Last Updated on May 1, 2023 by admin
सौंफ क्या है ? : Fennel Seeds in Hindi
सौंफ का लैटिन नाम-फोरिक्यूलम बलगेरे (Foericuluim Vulgare) है । बहुत प्राचीन काल से ही सौंफ का मुख शुद्धि और औषधि के रूप में उपयोग होता रहा है। सौंफ का उपयोग अपने देश भारतवर्ष में सर्वत्र है। सौंफ के पौधे 2 से 3 फुट ऊँचे और सुगन्धित होते हैं। सौंफ सोया के पौधे के समान ही होते है। सौंफ के पत्ते धनिए के पत्ते के समान किन्तु बारीक होते हैं।
सौंफ के औषधीय गुण : Saunf ke Gun Hindi Me
- मुलायम हरी-सुगन्धित सौंफ अत्यन्त स्वादिष्ट और रुचिकर होती है।
- सूखी सौंफ श्लैष्मिककला और पाचनतन्त्र पर प्रभावशाली असर करती है ।
- यह दीपन, पाचन, शामक, अनुलोमन और ग्राही प्रभाव उत्पन्न करती है।
- फेफड़ों और वृक्कों द्वारा जब यह बाहर निकालती है तब उन स्थानों को विशेष लाभ पहुँचती है।
- उससे सूखी खाँसी और शरीर की गर्मी शान्त होती है।
- गर्मी के दिनों में कई लोगों को अरुचि और अग्निमान्द्य की शिकायत होती है । फलतः आहार ग्रहण करने की रुचि नहीं होती तथा भूख नहीं लगती । कुछ लोगों को तृप्ति का अनुभव नहीं होता। ये उपद्रव सौंफ का शर्बत नियमित लेने से शान्तें होते हैं।
- जिन स्त्रियों का जठर गर्म हो उनके लिए सौंफ का शर्बत आशीर्वाद समान है।
- स्त्रियों के पेट की गर्मी के कारण ज्यादातर बच्चों को बहुत सहन करना पड़ता है। यदि छोटे बच्चों की माताएँ सौंफ के शर्बत का सेवन करें तो बच्चों को परेशान नहीं होना पड़ता और माता का स्तन्य (दूध) भी बढ़ता है। सौंफ में से अर्क भी निकाला जाता है।
- सौंफ की मात्रा 2 से 6 माशे की है और सौंफ के अर्क की मात्रा 1 से 2 औंस की है।
- सौंफ हल्की, तीक्ष्ण, पित्तकारक, अग्निप्रदीपक, तीखी और गर्म है ।
- यह ज्वर, वायु, कफ, व्रण, शूल और नेत्र रोगों को दूर करती है। सौंफ रस में मधुर, विपाक, में कसैली, सारक, हृद्य, स्निग्ध, रुचिकर, वृष्य, गर्भप्रद और बल्य है ।
- यह दाह, अर्श, रक्तपित्त, तृषा, व्रण, कै, अतिसार और आम प्रकोप को दूर करती है।
- सौंफ गर्म मानी जाती है, किन्तु रात को पानी में भिगोकर प्रातः समय वह पानी पीने से पेट की गर्मी दूर करती है। इस प्रयोग से गीष्मकाल की गर्मी में भी शन्ति मिलती है ।
- ‘चरक’ सौंफ को गर्भ का स्थापन और शूल का प्रशासन करने वाली मानते हैं ।
- ‘सुश्रुत’ सौंफ को कफ शमन करने वाली मानते हैं ।
- सौंफ के पत्ते सुगन्धित और मूत्रल हैं। इनकी भाजी मधुर, अग्निप्रदीपक, स्तन्य (माता का दूध) बढ़ाने वाली वृष्य, रुचिप्रद, उष्ण और पथ्यकारक है। यह वायु ज्वर, गुल्म और शूल को नष्ट करती है। सौंफ के मूल में सारक गुण है।
यूनानी चिकित्सा सौंफ के फायदे :
