Last Updated on May 17, 2023 by admin
सिरका क्या होता है ? : sirka(vinegar) in hindi
सिरका या चुक्र प्राचीनकाल से ही भारत ही नहीं, यूरोपीय एवं एशियाई देशों में भोजन का अंग रहा है। महानगरों में कम, पर गाँव-देहात में अधिकतर घरों में सिरका मिल जाता है। प्राचीन ग्रंथों में इसके उपयोग का उल्लेख है। आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसका ओषधि के रूप में वर्णन आया है। ईसाई ग्रंथ बाइबिल में इसका जिक्र है। इतना ही नहीं, 16वीं शताब्दी में फ्रांस में इसका इतना उत्पादन होता था कि अपने देश की जरूरतें पूरी करने के बाद विदेशों में निर्यात किया जाता था।
सिरका बनने या बनाने में प्रमुख घटक है शर्करा, क्योंकि सबसे पहले शर्करा ही एंजाइमों से किण्वित होकर मदिरा बनती है, फिर बाद में उपयोगी जीवाणुओं से एसिटिक अम्ल में किण्वित होती है। अतः जिन फलों में शर्करा होती है, उन्हीं का सिरका बनाया जा सकता है। अंगूर, सेब, संतरा, अनन्नास, जामुन, गन्ना तथा शर्करावाले अन्य फलों से बड़ी आसानी से सिरका बनाया जा सकता है। चूंकि इन सबमें जीवाणुओं के लिए पोषक पदार्थ पर्याप्त मात्रा में होते हैं। दरअसल सिरका एक विशेष प्रकार के बैक्टीरिया के द्वारा बनाया जाता है।
सिरका कैसे बनाये ? : sirka kaise banta hai in hindi
सिरका बनाने की प्रायः दो विधियाँ प्रचलित हैं।
सिरका बनाने की पहली विधि – पहली विधि में मंद गति से सिरका शनैः-शनैः बनता है। इस विधि में जिस भी फल का सिरका बनाना होता है, उसके खमीर यानी किण्वनशील पदार्थ को, जिसमें लगभग 5-10 प्रतिशत तक अल्कोहल होता है, उसे बड़े बरतन या कड़ाह में भरकर रख दिया जाता है। इस बरतन को पूरा न भरकर इसका लगभग तीन-चौथाई भाग भरा जाता है, एक चौथाई भाग हवा के आने-जाने के लिए रखा जाता है। अब इसमें थोड़ा सा सिरका, जिसमें एसिटिक अम्ल के जीवाणु होते हैं, डाल दिया जाता है, इसके बाद इसका सड़ना यानी किण्वन क्रिया धीरे-धीरे शुरू हो जाती है। इसके लिए 30-35 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान उपयुक्त रहता है। धीरे-धीरे सिरका बनने में 3 से 6 महीने तक लग जाते हैं। इस बीच इसे दो-तीन बार छाना जाता है।
सिरका बनाने की दूसरी विधि – दूसरी विधि में त्वरित गति से सिरका बनाया जाता है। यह विधि ज्यादातर व्यापार के लिए सिरका बनाने में उपयोग में लाई जाती है। इस विधि में लकड़ी के या मिट्टी के बड़े-बड़े पीपों को लकड़ी के बुरादे, झामक (Pumic), कोयला, लोहे के टुकड़े आदि से भर देते हैं, ताकि जीवाणुओं को आलंबन तथा हवा के संपर्क की सुविधा मिलती रहे, इसके बाद एसिटिक और अल्कोहलीय जीवाणुओं को धीरे-धीरे इनके ऊपर से टपकाते हैं। फिर जिस भी फल के रस से सिरका बनाना है, उस रस को ऊपर से इन पीपों में गिराते हैं। रस के धीरे-धीरे टपकने पर हवा पीपे में ऊपर की ओर उठती है और तेजी से अम्ल बनने लगता है। यह क्रिया तब तक चलने दी जाती है, जब तक कि तीक्ष्ण झर (गंध) वाला सिरका प्राप्त नहीं हो जाता। एक बार में एक ही फल के रस से सिरका बनाना चाहिए। गाँव में अधिकतर गन्ना की पिराई के बाद गन्ने के रस से तथा भादों मास में जामुन-फलों से सिरका बनाया जाता है।
