Last Updated on May 14, 2021 by admin
रोड एक्सीडेंट्स में सिर की चोट इतनी गंभीर होती है, कि कई युवा मारे जाते हैं अथवा लंबी अवधि के लिए विकलांग हो जाते हैं। मस्तिष्क हमारे शरीर का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है जिसे प्रकृति ने खोपड़ी की हड्डी के सुरक्षा कवच में रखा है। मस्तिष्क हमारी चेतना (होश), पहचान, याददाश्त, बुद्धि, संवेदनाएं तथा शारीरिक परिचालन को नियंत्रित करता है। हेड इंज्यूरी के कुछ मरीजों में गर्दन की रीढ़ की हड्डी (सर्वाइकल स्पाइन) पर भी चोट लगने की आशंका रहती है। इस तरह की चोट से स्पाइनल कॉर्ड यानी मेरू तंत्रिका को भी नुकसान पहुंच सकता है जिसकी वजह से दोनों हाथों अथवा पैरों में लकवा होने की भी संभावना हो सकती है।
कितना सुरक्षित है मस्तिष्क :
खोपड़ी की हड्डियां बहुत मजबूत एवं मोटी होती हैं। दिमाग को चारों तरफ से घेरकर झिल्लियों की तीन परत खोपड़ी में सुरक्षित रखती हैं। दिमाग के भीतर और बाहर पानी भरा रहता है जो छोटे हल्के धक्कों को शॉक एब्जावर की तरह बर्दाश्त कर सकता है। जोर की चोट लगने ये सुरक्षा कवच टूट जाता है।
क्या दें प्राथमिक चिकित्सा :
मस्तिष्क की चोट का पहला घंटा बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस अवधि में मरीज को समुचित चिकित्सा मिल जानी चाहिए यदि मरीज को प्राथमिक चिकित्सा देते हुए किसी सुसज्जित अस्पताल तक पहुंचा दिया जाए तो उसे मरने से अथवा हमेशा के लिए विकलांग होने से बचाया जा सकता है।
- घटनास्थल पर मौजूद लोगों को घायल की धड़कनों की गति को जानने की कोशिश करना चाहिए। इसके अलावा देखें कि हाथ पैर ठंडे तो नहीं हो रहे हैं। याद रखें कि बहुत ही कम मरीज गंभीर चोटग्रस्त होते हैं।
- चोटग्रस्त मरीज को कुछ खाने अथवा पीने के लिए ना दें।
- मरीज को करवट से लेटा दें, ताकि मुंह और गले में फंसी गंदगी अथवा किसी किस्म
- की रुकावट बाहर निकलने में आसानी हो।
( और पढ़े –प्राथमिक उपचार क्या है, विधि और महत्व )
अस्पताल में इलाज (sir ki chot ka upchar) :
मरीज के सिर की चोट की गंभीरता के अनुरूप उसका इलाज किया जाता है। अधिकांश मरीजों को दवा गोलियों से ठीक किया जा सकता है। गंभीर चोटग्रस्त मरीजों की आवश्यतानुसार सर्जरी भी की जाती है। कई बार कई तरह के ऑपरेशन हो चुकने के बाद भी मरीज की जान तो बच जाती है, लेकिन वह कब होश में आएगा या कि बोलना कब शुरू करेगा इसकी कोई गारंटी नहीं रहती है।
कैसे ठीक होता है मरीज :
दिमाग की चोट अपने आप ठीक होती है। प्रकृति स्वयं ही इस तरह की चोट को ठीक करती है। इसमें समय ज्यादा यानी महीने व वर्ष भी लग सकते हैं। परिजनों के हाथ में यह है कि वे मरीजों की भरपूर सेवा करें। साफ सफाई, हाईजीन तथा पौष्टिक भोजन कराने का ध्यान रखें।
क्या होता है सिर में चोट लगने पर :
- रोड एक्सीडेंट्स के दौरान मस्तिष्क अंदर ही अंदर झटके खाता है।
- मस्तिष्क अपने स्थान पर ही हिल जाता है।खोपड़ी की हड्डी से रगड़ जाता है।
- चोट से दिमाग के रेशे टूट जाते हैं।
- खून की नलिकाएं फट जाती हैं और सूजन आ जाती है।
- मस्तिष्क के विद्युतीय परिपथ थम जाता हैं।
क्या रखें सावधानी :
- दोपहिया वाहन चलाते समय आगे और पीछे बैठने वाले दोनों व्यक्ति अच्छी क्वालिटी का हेलमेट पहनें।
- चार पहिया वाहन चलाते समय सीट बेल्ट जरूर लगा लें साथ बैठने वालों पर भी यह नियम लागू होता है।
- लापरवाही से वाहन ना चलाएं क्योंकि ऐसा करने से खुद भी घायल हो सकते है दूसरों को भी चोट पहुंचा सकते हैं।