Last Updated on November 15, 2021 by admin
करामाती रेशे (फाइबर) : Fiber ka Mahatva in Hindi
बहुत कम लोग ऐसे आहार के महत्त्व को समझते हैं, जिसमें रेशे काफी अधिक मात्रा में उपलब्ध हों। वनस्पतियों से प्राप्त होनेवाले खाद्य पदार्थों का यह घटक यद्यपि हजम नहीं हो पाता; किंतु अच्छे स्वास्थ्य के लिए यह बहुत जरूरी होता है। मानवों की पाचन प्रक्रियाओं (एंजाइमों) का इन पर कोई असर नहीं हो पाता। इसलिए बिना खंडित हुए ये अँतड़ियों के रास्ते बे-रोक-टोक गुजर जाते हैं। यद्यपि इनमें पोषक तत्त्व मौजूद नहीं होते , किंतु वैज्ञानिक प्रमाणों से यह अच्छी तरह सिद्ध हो चुका है कि यदि संतुलित मात्रा में इनका सेवन किया जाए, तो यह काफी कारगर सिद्ध हो सकते हैं।
ऐसे कई समुदाय-गत अध्ययन किए गए, जिनके अंतर्गत अलगअलग खानपान और उनके साथ जुड़ी अलग-अलग किस्म की बीमारियों की छानबीन की गई। इन अध्ययनों से यह पुष्टि हुई है कि हम अपने भोजन में कितने रेशेदार खाद्य पदार्थ लेते हैं, इसका हमारे स्वास्थ्य पर सीधा और गहरा असर पड़ता है।
आइए रेशायुक्त आहार से होने वाले लाभ आपको बताएं |
रेशायुक्त (फाइबर युक्त) खाद्य पदार्थ के फायदे : Fiber ke Fayde in Hindi
- आज इस बात के पर्याप्त प्रमाण उपलब्ध हैं कि भोजन में रेशों की कम मात्रा रहने से व्यक्ति कई प्रकार के शारीरिक रोगों का शिकार हो सकता है, जैसे—कब्ज, अँतड़ियों की खराबी, पित्ताशय की पथरी, बड़ी आँत का कैंसर, डायबिटीज, मोटापा और हृदय-रोग। किंतु जो लोग अपने रोजमर्रा के आहार में रेशेदार चीजें काफी मात्रा में ग्रहण करते हैं उनके मामले में, यदि कोई और कारण मौजूद न हो, तो उक्त बीमारियाँ प्रायः सिर नहीं उठा पातीं।
- कोई यदि रेशेदार खाद्य पदार्थ नहीं लेता रहा है, तब भी कुछ नहीं बिगड़ा। अब भी वह प्राकृतिक रेशेदार खाद्य पदार्थ, जैसे-ताजे फल, सब्जियाँ और साबुत अनाज लेने लगे तो उसके स्वास्थ्य में बेहतरी आ सकती है। ( और पढ़े – भोजन करते समय कही आप भी तो नही करते यह गलती )
- अध्ययनों में पाया गया है कि आहार में रोजाना 30 ग्राम रेशे लेते रहने से रक्त-शुगर और कोलेस्ट्रोल को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है।
- आमतौर पर कार्बोहाइड्रेट की अधिक मात्रावाला भोजन लेने से उसके हजम और जज्ब होने के फौरन बाद खून में ग्लूकोस का स्तर अचानक बढ़ जाता है। पर भोजन में रेशेदार चीजें हों तो ग्लूकोस धीमी गति से जज्ब होता है और खून में ग्लूकोस की मात्रा अचानक नहीं बढ़ती। रेशों का इस्तेमाल शुगर के रोगियों के इलाज के तौर पर भी किया जा रहा है। डॉक्टर ऐसे रोगियों को खाने के बाद गुआर की गोंद लेने की सलाह देते हैं। यह एक रेशेदार पदार्थ है। इसके इस्तेमाल से संतोषप्रद परिणाम देखने को मिले हैं।
- रेशे कोलेस्ट्रोलयुक्त पित्त अम्लों पर नियंत्रण रखने में भी मदद करते हैं। वे मल के जरिए पित्त को ज्यादा मात्रा में खारिज करने में सहायक होते हैं। इस प्रकार यह प्रक्रिया पित्ताशय में पथरी बनने से बचाव करती है और इससे आँत में स्वस्थ जीवाणुओं को बनाए रखने में भी मदद मिलती है। ( और पढ़े – भोजन करने के 33 जरुरी नियम )
- संतुलित मात्रा में खाद्य पदार्थ लेने से रक्त में कोलेस्ट्रोल की मात्रा को कम करने में भी मदद मिलती है। इसके परिणामस्वरूप दिल की धमनियों की तकलीफ पैदा होने की संभावनाएँ कम हो जाती हैं। रेशों के इस्तेमाल से कैलोरी की मात्रा में वृद्धि नहीं होती और मोटापे से भी आदमी बचा रहता है जो कि स्वयं बहुत सी तकलीफों का कारण होता है।
- भोजन में रेशों की पर्याप्त मात्रा रहने से मल को मलाशय तक पहुँचाने में मदद मिलती है। छोटी आँत से भोजन तेजी से आगे बढ़ पाता है और बड़ी आँत के भीतर का दबाव कम हो जाता है। इससे कब्ज की शिकायत नहीं होती और मलाशय के कैंसर से भी बचाव रहता है। ( और पढ़े – पत्तल में भोजन करने के है अदभुत लाभ )
- स्वास्थ्यकर पौष्टिक शाकाहारी भोजन में रेशे पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होते हैं। ताजा फल और सब्जियाँ (जहाँ कहीं संभव हो छिलकों सहित), पूरा अनाज और दालें आदि खाने में स्वादिष्ट होते हैं और हजम भी जल्दी होते हैं। फलों में नाशपाती, अलूचे, अंगूर, सेब, केला और संतरा इस दृष्टि से अधिक उपयोगी हैं।
- सब्जियों में सभी पत्तेदार सब्जियाँ, फलियाँ, पत्ता गोभी, मटर, गाजर, हरी मिर्च, शलजम और करेला काफी फायदेमंद होते हैं। चोकरयुक्त आटे के भी यही गुण हैं। जबकि मैदे में ये गुण न के बराबर हैं। इसलिए डबल रोटी का ही शौक रखते हों तो मैदे की बजाय चोकरयुक्त आटे की (होल व्हीट ब्रेड) ही खाएँ। प्रोसेस्ड फूड, खासतौर पर हैमबरगर आदि, जैसे फास्ट फूड से बचें।
( और पढ़े –भोजन बनाते समय इन बातों का रखे ध्यान रहेंगे सदा तंदरुस्त )
खाद्य और पेय पदार्थों में रेशा – जितना ज्यादा, उतना अच्छा
खाद्य पदार्थ में रेशायुक्त होने से नुकसान : Fiber ke Nuksan in Hindi
लेकिन किसी भी चीज की अति नुकसानदेह ही होती है। बहुत अधिक रेशे लेने से उदरवायु, पेट-फुलाव, यहाँ तक कि दस्त लगने तक की नौबत आ सकती है। इसलिए यदि आप भोजन में रेशों की मात्रा बढ़ाना चाहते हैं, तो उसे धीरे-धीरे बढ़ाएँ। इससे आपके जिस्म को उसका आदी होने के लिए समय मिल जाएगा।