Last Updated on July 24, 2020 by admin
स्वास्थ्य रक्षक – शहद : What is Honey in Hindi
shahad kya hota hai
शहद प्रकृति की अद्भुत देन है। यह एक चिपचिपा, पारदर्शी हलके सुनहरे रंग का, गाढ़ा, सुगन्धित, बहुत मीठा और पानी में घुल जाने वाला प्राकृतिक द्रव पदार्थ है। यह मधुमक्खीयों के छत्ते को निचोड़ कर प्राप्त किया जाता है।
आयुर्वेदिक शास्त्रों में शहद की प्रशंसा करते हुए शहद के सभी प्रकारों के गुण, उपयोग व लाभ के बारे में विस्तृत विवरण दिया गया है। यहां शरीर और स्वास्थ्य के रक्षण एवं पोषण के अलावा घरेलू चिकित्सा में शहद का जो उपयोग है उसी से सम्बन्धित विवरण प्रस्तुत कर रहें है ।
मधुमक्खी के छत्ते से शहद निकालने के बाद उसी छत्ते से मोम भी प्राप्त होता है।
शहद का विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Honey in Different Languages
Honey (Shahad) in –
- संस्कृत – मधु
- हिन्दी – शहद, मधु
- मराठी – मध
- गुजराती – मध
- बंगला – मधु
- तैलुगु – तेनी
- कन्नड़ – जेनतुप्प
- तामिल – तनयेतना
- फ़ारसी – शहद
- इंगलिश – हनी (Honey)
- लैटिन – मेल (Mel)
शहद के प्रकार : Types of Honey in Hindi
shahad kitne prakar ka hota hai
आयुर्वेद ने शहद के आठ प्रकार बताये हैं –
(1) माक्षिक (2) भ्रामर (3) क्षौद्र (4) पौत्तिक (5) छात्र (6) आर्घ्य (7) औद्दालक और (8) दाल।
इन भेदों के बारे में विस्तृत चर्चा करना उपयोगी नहीं है क्योंकि बाज़ार में जो शहद मिलता है वह कौन से भेद (क़िस्म) वाला है यह न तो छत्ता तोड़ कर शहद निकालने वाला जानता है, न इसे बेचने वाला दुकानदार जानता है और न खरीदने वाला ग्राहक ही जानता है।
असली और नकली शहद की पहचान : How to Identify Real and Fake Honey
asli aur naqli shehad ki pehchan kaise kare
आजकल मिलावट का ज़माना है और इस दोष से शहद भी अछूता नहीं है। शहद में गुड़ या शक्कर की चाशनी की मिलावट की जाती है। मिलावट वाले शहद का सेवन करने पर कोई हानि या प्रतिक्रिया तो नहीं होती पर जितना जैसा लाभ होना चाहिए उतना नहीं होता इसलिए शहद भरोसे की और प्रतिष्ठित ब्रांड का ही खरीदना चाहिए ताकि शुद्ध शहद मिल सके। असली नकली शहद की परीक्षा करने के लिए उपयोगी कुछ उपाय प्रस्तुत हैं –
- कांच के एक गिलास में साफ़ पानी भर कर इसमें शहद की 2-3 बूंद टपकाने पर शहद सीधा नीचे तली में पहुंच जाए तो शहद असली है और अगर पानी में फैल जाए,बिना हिलाये चलाये घुल जाए तो शहद अशुद्ध यानी मिलावट वाला होता है।
- जांच की दूसरी विधि यह है कि शहद एक प्लेट में डाल कर, दिया सलाई जला कर शहद से लगाएं। यदि शहद जलने लगे तो शुद्ध है न जले तो मिलावट वाला है।
- शुद्ध शहद सर्दी में जम जाता है और गर्मी में पिघल जाता है। यदि शहद को प्लेट में टपकाया जाए और प्लेट पर शहद सांप की कुण्डली जैसा आकार बनाता है तो शहद शुद्ध है। अशुद्ध शहद प्लेट में फैल जाता है।
- शुद्ध शहद में मख्खी गिरे तो फंसती नहीं, फड़फड़ा कर निकल जाती है, अशुद्ध शहद में मख्खी फंस जाती है निकल नहीं पाती।
- शुद्ध शहद का कपड़े पर दाग़ नहीं लगता जबकि अशुद्ध शहद लगने पर दाग़ लग जाता है।
