वृक्क दोषान्तक वटी के फायदे ,घटक द्रव्य ,गुण ,उपयोग और नुकसान | Vrakakdoshantak Vati Benefits and Side Effects in Hindi

Last Updated on November 5, 2019 by admin

वृक्क दोषान्तक वटी क्या है ? : Vrakakdoshantak Vati in Hindi

वृक्क दोषान्तक वटी टैबलेट के रूप में उपलब्ध एक आयुर्वेदिक दवा है। इसका उपयोग मूत्र सम्बन्धी व्याधियां जैसे पेशाब में जलन होना, रुक-रुक कर पेशाब होना, बूंद बूंद करके तीव्र जलन के साथ पेशाब होना और विशेष कर किडनी (वृक्क) से सम्बन्धित व्याधियों के उपचार में किया जाता है ।
श्रेष्ठ आयुर्वेदिक योग ‘वृक्क दोषान्तक वटी ‘ का परिचय इस लेख में प्रस्तुत कर हम उन सभी रोगियों को विस्तृत और प्रभावशाली जानकारी दे रहे हैं ।
तो लीजिए, वृक्क के दोषों को दूर करने वाले आयुर्वेदिक योग ‘वृक्क दोषान्तक वटी’ का परिचय प्रस्तुत है।

वृक्क दोषान्तक वटी के घटक द्रव्य : Vrakakdoshantak Vati Ingredients in Hindi

✦ चन्दनादि वटी – 8 ग्राम
✦ गोक्षुरादि गुग्गुल – 8 ग्राम
✦ रसवन्ती – 6 ग्राम
✦ त्रिफला गुग्गुल – 5 ग्राम
✦ हजरत बैर पिष्टी – 3 ग्राम
✦ मिर्च कंकोल – 2 ग्राम
✦ श्वेत पर्पटी – 2 ग्राम
✦ ककड़ी के बीज – 2 ग्राम
✦ निर्मली के बीज – 2 ग्राम
✦ मूलीक्षार – 2 ग्राम
✦ शिलाजीत – डेढ़ ग्राम
✦ प्रवाल पिष्टी – 1 ग्राम
✦ जरूद भस्म – 1 ग्राम
✦ मूत्र कृच्छान्तक रस – 1 ग्राम
✦ उदम्बर घन सत्व – 1 ग्राम
✦ भावना द्रव्य – 5 ग्राम
✦ अश्मरी हर क्वाथ – 5 ग्राम
✦ वरुणादि क्वाथ – 5 ग्राम
✦ मूत्रल क्वाथ – 5 ग्राम
✦ चन्दनादि क्वाथ – 5 ग्राम

वृक्क दोषान्तक वटी बनाने की विधि :

भावना- द्रव्यों को एकत्रित कर मिला लें व मोटा मोटा जौ कुट करके, पानी में डाल कर काढ़ा बना लें। इसे छान कर इसमें, ऊपर अंकित सभी घटक द्रव्यों को खूब अच्छी तरह पीस कर छान कर मिला दें और खरल में डाल कर खूब घुटाई करें। जब सब पदार्थ ठीक से मिल कर एक जान हो जाएं तब आधा ग्राम की गोलियां बना कर छाया में सुखा लें।

उपलब्धता : यह योग इसी नाम से बना बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता के यहां मिलता है।

मात्रा और सेवन विधि :

सुबह शाम 2-2 गोली पानी के साथ सेवन करें।

वृक्क दोषान्तक वटी के उपयोग :

यह वटी मूत्र एवं वृक्क (किडनी गुर्दे) से सम्बन्धित अनेक विकारों को दूर करने वाली श्रेष्ठ औषधि है। इस लेख के आरम्भ में, मूत्र और वृक्क से सम्बन्धित जिन विकारों की चर्चा की गई है वे विकार इस वटी के सेवन से दूर होते हैं। जैसे –
☛ पेशाब बूंद बूंद कर तीव्र जलन के साथ निकले ।
☛ पेशाब करने की इच्छा तो हो पर खुल कर पेशाब न हो ।
☛ पेशाब दर्द के साथ हो ।
☛ पेशाब में रुकावट हो ।
☛ मूत्र मार्ग और मूत्राशय में कुछ चिरमिराहट सी होती हो ।
☛ बहुत अधिक मात्रा में बार बार पेशाब होता हो ।
☛ पेशाब को रोकने की क्षमता न होना ।
आदि विकार इस वटी के सेवन से दूर होते हैं।
☛ गर्मी के दिनों में, ज्यादा समय तक धूप में घूमने पर कष्ट के साथ पेशाब हो तब इस वटी के सेवन से यह कष्ट दूर हो जाता है।
☛ इन व्याधियों के अलावा पेशाब में खून आना, पीप आना, वृक्क में पथरी होना व जलन होना आदि विकार भी इस वटी के सेवन से दूर हो जाते हैं।
कुछ मुख्य रोगों की चिकित्सा की जानकारी प्रस्तुत है।

