Last Updated on August 7, 2020 by admin
किस रोग में कौनसी आयुर्वेदिक (शास्त्रीय) दवा लाभप्रद : Rog Anusar Ayurvedic Medicine Name List in Hindi
यहाँ पर विभिन्न रोगों पर प्रभावकारी आयुर्वेदिक (शास्त्रीय) औषधियों का संक्षिप्त में उल्लेख किया जा रहा है। इनका सेवन करने से पूर्व किसी सुयोग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श अवश्य कर लेना चाहिए । इस विषय में सतर्कता की आवश्यकता है।
बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।
औषधि सेवन का समय मात्रा आदि की जानकारी एवं पथ्य आदि के विषय में चिकित्सक के परामर्शनुसार ही चलना चाहिए।
ज्वर (बुखार) आदि में उपयोगी आयुर्वेदिक दवा :
विषम ज्वर (मलेरिया) – सुदर्शन चूर्ण, विषम ज्वरान्तक लौह, सत्व गिलोय, ज्वराकुंश रस, अमृतारिष्ट आदि।
वात श्लैष्मिक ज्वर (इन्फ्लूएन्जा) – त्रिभुवनकीर्ति संजीवनी वटी, लक्ष्मी विलास रस, अमृतारिष्ट, पीपल 64 प्रहरी आदि ।
श्लीपद, हाथीपाँव, फीलपाँव, फाइलेरिया – नित्यानन्द रस, मल्ल सिन्दूर आदि।
जीर्ण ज्वर व अन्य ज्वर – स्वर्ण बसन्त मालती, सितोपलादि चूर्ण, अमृतारिष्ट, मृत्युंजय रस, आनन्द भैरख रस, गोदन्ती भस्म, सर्व ज्वरहर लौह, संजीवनीवटी, ज्वराकुंश रस, महालाक्षादि तेल आदि।
दमा, श्वास-कास, फेफड़ों की कमजोरी आदि में उपयोगी आयुर्वेदिक दवा :
तमक श्वास (दमा) – च्यवनप्राश अवलेह, सितोपलादि चूर्ण, श्वास-कास चिन्तामणि, कनकासव, वासावलेह, वासारिष्ट, अभ्रक भस्म, मयूर, चन्द्रिका भस्म, संजीवनी आदि।
कास रोग (कफ या खाँसी) – वासावलेह, वासारिष्ट, खदिरादिवटी, मरिचादि वटी, लवंगादि वटी, त्रिकुटु चूर्ण, द्राक्षारिष्ट, एलादि वटी, तालीसादि चूर्ण कफकेतु रस, अभ्रक भस्म, बबूलारिष्ट तथा श्रृंगाराभ्र रस इत्यादि ।
उर्ध्वरक्त पित्त (कफ के साथ या वमन में खून आना) – कामदुआ रस (मौ.यु.) कहरवापिष्टी, प्रवालपिष्टी, वासावलेह, वासारिष्ट, बोलबद्ध रस, बोल पर्पटी, रक्तपित्तांतक लौह, कुष्माण्ड अवलेह आदि ।
राजयक्ष्मा (टयूबरक्यूलोसिस) – स्वर्ण बसन्त मालती, लक्ष्मी विलास रस (नारदीय), मृगांक रस, वृहत श्रृंगाराभरस, राजमृगांक रस, वासावलेह, द्राक्षासव, च्यवनप्राश अवलेह, महालक्ष्मी विलास रस आदि ।
पार्श्वशूल (प्लूरिसी अर्थात फेफड़ों में पानी भरना) – लक्ष्मी विलास रस (नादरीय) स्वर्ण बसन्त मालती, मृगश्रृंग भस्म, रससिन्दूर आदि ।
हिक्का रोग ( हिचकी आना) – सूतशेखर (स्वर्णयुक्त), मयूर चन्द्रिका भस्म, एलादि चूर्ण एलादिवटी आदि।
उदर रोगों में उपयोगी आयुर्वेदिक दवा :
बदहजमी, पेटदर्द, भूख न लगना, अजीर्ण, पेट फूलना व वायुगोला आदि – हिंग्वाष्टक चूर्ण, शंख वटी, रसोनवटी, नमक सुलेमानी चूर्ण, अष्टांग लवण चूर्ण चित्रकादिवटी, लवणभास्कर चूर्ण, कुमार्यासव, पिपल्यासव, अर्क सौंफ व अर्क अजवाईन आदि।
