मौलसरी (बकुल) के फायदे ,गुण ,उपयोग और दुष्प्रभाव | Maulasari ke Fayde in Hindi

Last Updated on February 9, 2020 by admin

मौलसरी क्या है ? : What is Maulsari (Mimusops Elegy) in Hindi

मौलसरी एक बहुत ही उपयोगी औषधि वृक्ष है  । यह वृक्ष अति पवित्र और पर्यावरण के हिसाब से अत्यन्त ही उपकारी होता है। यह वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड, तथा अन्य हानिकारक धूल कण, धुआँ का अधिक शोषण करता है। अन्य पेड़ों की अपेक्षा ऑक्सीजन का विसर्जन अधिक करता है। इसलिए पर्यावरण को शुद्ध करने में यह अहम भूमिका निभाता है।

मौलसरी का पेड़ कैसा होता है ? :

मौलसरी का वृक्ष 40 से 50 फुट तक ऊँचा होता है। इसका एक नाम बकुल भी है। प्रायः यह नहर, रोड, रेल लाइन के किनारे तथा उद्यानों में सारे भरतवर्ष में कम या बेसी मिलता है। इसका पेड़ घना और चिकना झोपड़ी के आकार का ताथा छायादार होता है। इसकी पत्तियाँ 1.5 से 2 इंच चौडी और 4 से 5 इंच लम्बी तथा किनारे पर ऊपर-नीचे की दिशा में वक्र होती हैं और एकान्तर क्रम में होती हैं।

मौलसरी का फूल कैसा होता है ? :

मौलसरी का फूल चक्र के आकार का गोला तथा सफेद होता है जो देखने में अत्यन्त मनोहारी तथा मोहक होता है। इसका फूल कहीं-कहीं अकेला तथा कहीं-कहीं मंजरियों में आता है। इसके फूल अत्यन्त आकर्षक चिरकाल तक रहते हैं जिससे इसके नजदीक से जाने वाला व्यक्ति बरबस इसकी तरफ आकर्षित हो जाता है।

मौलसरी का विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Mimusops Elegy in Different Languages

Mimusops Elegy in –

  • संस्कृत (Sanskrit) – बकुल, केशव, भ्रमरानन्द, अनका कंठ, स्त्री मुख मधु, मधु पंजर
  • हिन्दी (Hindi) – मौलसिरी, मौलसरी, बकुल
  • बंगाली (Bangali) – बकुल गाछ
  • गुजराती (Gujarati) – बोलसरी
  • मराठी (Marathi) – बरसोली, बकुल
  • पंजाबी (Punjabi) – मोलसरी
  • तेलगु (Telugu) – केसारी
  • तामिल (Tamil) – अलागु, केसारम
  • कर्णाटकी (karnataka) – करक
  • उर्दू (Urdu) – मोलसरी
  • लैटिन (Latin) – Mimusops Elegy
  • इंगलिश (English) – Surinam Medalcar

मौलसरी के औषधीय गुण : Maulsari ke Aushadhi Gun in Hindi

  1. मौलसरी के बीजों में सैपोनिल नामक तत्त्व पाया जाता है जो अत्यन्त लाभकारी और अनेक कामों में उपयोगी होता है।
  2. मौलसरी में चीनी भी होती है।
  3. मौलसरी दन्त दर्द नाशक, शीतल, हृदयोउपयोगी, त्रिदोष नाशक, कृमि नाशक, मल संग्राहक, कसैला, मधुर, कफ और रक्त विकार नाशक होता है।

मौलसरी का उपयोगी भाग : Useful Parts of Maulasar in Hindi

इसका फल, फूल और छाल औषधी के काम आते हैं।

मौलसरी के फायदे व औषधीय उपयोग : Maulasa ke Fayde Hindi me

दाँत दर्द, मसूड़ा फूलना और दाँत हिलना दाँत में कीड़ा लगना आदि :

इन बीमारियों को दूर करने में मौलसरी राम बाण का काम करता है। इसकी छाल का चूर्ण और पीपल का चूर्ण बराबर मात्रा में मिलाकर कम से कम 15 दिनों तक लगातार शहद में सानकर उसमें थोड़ा गाय का घी मिला लें। फिर इसे प्रतिदिन सुबह और रात में सोने से पहले कुल्ला करें। इससे दाँत की सभी बीमारियाँ दूर हो जाती है। कम-से-कम 15 मिनट तक कुल्ला करना चाहिए। इसकी छाल का दातुन करने से दाँत सम्बन्धी कोई भी रोग नहीं होता है। इसकी छाल का काढ़ा बनाकर कुछ दिनों तक कुल्ला करने से भी दाँत विकार नष्ट हो जाते हैं।