सिरका के उपयोग : sirka ke upyog hindi me
- सिरका अलग-अलग फलों का होता है। गन्ने के रस से तैयार सिरका में अचार, यानी सिरके में हरी मिर्च, करौंदा, शलजम, टैंटी, गाजर-मूली का अचार बड़ा स्वादिष्ट तथा पाचक होता है। यह भूख को बढ़ा देता है।
- जामुन का सिरका मधुमेह के रोगियों के लिए रामबाण ओषधि है।
- सेब तथा नाशपाती का सिरका पाचक तथा पौष्टिक होता है।
- दाल, सब्जी, सांभर आदि में डालने से इनका स्वाद बढ़ जाता है।
- बाजार में चाऊमिन, गोलगप्पे का स्वादु पानी बनाने में सिरके का उपयोग होता है।
- बड़ी-बड़ी शादी-पार्टियों में इसका उपयोग होता है। अन्य खाद्य सामग्री के साथ हलवाई सिरका विशेष रूप से लिखवाते हैं।
- घरेलू चिकित्सा में इसका घरघर में उपयोग होता है। पेट से संबंधित किसी भी तरह की गड़बड़ी में यह सर्व सुलभ दवाई है। और नि:संकोच इसका उपयोग किया जाता है।
सिरके के फायदे व औषधीय उपयोग : sirka ke fayde ,labh aur aushadhi upyog
आयुर्वेदिक चिकित्सकों ने इसके अनेक उपयोग बतलाए हैं। भारत के घर-घर में यह घरेलू चिकित्सा में उपयोग किया जाता है।
1. गैस-अफारा : पेट फूल जाए, अफारा हो या गैस बन रही हो तो एक गिलास पानी में दो चम्मच सिरका तथा दो चुटकी काला नमक डालकर पिला दें। ( और पढ़े –पेट की गैस को ठीक करने के आयुर्वेदिक उपाय )
2. खट्टी डकारें: पाचन संबंधी सभी रोगों में सिरका बड़ा गुणकारी है। अपच हो, खट्टी डकारें या ज्यादा खा लिया हो तो आधा गिलास पानी में दो चम्मच सिरका तथा आधा चम्मच खाना सोडा डालकर पिला दें। इससे पेट तुरंत हल्का महसूस होगा। ( और पढ़े – एसिडिटी के सफल 59 घरेलु उपचार)
3. तृषा-दाह : बार-बार प्यास लग रही हो, बेचैनी महसूस हो तो एक गिलास पानी में दो चम्मच सिरका तथा दो चुटकी सादा नमक डालकर पी लें। इसके सेवन से कुछ मिनट में ही शांति महसूस होगी।
4-बाल झड़ना : असमय बाल झड़ रहे हैं या गंजापन बढ़ रहा हो तो बालों की जड़ों में सिरके की मालिश करें। इससे बाल मजबूत बनते हैं। ( और पढ़े –बालों के टूटने व झड़ने से रोकते है यह 26 रामबाण घरेलु उपाय )
5. सुंदर-चमकीले बाल : जब आप नहाने के बाद सिर के बाल धो चुकें तो अंत में एक मग पानी में एक चम्मच सिरका मिलाकर बाल पुनः धोएँ। इससे बाल चमकदार बनते हैं।
6. भोजन में अरुचि : भूख कम लगती है या खुलकर नहीं लगती अथवा भोजन करने की इच्छा नहीं होती हो तो आधा कप सिरका में दो चुटकी नमक तथा एक चुटकी कालीमिर्च पाउडर डालकर भोजन के एक घंटा पूर्व सेवन करें। इससे भूख खुलकर लगेगी ( और पढ़े –अरुचि दूर कर भूख बढ़ाने के 32 अचूक उपाय)
7. जलने पर : आग से जलने पर तीन चम्मच पानी में एक चम्मच पुराना सिरका मिलाकर गीली पट्टी बाँधने से जलन शांत होती है तथा कुछ दिनों में घाव भी भर जाता है।
8. गले में खिचखिच : गले में खरास हो या खुजलाहट हो तो गुनगुने पानी में सिरका मिलाकर दिन में दो-तीन बार गरारे करने से आराम मिलता है।