अम्लपित्त (खट्टी डकारें आना, गले व छाती में जलन आदि – अविपित्तकर चूर्ण, धात्रीलौह, प्रवाल पंचामृत, लीला विलास रस, सूत शेखर रस, कामदुधारस, चन्द्रकला रस, शृंगराजासव एवं स्वर्जिका क्षार आदि।
शूल एवं परिणाम शूल (तीव्र चुभन वाला दर्द) – जो कि पीठ व गुप्तांग की ओर बढ़ता है, उल्टी होना, खाली पेट होने के समय दर्द अधिक होना, दस्त काला आने में शंखवटी, महाशंख वटी शंख भस्म, शतावरीघृत, हिंग्वाष्टक चूर्ण, रसोवटी तथा अभ्रक भस्म आदि।
यकृत (लीवर) व प्लीहा (स्पलीन) के रोगों पर (पीलिया, खून की कमी, जिगर बढ़ना, पेट दर्द जी-मिचलाना आदि) – लोहासव, आरोग्य वर्द्धिनीवटी, रोहिताकारिष्ट, पुनर्नवारिष्ट, यकृत प्लीहारीलौह, कान्तिसार, पिपल्यासव, चन्द्रकला रस, स्वर्णसूत शेखर रस, एवं पुनर्नवामाण्डूर आदि ।
उदरकृमि – विडंगासव, विडंगारिष्ट, कृमिकुठार रस आदि ।
आध्यमान (वायु अधिक बनना व उससे उत्पन्न अन्य विकार) – हिंग्वाष्टक चूर्ण, कुमासव, रसोनवटी, लवणभास्कर चूर्ण आदि।
कब्ज (दस्त साफ न होना) – त्रिफला चूर्ण, स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण, पंचसकार चूर्ण, इच्छा भेदी रस, नारायण चूर्ण, माजून मुलैयन आदि।
प्रवाहिका दस्त अधिक लगना (पतले दस्त, आँव, मरोड़) – कुटजारिष्ट, रसपर्पटी, जातिफलादि चूर्ण, जाति फलादि वटी, कपूररस, लाईसस व लवणभास्कर चूर्ण आदि।
ग्रहणी रोग (आँतों की बीमारियाँ) – स्वर्ण पर्पटी, प्रवाल पंचामृत, जातिफलादि चूर्ण, रसपर्पटी, ग्रहणी कपाटरस, पिप्पलयासव, जीरकाद्यरिष्ट, पंचामृत, पर्पटी तथा कुटजारिष्ट आदि।
खूनी दस्त, पेचिश, मरोड़ आदि – कपूररस, मुस्तकारिष्ट, कुटजारिष्ट, जातिफलादि चूर्ण, गंगाधर चूर्ण, लवणभास्कर चूर्ण एवं बोलबद्ध रस आदि।
छर्दि (उल्टी, हैजा) आदि पर – सूतशेखर रस, मयूरचन्द्रिका भस्म।
अर्श (बबासीर) – अभयारिष्ट, अर्श कुठार रस, त्रिफला चूर्ण, कासीसादि तेल, गूगल आदि।
खून रोकने के लिए (रक्त स्तम्भक) – रक्त स्तम्भक, बोलबद्ध रस ।
हृदय रोग एवं रक्त रोग में उपयोगी आयुर्वेदिक दवा :
हृदय की कमजोरी (धड़कन बढ़ना, पसीना अधिक आना, घबराहट होना, मुँह सूखना आदि) – अर्जुनारिष्ट, जवाहरमोहरा, हृदयावर्णरस, नागार्जुनाभ्ररस, मुक्तापिष्टी, मुक्ताभस्म, खमीरा गावजबां व दावा उलमिस्क (मोतदिल) आदि।
उच्चरक्त चाप (हाईब्लड प्रैशर) – सर्पगंधाघनवटी, रसोनवटी, सूतशेखर रस (स्वर्णयुक्त) व मोती (मुक्तापिष्टी)।
पाण्डुरोग (खून की कमी) – पुनर्नवादिमण्डूर, मण्डूर भस्म लोहासव, कान्तिसार नवायसलौह, ताप्यादि लौह आदि।
कमला (पीलिया) – आरोग्य वर्धिनीवटी, अविपत्तिकर चूर्ण, रोहितकारिष्ट, चन्द्रकलारस, प्रवाल पंचामृत आदि।
शरीर की सूजन पर – पुनर्नवारिष्ट, युनर्नवामंडूर, शोथरिलौह, दुग्धवटी (शोथ) आदि।
मूत्र रोगों (गुर्देव मूत्राशय आदि के रोगों) में उपयोगी आयुर्वेदिक दवा :
वृक्कशोथ (गुर्दे की सूजन) पर – पुनर्नवामन्डूर, स्वर्ण बसन्त मालती, शुद्ध शिलाजीत, गोक्षुरादि, गूगल आदि।
