अपच आदि में अत्यन्त लाभकारी है।
  7. यह Blood purifire है। इसका काढ़ा लाभकारी है। रक्त और चर्म विकार में इसका लेप अत्यन्त ही गुणकारी है।
  8. इसकी पत्तियों का 10 मि.ली. रस सेवन करने से कुत्ते का काटा विष समाप्त हो जाता है तथा Hydrophobia रोग नहीं होता है।
  9. एक-एक चम्मच तीन-तीन घण्टे बाद इसके क्वाथ का सेवन करने से ज्वर उतर जाता है।
  10. एक-एक चम्मच इसका रस सेवन करने से प्रदर रोग में अत्यन्त लाभ होता है।
  11. एक-एक कप इसका काढ़ा सेवन करने से यकृत वृद्धि, यकृत का सिकुड़ना, सूजन, घाव और पित्त सम्बन्धी रोगों में लाभ होता है।
  12. इसका नस्य लेने से सर्दी, खाँसी में लाभ मिलता है।
  13. इसका काढ़ा सेवन करने से दमा और Bronchitis में अत्यन्त फायदा होता है।
  14. यह Liver के लिए टौनिक का काम करता है।
  15. खाना खाने के बाद एक-एक चम्मच सुबह-शाम इसकी पत्तियों का चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से वह आसानी से पच जाता है और पेट की बीमारी ठीक हो जाती है।
  16. इसके सेवन से मूत्र की मात्रा बढ़ जाती है यह सूजन और मूत्र रोगों में अत्यन्त लाभकारी है।
  17. एक-एक कप इसका काढ़ा हैजे के रोगी को एक-एक घंटे के बाद सेवन कराने से हैजा से मुक्ति मिल जाती है।
  18. यह पौष्टिक होता है।

कुकरौंधा के फायदे : Benefits of Kukundar (Blumea) in Hindi

बवासीर ठीक करे कुकरौंधा का प्रयोग (Kukundar Benefits in Piles in Hindi)

वातार्श (वादी), रक्तार्श (खूनी) दोनों प्रकार के रोगियों को यह लाभ पहुंचाता है। मस्सों पर इसके पत्तों का रस लगाना चाहिये अथवा पत्रकल्क की टिकिया बनाकर सुखोष्ण ही बांधनी चाहिये। साथ में ही पत्रस्वरस को पकाकर गाढ़ा हो जाने पर उसमें काली मिर्च का चूर्ण (स्वरस 250 ग्राम, काली मिर्च चूर्ण 12 ग्राम) मिलाकर एक-एक ग्राम की गोलियाँ बना लें। एक-दो गोली पानी के साथ खिलावें। इसी प्रकार काली मिर्च चूर्ण के स्थान पर स्वर्ण गैरिक मिलाकर गोलियाँ बनाकर खिलाना भी श्रेयस्कर है।

कुकरोंदा के पत्ते एवं गेंदे के पत्ते 6-6 ग्राम, काली मिर्च 3 ग्राम को 120 मि.लि.. जल में पीस-छानकर पिलाने से भी लाभ होता है। कुकरौंदा पिलाना भी उपयुक्त है अथवा इसके स्वरस में गोघृत को सिद्ध कर भी सेवन कराया जा सकता है। इस घृत की मात्रा 3-6 ग्राम होनी चाहिये। इसके स्वरस में मिश्री मिला कर भी रोगी को सेवन करा सकते हैं।

ये सभी प्रयोग सभी रक्तस्रावों में यथा – रक्तातिसार,रक्तमेह, रक्तपित्त, रक्तप्रदर आदि में भी लाभप्रद है। अर्श के रोगी को साथ में हरड़ का चूर्ण भी यथावश्यक देना चाहिये जिससे मलावरोध न हो अधिक रक्तस्राव होने पर साथ में रसोंत भी देना चाहिए। कई चिकित्सक इसके शुष्क पत्तों का रोगी को धूम्रपान भी कराते हैं।

( और पढ़े – खूनी बवासीर का रामबाण इलाज )

रक्तपित्त मिटाए कुकरौंधा का उपयोग (Blumea Cures Rakta Pitta in Hindi)

रक्तपित्त (एक प्रकार का रोग जिसमें ख़ून मुँह, नाक, योनि, गुदा से गिरता है) रोग में कुकरौंधा के 10 मि.लि. पत्र स्वरस में 5 ग्राम मधु मिलाकर सेवन कराना चाहिये अथवा स्वरस के साथ आवला चूर्ण या आवले का स्वरस मिला कर देना चाहिए।

खून के दस्त ठीक करे कुकरौंधा का प्रयोग (Kukundar Benefits in Cures Raktatisar in Hindi)

कुकरौंधा के स्वरस में शुद्ध रसोंत एवं शक्कर समभाग मिलाकर मन्द आंच पर अवलेह जैसा तैयार कर 6-6 ग्राम दिन में 2-3 बार देना चाहिये। यह प्रयोग रक्तार्श एवं अन्य रक्तस्रावों में भी उपयोगी है।

( और पढ़े – दस्त रोग के कारण और इलाज )

रक्तप्रदर में कुकरौंधा के इस्तेमाल से लाभ (Benefits of Kukundar in Metrorrhagia Treatment in Hindi)

कुकरौंधा स्वरस 10 मि.लि. मधु 10 ग्राम, और शुभ्राभस्म 3 ग्राम मिलाकर रोगी को दें। ऐसी ही मात्रा दिन में तीन बार देनी चाहिये। स्वरस में मिश्री मिलाकर भी दिया जा सकता है। यह गर्भस्राव में भी उपयोगी है।

बालरोगों में कुकरौंधा के इस्तेमाल से फायदा (Blumea Benefits to Cure Childhood Diseases in Hindi)