- शुद्ध शहद आंखों में लगाने पर थोड़ी जलन होती है पर चिपचिपाहट नहीं होती और बाद में ठण्डक का अनुभव होता है।
- शुद्ध शहद पारदर्शी (Transparent) होता है, मिलावटी शहद पारदर्शी नहीं होता।
नया और पुराना शहद – कौन अधीक गुणकारी :
शहद नया और पुराना दो प्रकार का होता है। भावप्रकाश निघण्टु में लिखा है-
‘एक संवत्सरेऽतीते पुराणत्वं स्मृतं बुधैः।‘
अर्थात् एक वर्ष बीत जाने पर शहद पुराना हो जाता है।
नये और पुराने शहद के गुणों के बारे में लिखा है –
‘नवमधु भवेत्पुष्टयै नातिश्लेष्महरं सरम् ।
पुराणं ग्राहकं रूक्षं मेदोघ्नमति लेखनम् ॥‘
अर्थात् नया शहद पुष्टिकारक, अत्यन्त कफ नाशक नहीं और दस्तावर होता है और पुराना शहद ग्राही, रूक्ष, मेदनाशक और अत्यन्त लेखन है।
नये की अपेक्षा पुराना शहद अधिक गुणकारी होता है। गुड़ और नींबू के अचार की तरह शहद भी जितना पुराना होता है उतना ही ज्यादा गुणकारी हो जाता है। पुराना शहद ग्राही (जठराग्नि बढ़ाना और पाचन क्रिया सुधारना- दोनों काम करना ग्राही होता है), रूखा, चर्बी (मोटापा) कम करने वाला और मल निकालने वाला (क़ब्ज़नाशक) होता है।
शहद के औषधीय गुण : Shahad ke Gun in Hindi
shahad ke gun kya hote hain
अष्टांग संग्रह के अनुसार शहद का निर्माण नाना प्रकार के फूलों के रस से होता है इसीलिए शहद न सिर्फ योगवाही ही होता है बल्कि वृष्य (वाजीकारक) योगों के साथ खाने से उच्च कोटि का वृष्य (रति शक्तिवर्द्धक टॉनिक) का काम भी करता है।
टिप्पणी – जिन द्रव्यों या औषधि को शहद मिला कर सेवन किया जाता है, शहद उन्हीं द्रव्यों या औषधि के समान गुण करके उन द्रव्यों के प्रभाव को बढ़ाता है। इस गुण को योगवाही कहते हैं इसलिए शहद को योगवाही कहा जाता है।
- शहद शीतल, हलका, मधुर, रूखा, ग्राही और विलेखन होता है ।
- यह नेत्रों के लिए हितकारी है ।
- शहद अग्नि दीपन करने वाला है ।
- यह स्वर को उत्तम करता है ।
- शहद व्रणशोधन व रोपण (घाव भरने वाला) करने वाला है ।
- यह चेहरे पर सौम्यता लाने वाला होता है ।
- शहद सूक्ष्म स्रोतों को शुद्ध करने वाला है ।
- यह मन को हर्षित करने वाला तथा प्रसादजनक गुण वाला होता है ।
- शहद त्वचा के वर्ण (रंग) को उज्ज्वल करने वाला होता है ।
- यह बुद्धिवर्द्धक, वृष्य (वाजीकारक), विशद, मेद और रुचिकारक होता है ।
- शहद प्यास,उलटी, श्वास, हिचकी, अतिसार, मलबन्ध, कोढ़, बवासीर, खांसी, पित्त, रक्त विकार, कफ, प्रमेह, ग्लानि, कृमि, दाह, क्षत और क्षय- इन सब व्याधियों को शान्त करने वाला है।
- यह योगवाही और तनिक वातकारक है।
शरीर के अंगों पर शहद का प्रभाव :
शहद का सेवन करने से शरीर के अंगों पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है। किस किस अंग पर क्या प्रभाव पड़ता है इसकी जानकारी प्रस्तुत है –
☛ मस्तिष्क पर प्रभाव – शहद का सेवन करने से मस्तिष्क को शक्ति और ताज़गी मिलती है इसलिए दिमागी काम करने वालों को शहद का सेवन अवश्य करना चाहिए।
☛ आंतों पर प्रभाव – शहद आंतों की सफ़ाई करता है, बिगड़ी दशा सुधारता है, आंतों में कृमियां हों तो उन्हें नष्ट करता है, विजातीय द्रव्यों को निकालता है इसलिए पुराने उदर रोग, डायरिया, डीसेण्ट्री और क़ब्ज़ के रोगी के लिए शहद का सेवन बहुत हितकारी सिद्ध होता है। आमाशय और पक्वाशय पर भी शहद का अच्छा प्रभाव पड़ता है। शहद के सेवन से छाती में जमा कफ बाहर निकल जाता है इसलिए खांसी और दमा के रोगी को शहद का सेवन करने से आराम मिलता है।
