स्नायु दुर्बलता दूर करने के उपाय ,दवा ,कारण और लक्षण | Snayu Durbalta Dur Karne ke Upay

Last Updated on November 15, 2019 by admin

स्नायु तंत्र क्या है व इसका मस्तिष्क से संबंध :

भले ही हमारा मस्तिष्क सारे शरीर को अपने अनुरूप चलाता है, मगर मस्तिष्क को मुख्य आदेश मन से मिलता है और मन कहता है कि उठना है। यही आदेश मस्तिष्क को जाता है, अब मस्तिष्क का काम है शरीर को उठने के लिए तैयार करना। आप लेटे हैं तो पहले बिठाएगा, फिर चारपाई से पाँव नीचे करने को कहेगा। फिर ज़ोर लगाकर ऊपर उठने, चारपाई छोड़ने, टाँगों पर वजन डालने, पीठ को सीधा करने,और खड़ा होने का निर्देश देगा। तब हम खड़े हो जाएँगे। आगे मन कहेगा कि चलना है, भागना है, मुड़ना है आदि। इसका पालन मस्तिष्क करेगा। इसी के अनुरूप हमारा मस्तिष्क शरीर से काम लेगा।

अब हम स्नायु तंत्र, मन, मस्तिष्क आदि की कार्यप्रणाली पर गौर करते हैं। इनकी संरचना और कार्यविधि की बात करते हैं :

✦ हमारे शरीर में दस-बीस नहीं, नाड़ियों का पूरा जाल बिछा है।
✦इन नाड़ियों का संबंध मस्तिष्क के साथ है। हाँ, कुछ का मेरुदंड से भी है।
✦ मगर शरीर की हर नाड़ी का संबंध परोक्ष अथवा प्रत्यक्ष में मस्तिष्क के साथ जा जुड़ता है।
✦ यह हमारा मस्तिष्क ही तो है जो पूरे शरीर का एक प्रकार से नियंत्रक है।
✦ शरीर के हर छोटे-बड़े अंग का संचालन करता है।
✦शरीर की विभिन्न क्रियाओं तथा कार्य-प्रणाली से इसका सीधा संबंध है।
✦मन का मस्तिष्क से सीधा संबंध है।
✦भावों का भी मस्तिष्क से सीधा संबंध है।
✦ यदि यह कहें कि मस्तिष्क का अध्ययनपक्ष मन है तो कोई गलती नहीं होगी।
✦मन में उठी इच्छा या मन में उठा भाव ही मस्तिष्क तक पहुँच, अपनी बात उस तक पहुँचाता है। मन ही मस्तिष्क को संचालित करता है। मन की बात मस्तिष्क तक पहुँचती है और मस्तिष्क इस आज्ञा का पालन करना शुरू कर देता है।
✦अब मस्तिष्क का काम है मन की बात को, मन द्वारा दिए गए निर्देश को कार्य रूप देना। इस प्रकार, मस्तिष्क द्वारा पूरे शरीर की क्रियाएँ, प्रक्रियाएँ नियंत्रित तथा संचालित होती हैं तथा नियमित होने लगती हैं। मनुष्य में विवेक है, विवेक शक्ति है, यह पशु में नहीं होती और यही अंतर है। मनुष्य और पशु में।

खास निष्कर्ष :

ऊपर बताए गए विवरण की खास बात, इसका खास निष्कर्ष यह इस प्रकार है :
✥नाड़ीतंत्र का स्वस्थ होना जरूरी है।
✥स्वस्थ नाड़ीतंत्र होगा तो मस्तिष्क भी स्वस्थ बना रहेगा।
✥यदि मस्तिष्क स्वस्थ है तो शरीर अपने सारे क्रिया-कलाप भी ठीक प्रकार से कर पाएगा।
✥स्वस्थ मस्तिष्क ही पूरे शरीर को सुचारु रूप से रखने, चलाने, इससे काम लेने की जिम्मेवारी लेता है।
✥यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि पूरे स्नायु तंत्र का मस्तिष्क और उसकी क्रियाओं, प्रक्रियाओं से सीधा संबंध है। ऐसा करने के लिए भोजन तथा भोजन में विद्यमान पोषक तत्त्वों का बहुत बड़ा हाथ है, बहुत बड़ी भूमिका है।

मस्तिष्क से आदेश-शरीर से कार्य लेना :

यदि मन चंचल न रहे. ठीक सुदृढ़ रहे तथा मस्तिष्क को सही व स्पष्ट निर्देश दे तो मस्तिष्क इनको अवश्य कार्य रूप में परिणत कर पाएगा।
अब देखते हैं कि किस पोषक तत्त्व से किसी कमी पर काबू पाया जा सकता है।

