Last Updated on May 25, 2022 by admin
सूखा रोग (रिकेट्स) क्या है ? (Rickets in Hindi)
सूखा रोग (रिकेट्स) ज्यादातर उन बच्चों में होता है, जिनके शरीर में विटामिन `डी´ और कैल्शियम की कमी होती है। यदि पाचन-क्रिया (भोजन हजम करने की क्रिया) खराब होती है, तो बच्चों को दूध और अन्य ठोस पदार्थ आसानी से नहीं पच पाते हैं। ऐसी हालत में बच्चे का शरीर बिल्कुल सूख जाता है और कमर भी बिल्कुल पतली पड़ जाती है। बच्चा हर समय रोता रहता है। उसे पतले दस्त होने लगते हैं तथा दोनों ओर के स्तनों का मांस भी सूखता चला जाता है। त्वचा में झुरियां पड़ जाती हैं। यह रोग कुपोषण (कमजोरी), जिगर की खराबी और बच्चे को डराने के कारण हो जाता है।
विभिन्न भाषाओं में सूखा रोग (रिकेट्स) के नाम :
- हिंदी – सूखा रोग
- मराठी – मृदादोष
- तमिल – कन्नम कन्नई
- असमी – फक्करोग
- तेलगु – पित्तबरुटा
- अंग्रेजी – रिकेट्स
- गुजराती – सुखारोग
- कन्नड़ – अल्लेरोग, कूटिलवात
- मलयालम – काना
सूखा रोग (रिकेट्स) के लक्षण (Rickets ke Lakshan)
अगर बच्चा एक साल का हो जाने पर भी खडे़ होने में असमर्थ (खड़ा न हो सके) हो तो ऐसी हालत में बच्चे को सूखा रोग (रिकेट्स) होने की संभावना ज्यादा रहती है। बच्चे को उठने या बैठने में परेशानी, उदर विकार (पेट की बीमारी), खांसी-जुकाम, माथे पर पसीना, शिरगत तालु या कलान्तराल (फोन्टेनेल) का देर से भरना, दांतों का सफेद होना या दूध के दांतों का देर से निकलना, उदर (पेट) में गैस भरना, हाथ-पैरों की वक्रता (टेढ़ा-मेढ़ा) होना, विकृत वक्ष (छाती में खराबी) इस रोग के सामान्य लक्षण हैं।
सूखा रोग (रिकेट्स) के कारण और प्रकार (Rickets Rog ke Karan)
यह रोग पांच प्रकार का माना गया है –
- पहले प्रकार का रोग : सूखा रोग मिथ्या आहार-विहार (दूषित भोजन के कारण) के कारण होता है। इस भोजन से वातादि दोष (पेट में गैस) मां के दूध को भी दूषित कर देते हैं। उस दूध के पीने का असर बच्चे के शरीर रस, खून मांस, मेद (पेट) आदि पर पड़ता है और बच्चा सूखने लगता है।
- दूसरे प्रकार का रोग : बच्चे के बढ़ने के लिए अच्छे भोजन की जरूरत पड़ती है। मां के दूध में ये तत्व पूरी मात्रा में नहीं होते हैं अथवा अन्न और दूध दोनों का सेवन करने वाले बच्चों को पौष्टिक तत्त्वों से युक्त भोजन नहीं मिलता और रोगी सूखने लगता है।
- तीसरे प्रकार का रोग : फेफड़ों के विकार बच्चे के रोगों का कारण उसे कफ (बलगम), खांसी, प्रभृति विकारों की वृद्धि होना है। सही उपचार न हो पाने के कारण रोग बढ़ते जाते हैं और बच्चे का शरीर सूखता चला जाता है।
- चौथे प्रकार का सूखा रोग : यह रोग अक्सर दूषित अन्न खाने वाले बच्चों को होता है। खराब भोजन के करने से किसी बुरे रोग का लगना और सही उपचार न हो पाने के कारण रोग पुराना हो जाने के कारण शरीर के अंगों का खराब हो जाना इस रोग का मुख्य कारण हैं।
विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों द्वारा सूखा रोग (रिकेट्स) का उपचार (Rickets ka Ilaj in Hindi)