9. मानसिक थकान : पढ़ते समय झपकियाँ आएँ या काम करते-करते थकावट महसूस हो तो आयुर्वेदिक चाय में 4-5 बूंदें सिरके की डालकर सेवन करें। इससे आलस्य दूर होगा, तन में स्फूर्ति आएगी। ( और पढ़े –थकावट दूर करने के 13 असरकारक घरेलू उपाय )
10. खुश्की : हाथ-पैरों में खुश्की के कारण खुरदरापन हो तो सिरके में नीबू का रस मिलाकर हाथ-पैरों की मालिश करने से खुश्की दूर होती है। इससे त्वचा चिकनी तथा मुलायम बन जाती
11. विषनाश : जहरीले जीव बर्र, ततैया, मकड़ी आदि के काटने पर दंश स्थान पर सिरका लगने से विष का प्रभाव कम हो जाता है, सूजन नहीं चढ़ती है।
12. दाग-धब्बे : बेसन, हल्दी, मलाई तथा सिरका मिलाकर पेस्ट बनाएँ। इसका चेहरे पर लेप करें। एक घंटा बाद साफ पानी से धो डालें। नियमित करने से चेहरे तथा त्वचा के दाग-धब्बे मिट जाते हैं।
13. काले बाल : असमय बाल सफेद हो रहे हों तो काली मेहँदी को सिरके में घोलकर बालों पर लगाएँ। सूखने पर बाल धो डालें। इससे बाल काले व चमकदार बनते हैं। इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं होता है।
14. कब्जियत : कब्ज रहती है तो शलजम, मूली, गाजर, गोभी आदि को साफ करके काटकर सिरके में डुबोकर रख दें। भोजन के समय इसमें से थोड़ा-थोड़ा लेकर नमक डालकर खाया करें तो कब्ज की शिकायत नहीं रहेगी। भोजन जल्दी पचेगा। भूख भी खुलकर लगेगी।
15. मलेरिया का बुखार : 5 मिलीलीटर सिरके में अंजीर को डुबोकर सेवन करने से मलेरिया के बुखार में आराम आता है।
16. मसूढ़ों के रोग : सिरके में नमक और फिटकरी मिलाकर कुल्ला करने से मसूढ़ों से खून आना बंद हो जाता है।
17. प्यास अधिक लगना : ठंडे पानी में सिरका मिलाकर पीने से बादी की प्यास मिट जाती है।
18. जलोदर के लिए : सिरके को पानी की तरह पीने से जलोदर (पेट मे पानी भरना) का रोग ठीक हो जाता है।
19. प्लेग रोग : सिरके के साथ खाना खाने से प्लेग की बीमारी दूर हो जाती है और सिर व पसलियों का भी दर्द दूर हो जाता है।
20. पेट दर्द में : 1 गिलास पानी में थोड़ा-सा सिरका मिलाकर पीने से पेट का दर्द ठीक हो जाता है।
21. गठिया रोग : सिरके में मीठा तेल मिलाकर जोड़ों पर मालिश करने से गठिया के रोगी का दर्द दूर हो जाता है।
22. हाथों का खुरदरापन : पानी में सिरके को मिलाकर उस पानी से रोजाना हाथों को धोने से हाथों का खुरदरापन दूर होकर हाथ मुलायम हो जाते हैं।
23. मस्सा और तिल :
- सिरके में सीप की राख को मिलाकर मस्सों पर लगाने से चेहरे के मस्सें और तिल मिट जाते हैं।
- मोर की बीट को सिरके में मिलाकर मस्सें पर लगाने से मस्सें समाप्त हो जाते हैं।
24. गले के दर्द में : गले में दर्द और खराश होने पर गुनगुने पानी में सिरका मिलाकर गरारे करने से लाभ होता है।
25. गले के रोग में :
- कटहल के पेड़ के रस और सिरके को बराबर मात्रा में मिलाकर लगाने से गलगण्ड की गांठे बैठ जाती हैं या फिर पककर ठीक हो जाती हैं।
- सिरके को गर्म पानी में मिलाकर गरारे करने से गले के अंदर के छाले दूर हो जाते हैं।
अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।
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