जो बालक रात में बिस्तरों में पेशाब कर देते हैं उन्हें कुकरौंधा स्वरस में कर्पूर मिलाकर पिलाना चाहिये (मात्रा आयु के अनुसार निर्धारित करें)। जो बालक चुन्ना कृमि के कारण रोते हों उनकी गुदा पर इसके पत्तों का रस लगा देना चाहिये। उपयुक्त मात्रा के अनुसार यह रस पिलाने से भी कृमि नष्ट होते हैं। जो बालक सूखा रोग से ग्रस्त हों उनके लिये इसके स्वरस के साथ सहदेई का स्वरस घोटकर गाढ़ा हो जाने पर गोलियां बनाकर (चने के समान) एक-एक गोली दिन में दो बार माता के दूध या जल के साथ घिसकर खिलानी चाहिये। ये गोलियाँ एक सप्ताह तक सेवन करावें। साथ में ही इसके स्वरस से सिद्ध तेल की बालक की पीठ पर मालिश भी करनी चाहिये।

तेल बनाने की विधि – स्वरस 250 मि.लि., तिलतैल 500 मि.लि. और बकरी का दूध 750 मि.लि. लेकर मन्द, आंच पर पकाकर तेल मात्र शेष रखकर तेल सिद्ध कर उपयोग में लावें।

( और पढ़े – बच्चों के रोग और उनका घरेलू इलाज )

सिर के रोग में कुकरौंधा का उपयोग फायदेमंद (Kukundar Uses to Cure Head Disease in Hindi)

इसके रस की लालट पर मालिश करनी चाहिये तथा रस का नस्य देना चाहिये इससे आधा शीशी का दर्द मिटता है। सिर पर मालिश धूप में बैठकर करनी चाहिये। मस्तिष्क के कृमिनष्ट करने के लिए पत्तों को छाया में सुखाकर उनका महीन चूर्ण बनाकर उसका नस्य 4-5 दिनों तक देना चाहिये। पत्रस्वरस के नस्य से भी शिरोवेदना मिटती है। स्वरस एवं पत्रचर्ण का नस्य प्रतिश्याय के रोगी के लिये भी लाभदायक है। इसके स्वरस में अदरख का रस मिलाकर गर्म कर पीने से भी सर्दी एवं खाँसी में लाभ होता है।

उदरविकार में लाभकारी है कुकरौंधा का सेवन (Kukundar Uses in Abdominal Disorders in Hindi)

इसका पंचांग एक भाग,सरसों का मूल और काली मिर्च आधा आधा भाग लेकर पानी में इन्हें पीसकर चने समान गोलियां बनाकर एक एक गोली ग्वारपाठे के रस के साथ दिन में दो बार खिलाने से वात गुल्म तथा यकृत् प्लीहा के विकार दूर होते हैं।

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बार-बार मुख सुखना दूर करने में कुकरौंधा फायदेमंद (Benefit of Kukundar in Frequent Mouth Dryness in Hindi)

जिन व्यक्तियों का बार-बार मुख सूखता हो उन्हें इसकी जड़ का टुकड़ा मुख में रखना चाहिये।

सूजन दूर करने में लाभकारी है कुकरौंधा का प्रयोग (Kukundar Benefits to Cure swelling in Hindi)

इसकी पत्तियों को गरम कर बांधने से शोथ (सूजन) कम होता है। स्तनशोथ पर स्वरस को जौ के आटे में मिलाकर लगाना चाहिये।

घाव में कुकरौंधा का उपयोग फायदेमंद (Kukundar Uses to Cure Wound in Hindi)

इसके स्वरस में स्वच्छ वस्त्र भिगोकर बांधने तथा ऊपर से इसका रस निचोड़ते रहने अथवा पत्तों को कुचलकर इनका कल्क बनाकर बांधने से घाव से होने वाला रक्तस्राव बन्द हो जाता है। अन्य व्रणों एवं नाडीव्रण (नासूर) में भी इसका यह बाह्य प्रयोग लाभप्रद होता है। यदि व्रण में कृमि पड़ जाते हैं तो वे भी इसके रस से नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही इसके स्वरस में शहद मिलाकर पिलाना भी चाहिये । रक्त के जमाव या रक्तग्रन्थि पर इसके पत्तों पर घृत लगाकर कुछ गरम कर बांध देने से रक्त बिखर जाता है तथा गांठ बैठ जाती है।

नेत्ररोग में लाभकारी है कुकरौंधा का प्रयोग (Kukundar Benefits to Cure Eye Problems in HIndi)

इसके पत्रस्वरस की दो-दो बूंद दिन में दो बार आंखों में डालने से अभिष्यन्द(आँख का एक रोग), आंखों की लालिमा आदि विकार दूर होते हैं।

कुत्ते का विष दूर करने में कुकरौंधा फायदेमंद

इसके मूल की अधिक मात्रा वामक होती है। अत: मूल 10-12 ग्राम लेकर अकेले या दूध के साथ पीसकर पिलाने से वमन द्वारा विष निकल जाता है।

बुखार ठीक करे कुकरौंधा का प्रयोग (Kukundar Benefits in Cures Fever in Hindi)

सामान्य तथा कफज पित्तज ज्वरों में इसका पत्र स्वरस पिलाने से ज्वर कम होकर रोगी को लाभ मिलता है। शीतज्वर में इसके पत्रस्वरस की 2-2 बूंद कानों में भी टपकाई जानी चाहिये।

कुकरौंधा के दुष्प्रभाव : Kukundar ke Nuksan in Hindi

कुकरौंधा उन व्यक्तियों के लिए सुरक्षित है जो इसका सेवन चिकित्सक या सम्बंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार करते हैं।

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