1. टमाटर : बच्चे को कच्चे लाल टमाटर का रस एक महीने तक रोजाना पिलाने से सूखा रोग (रिकेट्स) में आराम आता है और बच्चा सेहतमंद और अच्छा हो जाता है। सूखा रोग में टमाटर का सेवन बच्चों के लिए बहुत ही लाभकारी है।
2. अंगूर : अंगूर का रस जितना ज्यादा हो सके बच्चे को पिलाना लाभकारी है। इस रस को टमाटर के रस के साथ मिलाकर पिलाने से भी बच्चा सेहतमंद और तन्दुरुस्त होता है।
3. बादाम : रात को तीन बादाम भिगोकर और सुबह उसे पीसकर दूध में मिलाकर बच्चे को पिलाने से सूखा रोग (रिकेट्स) ठीक हो जाता है।
4. अमचूर : अमचूर को भिगोकर उसमें शहद मिलाकर रोजाना दो बार बच्चे को चटाने से सूखा रोग में आराम आता है।
5. बैंगन : बैंगन को अच्छी तरह से पीसकर उसका रस निकालकर उसके अंदर थोड़ा सा सेंधानमक मिला लें। इस एक चम्मच रस को रोजाना दोपहर के भोजन के बाद कुछ दिनों तक बच्चे को पिलाने से सूखा रोग (रिकेट्स) में आराम आता है।
6. नागरमोथा : नागरमोथा, पीपल, अतीस और काकड़ासिंगी को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर चूर्ण बना लें। फिर इस चूर्ण में से एक चुटकी चूर्ण लेकर शहद के साथ बच्चे को चटाने से बुखार, अतिसार (दस्त), खांसी तथा सूखा रोग (रिकेट्स) दूर हो जाता है।
7. पीपल :
- लगभग 1-1 चुटकी वंशलोचन, पीपल और चिरायता के चूर्ण को सुबह-शाम शहद के साथ बच्चे को चटाने से सूखा रोग (रिकेट्स) ठीक हो जाता है।
- पीपल, सोंठ, शहद, छोटी इलायची और सेंधानमक को बराबर मात्रा में पीसकर एक-एक चुटकी सुबह-शाम बच्चे को चटाने से बच्चों के हर प्रकार के रोग दूर होते हैं।
8. चीवां : चीवें की जड़ के लेप से सुबह-शाम रीढ़ की हड्डी पर मालिश करने से सूखे का रोग (रिकेट्स) समाप्त हो जाता है।
9. मजीठ : लगभग 125 ग्राम मजीठ, 20 ग्राम छड़ीला सुगंधवाला, 20 ग्राम नागरमोथा, 20 ग्राम हल्दी, 6-6 ग्राम लौंग, सोंठ, तज, जायफल, दारूहल्दी, अदरक की घुंघचू, पीपल, 40 ग्राम कचूर, 10-10 ग्राम चंदन का बुरादा, लाल चन्दन और 3 ग्राम कपूर को लेकर इसमें 4.5 लीटर पानी मिलाकर काढ़ा बना लें। जब यह काढ़ा एक लीटर रह जाये तो इसमें 500 मिलीलीटर तिल का तेल डालकर पका लें। जब काढ़ा जल जाये और सिर्फ तेल ही रह जाये तो उतारकर छान लें। अब इसमें लाल रतन जोत पीसकर डाल दें और छान लें। इसमें कपूर डालकर शीशी में रख लें। यह लाल तेल सूखा नाशक है। इस तेल से मालिश करने से ज्वर (बुखार), बदन का दर्द, चमड़ी की सिकुड़न और कमजोरी दूर होती है।
10. जामुन : एक चम्मच जामुन का सिरका पानी में मिलाकर बच्चे को पिलाने से बच्चे की तिल्ली (जिगर) बढ़ा हुआ ठीक हो जाता है।
11. कालीमिर्च : कंधारी, कच्ची फिटकरी, कालीमिर्च, अनार के फूल, आम की गुठली का गूदा, वंशलोचन, मोचरस पठानी लोध्र, जायफल, पेठे के बीज की गिरी को थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर पानी के साथ पीस लें। फिर इसकी सरसों के दाने से थोड़ी सी बड़ी गोलियां तैयार कर लें। इस एक गोली को रोजाना सुबह और शाम गाय के दूध के साथ देने से सूखा रोग (रिकेट्स) कुछ समय में ठीक हो जाता है।