- यूनानी चिकित्सा पद्धति से चिकित्सा करने वाले हकीम लोग सौंफ को पाचन और जठराग्नि को प्रदीप्त करने वाली एवं स्त्रियों के कष्टार्तव पर लाभकारक मानते हैं।
- इसके पत्ते का क्वाथ प्रसूता स्त्रियों को रक्तशुद्धि तथा गर्भाशय की शुद्धि के लिए दिया जाता है।
- हकीम सौंफ के पत्तों को गर्म मानते हैं । उनके मतानुसार सौंफ के पत्ते नेत्रज्योति वर्धक है।
- सौंफ सुगन्धित उद्दीपक (Aromatic Stimulent), वातहर और खाँसी की दवाओं में मिलाने से लाभदायक है।
सौंफ के फायदे और औषधीय उपयोग : Saunf Khane ke Fayde in Hindi
1-पेचिश-
भुनी हुई सौंफ और मिश्री सममात्रा में लेकर पीसकर 2-2 चम्मच की मात्रा में दिन में 6 बार 2-2 घण्टे के अन्तराल से ठण्डे जल से सेवन करने से मरोड़कर दस्त, आँव और पेचिश में लाभ होता है।
2-आँव-
सौंफ का तेल 5 बूंद आधा चम्मच चीनी पर डालकर प्रतिदिन 4 बार सेवन करना लाभकारी है।
यदि मरोड़ के साथ थोड़ा-थोड़ा मल आता हो तो ऐसी दशा में कच्ची एवं भुनी दोनों प्रकार की सौंफ 3-3 माशा की मात्रा में लेकर मिश्री के साथ मिलाकर सेवन करना लाभकारी है।
3-शिशुओं के दस्त, पेचिश-
6 ग्राम सौंफ 85 ग्राम पानी में उबालें । जब पानी आधा शेष रह जाए तब उसमें 1 ग्राम काला नमक डाल दें। यह पानी छोटे बच्चों के दस्त और पेचिश में दिनभर में 12 ग्राम देने से बहुत लाभ होता है।
4-बच्चों का पेट फूलना-
रात्रि के समय 1 चम्मच सौंफ पानी में भिगों दें ।
प्रातः समय सौंफ को मसलकर पानी छान लें । इस पानी को दूध में मिलाकर पिलाने से बच्चों का पेट फूलना, गैस भरना और पेट दर्द को आराम आ जाता है।
5-दाँत निकलना-
बच्चा दाँत निकलने के समय यदि कष्ट के कारण रोता हो तो गाय के दूध में मोटी सौंफ उबालकर छानकर बोतल में भर लें तथा 1-1 चम्मच दिन भर में 4 बार पिलाएँ । इस प्रयोग से शिशु के दाँत सरलतापूर्वक निकल आएँगें ।
6-खुजली-
सौंफ और धनिया सममात्रा में पीस लें । इसमें डेढ़ गुना घी और दोगुनी चीनी मिलाकर रखें । इसे सुबह-शाम 30-30 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से प्रत्येक प्रकार की खुजली में लाभ होता है।
7-पेट का भारीपन-
नीबू के रस में भीगी हुई सौंफ को भोजनोपरान्त सेवन करने से पेट का भारीपन दूर होता है। इस प्रयोग से भूख भी खूब लगती है और मल भी साफ आता है।
8-नेत्र ज्योतिवर्धक-
भोजनोपरान्त 1 चम्मच सौंफ खाने से पाचनशक्ति और नेत्रज्योति बढ़ती है तथा पेशाब खुलकर आता है। पिसी सौंफ रात को सोते समय आधा चम्मच सौंफ 1 चम्मच शक्कर मिलाकर दूध के से फंकी लेने से भी नेत्रज्योति बढ़ती है।
9-पेटदर्द-
सौंफ और सेंधानमक पीसकर 2 चम्मच की मात्रा में गर्म पानी से सेवन करना लाभकारी है।
10-छाले-