☛ नेत्रों पर प्रभाव – रोज़ काजल की तरह आंखों में शहद लगाने से आंखें स्वच्छ, सुन्दर और चमकीली बनी रहती हैं, आंखों के विकार नष्ट होते हैं और नेत्र ज्योति अच्छी बनी रहती है। शहद खाने से भी ऐसे ही लाभकारी प्रभाव पड़ते हैं।
☛ त्वचा पर प्रभाव – त्वचा पर भी शहद के सेवन का बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है। शहद का सेवन करने से त्वचा का वर्ण (रंग) उजला होता है, त्वचा स्वच्छ, स्वस्थ व कान्ति पूर्ण होती है और चेहरा तेजस्वी होता है। चेहरे के मुंहासों व फुँसियों पर शहद का लेप करने से लाभ होता है।
शहद सेवन की मात्रा : How much Honey a Day
shahad kitni maatra me lena chahiye
दिन भर में सुबह, दोपहर शाम को 1-1 छोटा चम्मच एक कप या गिलास ठण्डे दूध या पानी में डालकर कम से कम 45 दिन और अधिक से अधिक 60 दिन तक लेना पर्याप्त है। 1 से 2 मास तक सेवन बन्द रख कर फिर लेना चाहें तो 45 या 60 दिन तक सेवन कर सकते हैं।
नोट :- अनुपान के रूप में शहद कम मात्रा में लिया जाता है इसलिए औषधि के साथ शहद मिला कर तब तक प्रयोग कर सकते हैं जब तक रोग दूर न हो जाए और दवा का सेवन करना बन्द न हो ।
शहद के उपयोग : Uses of Honey in Hindi
shahad ke upyog bataye
शहद का उपयोग पौष्टिक आहार के रूप में भी किया जा सकता है और औषधि के रूप में भी किया जाता है। शहद में यह विशेष गुण होता है कि यह जिस पदार्थ में मिलता है उसी पदार्थ के गुण ग्रहण करके उन गुणों की वृद्धि करता है इसीलिए इसे ‘योगवाही’ कहा जाता है और औषधि सेवन हेतु इसे अनुपान (औषधि के साथ दिए जाने वाला) के रूप में प्रयोग किया जाता है।
घरेलू इलाज में शहद के उपयोग की चर्चा करने से पहले, बलपुष्टि के लिए शहद के कुछ अनुभूत प्रयोग प्रस्तुत हैं –
(1) सुडौल और बलवान बनाने में शहद का उपयोग
शहद का प्रयोग शरीर को पुष्ट, सुडौल और बलवान बनाने में अच्छा गुणकारी सिद्ध होता है। वैद्य लोलिम्बराज ने अपने सुप्रसिद्ध ग्रन्थ ‘वैद्यजीवनम्’ में शहद का एक श्रेष्ठ प्रयोग बताया है सो प्रस्तुत है –
सहितं घृतेन मधुना मधुकं परिषेचितं पिबतियोऽनुपयः नव सुभ्रुवां सुखकर– सततंसहि वीर्य पूरित पुरो भवति॥
अर्थात् जो व्यक्ति मुलहठी के चूर्ण को घी व शहद के साथ सेवन करके ऊपर से मिश्री मिला दूध पीता है वह रतिक्रिया में पूर्ण समर्थ रहता है और उसका शरीर बलवीर्य से पुष्ट रहता है।
(2) त्वचा का रंग साफ़ करने में शहद का उपयोग
एक गिलास ठण्डा किया हुआ दूध में, 1-2 चम्मच शहद डाल कर रात को सोने से आधा घण्टा पहले और भोजन करने के दो घण्टे बाद, बिना शक्कर या मिश्री डाले, घूंट -घूंट करके कम से कम 60 दिन तक पीने से शरीर का दुबला पतलापन दूर होता है और
शरीर व चेहरा भरने लगता है। इस प्रयोग से त्वचा का रंग साफ़ होता है, चेहरे पर कान्ति और लाली आती है। दुबले-पतले शरीर वाले बालक-बालिका, युवक युवतियां और स्त्री पुरुष सोते समय ठण्डे दूध में शहद डाल कर पूरे शीतकाल के दिनों में अवश्य सेवन करें। दूध व शहद पीने के बाद दन्त मंजन या ब्रश करके मुंह साफ कर लेना चाहिए।