स्नायु दुर्बलता के लक्षण :

स्नायविक दुर्बलता के रोग में जलन शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है परन्तु यह जलन विशेष रूप से रीढ़ में होती है। इस रोग में किसी भी चीजों के प्रति रोगी अधिक संवेदनशील हो जाता है, रोगी थोड़ी सी परेशानी से घबरा जाता है, उसमें आत्मविश्वास की कमी हो जाती है, रोगी छोटी बातों को भी दिल से लगा लेता है, अधिक चिंता करता है, रात को नींद नहीं आती, भूख नहीं लगती, सिर दर्द रहता है एवं आत्महत्या करने का मन करता है। रोगी अपने आप को एकाग्र नहीं कर पाता जिससे उसका मन किसी काम में नहीं लगता है। रोगी अपनी बीमारी के बारे में चिंता करता रहता है।

स्नायु दुर्बलता दूर करने के उपाय और कारण :

1-लोह तत्त्व की कमी : यदि हमारे भोजन में लौह तत्त्व की कमी होगी। शरीर को उचित मात्रा में लौह तत्व प्राप्त नहीं होंगे तो हमारी स्मरण-शक्ति कमज़ोर होने लगेगी। चेतना का अभाव रहेगा। इसके लिए आहार में किसी न किसी प्रकार से लौह तत्त्व उचित मात्रा में अवश्य लें।
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2-विटामिन बी-6 तथा तांबे की कमी : अगर किसी के भोजन में विटामिन बी-6 तथा तांबे की या दोनों में से किसी एक की कमी हो तो दिमाग की कोशिकाएँ प्रभावित होने लगती हैं। इनमें असमान्यता महसूस होने लगती है। अतः आहार में ये दोनों लेते रहें। यह ज़रूरत विशेषकर 55 वर्ष की आयु के बाद होती है। यह कमी बनी न रहे, इसका ध्यान रखें।
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3-विटामिन-ई की कमी : यदि हमारे शरीर में विटामिन-ई की कमी रहेगी तो हृदय रोग के लक्षण भी पैदा होते नजर आएँगे। अतः संतुलित आहार लेते समय वे सब पदार्थ भी लें जो विटामिन-ई देते हैं। इसका कमी से पारकिंसन रोग होने का भय भी बना रहता है।

4-फास्फोरस तत्त्व : यदि किसी को ठीक से नींद न आती हो, दिमाग कमज़ोर होने लगे, तो उसे अजमोद दें। इसमें विद्यमान फास्फोरस तत्त्व इस स्थिति से उबारने में सक्षम होता है।

5-बादाम की गिरी : बादाम की गिरी को रातभर भिगोकर रखें। इसे प्रातः चबा-चबाकर खाने से स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है। याददाश्त बढ़ जाने से विद्यार्थियों को पाठ जल्दी याद होने लगता है। बड़ों का भुलक्कड़पन भी खत्म होता है।

6-सलाद के पत्ते : यदि किसी को घबराहट रहती हो, नाड़ी तेजी से चलती हो तो ऐसे में सलाद के पत्ते व पत्तों का रस दें। आराम आ जाएगा।
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7-नारियल : यदि ऐसा व्यक्ति नारियल का सेवन करे तो उसकी घबराहट पूरी तरह जाती रहेगी और मनोबल बढ़ेगा। यदि थकावट रहती हो तो थकावट भी दूर होगी।
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8-स्नायु दुर्बलता दूर करने के लिए क्या खाएं:
यहाँ हम ऐसे फल-सब्जियों तथा अन्य भोज्य पदार्थों की सूची दे रहे हैं जिनका सेवन करते रहने से हमारे शरीर के स्नायु तंत्र को किसी न किसी रूप से बल मिलता है-इसकी कार्यक्षमता में वृद्धि होती है और मस्तिष्क भी मजबूत होता है :
1. प्याज़, 2, ताजा प्याज़, 3. प्याज़ की भेंकें, 4. पालक के ताज़ा पत्ते, 5. पालक का रस, 6. पालक की सब्जी या साग, 7. सोयाबीन, 8. सोयाबीन का आटा, 9. सोयाबीन की बड़ियाँ, 10, सोयाबीन का दूध, पनीर, मक्खन आदि। 11. दही, 12, छाछ-लस्सी, 13. दूध, 14, दूध से बने पदार्थ, 15. पनीर कच्चा, 16, खीरा, 17. ककड़ी, 18. मूली, 19. मूली का रस, 20. मूली के पत्ते, 21. इन पत्तों की सब्ज़ी, 22, मूली के पत्तों का रस, 23.संतरा, 24,संतरे का जूस, 25, अनार, 26, अनार का रस, 27. अंगूर, 28. अंगूर का रस, 29. किशमिश, 30. मुनक्का, 31, मौसमी फल, 32. मौसमी का रस, 33. सेब, 34. सेब का रस, 35. सेब का मुरब्बा, 36. नींबू, 37. नींबू का अचार, 38. नींबू स्क्वाश,

