प्रदरान्तक लौह के उपयोग फायदे और नुकसान | Pradarantak Lauh Benefits & Side Effects in Hindi

Last Updated on December 27, 2019 by admin

प्रदरान्तक लौह क्या है ? : Pradarantak Lauh in Hindi

प्रदरान्तक लौह टैबलेट के रूप में एक आयुर्वेदिक औषधि है। जिसका उपयोग सभी प्रकार के प्रदर रोग कटि (कमर) शूल, योनि शूल,पेशाब में रुकावट व जलन,रक्ताल्पता सहित कई अन्य व्याधियों के उपचार के लिए किया जाता है।

आयुर्वेद ने वातज, पित्तज, कफज, सन्निपातज चार प्रकार के प्रदर रोग की चर्चा की है यथा-
चतुर्विधं व्यासतस्तु वाताद्यैः सन्निपाततः‘-
यहां सब प्रकार के प्रदर रोग को नष्ट करने वाले गुणकारी योग- प्रदरान्तक लोह- के विषय में, ‘रस रत्नाकर’ और ‘रस योग सागर’ दो ग्रन्थों में उपलब्ध, विवरण दिया जा रहा है।

प्रदरान्तक लौह के घटक द्रव्य : Pradarantak Lauh Ingredients in Hindi

लोह भस्म
ताम्र भस्म
शुद्ध हरताल
वंग भस्म
अभ्रक भस्म
कौड़ी भस्म
सोंठ
पीपल
काली मिर्च
हरड़
बहेड़ा
आंवला
चित्रक मूल
वायविडंग
पांचों नमक
चव्य
पीपल
शंख भस्म
बच
हाउबेर
कूठ
कचूर
पाठा
देवदारु
इलायची
विधारा

सभी द्रव्य समान मात्रा में।

प्रदरान्तक लौह बनाने की विधि :

काष्टौषधियों को अलग-अलग कूट पीस कर चूर्ण करके, सब चूर्ण, समान मात्रा में और इसी मात्रा में भस्में ले कर सबको मिला लें और खरल में डाल कर, पानी का छींटा देते हुए 5-6 घण्टे घुटाई करें, फिर आधाआधा ग्राम वज़न की गोलियां बना लें।

यह विवरण ‘रस-रत्नाकर’ नामक ग्रन्थ से उद्धृत कर यहां प्रस्तुत किया गया है।

प्रदरान्तक लौह की सेवन विधि और मात्रा : Dosage of Pradarantak Lauh

एक-एक गोली सुबह-शाम घी, मिश्री और शहद के साथ लेनी चाहिए।
घी और मिश्री एक-एक भाग और शहद तीन भाग लेकर मिला लें यानी अगर घी और पिसी मिश्री 2-2 ग्राम लें तो शहद 6 ग्राम लें। गोली इस मिश्रण में मिला कर चाट लें।

प्रदरान्तक लौह के फायदे : Pradarantak Lauh Benefits in Hindi

सभी प्रकार के प्रदर रोग ठीक करे प्रदरान्तक लौह का प्रयोग

यह योग महिलाओं को सब प्रकार के प्रदर से मुक्ति दिलाता है।

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सभी प्रकार के दर्द मिटाए प्रदरान्तक लौह का उपयोग

प्रदरान्तक लौह के सेवन से रक्त पित्त, कुक्षि (कोख) शूल, कटि (कमर) शूल, योनि शूल, सब प्रकार के शूल (दर्द), मन्दाग्नि, अरुचि, रक्ताल्पता, पेशाब में रुकावट व जलन, श्वास-कास आदि व्याधियां दूर होती हैं।

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मासिक धर्म में प्रदरान्तक लौह का उपयोग फायदेमंद

प्रदरान्तक लौह के सेवन से मासिक धर्म समय पर और साफ आता है।

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शरीर में रक्त बढ़ाने में लाभकारी प्रदरान्तक लौह

इस योग की रचना इस प्रकार से सन्तुलित की गई है कि यह न सिर्फ सब प्रकार के प्रदर को ठीक करता है बल्कि लोह युक्त होने से शरीर में रक्त और बल की वृद्धि भी करता है।