(3) मोटापा दूर करने में शहद का उपयोग
शहद का सेवन करके मोटापा दूर किया जा सकता है। जैसे ठण्डे दूध के साथ शहद का सेवन करने से दुबलापन दूर होता है वैसे ही ठण्डे पानी में शहद घोल कर पीने से मोटापन दूर होता है।
‘प्रातर्मधुययुतं वारिसेवित स्थौल्य नाशनम्’ (भैषज्य रत्नावली) के अनुसार प्रातःकाल एक गिलास पानी में 1-2 चम्मच शहद घोल कर, शौच जाने से पहले, पीने से धीरे धीरे शरीर की चर्बी कम होने लगती है। बस, यह खयाल रखें कि पानी ठण्डा होना चाहिए और इसमें नींबू न निचोड़ें, सिर्फ़ शहद पानी का ही सेवन करें।
‘शिशिराम्बु पिबन्मधु प्रयुक्तं गणनाथोऽपि भवेत्किलास्थि शेषः‘ के अनुसार प्रातःकाल ठण्डे पानी में शहद घोल कर अगर नियमित रूप से गणेशजी (यानी भारी शरीर वाले व्यक्ति ) भी पीते रहें तो वे भी हड्डियों का ढांचा मात्र रह जाएंगे अर्थात् दुबले हो जाएंगे। मोटापा दूर करने वाला यह प्रयोग 2-3 मास तक करना चाहिए।
(4) दुबलापन दूर करने में शहद का उपयोग
दुबलापन दूर करने के लिए शहद ठण्डे दूध के साथ लें साथ में एक बादाम पानी में भिगो कर चन्दन की तरह घिस कर मिला लें।
शहद का सेवन अल्प मात्रा से शुरू करना चाहिए जैसे छोटे बच्चे को 4-5 बूंद शहद देना शुरू करें, बालकों को आधा चम्मच और बड़ों को एक चम्मच दिन में एक बार लेना चाहिए। एक सप्ताह बाद यही मात्रा शाम को भी लेने लगे। तीसरे सप्ताह में दिन में तीन बार और चौथे सप्ताह में दिन में चार बार इसी मात्रा में ले कर देखें कि शहद ठीक से हजम हो रहा है या नहीं यानी पतले दस्त लगना, पेट में मरोड़ या दर्द होना, प्यास ज्यादा लगना आदि लक्षण तो प्रकट नहीं हो रहे । यदि ऐसा न हो तो थोड़ी मात्रा बढ़ा सकते हैं।
(5) दिमागी काम करने वाले व्यक्तियों के लिए लाभदायक शहद का उपयोग
विद्यार्थियों, शिक्षकों, वकीलों, डॉक्टरों, व्यापारियों आदि दिमागी काम करने वाले व्यक्तियों के लिए, गर्भवती स्त्रियों के लिए, शिशु व वृद्धों के लिए, उपवास करते समय और शीतकाल के दिनों में उचित विधि और अपने अनुकूल मात्रा में शहद का सेवन करना बहुत गुणकारी रहता है। शहद का सेवन जेली की तरह फलों के साथ भी किया जा सकता है।
शहद के औषधीय प्रयोग और फायदे : Benefits of Honey in Hindi
shahad ke fayde bataye
1). बलपुष्टिवर्द्धक योग – बादाम का एक दाना सुबह और एक दाना रात में पानी में डाल कर रखें। सुबह रात में भिगोया हुआ दाना पत्थर पर चन्दन की तरह घिस कर ठण्डे दूध में मिला लें और 1-2 चम्मच शहद डाल कर पिएं।
इसी तरह सुबह भिगोये हुए दाने को रात को सोने से पहले घिस कर दूध में मिला लें और 1-2 चम्मच शहद डाल कर पिएं। यह प्रयोग 2-3 मास तक करें।
2). कफ प्रकोपशामक योग – आधा चम्मच शहद और आधा चम्मच अदरक का रस सुबह शाम चाटने से खांसी में आराम होता है। केवल शहद चाटने से भी खांसी में आराम होता है।
3). पेट दर्द – शहद में एक चुटकी सौंठ मिलाकर चाटने से पेट दर्द मे काफी लाभ होता है।
4). अजीर्ण – शहद में अजवायन तथा सौंठ चूर्ण मिलाकर चाटने से अजीर्ण में लाभ होता है।
5). दस्त – शहद के साथ अनार दाना चूर्ण चाटने से दस्त बंद हो जाते हैं।