पथरी पड़ना – गोक्षुरादि गूगल, चन्द्रप्रभावटी, शिलाजित्वादि लौह आदि।
प्रमेह, पेशाब की जलन, गर्मी, पेशाब के रास्ते की सूजन, पेशाब में मवाद व खून आना आदि पर – चन्दनासव, चन्दनादि वटी, गोक्षुरादि गूगल, उशीरासव, प्रवापिष्टी, स्वर्णबंग, सुपारी पाक, त्रिवंग भस्म, देवदाारिष्ट आदि।
अधोरक्तपित्त (पेशाब में खून जाना) – गोक्षुरादि चूर्ण, गुडुची सत्व, शुद्ध शिलाजीत, बोलबद्ध, रक्तस्तम्भक कामदुधा (मो०यु०) (मस्तिष्क की कमजोरी व बीमारियाँ एवं स्नायु दुर्बलता पर उपयोगी)
स्मृतिवर्धक और बुद्धिवर्धक – ब्राह्मी रसायन, सारस्वतारिष्ट, ब्राहमीवटी, सारस्वत चूर्ण, बादाम तेल व ब्राह्मीघृत आदि।
नींद न आना, चित्तभ्रम, घबराहट, बैचेनी, सिरदर्द आदि – अश्वगन्धारिष्ट, ब्राहमीरसायन, सारस्वतारिष्ट, सूतशेखर रस, बादाम तेल, खमीरा गांवजवां, जवाहर मोहरा आदि।
अपस्मार (हिस्टीरिया, मूर्छा) आदि – अश्वगन्धारिष्ट, ब्राह्मीघृत, वातकुलान्तक रस, जातिफलादि चूर्ण, वृहत वात चिन्तामणि रस, सारस्वतारिष्ट, स्मृति सागर रस, स्नायुशक्तिदा आदि।
उन्माद (पागलपन, चित्तभ्रम, अकारण भय आदि) – सारस्वतारिष्ट, ब्राह्मीघृत, सर्पगन्धाघनवटी, वातकुलान्तक रस तथा स्मृतिसागर रस आदि।
मस्सागतवायु (शरीर में ऐंठन होना, वायटे आना) आमवत आदि – सिंहनाद गूगल, अश्वगन्धारिष्ट, महानारायण तेल ।
लकवा, पक्षाघात (आधा शरीर रह जाना, शरीर शून्य होना जाना, कमजोरी) – महानारायण तेल, दशमूलारिष्ट, वातगजाकुंश रस, महामाष तेल, वृद्धवात चिन्तामणि, रसराज रस, चतुर्मुखरस आदि।
ग्रधसी (सियाटिका पेन अर्थात कूल्हे, जांघ व पैर का दर्द) – योगराज गूगल, महारास्नादि क्वाथ, सेंधावादि तेल, एकांगवीर रस आदि ।
शरीर के दर्द आदि में उपयोगी आयुर्वेदिक दवा :
आमवात (जोड़ों की सूजन व दर्द) – महायोग राज गूगल, सिंहनाद गूगल, सेंधावादि तेल, महाविषगर्भ तेल, आमवातरिरस तथा अजमोदादि चूर्ण आदि।
वातरक्त (छोटे जोड़ों का दर्द, कठोरता व गतिशीलता कम होना) – कैशोर गूगल, सिंहनाद गूगल, महामन्जिष्ठादि काढ़ा, महाविषगर्भ तेल, गुडूच्चादि तेल।
सन्धिगत वात (रीढ़ की हड्डी का दर्द, गर्दन या कमर का दर्द) – सिंहनाद गूगल, त्रिफला गूगल, महानारायण तेल।
हाथ-पाँव का अकड़ जाना, जोड़ों की सूजन दर्द – महायोगराज गूगल, महानारायण तेल, महारास्नादि , वृहतचिन्तामणि रस।
हड्डी का दर्द व हड्डी के जुड़ने में सहायक – लाक्षागूगल, कामदुधा, महालक्षादि तेल, चन्दन बलालाक्षदि तेल।
अन्य वाद व्याधि (वाय का दर्द) लकवा, फालिज, पसली का दर्द – महावात विध्वंसक रस, योगेन्द्ररस, वृहत वातचिन्तामणि रस, महारानी, महायोग राजगूगल, महाविषगर्भ तेल, व महानारायण तेल।
नेत्र रोगों में उपयोगी आयुर्वेदिक दवा :
तिमिर ( मोतियाबिन्दु) – त्रिफलाघृत, चन्द्रोदयवर्ती, त्रिफला चूर्ण का पानी।
दृष्टिदोष (दूर का साफ न दिखना) – त्रिफलाघृत, सप्तामृत लौह, मधुयष्ठी चूर्ण, त्रिफला का पानी।