9- तेल की मालिश करने से भी स्नायुतंत्र खूब अच्छी प्रकार काम करने लगता है।

विशेष : जिसका स्नायुतंत्र अच्छी प्रकार काम करता हो, मज़बूत हो, उसका मस्तिष्क भी तेज़ होगा। स्नायुतंत्र अथवा नाड़ीतंत्र किसी न किसी प्रकार से मस्तिष्क से जुड़ा होता है। जो नाड़ियाँ सीधी रीढ़ की हड्डी से जुड़ी हों, वे भी किसी न किसी रूप से, प्रत्यक्ष या परोक्ष में, मस्तिष्क से जुड़ी रहती हैं। मस्तिष्क को सुदृढ़ करने के लिए पहले नाड़ीतंत्र की चिंता व देखभाल करनी जरूरी है।

हृदय तथा स्नायु दुर्बलता का इलाज :

यदि किसी का हृदय कमजोर हो, स्नायु तंत्र भी कमजोर हो और दिल में घबराहट बनी रहती हो, तो इन दोनों को मजबूती देने के लिए एक सरल उपाय इस प्रकार है-ऐसा व्यक्ति रात में 5 बादाम, 11 किशमिश भिगो दे और प्रातः इन्हें खूब चबाता रहे, खाता रहे, धीरे-धीरे बड़े मजे के साथ खायें ताकि इसका रस खूब निकले। मुँह से लार भी बनती रहे जो पाचक होता है। फिर वह एक गिलास दूध पी ले,
इससे :
1, नाड़ीतंत्र मजबूत होगा, 2. हृदय को सुदृढ़ता मिलेगी, 3. रक्त शुद्ध होगा, 4. आधासीसी नहीं रहेगा।

स्नायुतंत्र की मजबूती, हृदय रोगों से छुटकारा, हर प्रकार से पुष्ट व स्वस्थ बनने के लिए हमें निम्न प्रकार के आहार खाने चाहिए जिनसे शरीर चुस्त होगा, थकावट नहीं रहेगी, नींद अच्छी आएगी, मस्तिष्क तेज होगा और अपने कार्य पूरे करना सरल रहेगा।
1. शहद का प्रयोग।
2. नींबू का सेवन।
3. पानी में शहद घोलकर, नींबू डालकर पी लें। इससे आधे सिर का दर्द भी नहीं
रहता।
4. ऐसे फल, सब्जियाँ खाएँ,ऐसे दूध व दूध से बने पदार्थ लें, जिनमें बी-कॉम्पलेक्स काफी मात्रा में हो। 5. स्नायु के विकारों को ठीक करने के लिए हर्बल चाय पीने की सलाह दी जाती है। यह हर्बल चाय यदि अजवायन वाली होगी तो और अधिक लाभ होगा।
6. सोयाबीन, सोयाबीन का आटा, दूध, बड़ियाँ-मतलब यह कि सोयाबीन का किसी न किसी प्रकार से सेवन जरूरी है।
7. स्मरण-शक्ति बढ़ाने के लिए, विशेषकर छोटे बच्चों व बूढ़ों में मास्तिष्क की तेजी के लिए गेहूँ का तेल, गेहूँ के घास का रस पीना चाहिए।
कैसे करें तैयार गेहूँ की घास का रस?
स्वयं घर में किसी भी टीन, पेटी या मिट्टी के चौड़े बर्तन में मिट्टी भर लें। इसमें गेहूं उगाएँ। जब यह 6 इंच ऊँची हो जाए तो इन्हें काटें, काटकर, धोकर इनका रस निकालें और यह बच्चों को दें। बच्चे की स्मरण-शक्ति हर दिन प्रति दिन बढ़ती जाएगी व बड़ों को देंगे तो उनकी भूल जाने की आदत खत्म होगी।

स्नायु दुर्बलता दूर करने की आयुर्वेदिक दवा :

अच्युताय हरिओम फार्मा द्वारा निर्मित ” शंखपुष्पी सिरप ” स्नायु दुर्बलता दूर करने वाली लाभदायक आयुर्वेदिक औषधि है ।

प्राप्ति-स्थान : सभी संत श्री आशारामजी आश्रमों व श्री योग वेदांत सेवा समितियों के सेवाकेंद्र से इसे प्राप्त किया जा सकता है ।

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