स्पॉन्डिलाइटिस : कारण, लक्षण और इलाज- Spondylitis ka Ilaj in Hindi

Last Updated on September 3, 2020 by admin

स्पॉन्डिलाइटिस क्या है ? (What is Spondylitis in Hindi)

spondylitis kya hota hai –

आजकल कम्प्यूटर का अधिक चलन है जिसके चलते काम करते वक्त सिर को झुकाना पड़ता है।
कारण कीबोर्ड का हमारी आंखों से नीचे होना होता है। इस गलत स्थिति की वजय से पीठ के कई हिस्सों तथा गर्दन में दर्द होने लगता है । यह पीड़ा इस कदर बढ़ जाती है की सिर को आसानी से किसी ओर झुकाने या मोड़ने पर कष्ट होता है। इसी को सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस कहा जाता है। हिन्दी में इसे ‘ग्रीवा पृष्ठ वेदना’ कहते है।

यह रोग गर्दन के पिछले भाग में स्थित सात कशेरूकाओं जो कि रीढ़ की हड्डी का भाग है उसमें विकृति उत्पन्न होने पर होता है। सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस बीमारी दिनोंदिन तेजी के साथ बढ़ती ही जा रही है। खास तौर पे बड़ी संख्या में युवा वर्ग इसकी चपेट में आ रहे है।

स्पॉन्डिलाइटिस क्यों होता है ? इसके कारण (Spondylitis Causes in Hindi)

spondylitis kyu hota hai –

आजकल लोग अपने जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए दिन-रात काम करते है जिसके कारण वे अपने स्वास्थ्य की तरफ भी ध्यान नहीं दे पाते है और अनेक रोगों का शिकार हो जाते है। इन्ही रोगों में से एक रोग है सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस । इसके संभावित प्रमुख कारण निम्लीखित है।

  1. हमारे शरीर में रीढ़ की हड्डी (मेरूदंड) उठने-बैठने, चलने-फिरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। रीढ़ की हड्डी या मेरूदंड छोटी-छोटी कशेरूकाओं से जुड़कर बनती है। गर्दन वाले भाग में मेरूदंड में सात कशेरूका होती है जिन्हें सर्वाइकल वर्टीब्रा (Cervical Vertebra) या सर्वाइकल कशेरूकाएं कहते है। इन कशेरूकाओं में कोई विकृति आ जाना इस रोग का मुख्य कारण होता है। ये कशेरूकाएं एक दूसरे के ऊपर सुव्यवस्थित ढंग से रखी और जुड़ी होती है और प्रत्येक कशेरूका के बीच एक निश्चित दूरी होती है। इन्ही कशेरूकाओं के मध्य से होकर मस्तिष्क को रक्त पहुंचाने वाली रक्तवाहिनियाँ तथा तंत्रिकाएं जाती है। तनाव युक्त मानसिकता के साथ लगातार ज्यादा समय तक बैठने, तेज आघात या चोट लगने, हड्डी संबंधी बीमारी, हड्डियों के घिसने, बढ़ती उम्र आदि कारणों से इन कशेरूकाओं में विकृति आ जाती है और इनके बीच की दूरी कम हो जाती है जिसकी वजय से, वहां से गुजरने वाली तंत्रिकाओं पर दबाव पड़ने लगता है। इस दबाव से ही रोग का प्रारंभ होता है।
  2. मोबाइलफोन या कम्प्यूटर पर गर्दन झुकाकर देर तक बातें या काम करना इस रोग का प्रमुख कारण है ।
  3. लम्बे समय से मधुमेह रोग ।
  4. व्यायाम न करना ।
  5. जो लोग मोटे गद्दे पर सोते है मोटी तकिया लगाते है उनको भी यह रोग हो सकता है।
  6. अत्यधिक शराब का सेवन ।
  7. धूम्रपान करना ।
  8. जंक-फूड्स का सेवन करना, आदि कारणों से सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस रोग होता है।