गुहेरी (पलक पर फुन्सी होना) – चन्द्रोदयवर्ति, त्रिफला चूर्ण।
आँखों की जलन, खुजली, पानी बहना, कीचड़ आना – गुलाब जल ।
मुख व दाँतों के रोग में उपयोगी आयुर्वेदिक दवा :
पायोरिया, दाँतों के दर्द, पानी लगना आदि – इरिमेदादि तेल, दशनसंस्कार चूर्ण।
मुखपाक (मुँह के रोग, छाले पड़ना आदि) – त्रिफलाकाढ़ा, इरिमेदादि तेल, खदिरादिवटी।
जीभ की सूजन व छाले – खदिरादिवटी, स्फटिका भस्म।
गले के रोगों में उपयोगी आयुर्वेदिक दवा :
स्वरभेद (आवाज बदल जाना, गला बैठना आदि) – खदिरादिवटी, सारस्वतारिष्ट, एलादिवटी, इरिमेदादि तेल, मधुयष्टी चूर्ण ।
टान्सिल – खदिरादिवटी।
कान के रोगों में उपयोगी आयुर्वेदिक दवा :
उर्ध्वरक्तपित्त (नकसीर-नाक से खून जाना) – अणुतेल, वासावलेह, च्यवनप्राश, रक्तस्तम्भक, बोलबद्ध रस।
छीक अधिक आना – हरिद्राखण्ड, षडबिन्दु तेल, अणुतेल।
नजला, जुकाम – चित्रक हरीतकी, व्योषदि चूर्ण, षडबिन्दु तेल, अणुतेल, शर्बत बनफ्शा, त्रिभुवन कीर्ति रस, लक्ष्मीविलास रस, तालीसदि चूर्ण।
रक्तविकार (खून की खराबी) एवं चर्मरोगों (चमड़ी व बालों के रोग) पर उपयोगी।
खालित्य (बालों का गिरना, गंजापन) – महाभृंगराज तेल, च्यवनप्राश अवलेह, हस्तिदंतमसी।
पालित्य (बाल सफेद होना) – गुड़व्यादि तेल, रस माणिक्य, महामरिच्यादि तेल, गन्धक रसायन, त्रिफला चूर्ण, पुष्पान्जन, खदिरारिष्ट, महामन्जिष्ठादि क्वाथ ।
दद्रु (दाद) – सोमराजी तेल, गन्धक रसायन ।
कुष्ठ (सफेद दाग) – रोगन बाबची, खदिरारिष्ट, आरोग्यवर्द्धिनी वटी, रसमाणिक्य, गन्धक रसायन, चालमोरा तेल, महामन्जिष्ठादिव क्वाथ ।
शीतपित्त (पित्ती) – हरिद्राखण्ड, कामदुधारस, आरोग्यवर्धिनी वटी, सूतशेखर रस।
पिदक (गर्मी की घमौरी, पसीना) – प्रवालयुक्त गुलकन्द, प्रवालपिष्टी, जहरमोहरापिष्टी, सारिवाद्यसव।
खाज-खुजली, फोड़े – फुन्सी आदि रक्तविकार – रक्तशोधक, खदिरारिष्ट, महामंजिष्ठादि काढ़ा, सारिवाद्यासव, महामरिचादि तेल, रोगन नीम, गन्धकरसायन, कैशोरगुग्गुल, आरोग्यवर्धिनी वटी, जात्यादि तेल, चर्मरोगान्तक, पुष्पांजन।
स्त्रियों के गुप्त रोगों में उपयोगी आयुर्वेदिक दवा :
बन्ध्यत्व (बाँझपन) – फलघृत, वंगभस्म, शुद्ध शिलाजीत, अशोकारिष्ट ।
प्रदर (लाल, पीला, सफेद पानी जाना) – अशोकारिष्ट, प्रदरहर वटी, पंत्रागासव, लोध्रासव, प्रदरान्तक लौह, पुष्यानुग चूर्ण।
रक्तप्रदर – कामदुधा रस (मौव्यु०) कहरवापिष्टी, बोलबद्ध रस, प्रवालपिष्टी, अशोकारिष्ट, लोहासव, पुष्यानुग चूर्ण, दुग्ध पाषाण भस्म।
कष्टार्तव (मासिकधर्म दर्द से आना) पेडू का दर्द – ऋतुरुजाहर, रजः प्रवर्तनीवटी, अशोकारिष्ट, कुमार्यासव।
गर्भवती स्त्रियों के लिए उपयोगी आयुर्वेदिक दवा :
फलघृत, बादाम तेल, सुपारी पाक, जीरकाधरिष्ट, दशमूलारिष्ट, गर्भपालरस, लवगादि चूर्ण।
प्रसवोपरान्त उपयोगी आयुर्वेदिक दवा :