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प्रदरान्तक लौह के इस्तेमाल से शरीर की कमजोरी में लाभ

श्वेत प्रदर (ल्यूकोरिया) के कारण स्त्री का शरीर कमजोर होता जाता है। प्रदरान्तक लौह इस कमजोरी को भी दूर करता है।

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पुराने से पुराने प्रदर रोग में प्रदरान्तक लौह के इस्तेमाल से फायदा

काफ़ी लम्बे समय तक प्रदर रोग बना रहे और इसके प्रभाव से आमाशय, यकृत प्लीहा आदि अंग निर्बल हो गये हों, मांसपेशियों, फुफ्फुस, वातवाहिनियों में क्षीणता आ गई हो, गर्भाशय व बीज कोष (Overies) शिथिल हो गये हों, अग्निमांद्य, अरुचि, सिर दर्द, कफ वाली खांसी, थोड़े ही परिश्रम से हृदय की धड़कन और श्वास के वेग का बढ़ जाना, कमर दर्द आदि के अलावा सफ़ेद, पीला, नीला, लाल, चिपचिपा किसी भी प्रकार का स्राव युक्त प्रदर हो, इस प्रदरान्तक लौहके सेवन से दूर हो जाता है।

प्रदरान्तक लौह की द्वितीय विधि :

प्रदरान्तक लौह का एक नस्खा ‘रस योग सागर‘ नामक ग्रन्थ में भी मिलता है जिसके घटक द्रव्य अलग ही हैं। इस विवरण को द्वितीय विधि के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं।

घटक द्रव्य :

लोह भस्म – 20 ग्राम
वंग भस्म – 10 ग्राम
शुद्ध खर्पर या जसद भस्म – 10 ग्राम
कहरवा पिष्टी – 10 ग्राम
घी में पकाया हुआ सोनागेरू – 10 ग्राम
मोचरस – 10 ग्राम
सफेद रालये – 10 ग्राम
दूब, अनार और आंवला (भावनाएं देने के लिए)।

निर्माण विधि :

सब द्रव्यों को अच्छी तरह मिला कर एक जान कर लें। दूब, अनार व आंवले के रस में इस मिश्रण को भिगो कर सुखा लें। इसे भावना देना कहते हैं। सुखाये हुए मिश्रण को फिर तीनों के रस में भिगो कर सुखा लें। यह दूसरी बार भावना देना हुआ। ऐसा सात बार करें यानी सात भावनाएं दें। सातवीं बार खूब अच्छी तरह सुखा कर शीशी में भर लें। बस, रसायन (प्रदरान्तक लौह) तैयार है।

मात्रा और सेवन विधि :

इस चूर्ण को दिन में दो बार (सुबह शाम) 3-3 रत्ती मात्रा में, पाषाणभेद मूल (जड़) के 3 ग्राम चूर्ण के साथ फांक कर ऊपर से मिश्री मिला दूध पी लें।

प्रदरान्तक लौह के लाभ :

  • ‘रस योग सागर’ और ‘रस तन्त्र सार व सिद्ध प्रयोग संग्रह’ नामक ग्रन्थों में इस रसायन की बहुत प्रशंसा की गई है और लिखा है कि अब रसायन सब प्रकार के प्रदर-रोगों को दूर कर देता है।
  • जिस प्रदर रोग को वैद्य-डॉक्टरों ने असाध्य यानी लाइलाज कह कर छोड़ दिया हो वह भी इसके सेवन से अच्छा हो जाता है ऐसा हमारा अनेक वर्षों का अनुभव है।
  • यह लोह मिश्रित योग स्त्रियों के प्रजननसंस्थान के लिए आयर्वेद का वरदान ही है जो सब प्रकार के जीर्ण (पुराने) प्रदर रोगों को दूर कर गर्भाशय को संकुचित, मज़बूत और सशक्त बनाता है।
  • इसे लाभ न होने तक निरन्तर रूप से दीर्घकाल सेवन कर स्वास्थ्य-लाभ प्राप्त करना चाहिए।

