Last Updated on May 4, 2021 by admin
गर्मी के दिनो में रंगीन धूप के चश्मे पहनने का आजकल फैशन चल पड़ा है और इसकी अंधी दौड़ में गरीब व मध्यमवर्गीय युवा पीढ़ी धूप के चश्मे के फायदे-नुकसान जाने बिना ही सड़क के किनारे बिकने वाले सस्ते रंग-बिरंगे चश्मे खरीद लेती है। वे यह नहीं जानते कि चश्मे का गलत चुनाव उनकी आंखों के लिए कितना हानिकारक हो सकता है।
आंखों को राहत :
गर्मियों में चिलचिलाती तेज धूप में घर से बाहर निकलने पर आंखें गर्मी से झुलसने लगती है उनमें जलन और थकान महसूस होती है, यहां तक कि सिर दर्द, जी मिचलाहट, आंखें लाल होना जैसी तकलीफें भी हो सकती हैं। ऐसे वातावरण में अच्छी क्वालिटी के ग्लास लगे धुप के चश्मे के पहनने से न केवल आंखों को राहत मिलती है, बल्कि चेहरे की सुंदरता में भी वृद्धि होती है। अत: ऐसे चश्मों को मात्र फैशन की वस्तु मानकर उपेक्षा न करें। इनका चुनाव डॉक्टर की सलाह से किया जाए तो अच्छा रहता है। हां, फ्रेम का चुनाव आप अपने चेहरे के अनुसार तथा अपनी सूझबूझ से कर सकते है।
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वैसे तो प्रकृति ने आंखों की रक्षा के लिए बरौनियां तथा पलकें प्रदान की हैं, लेकिन हमें इन्हें तेज धूप व प्रकाश से, तेज हवा के झोंकों व कचरा, धुल आदि जाने से बचाने के लिए अच्छी कंपनियों के शीशे से बने चश्मों का प्रयोग कर सकते हैं, इसके बजाय घटिया चश्मा पहनकर हम आंखों को फायदा पहुंचाने के बदले नुकसान ही पहुंचाते है।
सड़कों के किनारों (फुटपाथ) पर बिकने वाले चश्मों में अकसर कांच का इस्तेमाल किया जाता हैं जो खिड़कियों में लगाने के काम में आते है। ये कांच सूर्य की किरणों के साथ आने वाली पैराबैंगनी किरणों को रोक नहीं पाते और वे सीधी आँखों पर बुरा असर डालती है। इसके अलावा ये तेज गर्मी में काफी गर्म होकर आंखों को नुकसान पहुंचाते है।
जर्मन ट्रिब्यून में प्रकाशित डॉक्टरों की एक रिपोर्ट के अनुसार रंगीन कांच सुरक्षा बढ़ाने वाले नहीं होते। और जहां तक वाहन के रंगीन ग्लासों का सवाल है, इन्हें डॉक्टरी दृष्टि से तभी ठीक समझा जा सकता है, जब तक कि ये आंशिक तौर पर ही रंगीन हों।
अंध रोग प्रसार निरोधक राष्ट्रीय समिति ने लोगों को चेतावनी दी है कि घरों और गलियों में धूप से बचाव करने वाले चश्मों का प्रयोग न करें, उससे उनकी नेत्र ज्योति कम को सकती है।
उत्तम चश्मे :
अच्छी किस्म के रंगीन धूप के चश्मों में क्रक्स और क्राउन ग्लास का उपयोग किया जाता है, जो सूर्य की पराबैगनी किरणों को शोषित कर लेता है और आंखों तक उन्हें नहीं पहुंचने देता। इस कारण आंखों को नुकसान होने से बच जाता है।
चश्मे के ग्लास के विभिन्न प्रकार :
