Last Updated on July 22, 2019 by admin
पीलिया (जॉन्डिस) क्या है ?
पीलिया बेहद खतरनाक रोग है। यह किसी भी हालत में न होने पाए तो अच्छा। दोबारा तो इसे सिर उठाने ही न दे। यह कभी भी घातक हो सकता है। जानलेवा हो सकता है, अतः बेहद सतर्क रहने की आवश्यकता है। कभी-कभी यह धीरे-धीरे पैर पसारता रहता है। अकसर हमारी ही गलतियों के कारण यह तेजी के साथ हमें दबोच लेता है।
पीलिया रोग को पांडू-रोग भी कहते है। इसे अग्रेजी में जांडिस’ कहते है। इस रोग का ध्यान आते ही शरीर में कंपकंपी शुरू हो जाती है, क्योकि इस रोग के परिणाम बड़े खतरनाक होते है।
जैसे ही हमारे शरीर में यकृत का काम-काज बिगड़ जाता है, तो पित्त ठीक से अवशोषित नहीं हो पाता, तभी पीलिया रोग हो जाता है। वास्तव में यकृत से निकलने वाली पित्तवाहिनी के संगम स्थल पर रुकावट बन जाने से पित्त, जिसे पित्ताशय में जाना चाहिए, यह वहां नहीं पहुंच पाता है, बल्कि रास्ते में रक्त में ही मिल जाता है। इसी से पीलिया रोग हो जाता है। इसीलिए इसे यकृत अथवा जिगर का रोग माना जाता है।
इतना ही नहीं, जब पीलिया रोग तीव्र होने लगता है, तो यह आमाशय, तिल्ली, पित्ताशय तथा पेट आदि में कई समस्याएं पैदा कर देता है। अत: यह रोग और भी भयानक हो सकता है।
पीलिया (जॉन्डिस) के लक्षण :
पीलिया रोग होने के निम्नलिरिक्त लक्षण है:
1. शरीर के सभी अवयवों पर पीलापन छा जाता है। हर अंग पीला नजर आने लगता है।
2. टांग तथा पांव दर्द करने लगते हैं।
3. आंखें तो खासकर पीली बनी रहती है।
4. यहां तक कि मल-मूत्र का रंग भी पीला हो जाता है।
5. शरीर टुटा -टुटा, दर्द करता रहता है।
6. ज्वर रहने लगता है।
7. प्यास अधिक लगना भी एक लक्षण है।
8. नाखून पीले, यहां तक कि दांत भी पीले हो जाते हैं।
9. जब रोग बहुत तीव्र हो जाता है, तो पसीना पोंछने पर रूमाल का रंग भी पीला पड़ जाता है।
10. रोगी को यदि सफेद बिस्तर पर सुलाएं, तो चादर का रंग भी पीला पड़ने लगता है।
11. शरीर की इंद्रियां बहुत निर्बल हो जाती हैं। रोगी उठने-बैठने को भी लाचार हो जाता है। सदा सहारा ढूंढता है।
12. जब रोग का आरंभिक लक्षण ढूंढना हो, तो मल का श्वेत हो जाना ही इसकी पुष्टि है। रोग बढ़ने पर मल तथा मूत्र पीले पड़ने लगते
13. पेट में दर्द रहना, पेट में अफारा रहना, भूख न लगना आदि भी इस रोग के लक्षण है।
क्यों होता है पीलिया ?
हमने पीलिया के लक्षणों को विस्तार से जाना। इनमें से कुछ लक्षण हमें पीलिया शुरु होने की चेतावनी दे देते है:
1. खट्टे पदार्थों की अधिकता भोजन में होना।
2. गरम, चटपटे खाने, चाट-बड़ा आदि में अधिक रुचि।
3. मैथुन में संलिप्त रहना।
4. सूर्य निकल जाने के बाद भी सोते रहना। दिन में भी सोना।
5. शराब पीने की अधिकता।
6. मिट्टी खाने से भी यह रोग हो जाता है।
पीलिया (जॉन्डिस) में क्या नहीं खाना चाहिए :
पीलिया रोग होने का एक भी आसार नज़र जाए, तभी से रोगी परहेज पर आ जाए। ज़रा भी ढील न करें। बड़ा ही खतरनाक है यह रोग। जहां तक पहुंचा है, पूरा परहेज़ कर इसे नियंत्रण में रखे तथा धीरे-धीरे रोग मुक्त होने का प्रयत्न करें।
1. ऐसे पदार्थ जो पेट में जलन पैदा कर सकते हैं, न खाएं।
2. मैदे से बने खादय पदार्थ न खाए।
3. उड़द की दाल से बचें।
4. घी-तेल से युक्त पदार्थ न खाएं। तले पदार्थ पूरी तरह बंद करें।
5. लाल मिर्च, तेज़ मसाले बिलकुल नहीं खाए।
6. खोया, मिठाइयां, भारी पदार्थ नहीं खाए।
7. शराब, धूम्रपान आदि का पूरा निषेध।
8. मांसाहारी भोजन से तोबा। मछली, मुर्गा, मीट त्यागना जरुरी।
9. हींग, लहसुन, राई, प्याज छोड़ दे।
10. शक्कर, चीनी, गुड़ भी न खाए।
पीलिया (जॉन्डिस) में खाना चाहिए :
पीलिया का रोगी यदि इन सब परहेजों को गंभीरता से मान लेता है, तो वह शीघ्र रोगमुक्त हो सकता है। और भी जल्दी ठीक होने के लिए, यह निम्नलिखित पदार्थों का सेवन कर सकता है। ये उसे ठीक करने में मदद करेंगे।
1. पीलिया का रोगी नारियल का पानी सेवन करे।
2. जामुन का रस ठीक रहेगा।