उपलब्धता :

दोनों प्रकार की विधियों से बनाया हुआ ‘प्रदरान्तक लौह’ बाज़ार में नं.एक और नं. दो के नाम से मिलता है। अधिक पुट वाली भस्मों का प्रयोग कर बनाया गया ‘प्रदरान्तक लौह विशेष’ के नाम से मिलता है जो जल्दी और ज्यादा लाभ करता है।

बाज़ार में उपलब्ध होने वाले आयुर्वेदिक शास्त्रीय योगों के नुस्खों और निर्माण विधि का विवरण हम दो कारणों से प्रस्तुत किया करते हैं। पहला कारण तो यह है कि हमारे पाठक-पाठिकाओं को यह जानकारी मिल सके कि अमुक योग में क्या-क्या द्रव्य होते हैं और उसे कैसे बनाया जा सकता है ताकि पाठकों की ज्ञानवृद्धि हो और दूसरा कारण यह कि जो खुद नुस्खा तैयार करने की रुचि व सामर्थ्य रखते हों और बनाना चाहते हों वे खुद ही बना सकें।

यह हम जानते हैं कि ऐसे लोगों की संख्या बहुत कम हो सकती है जो सही विधि-विधान के अनुसार, असली द्रव्यों से, नुस्खा खुद बना सकें पर लाखों पाठकों को आयुर्वेद का ज्ञान प्राप्त हो सके इस उद्देश्य से यह जानकारी प्रकाशित कर देना उचित ही है। हमें अनेक सुझाव और अनुरोध पढ़ने को मिलता रहता है कि अमुक योग का नुस्खा और निर्माण विधि प्रकाशित करें।

महत्वपूर्ण सूचना :

अन्त में, प्रदर रोग के विषय में एक महत्वपूर्ण सूचना देना ज़रूरी समझते हैं। यदि एक दो माह तक इस योग का सेवन करने पर भी श्वेत प्रदर या रक्त प्रदर ठीक न हो तो स्त्री-रोग विशेषज्ञा वैद्या या लेडी डॉक्टर से जांच कराना बहुत ज़रूरी हो जाता है।

गर्भाशय में कोई गुल्म (Tumor) हुआ, कर्कस्फोट (Cancer) हुआ तो इस योग के सेवन से लाभ नहीं होगा। ऐसी सूरत में चिकित्सक के निर्देशानुसार चिकित्सा कराने में विलम्ब न करें।

प्रायः होता यह है कि ऐसी कोई व्याधि होने पर पहले तो महिलाएं, खास कर कम पढ़ी-लिखी महिलाएं यह समझ ही नहीं पातीं कि उन्हें कोई रोग हो रहा है। यूं भी स्त्रियां सहनशील स्वभाव की होती हैं और छोटी-मोटी व्याधि को सहज भाव से सह लेती हैं, टालती रहती हैं। घर के कामकाज की आपा-धापी में उलझी उनकी दिनचर्या के कारण भी वे इस तरफ़ ध्यान नहीं दे पातीं।

परिणाम यह होता है कि धीरे-धीरे रोग का बल और प्रभाव बढ़ता जाता है और उनके शरीर तथा स्वास्थ्य की स्थिति कमज़ोर होती जाती है। जो समझ तो सकती हैं कि उन्हें कोई रोग हो रहा है पर संकोची और शर्मीला स्वभाव होने से वे तब तक किसी को बताती नहीं जब तक कि उनकी सहन शक्ति से बाहर न हो जाए। ये दोनों ही स्थितियां उचित नहीं। कोई भी कष्ट होने पर अपने पति को या घर में जो भी बड़ी-बूढ़ी महिला हो उन्हें फौरन सब हाल बता देना चाहिए ताकि उचित चिकित्सा की जा सके।

प्रदरान्तक लौह के नुकसान : Pradarantak Lauh Side Effects in Hindi

1- प्रदरान्तक लौह लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
2- प्रदरान्तक लौह को डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।

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