रोग उपचार मे वृक्क दोषान्तक वटी के फायदे : Vrakakdoshantak Vati Benefits in Hindi

1- मूत्र कृच्छ में वृक्क दोषान्तक वटी के फायदे –

पेशाब की रुकावट को मूत्र कृच्छ कहते हैं। यह रोग कई कारणों से होता है जैसे सुज़ाक, पथरी, कृमि, मूत्र ग्रन्थि का प्रदाह, जरायु की विकृति, वृक्क (गुर्दे) का विकार, आंव आदि कारणों से यह रोग उत्पन्न होता है। जब यह कष्ट, वृक्क-विकार के कारण उत्पन्न होता है तब उलटी व दस्त होने की हाजत होती है। गुर्दे (वृक्क) से दर्द उठता है जो बस्ति (पेडू) तक जाता है। इस रोग में बार-बार पेशाब करने की अनुभूति होती है और बूंद-बूंद करके बड़े कष्ट के साथ पेशाब होता है या नहीं भी होता है। ऐसी अवस्था में लाभ न होने तक, इस उत्तम योग ‘वृक्क दोषान्तक वटी’ के उपयोग से लाभ होता है क्योंकि यह दवा मूत्राशय और मूत्रनली के विकारों का शमन करती है और पेशाब साफ़ और खुल कर आने लगता है।

( और पढ़े – बार बार पेशाब आने के 25 सरल घरेलू उपचार )

2- पथरी में वृक्क दोषान्तक वटी के फायदे –

वृक्क में पथरी को अश्मरी कहते हैं और बोलचाल की भाषा में पथरी होना कहते हैं। पेशाब में संक्रमण अर्थात् इन्फेक्शन यदि बार-बार होता है खास कर के प्रोटिअस (Proteus) या स्टेफिकोकस (Staphyo-coccus) नामक जीवाणु के कारण हो तो पथरी होने की सम्भावना अधिक होती है इन जीवाणुओं में यूरिया को नष्ट करने की क्षमता होती है। बार-बार संक्रमण होने पर गुर्दे का क्षतिग्रस्त भाग एक अंकुर का काम करता है और इस पर पथरी बनाने वाले तत्वों का जमाव होने लगता है जैसे कैल्शियम आक्जेलेट या कैल्शियम फास्फेट अथवा यूरिया एसिड का जमाव होने से पथरी बन जाती है। इस वटी के सेवन से 3-4 मास में पथरी कट कर पेशाब के साथ निकल जाती है।

( और पढ़े – पथरी के 34 सबसे असरकारक घरेलू उपचार )

3- मूत्राघात में वृक्क दोषान्तक वटी के लाभ –

इस रोग में पेशाब रुक जाता है। यह बहुत कष्टदायक और भयानक रोग है क्योंकि इस रोग में मूत्राशय में मूत्र भरा रहता है पर निकलता नहीं, नाभि के नीचे पेडू (तलपेट) फूल जाता है, पेशाब करने की तीव्र इच्छा होती है पर पेशाब होता नहीं जिससे बड़ी बेचैनी, छटपटाहट, तन्द्रा, बेहोशी आदि लक्षण प्रकट होते हैं। वृक्क दोषान्तक वटी के लगातार नियमित सेवन से यह व्याधि दूर होती है और पेशाब खुल कर होने लगता है ।
इस वटी के साथ गोखरू का काढ़ा या चन्दनासव 2-2 चम्मच आधा कप पानी में मिला कर पीने से जल्दी लाभ होता है।

( और पढ़े – पेशाब रुक जाने के 24 घरेलू उपचार )

वृक्क दोषान्तक वटी के नुकसान : Vrakakdoshantak Vati Side Effects in Hindi

1- वृक्क दोषान्तक वटी लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
2- वृक्क दोषान्तक वटीको डॉक्टर की सलाह अनुसार ,सटीक खुराक के रूप में समय की सीमित अवधि के लिए लें।

error: Alert: Content selection is disabled!!
Share to...