भोजनोपरान्त थोड़ी सौंफ सेवन करने से मुख के छालों में लाभ होता है।
11-पाचन हेतु-
सौंफ और जीरा समान मात्रा में मिलाकर सेंक लें । भोजनोपरान्त इसे 1 चम्मच की मात्रा में चबाएँ।
12-खाँसी-
सौंफ और अजवायन 2-2 चम्मच लेकर आधा किलो पानी में उबालकर 2 चम्मच शहद मिलाकर छान लें । इसकी 3 चम्मच प्रति घण्टे पर बच्चों को सेवन कराने से खाँसी में लाभ होता है।
13-स्मरण शक्तिवर्धक-
सौंफ को हल्की-हल्की कूटकर ऊपर के छिलके उतार कर छान लें । इस तरह अन्दर की मींगी निकालकर समान मात्रा में मिश्री मिलाकर पीस लें । इसको 1-1 चम्मच की मात्रा में सुबह-शाम दिन में 2 बार ठण्डे पानी अथवा गर्म दूध से सेवन करने से स्मरणशक्ति बढ़ती है और मस्तिष्क में शीतलता रहती है।
14-जुकाम-
15 ग्राम सौंफ और 3 लौंग आधा किलो पानी में उबालें । चौथाई पानी शेष रहने पर देशी बूरा या चीनी मिलाकर पूँट-पँट पीने से जुकाम में लाभ होता है।
15-ज्वर-
तेज ज्वर होने पर सौंफ पानी में उबालकर 2-2 चम्मच बार-बार पिलाते रहने से ज्वर का ताप नहीं बढ़ता।
16-बबासीर अरक्तस्रावी-
सौंफ, जीरा, धनियां प्रत्येक 1-1 चम्मच लेकर 2 कप पानी में उबालें । आधा यानी शेष रहने पर छानकर उसमें 1 चम्मच देशी घी मिलाकर सेवन कराना लाभप्रद है।
17-बाँझपन-
बंध्या स्त्री यदि 6 ग्राम सौंफ का चूर्ण घी के साथ 3 महीने तक सेवन करे तो यह निश्चित गर्भधारण करने योग्य हो जाती है। यह कल्प मोटी स्त्रियों के लिए विशेष रूप से लाभप्रद है। यदि स्त्री दुर्बल-पतली हो तो उसमें शतावरी चूर्ण मिलाकर सेवन कराना चाहिए। 6 ग्राम शतावरी मूल का चूर्ण 12 ग्राम घी और दूध के साथ खाने से गर्भाशय की समस्त विकृतियाँ दूर होती हैं और गर्भ धारण होता है।
18-गर्भपात (एशन)-
गर्भधारण करने के बाद 62 ग्राम सौंफ, 31 ग्राम गुलाब का गुलकन्द पीसकर पानी में मिलाकर 1 बार नित्य पिलाने से गर्भपात रुकता है। पूरे गर्भकाल में सौंफ का अर्क सेवन करते रहने से भी गर्भ स्थिर रहता है।
19-अतिनिद्रा-
जिसे निद्रा अधिक आती हो, हर समय उसकी आँखों में नींद रहे तो उसे 10 ग्राम सौंफ को आधा किलो पानी में उबालकर चौथाई शेष रहने पर थोड़ा सा नमक मिलाकर सुबह-शाम 5 दिन पिलाएँ। इस प्रयोग से नींद कम आवेगी ।
20-अनिद्रा-
10 ग्राम सौंफ आधा किलो पानी में उबालें । चौथाई पानी शेष रहने पर छानकर गाय का 250 ग्राम दूध और 15 ग्राम घी दोनों स्वादानुसार चीनी मिलाकर सेवन करें।
21-धूम्रपान-
यदि बीड़ी-सिगरेट आदि का सेवन छुड़ाना है तो सौंफ को घी में सेंककर शीशी में भर लें । जब भी धूम्रपान की इच्छा हो तो इसी सौंफ को आधा-आधा चम्मच की मात्रा में चबाते रहें । इस प्रयोग को करने से और मन पर संयम रखने से धूम्रपान की बुरी लत छूट जाती है।
22-गौरवपूर्ण सुन्दर सन्तान हेतु-