स्पॉन्डिलाइटिस के लक्षण (Spondylitis Symptoms in Hindi)

spondylitis ke lakshan kya hai –

  • सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस स्थित रीढ़ की हड्डी संबंधी गर्दन की बीमारी है।
  • इस रोग में गर्दन, कंधा, पीठ और बाई भुजा में दर्द होता है।
  • पीठ को ऊपरी भाग में तनाव बना रहता है।
  • इन स्थानों पर भारीपन तथा दर्द सदैव बना रहता है।
  • गर्दन हिलाने या मोड़ने में असुविधा होती है।
  • रोगी को चक्कर भी आ जाते है।
  • रात को सोकर सुबह उठने पर अक्सर गले में जकड़न हो जाती है कभी-कभी तो यह बहुत ही कष्टदायक होता है।
  • रोगी को गर्दन घुमाने पर कुछ घिसने की आवाज भी आ सकती हैं और गर्दन घुमाने या झुकाने में बहुत दिक्कत का सामना भी करना पड़ सकता है।
  • सिरदर्द सदैव बना रहता है तथा ऐसा प्रतीत होता है कि कोई भारी बोझ सिर पर रखा हुआ है।
  • दबाव अधिक होने की अवस्था में कभी-कभी पर्याप्त रक्त मस्तिष्क में नहीं पहुंच पाता है इसलिए रोगी कभी-कभी बेहोश भी हो सकता है।
  • वर्तमान समय में तनाव के कारण यह रोग अधिक बढ़ रहा है।

स्पॉन्डिलाइटिस का इलाज (Spondylitis Treatment in Hindi)

spondylitis ka ilaj kya hai –

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस का इलाज आधुनिक चिकित्सा में फिजियोथेरेपी तथा दर्द निवारक गोलियां है। इनसे तुरंत आराम तो मिल जाता हैं किंतु यह केवल अस्थायी उपचार है। सर्वाइकल स्पाण्डीलाइटिस से पूरी तरह मुक्ति के लिए किसी आयुर्वेद योग प्राकृतिक चिकित्सक की देखरेख में इलाज प्रारंभ कर देना चाहिए।

स्पॉन्डिलाइटिस के लिए योग (Yoga for Spondylitis in Hindi)

spondylitis ke liye exercise –

सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस में योगासन करने की सलाह दी जाती है लेकिन इसमें इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि ऐसा कोई आसन या मुद्रा न करें जिसमें आगे की तरफ झुकना पड़े क्योंकि इससे रोगी का कष्ट और अधिक बढ़ सकता है।

  1. भुजंगासन, शलभासन, धनुरासन, वज्रासन, सुप्तवज्रासन, मत्स्यासन, मकरासन, अर्धमत्स्येन्द्रासन, मल्लासन आदि बहुत उपयोगी है।
  2. सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस में सूर्य नमस्कार बहुत ही लाभकारी है।
  3. ब्रह्ममुद्रा का नियमित रूप से सुबह-शाम अभ्यास करना बहुत कारगर सिद्ध हुआ है। ब्रह्ममुद्रा की तीन क्रियाएं शुरू में तीन-तीन बार करें और जोर लगाकर न करें, सरलता से जितना चेहरा घुमा सके उतना ही घुमाएं। जब सरलता से सही मुद्रा लगने लगे तब एक-एक बार धीरे-धीरे बढ़ाकर उसे पांच-पांच बार करने लगे।
  4. इसके अलावा नाड़ी शोधन तथा उज्जयी प्राणायाम प्रतिदिन करने से भी इस रोग में अत्यंत लाभ मिलता है।

प्राकृतिक चिकित्सा से स्पॉन्डिलाइटिस का उपचार (Naturopathy Treatment for Ankylosing Spondylitis in Hindi)