शुक्रदोष, धातुक्षीणता, नपुन्सकता – सिद्ध मकरध्वज, पुष्पधनवारस, त्रिबंग भस्म, बंगभस्म, स्वर्णराज बंगेश्वर, शतावरीघृत, अश्वागन्धारिष्ट, शतावरी चूर्ण, अश्वगन्धादि चूर्ण।
स्वप्नदोष (सोते में धातु जाना आदि) – चन्द्र प्रभावटी, स्वप्नप्रमेह हारी, त्रिबंग भस्म, शुद्धशिलाजीत, अश्वागन्धारिष्ट । साथ में पेट साफ रखने हेतु कोई मृदु विरेचनार्थ औषधि भी लें।
प्रोस्टेट ग्रन्थि बढ़ना (बार-बार पेशाब जाना व तकलीफ से पेशाब थोड़ा-थोड़ा होना – चन्द्रप्रभावटी, गोक्षुरादि गूगल, शुद्ध शिलाजीत।
धातु पौष्टिक व कामशक्तिवर्धक – कामिनीविद्रावण रस, सिद्ध मकरध्वजवटी, शुक्रबल्लभ रस, पुष्पधन्वारस, बंगेश्वर रस, मूसलीपाक, दशमूलारिष्ट, गोक्षुरादि चूर्ण अश्वगन्धादि चूर्ण।
बच्चों के रोगों में उपयोगी आयुर्वेदिक दवा :
दाँत निकलने के समय के विकार (दस्त, उल्टी, अपचन लीवर की कमजोरी आदि) – अरविन्दासव, कुमारकल्याण रस, बालजीवन, दन्तोद भेदगदान्तक रस आदि।
पौष्टिक व शक्तिवर्धक – बालजीवन, चन्दन बलालाक्षादि तेल।
प्रत्येक आयुवर्ग (बालक, वृद्ध स्त्री पुरुष) के लिए-स्वास्थ्यवर्द्धक, बलवीर्यवर्द्धक औषधियाँ :
प्रत्येक मौसम में सेवन योग्य – च्यवनप्राश अवलेह, द्राक्षासव, चन्द्रन बलालाक्षदि तेल।
गर्मी की ऋतु में विशेष रूप से सेवनीय । शीतल, शन्तिदायक, दिल और दिमाग को स्फूर्ति प्रदायक, अधिक प्यास, गर्मी व सिरदर्द आदि से बचने के लिए – गुलकन्द प्रवालयुक्त, मोतीपिष्टी, प्रवालपिष्टी, शर्बत अनार, शर्बत सन्दल, खमीरा सन्दल।
शरद ऋतु में विशेष रूप से सेवनीय (पौष्टिक) – बादामपाक, बसन्त कुसुमाकर रस, च्यवनप्राश अवलेह, दशमूलारिष्ट आदि ।
(दवा को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)
यह योग इसी नाम से बना बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता के यहां मिलता है। इस दवा को ऑनलाइन या आयुर्वेदिक स्टोर से ख़रीदा जा सकता है। ~ हरिओम
Ye sir jo apne 3rd upay me jo aushadhiya Bataye hai vo kaha se prapt ho sakegi.
सुभम भाई आप जरा भी हतास न हो …जो गलतियां हो गई है उन्हें आप दुबारा न दोहराएं बस इस बात की खबरदारी रखें…आपकी सेवा में एक ग्रंथ रख रहा हूं इसे ध्यान पूर्वक पढ़े…. आपकी सभी समस्याओं का समाधान इस ग्रंथ में बताया गया है , डाउनलोड लिंक >>> https://bit.ly/2XZz8Fn
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Sir meri Umra 20 year hai mujhe hastmethun ki shikayat hai aur is habit ki vajah se mere Ling me dhilapan aa Gaya hai aur ek andkosh bhi chota ho Gaya hai Maine doctor ko dhikhaya par vo bolte hai sab thik hai aur Maine scrotal ultrasound bhi Kara Liya hai uski report bhi normal ayi hai par me kamjor ho raha Hu aur Mera kisi Kam me man nahi lagta please meri help kijiye me bahut hi pareshan hu
सर एक वीडियो इस पर बनाओ की कौन सी इंग्लिश दवाई कौन से मरज मे दी जाती है🙏🙏🙏🙏🙏