Last Updated on April 27, 2020 by admin
प्रभाकर वटी क्या है ? : What is Prabhakar Vati in Hindi
प्रभाकर वटी टेबलेट के रूप में उपलब्ध एक आयुर्वेदिक दवा है। इस आयुर्वेदिक औषधि का विशेष उपयोग सभी प्रकार के हृदय रोगों एवं हृदय से संबंधित रोगों के उपचार में किया जाता है। प्रभाकर वटी अधिक परिश्रम से सांस फूलना, खून की कमी, सूजन, पुरानी खाँसी आदि कई रोगों को दूर करती है।
घटक एवं उनकी मात्रा :
- स्वर्ण माक्षिक भस्म – 10 ग्राम,
- लोह भस्म शतपुटी – 10 ग्राम,
- अभ्रक भस्म शत पुटी – 10 ग्राम,
- तवाशीर असली – 10 ग्राम,
- सूर्य तापी शुद्ध शिलाजीत – 10 ग्राम,
प्रमुख घटकों के विशेष गुण :
- स्वर्णमाक्षिक भस्म : पित्तशामक, विषघ्न, रक्तबर्धक, बल्य, रसायन।
- लोह भस्म : बल्य, रक्तबर्धक, रसायन।
- अभ्रक भस्म : मज्जाधातु बर्धक, बल्य, वातपित्तशामक, रसायन।
- तवाशीर : बृंहण, बल्य, रसायन।
- शिलाजीत : रक्त बर्धक, बल्य, मेदनाशक, रसायन।
- अर्जुन छाल : हृदय बलबर्धक, वातशामक, अस्थि संधानक।
प्रभाकर वटी बनाने की विधि :
सर्व प्रथम तवाशीर का सूक्ष्म चूर्ण बनाकर उसमें भस्में मिलाकर खरल करें शिलाजीत को अर्जुनत्वक क्वाथ में घोलकर वस्त्र से छान कर उपरोक्त भस्मों में मिलाकर खरल करें । अर्जुन क्वाथ थोड़ा मिलाकर खरल करते रहें। एक दिन खरल करने के उपरान्त 250 मि.ग्रा. की वटिकाएँ बनवाकर छाया में सुखा लें।
उपलब्धता : यह योग इसी नाम से बना बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता के यहां मिलता है।
प्रभाकर वटी की खुराक : Dosage of Prabhakar Vati
एक वटिका (गोली) प्रातः सायं भोजन से पूर्व ।
अनुपान :
अर्जुनक्षीर पाक, दूध, जल।
प्रभाकर वटी के फायदे और उपयोग : Benefits & Uses of Prabhakar Vati in Hindi
हृदय रोग में लाभकारी है प्रभाकर वटी का सेवन (Prabhakar Vati Benefits in Heart Disease Treatment in Hindi)
हृदय में बहुत सी व्याधियों के कारण व्यथा होती है। उन सभी हृदय रोगों की चिकित्सा, रोगों के कारणों और व्याधि के आश्रय स्थान के अनुसार पृथकपृथक होती है। प्रत्येक हृदय रोग के लिये एक विशेष औषधि की आवश्यकता होती है। परन्तु प्रभाकर वटी एक ऐसी औषधि है जिसका प्रयोग सभी प्रकार के हृदय रोगों चाहे वह रोग हृदय की गति से सम्बन्धित हों, धमनियों से सम्बन्धित हों, वातनाडियों से सम्बन्धित हों, स्वयं हृत्पिण्ड से सम्बन्धित हों, अवरोध जन्य हों, रक्तापूर्ती जन्य हों, हृत्दुर्बलता जन्य हों, मनोद्वेग जन्य हों, सफलता पूर्वक होता है।
प्रभाकर वटी हृदय गति को नियंत्रित करती है। परन्तु हृत्पत्री की तरह उसे निम्न स्तर पर नहीं लाती। हृदय गति मन्दता में हृदय को बल प्रदान करती है, परन्तु इससे हृदय गति में किंचिद् ही वृद्धि होती है, अधिक नहीं, धमनियों में जमे हुए आम का यह पाचन करती है। हृदय वृद्धि में भी इसके सेवन से लाभ होता है, और हृदय के शूल में भी इसका प्रयोग शूल काल में नहीं विराम काल में होता है। वात नाड़ी और मनोद्वेग जन्य हृदय रोगों में यह एक सफल औषधि है।
रोगी की दशा के अनुसार इस औषधि का प्रयोग एक सप्ताह से एक वर्ष तक होता हैं।
सहायक औषधियों में हृदय चिन्तामणि रस, वृहद्वात चिन्तामणि रस, विश्वेश्वर रस, हृदयार्णव रस, शंकर वटी, कुकुभादि चूर्ण, सूक्ष्मैलादि चूर्ण में से किसी एक या दो का प्रयोग भी करवाएँ।
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उच्च रक्तचाप मिटाए प्रभाकर वटी का उपयोग (Prabhakar Vati Cures High Blood Pressure in Hindi)
उच्च रक्त चाप कोई स्वतंत्र व्याधि नहीं अपितु धमनी संर्कीणता जन्य हृदय रोग, बृक्करोग, फुफ्फुस रोग (फेफड़े के रोग), अम्लपित्त तथा चिन्ता, भय, इत्यादि तथा मानसिक उद्वेगों का लक्षण मात्र है। इसके कारण को ढूंढ कर उनकी चिकित्सा ही उच्चरक्त चाप की चिकित्सा होती है।
फुफ्फुस (फेफड़े) जन्य उच्च रक्त चाप में प्रभाकर वटी का प्रयोग नहीं होता अन्य सभी प्रकार के उच्च रक्त चाप के रोगियों में इस रसायन से लाभ होता है। एक गोली प्रातः सायं शीतल जल से भोजन से पूर्व सेवन करवाएँ।