6). भूख न लगना – दो लौंग तथा एक दो कालीमिर्च को पीसकर शहद के साथ चाटना चाहिए।
7). अम्लपित्त – शहद में धनिया तथा जीरा के चूर्ण को मिलाकर धीरे-धीरे चाटना चाहिए। इससे अम्लपित्त की परेशानी दूर होती है।
8). पीलिया – शहद के साथ त्रिफला चूर्ण सेवन करने से पीलिया का रोग नष्ट हो जाता है।
9). सिर का दर्द – सिर का दर्द खत्म करने के लिए सिर पर शुद्ध शहद का लेप करना चाहिए।
10). रतौंधी – सलाई या अंगुली की सहायता से शहद को काजल की तरह आंखों में सुबह तथा रात को सोते समय लगाना चाहिए।
11). आंख में जलन – निबौंली (नीम का फल) के गूदा के साथ शहद मिलाकर आंखों में काजल की तरह लगने से आँखों की जलन मे लाभ होता है।
12). मुंह के छाले – एक चम्मच शहद के साथ फिटकरी को पानी में घोल लें अब इस पानी से भोजन करने से पहले सुबह, दोपहर तथा शाम को कुल्ला करें ,छाले मे लाभ होगा।
13). आवाज का बैठ जाना – मुलहठी चूर्ण को शहद के साथ चाटने से रोग दूर होता है ।
14). पायरिया – नीम का तेल ,नींबू का रस तथा शहद मिलाकर मसूढ़ों की मालिश करके कुल्ला कर लें।
15). जुकाम – एक चम्मच अदरक के रस में उतना ही शहद मिलाकर सुबह-शाम चाटने से जुकाम खत्म हो जाता है और भूख बढ़ती है।
16). बिच्छू का डंक – शहद को बिच्छू के डंक मारे हुए स्थान पर लगाने से पीड़ा कम हो जाता है।
17). उल्टी – शहद को गुड़ में मिलाकर सेवन करने से उल्टी आने से छुटकारा मिलता है।
18). यक्ष्मा या टी.बी. – शहद के साथ ताजा मक्खन मिलाकर सेवन करने से क्षय रोग (टी.बी.) में लाभ होता है।
19). कान दर्द – कान मे पीव या कान में दर्द होने पर कान में शहद डालने से कान की पीव और कान का दर्द दूर हो जाता है।
शहद सेवन में सावधानियां और इसके नुकसान : Side Effects of Honey in Hindi
shahad khane ke nuksan bataye
शहद का सेवन करना जहां इतना गुणकारी और लाभकारी होता है वहीं ग़लत ढंग से शहद का सेवन करना शरीर एवं स्वास्थ्य को हानि पहुंचाने वाला और रोग कारक भी होता है इसलिए इस पहलू पर जानकारी देना बहुत ज़रूरी है। इस विषय में कुछ खास-खास बातें प्रस्तुत हैं –
☛ पहली बात – shahad ko garam karne se kya hota hai – सबसे ज़रूरी बात यह है कि शहद को गरम करके, ग्रीष्म ऋतु में, गरम पदार्थ के साथ, गरम शरीर और गरम वातावरण में शहद का सेवन नहीं करना चाहिए। इस विषय में आयुर्वेद ने स्पष्ट चेतावनी दी है –
उष्णैर्विरुध्यते सर्वं विषान्वयतया मधु ।
उष्णार्त्तमुष्णैरुष्णै वा यनिहन्ति यथा विषम् ॥
तत्सौ कुमार्याच्चतथैव शैत्यान्ना नौषधीनां रस सम्भवाच्च ।
उष्णैविरुध्येत विशेषतश्च तथा ऽ न्तरीक्षेण जलेन चापि । – सुश्रुत संहिता
अपनी उत्पत्ति विषसंसर्गजन्य होने से शहद गरम अवस्था के विरुद्ध पड़ता है इसलिए अग्नि व सूर्य के ताप से पीड़ित व्यक्ति को शहद का सेवन नहीं करना चाहिए। उष्ण द्रव्यों के साथ, ग्रीष्म व शरद ऋतु में यानी गर्मी के समय में शहद का सेवन नहीं करना चाहिए । इसका कारण यह है कि शहद में मधुमख्खी के डंक में उपस्थित विष का थोड़ा अंश रहता है। विष की प्रकृति गर्म होती है। शहद को गरम करने या किसी भी कारण से गर्मी के सम्पर्क आने पर ‘सर्वदा सर्व भावानां सामान्यं वृद्धिकरणं’ के अनुसार विषाक्त प्रभाव में वृद्धि होने लगती है और शहद में विषाक्त प्रभाव बढ़ जाता है जिससे लाभ के स्थान पर हानि होने लगती है इसीलिए आयुर्वेद ने यह चेतावनी दी है कि शहद को उष्णता के सम्पर्क में न आने दिया जाए।