गर्भकाल में 9 महीने तक खानपान के बाद नित्य गर्भवती स्त्री को सौंफ चबाते रहने से सन्तान गौरवपूर्ण पैदा होती है।
23-कब्ज-
4 चम्मच सौंफ 1 गिलास जल में उबालें । जब आधा पानी शेष रह जाए तो छानकर पीएँ। इस प्रयोग से कब्ज में लाभ होता है। सोते समय आधा चम्मच पिसी हुई सौंफ गर्म पानी से सेवन करें या सौंफ, हर्र, शक्कर प्रत्येक आधा चम्मच मिलाकर पीसकर गर्म पानी से सेवन करना भी लाभकारी है।
सौंफ के घरेलू नुस्खे : Saunf ke Gharelu Upay
- सौंफ का अर्क सेवन करने से आम का पाचन होता है तथा ज्वर की कै और तृषा शान्त होती है।
- सौंफ के काढ़े में शर्करा मिलाकर सेवन करने से पित्त ज्वर दूर होता है।
- सौंफ और शर्करा का चूर्ण मुख में रखकर बार-बार उसका रस निगलने से गर्मी से होने वाली खाँसी मिटती है।
- सौंफ की पुटकी (पोटली) बाँधकर पानी में रख छोंड़े । यह पानी रोगी को पिलाने से गुणकारी सिद्ध होता है।
- सौंफ का काढ़ा बनाकर पीने से अथवा सोंठ और सौंफ को घी में सेंककर तथा कूट कर उसका सेवन करने से आम का पाचन होता है व अमातिसार में लाभ होता है।
- सौंफ को चबाकर खाने और उसका रस गले के नीचे पेट में उतारते रहने से उदरशूल और अफरा शान्त होता है।
- सौंफ का चूर्ण 4 से 6 माशा गर्म पानी से लेने से भी अफरा दूर होता है।
- सौंफ को सेंककर उसमें आवश्यकतानुसार नमक और नीबू का रस मिलाकर 1 बोतल में भरकर सुरक्षित रखलें । भोजनोपरान्त इसका सेवन करने से मुख शुद्धि होती है और आहार का पाचन होता है।
- 500 ग्राम सौंफ को बारीक कूटकर आधा लीटर पानी में 3-4 घण्टे तक भिगोकर स्टील के बर्तन में उबालकर कपड़े से छान लें । तदुपरान्त उसमें 300-400 ग्राम शक्कर मिलाकर पुनः उबालकर गाढ़ा शर्बत बनाएँ। ग्रीष्म ऋतु में इसे सेवन करने से शीतलता प्राप्त होती है।
- सौंफ, मुलेठी, आँवलासार गन्धक प्रत्येक 5-5 तोला, सोनामुखी 15 तोला और शर्करा 30 तोला लेकर अलग-अलग कूटकर कपड़े से छान लें । फिर गन्धक और सोनामुखी के चूर्ण को खरल में घोंटकर बाकी अन्य औषधियों का चूर्ण भी उसमें मिला दें। ये सब अच्छी तरह घुल मिलकर जाएँ तब तक घोंटते रहें। इस चूर्ण को स्वादिष्ट विरेचन चूर्ण कहते हैं। रात को सोते समय 3 से 6 माशा की मात्रा में यह चूर्ण गरम पानी से सेवन करने से रक्तविकार, अर्श, कब्ज, पेचिश, दूषित, गर्मी आदि रोगों में लाभ होता है। इससे प्रायः 1-2 दस्त खुलकर आते हैं। उदर शुद्धि हेतु इस चूर्ण को विशेष रूप से उपयोग होता है।
सौंफ के नुकसान : Saunf Khane ke Nuksan
उचित मात्रा में सेवन करने पर सौंफ के कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं हैं ।
(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)