Last Updated on July 22, 2019 by admin
शरीर में अचानक ही विभिन्न स्थानों पर धीरे-धीरे सफेद चिह्न निकलते-निकलते पूरी तरहसे फैलने लगते हैं। यदि प्रारम्भ में ही उपयुक्त उपचार नहीं किया जाता है तो यह रोग शरीर के समस्त चर्मको श्वेत चिह्नों के रूप में परिवर्तित कर देता है। यह बहुत बुरा रोग है। और जड़ पकड़ने पर इसे नियन्त्रित करना कठिन हो जाता है। इसका उपचार सरल नहीं है, बल्कि दीर्घगामी है।
सफेद दाग क्यों होते है इसके कारण ? :
(क) सामान्य रूपसे जब शरीरमें मेलिनन की कमी हो जाती है तो चमड़ी सफेद होने लगती है।
(ख) सदा क़ब्ज़ रहने, पेचिश, संग्रहणी, हृदय निर्बल, अतड़ियाँ खराब होनेपर सफेद दाग हो जाते हैं।
(ग) दिमाग पर अधिक बोझ पड़ने पर भी यह रोग हो जाता है।
(घ) मांसाहारियों को यह अधिक हो सकता है।
सफेद दाग का इलाज :
यह रोग अत्यन्त पेचीदा और दुष्प्रवृत्ति का है, परंतु साध्य है। नियमित रूप से खानपान में पूरा नियन्त्रण रखने से, चिह्नों पर दवाओं का प्रयोग करने से धीरे-धीरे श्वेत चिह्न समाप्त हो जाते हैं।
( और पढ़े – सफेद दाग का देसी इलाज )
सफेद दाग में खाने की आयुर्वेदिक दवा :
अनार के पत्तों को छाया में सुखाकर बारीक करके पीस ले और प्रातः १० ग्राम तथा रातको सोते समय १० ग्राम प्रतिदिन ताजे पानी या गाय के दूधके साथ सेवन करे।
अथवा-बावची के बीज भिगोकर नियमित रूप से प्रातः-रात को इसके पानी का सेवन करे और बीज घिसकर दागों पर लेप करें।
अथवा-माणिक्य भस्म आधा रत्ती नियमित रूपसे प्रातः तथा सायं शहद के साथ प्रयोग करे। अथवा पिगमेन्ट की दो-दो गोलियाँ प्रातः, दोपहर तथा सायंकाल में सेवनीय हैं।
सफेद दाग पर लगाने की औषधि :
• दो तोला बावची के भिगोये हुए बीजों को पीसकर प्रात:-सायं अर्थात् दो बार प्रतिदिन प्रयोग करे।
• अथवा-बथुए का रस एक गिलास और आधा गिलास तिल का तेल कड़ाही में गर्म
करे तथा बथुए का रस जलने पर तेल को शीशी में रखे एवं प्रतिदिन प्रात:-सायं दागों पर लगायें। अथवा बावची के तेल-रोगन प्रातः-सायं सफेद दागों पर लगाये।
• अथवा-उड़द की दाल को पानी में पीसकर या लहसुन के रस में हरड़ घिसकर सफेद दागों पर प्रात:सायं लगाये।
• अथवा-हल्दी १५० ग्राम, स्प्रिट ६०० ग्राम मिलाकर धूप में रखकर दिन में तीन बार चिह्नों पर लगाये।
• अथवा-तुलसी के पौधे को जड़सहित उखाड़कर पानी से साफ कर सिलपर बारीक पीस ले और इसे आधा किलो तिल के तेल में मिलाकर कड़ाही में डालकर धीमी आगपर गर्म करे। जब पक जाय, तब छानकर किसी बरतन में रखे और दिनमें तीन बार दागोंपर लेप करे।
• अथवा-बेहयाके पौधेको उखाड़ने पर निकले हुए दूधका लेप नियमित रूप से दिन में दो बार करे। अनार तथा नीम के पत्ते पीसकर प्रातः-सायं दागों पर लेप करे।
सफेद दाग में परहेज / क्या खाएं क्या न खाएं :
(१) भोजन, साग सब्जी, दालों और फलों आदि के सेवन करने में सभी प्रकार के नमक का परित्याग करना परम आवश्यक है, तभी दवाओं का उपयोग सार्थक एवं प्रभावी हो सकेगा। नमक का प्रयोग या नमक मिश्रित पदार्थों एवं द्रव्यों-रसों का परित्याग करना अति आवश्यक है,
(२) केला (हरा), करेला, लौकी, तोरई, सेम, सोयाबीन, पालक, मेथी, चौलाई, टमाटर, गाजर, परवल, मूली, शलजम, चुकन्दर आदि को बिना नमक के प्रयोग करे,
(३) दालों में केवल चने की दाल नमक रहित प्रयोग करे,
(४) गाजर, पालक, मौसमी, करेला का रस नमक रहित अधिकतर पीये। बथुएका रस प्रतिदिन पीना भी लाभकारी है,
(५) चने की रोटी (नमक रहित) देशी घी और बूरे के साथ खाये तथा
(६) भुने हुए, उबले हुए चने नमक रहित प्रयोग करें।
विशेष-
खान-पान में चीनी, गुड़, दूध, दही, अचार, तेल, डालडा, मट्ठा, रायता, अवलेह, पाक आदि का प्रयोग भी वर्जित है।