  • प्राकृतिक चिकित्सा के अंतर्गत जल चिकित्सा, मुद्रा चिकित्सा तथा मालिश चिकित्सा की जाती है और रोगी को हल्का व सुपाच्य आहार करने की सलाह दी जाती है।
  • जलनेति, तेल नेति, कंजल, एनिमा, नेत्रस्नान, कंधों, गर्दन व पीठ के ऊपरी भाग पर गर्म ठंडा सेक प्रशिक्षित प्राकृतिक चिकित्सा की देखरेख में करने पर अत्यंत लाभ मिलता है।
  • मिट्टी चिकित्सा में गर्दन, मस्तिष्क पर मिट्टी की पट्टी रखी जाती है।
  • मालिश चिकित्सा में पंचगुण तेल या महानारायण तेल आदि से गर्दन, कंधा तथा पीठ के ऊपरी भाग में मालिश की जाती है।

( और पढ़े – पंचकर्म चिकित्सा क्या है ,विधि और फायदे

स्पॉन्डिलाइटिस की आयुर्वेदिक दवा और इलाज (Ayurvedic Medicine for Spondylitis in Hindi)

spondylitis ki ayurvedic dawa –

आयुर्वेद में सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस में वातनाशक चिकित्सा प्रमुख रूप से की जाती है क्योंकि आयुर्वेद में यह माना गया है कि वायु के प्रकोप से ही दर्द होता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा के अंतर्गत निम्न औषधियों का प्रयोग चिकित्सक परामर्शानुसार प्रयोग करने पर लाभदायक है।

समीरपन्नगरस, वात विध्वंसन रस, वृहतवात चिंतामणि रस, रसराज रस, गोदन्ती भस्म, वातगजांकुश रस, विषतिन्दुक वटी, अग्नितुण्डी वटी, पंचामृतलौह गुग्गुल, रास्नादि गुग्गुल, त्रयोदशांग गुग्गुल, अश्वगंधा चूर्ण, मेथी चूर्ण, अश्वगंधारिष्ट, दशमूलारिष्ट, महारास्नादि क्वाथ, रास्नासप्तक क्वाथ, दशमूल क्वाथ, महानारायण तेल, महामाष तेल, पंचगुणतेल आदि औषधियां सर्वाइकल स्पाण्डीलाइटिस में लाभकर है।

अनुभूत चिकित्सा –

  1. वातविध्वंसन रस 125 मि.ग्रा., समीरपन्नग रस 50 मि.ग्रा., गोदन्ती भस्म 500 मि.ग्रा., अश्वगंधा चूर्ण – 2 ग्राम शहद के साथ ले ।
  2. पंचामृत लौह गुग्गुल 2 सुबह-शाम लें।
  3. महारास्नादि क्वाथ 15 मि. ली. सममात्रा में जल मिलाकर सुबह-शाम भोजन के बाद लें।
  4. पंचगुण तेल से मालिश (अभ्यंग) करें।

स्पॉन्डिलाइटिस में आहार (Best Diet for Spondylitis in Hindi)

spondylitis me kya khaye –

  • उपरोक्त चिकित्सा करने के साथ ही रोगी को हल्का सुपाच्य आहार खाने की सलाह दी जाती है।
  • विटामिन बी और कैल्शियम से भरपूर आहार का सेवन करना चाहिए।
  • बादाम, पिस्ता और अखरोट में विटामिन इ और बी-1, बी-6, और बी-9 के साथ प्रोटीन और मैग्नीशियम पाया जाता है जो सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस से निजात दिलाने में मददगार है ।
  • दूध, गाजर, स्ट्राबेरी, केला, पत्तागोभी, प्याज आदि का समावेश भोजन में करना चाहिए।

स्पॉन्डिलाइटिस में परहेज और बचाव के उपाय (Prevention of Spondylitis in Hindi)

spondylitis se bachne ke upay –

  • कम्प्यूटर पर ज्यादा देर तक न बैठे। काम के वक्त बीच-बीच में कंधों और गर्दन को थोड़ा हिला लें । पंजो के बाल खड़े होकर हाथों को आपस में मिलाकर उपरे की तरफ धकेले।
  • मोटे गद्दे और तकिया के उपयोग से बचें । रोगी को तख्त या कड़े बिछावन पर सोना चाहिए।
  • पीठ के बल सोये, पेट के बल न सोयें।
  • सिर झुकाकर काम न करें ।
  • रोगी को ज्यादा वजन नहीं उठाना चाहिए।

(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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