क्रूक्स और क्राउन ग्लासेस सादे, रंगहीन, रंगीन मिलते है। मिरर, फोटोक्रोमिक और पोलराइज्जड किस्मे भी उपलब्ध होती हैं। मिरर कांच की यह विशेषता होती है कि इसमें से सामने वाले को आपकी आंखे दिखाई नहीं पड़ती, जबकि पहनने वाला दूसरों को आसानी से देख सकता है। फोटोक्रोमिक कांच की विशेषता यह होती है कि जहां ये छांव में एक सामान्य कांच की तरह पारदर्शक होते हैं, वहीं धूप में जाने पर भरे, हरे या स्लेटी रंग के होकर गॉगल का कार्य करने लगते है। इससे नम्बर के चश्मा लगाने वालों को दो चश्मे रखने की दिक्कत से छुटकारा मिल जाता है। यही कारण है कि आजकल इनका प्रयोग काफी बढ़ गया है तथा वे महंगे कांच होते है। पोलराइज्ड कांच बहुत महंगे होने के कारण अभी इनका उपयोग बढ़ा नहीं है। ये अधिकतर बर्फ या पानी पर पड़ने वाली धूप को चमक से बचाव करते हैं।
चश्मे के फ्रेम तीन प्रकार के उपलब्ध होते हैं-प्लास्टिक, सिलोलोज़ नाइट्रेट तथा स्टील, चांदी या सोने के पालिश चढ़े हए। जहां प्लास्टिक का फ्रेम सबसे सस्ता होता है, वहीं स्टील का फ्रेम सबसे महंगा। प्लास्टिक के फ्रेम जल्दी ही टूट जाते हैं। तेज धूप को गर्मी के असर से ढीले भी हो जाते है। बहुत से लोगों को जो फ्रेम सबसे उत्तम लगते है, वह सिलोलोज नाइट्रेट के होते हैं। ये ढीले नहीं होते। लचीले होने के कारण टूटते नहीं और काफी दिन तक चलते हैं। इसमें अनेक किस्में उपलब्ध होती है। फ्रेम न ज्यादा तंग हो और न ज्यादा ढीला ही हो अन्यथा सिरदर्द पैदा हो जाएगा या गिर जाने का डर बना रहेगा।
फ्रेम का आकर व साइज इस प्रकार का पसंद करें कि चेहरे पर अच्छा लगें। फैशन के अनुरूप आप मनचाहे आकार-प्रकार में इसे चुन सकते है। पर इतना ध्यान रखें कि छोटे चेहरे पर काफी बड़े और इसके विपरीत बड़े चेहरे पर काफी छोटे फ्रेम का प्रयोग न करें अन्यथा भद्दे लगेगें। वाहन चलाने वालों को बड़े फ्रेम का चश्मा पहनना सुविधाजनक होता है, क्योंकि इससे उनकी आखों की धुल और हवा से रक्षा हो जाती है।
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- चुनाव करते समय कांच का रंग और फ्रेम के रंग में मेल हो सके, इसका भी ध्यान रखे। सामान्यतया हरे रंग का कांच सभी को अनुकूल लगता है।
- फैक्ट्री में काम करने वालों को लाल, नीले रंग के ग्लास पहनना उपयुक्त होता है।
- पावर का चश्मा पहनने वालों को फोटोक्रोमिक कांच का इस्तेमाल करना अच्छा होता है।
- हल्के शेड के कांच के प्रयोग से धूप में और घर के कम रोशनी वाले स्थान में भी अच्छी तरह से देखा जा सकता है।
जहां तक हो सके, धूप के चश्मों का प्रयोग केवल धूप में जाते समय ही करें। छाया में बैठकर हमेशा इनका इस्तेमाल करना ठीक नहीं, साथ ही चश्मे को हर किसी को न देते फिरें और न ही दूसरों का चश्मा इस्तेमाल करें। इससे एक तो फ्रेम ढीला होने का अंदेशा रहता है, दूसरे आँखों में संक्रामक रोग फैल सकते है। कांच में धब्बे, निशान, खरोंच आदि के निशान न हो, इसका ध्यान रखें। किसी स्थिर वस्तु को देखकर चश्मे के फ्रेम ऊपर नीचे हिलाए। यदि वह भी हिलती-डुलती नजर आए, तो ऐसा धूप का चश्मा न खरीदें। यह आंखों को नुकसान पहुंचाएगा। स्थिर वस्तु बिलकुल न हिले-डुले वही चश्मा लें।
उपरोक्त बातो को ध्यान में रखते हए यदि आप धूप का चश्मा खरीदेंगे, तो नुकसान नहीं होगा और आंखों की सुरक्षा भी पूरी तरह कायम रहेगी।