3. काली मिर्च, नमक, नीबू लाभकारी है।
4. मई में नमक तथा जीरा डालकर खाएं। फायदा करेगा।
5. उसका भोजन सदा हलका हो। भूख से कम खाए। ताजा बना भोजन लें। बासी व ठंडा भोजन न खाए। भोजन सुपाच्य होगा, तभी जल्दी पचेगा।
6. ऐसे रोगी को अरहर की दाल, मूंग की दाल, खिचड़ी, गेहूं चावल तथा दलिया दे।
7. जौ का पानी पिलाना बेहतर होगा।
8. भुने हुए चने भी दे सकते है।
9. शहद उपयोगी है, मगर शुद्ध हो।
10. लौकी, करेला, मूली, मीठा नीबू मौसमी अनार आदि सभी फ़ायदेमंद होते हैं।
11. बादाम, चुकंदर, पिप्पल का चूर्ण खाने को दें। मिसरी भी ठीक रहेगी।
12. रोगी के पीने के पानी पर विशेष ध्यान है। पानी खुब उबालकर तथा ठंडा करके दें। अच्छा मिनरल वाटर हो, तो ठीक।
पीलिया रोग का देसी उपचार :
यदि हम ऊपर दी गई सभी बातों को ध्यान में रखें, जो नहीं खाना उसे पूरी तरह त्याग दें तथा जो खाना चाहिए, उसे ही खाएं। हर प्रकार की सतर्कता बरतते हुए पूरे परहेज करें, तो यह रोग तेजी से ठीक हो सकता है। निम्नलिखित कुछ घरेलू उपचार भी दिए गए है, जो रोगमुक्त कर सकते है।
आइए, कुछ उपचारों को भी जानें, जिनकी अपनाने से रोग से छुटकारा पाया जा सकता है।
1. 20 ग्राम मेहंदी की पत्तियां रात को भिगोकर रखें। प्रात: छानकर रोगी को पिलाएं। 8-10 दिन तक पीने से फायदा होगा।
2. बिना छीले एक केले पर चूने का गाढा घोल लगाए। इस केले को रात भर ऐसे सुरक्षित स्थान पर रखें, जहां ओस पड़ती हो। प्रातः इस केले को छीलकर रोगी को खिलाएं। दो सप्ताह में पीलिया रोग पूरी तरह समाप्त हो जाएगा।
3. चार माशा त्रिफला पानी में उबालकर काढा बनाएं। छने काढे में दो
चम्मच शहद मिलाकर रोगी को पिलाने से फायदा होता है। इसी प्रकार कुछ दिन दोहराएं।
4. छोटी लौकी को आग की राख में दबाए। इसे पकने दे। अब इस भूनी गई लौकी का रस निकालें। इसमें रुचि के अनुसार मिसरी मिलाकर पिलाएं। यह पीलिया को ठीक करता है।
( और पढ़े – पीलिया के 16 रामबाण घरेलू उपचार )
5. लगभग आधा किलो अच्छा पका पपीता दिन में तीन बार में खाने से रोगी को बहुत फायदा होगा।
6. एक बड़ी हरड़ का चूर्ण तथा इतनी ही मात्रा से पुराना गुड़, दोनो को मिला गरम पानी से खिलाएं।
7. कुटकी पीसें इसमें मिसरी चूर्ण मिलाएं। दोनों को गुनगुने पानी से खा ले।
8. रात के समय एक गिलास पानी में एक चम्मच त्रिफला चूर्ण भिगोकर रख दें। प्रातः होने पर इस जल को छानकर पी लें। यह बहुत गुणकारी है
9. कच्चे पपीते के रस की कुछ बूदें निकालें। इसकी 8- 10 बूंदें बताशे में डालकर रोगी को खिलाएं। दो सप्ताह तक खिलाते रहने से रोग ठीक हो जाएगा।
10. नीम का रस भी उपयोगी है। इसमें शहद तथा घी मिलाकर रोगी को पिलाएं। रोग जड़ से चला जाएगा।
11. रात के समय एक गिलास पानी में एक तोता त्रिफला भिगोकर रख दें। प्रातः होने पर इस जल को छानकर पी लें। यह बहुत गुणकारी
12. 5 ग्राम गिलोय के चूर्ण को एक बड़े चम्मच शहद में मिलाकर धीरे-धीरे चटाएं।
13. एक बड़ी हरड़ की गुठली निकालकर चूर्ण बनाएं। इतनी ही मात्रा में काला नमक ले। दोनों को फांककर गरम पानी पी लें।
14. पीली हरड़ का छिलका पानी में उबालें। इसे छानकर पीने से पीलिया रोग में लाभ होता है। 15. मीठा पका हुआ आलूबुखारा प्रतिदिन 5-6 खिलाएं।
16. रात को 100 ग्राम चने की दाल भिगोएं। प्रातः 100 ग्राम गुड़ लेकर इस भीगी दाल के साथ खिलाएं। जब प्यास लगे, तो इसी दाल वाले पानी को पिलाएं। कुछ दिनो तक देते रहें।
17. तोमड़ी के एक दुकड़े को पानी में घिसें। अब इसकी 3 बूंदें नाक में निचोड़े। इसे कुछ दिन दोहराएं। आंखों का पीलापन गायब हो – जाएगा। प्राकृतिक रंग आने लगेगा। तोमड़ी को कहीं-कहीं कड़वा कडू भी कहते है।
18. हरड़ का चूर्ण देसी घी में मिलाकर खिलाएं। रोग नहीं रहेगा।
नोट :- ऊपर बताये गए उपाय और नुस्खे आपकी जानकारी के लिए है। कोई भी उपाय और दवा प्रयोग करने से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरुर ले और उपचार का तरीका विस्तार में जाने।