भावप्रकाश निघण्टु में भी लिखा है – विषैले भौरे (मधुमख्खी) पुष्पों से पराग रस ले कर शहद बनाते हैं। यह शहद ठण्डा ही गुणकारी होता है। इसमें विषैले पदार्थ का संयोग रहने, गरम पदार्थ का संयोग होने से अथवा गरम किये जाने से, उष्ण ऋतु या उष्णकाल में मधु गरम हो कर विष के सदृश्य काम करता है।
ऐसा ही मत अष्टांग संग्रह, चरक संहिता आदि ग्रन्थों में भी पढ़ने को मिलता है। ‘उष्णमुष्णार्तमुष्णे च युक्तं चोष्णैर्निहन्ति तत्‘ (अष्टांग हृदय) के अनुसार गरम किया हुआ, गर्मी से पीड़ित अवस्था में, गर्म समय और गर्म आहार के साथ शहद का सेवन विष के समान हानिकारक होता है।
चरक संहिता में भी यही कहा गया है, यथा – ‘मधुचोष्ण मुष्णार्तस्य च मधु मरणाय‘ अर्थात् गरम किया हुआ और गर्मी से पीड़ित अवस्था में शहद का सेवन करना अत्यन्त हानिकारक होता है।
यह बड़े आश्चर्य और खेद की बात है कि आयुर्वेद शास्त्र द्वारा ऐसी स्पष्ट चेतावनी दी गई है फिर भी स्वास्थ्य-विषय से सम्बन्धित पुस्तकों में शहद गरम पानी या गरम दूध के साथ या गरम करके सेवन करने के लिए लिखा हुआ पढ़ने को मिलता है। प्राकृतिक चिकित्सा से सम्बन्धित साहित्य में शहद का ज़िक्र आता ही है और वहां भी शहद को गरम पानी में पीने का ज़िक्र पढ़ने को मिलता है। हम इसका दृढ़ता से विरोध करके आपको सावधान करते हैं कि आयुर्वेद की इस चेतावनी को ध्यान में रख कर शहद का सेवन गरम पानी, गरम दूध, गरम ऋतु और गरम वातावरण में कदापि न करें।
☛ दूसरी बात – shahad aur ghee khane ke nuksan – आयुर्वेद ने शहद के सेवन के बारे में एक निर्देश और दिया है कि ‘मधु सर्पिषी समघृते‘ अर्थात् शहद और घी को समान मात्रा में मिला कर सेवन करना विष के समान हानिकारक हो जाता है जिस किसी नुस्खे या योग में घी और शहद साथ लेने का बताया हो वहां घी और शहद बराबर वज़न में न ले कर, घी एक भाग और शहद तीन भाग या चार भाग लेना चाहिए यानी घी और शहद का अनुपात (Ratio) 1:3 या 1:4 रखना चाहिए। इस अनुपात में दोनों को मिला कर सेवन करने से यह योग हानिकारक नहीं बल्कि पौष्टिक और बलवीर्यवर्द्धक हो जाता है।
☛ तीसरी बात – jyada shahad khane ke nuksan -शहद की इतनी प्रशंसा पढ़ कर इसे लगातार कई महीनों तक भारी मात्रा में सेवन करना उचित नहीं। इसे भारी मात्रा में लगातार सेवन करने से ‘आमाजीर्ण’ नामक व्याधि होने की सम्भावना रहती है और आमाजीर्ण एक ऐसी व्याधि है जिसकी चिकित्सा करना बहुत कठिन होता है ।
दोषों को दूर करने के लिए : यदि शहद से कोई हानि हो तो इसके दोषों को दूर करने के लिए नींबू का सेवन करें।
शहद का मूल्य : Honey Price
- Dabur Honey Squeezy – India’s No.1 Honey – 400 g (Buy 1 Get 1 Free) – RS 266
- Apis Himalaya Honey, 1kg (Buy 1 Get 1 Free) – Rs 366
- Patanjali Honey, 1kg – Rs 275
- Zandu Pure Honey, 500g – Rs 243
कहां से खरीदें :
(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)