Last Updated on August 13, 2019 by admin
संजीवनी वटी : Sanjivani Vati in Hindi
आयुर्वेद में एक से बढ़ कर एक गुणकारी योग भरे पड़े हैं जिनमें कई योग ऐसे भी हैं जो दिखने में साधारण और छोटे दिखाई देते हैं पर असर करने के मामले में बड़े बड़े योगों से टक्कर लेते हैं यानी बड़े योगों के मुक़ाबले ही लाभ करते हैं। ऐसा ही एक श्रेष्ठ योग है संजीवनी वटी जिसका परिचय यहां प्रस्तुत किया जा रहा है।
संजीवनी वटी के घटक द्रव्य :
✧ वायविडंग
✧ सोंठ
✧ पीपल
✧ हरड़
✧ बहेड़ा
✧ आंवला
✧ बच
✧ ताज़ी गिलोय
✧ शुद्ध भिलावां
✧ शुद्ध वत्सनाभ
इन 10 द्रव्यों को समान मात्रा में लें।
संजीवनी वटी की निर्माण विधि :
पहले वत्सनाभ, भिलावा और गिलोय कूट पीस कर मिला लें फिर शेष द्रव्यों को कूट पीस कर छान कर महीन चूर्ण कर लें फिर सब द्रव्यों को मिला कर, गो मूत्र के साथ 12 घण्टे तक घुटाई करें। इसके बाद एक-एक रत्ती की गोलियां बना कर छाया में सुखा लें।
उपलब्धता :
यह योग इसी नाम से बना बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता के यहां मिलता है।
मात्रा और सेवन विधि :
दिन में 3 या 4 बार 2-2 गोली ठण्डे पानी के साथ सेवन करें। बालकों को आधी-आधी गोली दें।
संजीवनी वटी के फायदे और उपयोग :
• यह औषधि मुख्य रूप से ज्वर, अजीर्ण, कृमि, उलटी, उदर शूल, कफयुक्त खांसी, हैज़ा, सर्पदंश और सन्निपात आदि रोगों को दूर करती है।
• इसके सेवन से पसीना निकलता है जिससे शरीर में बढ़ा हुआ दोष निकल जाता है, मूत्र मार्ग से भी निकलता है।
• साथ ही अजीर्ण, जुकाम और आम ज्वर आदि रोग दूर होते हैं।
• सर्प का विष उतारने में भी यह वटी अच्छा काम करती है।
• चाय, काफी या गरम पानी के साथ इस वटी का सेवन नहीं करना चाहिए।
• साधारण द्रव्यों से बनी यह वटी दिव्य औषधि सिद्ध हुई है इसलिए आयुर्वेद ने इसे ‘संजीवनी वटी’ नाम दिया है। यह इसी नाम से बनी बनाई बाज़ार में मिलती है।
संजीवनी वटी के नुकसान :
1- इसके सेवन से सर्दी जुकाम और कफ युक्त गीली खांसी में आराम होता है।
2- सूखी खांसी और हृदय रोग से पीड़ित रोगी को इस वटी का सेवन नहीं करना चाहिए।
3- संजीवनी वटी लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें।
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