( और पढ़े – दाँतों का दर्द दूर करने के नुस्खें )

आव, पेचिश और डीसेन्ट्री व संग्रहणी में मौलसरी का उपयोग लाभदायक :

इसके पके हुए फल का सेवन उपर्युक्त रोगों में अत्यन्त लाभकारी है।
इसके फलों की भिगी के तेल की 20-30 बूंद प्रतिदिन सुबह-शाम सेवन करने से तीन-चार दिनों में ही उपर्युक्त रोगों से मुक्ति मिल जाती है। यह योग सैकड़ों रोगियों पर परीक्षित और सफल है।

सिर दर्द, अधकपारी, Migraine तथा Sinus आदि रोग कम करने में मौलसरी करता है मदद :

उपर्युक्त रोगों को दूर करने के लिए इसका खूब महीन चूर्ण बनाकर सूंघने या इसके फलों का महीन चूर्ण कर नस्य लेने या इसके फलों के चूर्ण का अर्क बनाकर दो या तीन बूंदें नाक में डालने से उपर्युक्त रोगों का नाश हो जाता है।

( और पढ़े – सिर दर्द के 41 घरेलू नुस्खे )

मुँह के छाले, मुख पाक, मुँह के घाव, मसूड़ों की सूजन, घाव होना तथा पस आना :

मौलसिरी, बच, आँवला, खैर की छाल और चाँगेरी को समान मात्रा में मिला कर काढ़ा बनाकर प्रतिदिन दो या तीन बार दिनभर में कुल्ला करने से उपर्युक्त सभी रोग ठीक हो जाता है। यह अत्यन्त लाभकारी, अतीव गुणकारी एवं अनेक रोगियों पर परीक्षित योग है।

खाँसी, और गले की बीमारियों में मौलसरी से फायदा :

इसके फूलों को शाम में पानी में फुला कर रात भर छोड़ दे। तथा सुबह में हाथ से मसल कर छान ले और इस मसले हुए रस को बच्चों को आधा कप सुबह-शाम पिलायें इससे उपर्युक्त रोगों से 4-5 दिनों में ही छुटकारा मिल जाता है।

( और पढ़े – खाँसी के कारण और उपचार )

धातु विकार, शीघ्र पतन तथा नपुंसकता में फायदेमंद मौलसरी के औषधीय गुण :

इसका ताजा फल लगभग 12 ग्राम, तीन बादाम और तीन ग्राम मिसरी एक साथ मिलाकर सुबह-शाम खाने और पानी पीने से उपर्युक्त सभी रोग ठीक हो जाते हैं तथा रोगी को नव जीवन प्राप्त होता है।

स्त्रियों के प्रदर रोग में लाभकारी मौलसरी :

मौलसिरी का फल करीब 12 ग्राम, तीन बादाम और लगभग तीन ग्राम मिसरी का सेवन कुछ दिनों तक लगातार और नियमित करने से सभी तरह का प्रदर रोग और योनि की खाज, खुजली और दुर्गंध आदि में दूर हो जाते हैं।

घाव, फोड़ा, फुंसी आदि चर्म रोग में मौलसरी फायदेमंद :

मौलसरी के फल, फूल और छाल को सुखाकर खूब महीन चूर्ण बनाकर उसमें पुराने गाय घी मिलायें इसका मलहम बनाकर पीड़ित अंगों पर लेप कर रूई का फाहा देकर बाँध दें। इससे कुछ ही दिनों में सभी तरह का चर्म विकार नष्ट हो जाता है। यह चर्म रोगों के लिए महौषधि है।

श्वास सम्बन्धी बीमारियाँ तथा दुर्गंध दूर करने में मौलसरी करता है मदद :

मौलसिरी के फूलों को सिलबट्टे पर पीस कर लगभग आधा कप रस
निकाल कर उसमें थोड़ा पानी मिलायें। उसमें एक चम्मच शुद्ध शहद तथा आधा चम्मच गाय का घी मिलाकर उसमें लौंग तेल की 10-12 बूंदें डालकर प्रतिदिन सुबह-शाम कम-से-कम बीस दिनों तक कुल्ला करें। इससे श्वास की दुर्गन्ध दूर हो जाएगी तथा श्वास से खुशबू आने लगेगी।

मौलसरी के दुष्प्रभाव : Maulsari ke Nuksan in Hindi

मौलसरी उन व्यक्तियों के लिए सुरक्षित है जो इसका सेवन चिकित्सक या सम्बंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह के अनुसार करते हैं।

(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)

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