12. मकोय : मकोय के पत्तों का रस रोजाना सुबह और शाम बच्चे को पिलाने से सूखा रोग (रिकेट्स) में लाभ होता है।
13. शहद : मां के दूध में शुद्ध शहद को मिलाकर बच्चे को 20-25 दिन तक रोजाना पिलाना चाहिए। इससे बच्चों का सूखा रोग ठीक हो जाता है।
14. केसर : सुबह सूरज उगने से पहले काली गाय का 10 मिलीलीटर गौमूत्र और 10 ग्राम केसर लें। केसर को गाय के गौमूत्र में मिलाकर शीशी में भर लें। 6 महीने तक के बच्चों को इसकी 5 बूंदें और उसके ऊपर की उम्र के बच्चे को 8 बूंदे सुबह और शाम मां के दूध के साथ देने से सूखा रोग (रिकेट्स) मिट जाता है।
15. गिलोय : हरी गिलोय के रस में बालक का कुर्त्ता रंगकर सुखा लें और यह कुर्त्ता सूखा रोग से पीड़ित बच्चे को पहनाकर रखें। इससे बच्चा कुछ ही दिनों में सही हो जायेगा।
16. भैंस का गोबर : भैंस का ताजा गोबर लेकर सुबह-शाम बच्चे के कंधों और कमर में 5 मिनट तक अच्छी तरह से लेप कर दें। पांच मिनट के बाद गर्म पानी से अच्छी तरह धोने से कमर पर काले रंग के छोटे-छोटे कांटे दिखाई देगें। जल्दी से इन्हें निकाल लें। कुछ दिनों के बाद कांटे निकलने बन्द हो जायेंगे और बच्चा बिल्कुल ठीक हो जायेगा।
17. आम : एक चम्मच अमचूर को भिगोकर उसमें दो चम्मच शहद मिलाकर बच्चे को नित्य दो बार चटाने से सूखारोग ठीक हो जाता है।
18. मुलहठी : 6 ग्राम मुलहठी, लगभग 3 ग्राम इलायची, 3 ग्राम दालचीनी, 3 ग्राम तुलसी के पत्ते, 3 ग्राम वंशलोचन, आधा ग्राम केसर, 6 ग्राम मिश्री को पीसकर तुलसी के रस में मिलाकर आधा ग्राम की गोली बनाकर मां के दूध के साथ 3 से 4 बार बच्चे को देने से सूखा रोग (रिकेट्स) दूर हो जाएगा।
19. गूलर : 5 बूंदें गूलर के दूध की 1 बताशे पर डालकर खिलाने से बच्चों में सूखे का रोग (रिकेटस) ठीक हो जाता है।
20. खजूर : बच्चों के सूखा रोग में खजूर और शहद को बराबर की मात्रा में मिला कर दिन में दो बार कुछ हफ्ते तक खाना चाहिए। इससे सूखा रोग ठीक हो जाता है।
21. अनन्तमूल : अनन्तमूल की जड़ और बायबिडंग का चूर्ण बराबर की मात्रा में मिलाकर आधे चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम सेवन कराने से बच्चे का स्वास्थ्य सुधरता है।
22. अनार : अनार की कली 25-25 ग्राम, आटे में बंदकर पुटपाक विधि से रस निकाल लें। इस रस को थोड़े से दूध के साथ नित्य पिलाने से बच्चों का सूखा रोग दूर हो जाता है।
23. पत्थरचटा :
- पत्थरचटा की जड़ को पानी में पीसकर आधा ग्राम कालीमिर्च मां के दूध के साथ पिलाने से 3 दिनों में ही सूखा रोग (रिकेट्स) दूर हो जायेगा।
- पत्थरचटा की जड़ को साबुत ही उखाड़कर अच्छी तरह पीस लें। फिर उसमें से आधा चम्मच रस बच्चे को सुबह और शाम पिलाने से सूखा रोग (रिकेट्स) में लाभ होता है।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)