सहायक औषधियों में रोगानुसार व्योषाद्य चूर्ण, नवक गुग्गुलु, विश्वेश्वर रस, सूक्ष्मैलादि चूर्ण सर्वतोभद्रावटी, योगोत्तमा वटी, चेतन्योदय रस, बृहद्वात चिन्तामणि रस में से किसी एक का प्रयोग भी करवाएँ लाक्षणिक चिकित्सा के लिए सर्पगन्धा वटी ,मांस्यादि क्वाथ का प्रयोग भी करवाएँ।
खून की कमी में प्रभाकर वटी के इस्तेमाल से फायदा (Prabhakar Vati Uses to Cure Anemia in Hindi)
रक्ताल्पता या पाण्डु रोग की चिकित्सा में प्रभाकर वटी एक सफल औषधि प्रमाणित हुई है। इसके सेवन से एक सप्ताह में ही पाण्डुरोग के लक्षण शमन होने लगते हैं। रोगी में रक्त, बल, वीर्य और अग्नि की वृद्धि होती है। प्रभाकर वटी, उच्च कोटी की रक्त बर्धक, मज्जाधातु पोषक, बल्य और रसायन है। पाण्डु रोगी को इसका चालीस दिनों तक सेवन करवाना चाहिए ।
सहायक औषधियों में पुनर्नवादि मण्डूर, ताप्यादि लोह में से किसी एक का प्रयोग भी करवाना चाहिए।
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किडनी रोग में लाभकारी है प्रभाकर वटी का प्रयोग (Benefits of Prabhakar Vati in Kidney Disease Treatment in Hindi)
किडनी (बृक्क) रोग में रक्तक्षय (एनीमिया ) होना एक आवश्यक लक्षण होता है, रक्त में रोग के विषों की उपस्थिति में अस्थिमज्जा में भी रक्त कणों के निर्माण में भी कमी आ जाती है। ऐसी अवस्था में प्रभाकर वटी एक गोली प्रातः सायं नारिकेल जल (नारियल पानी) से सेवन करवाने से मूत्रोत्पत्ती भी होती है, रक्त चाप भी कम होता है, रक्त वृद्धि होती है। रक्त कण निर्माण में तेजी आती है।
सहायक औषधियों में वज्रभस्म ,वेर पत्थर भस्म, वज्रवटक मण्डूर, सर्वतोभद्रावटी, कामदुधा रस, तृण पंचमूल क्वाथ एवं वरुणादि क्वाथ का प्रयोग भी अवश्य करवाएँ। चिकित्साकाल तीन मास से एक वर्ष पर्यन्त।
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सूजन दूर करने में प्रभाकर वटी फायदेमंद (Benefit of Prabhakar Vati in Swelling in Hindi)
शोथ रोग (सूजन) के सभी प्रकारों में प्रभाकर वटी का प्रयोग होता है। इसके साथ पुनर्नवाष्टक क्वाथ का अनुपान देने से तीन दिन में शोथ उतरने लगता है। पूर्ण लाभ के लिए चालीस दिनों तक प्रयोग करवाना चाहिए।
सहायक औषधियों में पुनर्नवादि मण्डूर, मण्डूर वज्र वटक, विन्ध्यवासी योग में से किसी एक का प्रयोग भी करवाएँ। मूल रोग की चिकित्सा अनिवार्य है क्योंकि शोथ रोगों का लक्षण है, स्वतन्त्र रोग नहीं।
पुरानी खाँसी में प्रभाकर वटी के इस्तेमाल से फायदा (Benefits of Prabhakar Vati in Chronic Cough Treatment in Hindi)
खाँसी (कास) यदि दो सप्ताह से अधिक समय तक लगातार बनी रहे। तो इसे जीर्ण कास कहा जाता है। प्रतिश्याय (जुकाम) , शिर शूल(सरदर्द), काश्र्य , शुष्क कास (सुखी खाँसी), अधिक समय तक खांसने से थोड़ा सा कफ निकलना, थोड़ा सा श्रम करने पर श्वास बढ़ जाना, पाण्डु (खून की कमी) ,क्षुधाल्पता इत्यादि लक्षणों में प्रभाकर वटी एक वटिका प्रातः, दोपहर, सायं मधु से चटाकर अनुपान के रूप में धारोष्ण दूध पिलाने से एक सप्ताह में लाभ मिलने लगता है। पूर्ण लाभ के लिए चालीस दिनों तक प्रयोग करवाएँ।
सहायक औषधियों में स्वर्ण वसन्त मालती रस और सितोपलादि चूर्ण का प्रयोग शीघ्र रोग निवारक प्रमाणित होता है।
प्रभाकर वटी के दुष्प्रभाव और सावधानीयाँ : Prabhakar Vati Side Effects in Hindi
- प्रभाकर वटी लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
- प्रभाकर वटीको डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।
- प्रभाकर वटी पूर्णतः निरापद औषधि है। इसके सेवन से किसी प्रकार की कोई अवांछित प्रतिक्रिया नहीं होती। यह बात अवश्यक है कि इसके घटक प्रमुखतः खनिज धातुओं की भस्में है। शतपुटी भस्में भी पूर्णत: सुरक्षित होती है। फिर भी धातुओं की भस्मों के सेवन काल में वर्णित पूर्वोपायों का पालन अवश्य करना चाहिए।
प्रभाकर वटी का मूल्य : Prabhakar Vati Price
- Dhootapapeshwar Prabhakar Vati – 60 Tab – Rs 148
- Dabur Prabhakar Vati (Pack of 3)
- Baidyanath Prabhakar Vati (80tab) (Pack of 2)
- Jamna Prabhakar Vati – 80 Tablets
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