Last Updated on July 9, 2020 by admin
असामान्य व अविकसित स्तन :
महिलाओं के शरीर में स्तनों का विशिष्ट स्थान है। इस दृष्टि से इनकी देखभाल और सुरक्षा करना बहुत जरूरी है। आज हर युवती चाहती है कि उसके स्तन उन्नत, सुडोल व विकसित दिखें । चेहरे के अलावा स्त्रियों के उन्नत स्तन ही आकर्षण का केंद्र होते हैं।
जब किसी कारण किसी युवती के वक्षस्थल का समुचित विकास नहीं हो पाता तो वह चिन्तित और दु:खी हो उठती है। प्राय: हमउम्र सहेलियों एवं परिवार की महिलाओं के सामने लज्जा का अनुभव करती है । उसे यह भी संकोच और भय होता है कि विवाह के बाद पति के सामने उसकी क्या स्थिति होगी।
शारीरिक सौंदर्य एवं देहयष्टि की दृष्टि से स्त्री शरीर में सुंदर, स्वस्थ और सुडौल स्तन शारीरिक आकर्षण के प्रमुख अंग तो है ही, नवजात शिशु को पोषक,शुद्ध और स्वास्थ्यवर्द्धक आहार उपलब्ध कराने वाले एकमात्र अंग भी हैं । कुमारी अथवा विवाहित युवतियों के लिए इन अंगों का स्वस्थ, पुष्ट और सुडौल होना आवश्यक माना जाता है। स्त्री के शरीर में पुष्ट, उन्नत और सुडौल स्तन जहां उसके अच्छे स्वास्थ्य के सूचक होते हैं, वहीं नारीत्व की गरिमा और सौंदर्य वृद्धि करने वाले प्रमुख अंग भी होते हैं। अविकसित, सूखे हुए और छोटे स्तन भद्दे लगते हैं । वहीं ज्यादा बड़े ढीले और बेडौल स्तन भी स्त्री के व्यक्तित्व और सौंदर्य को नष्ट कर देते हैं। स्तनों का सुडौल, पुष्ट और उन्नत रहना स्त्री के अच्छे स्वास्थ्य और स्वस्थ शरीर पर ही निर्भर हैं। घरेलू कामकाज और खासकर हाथों से परिश्रम करने के काम अवश्य करना चाहिए।
आयुर्वेद ने स्तनों की उत्तमता को यूं कहा है :
breast size kitna hona chahiye
स्तन अधिक ऊंचे न हों, अधिक लंबे न हों, अधिक कृश (मांसरहित) न हों, अधिक मोटे न हों। स्तनों के चुचुक (निप्पल) उचित रूप से ऊंचे उठे हुए हों, ताकि बच्चा भलीभांति मुंह में लेकर सुखपूर्वक दूध पी सके, ऐसे स्तन उत्तम (स्तन सम्पत्) माने गए हैं।
नारी शरीर में स्तनों का विकास किशोर अवस्था के शुरू होते ही 12-13 वर्ष की आयु होते ही होने लगता है और 16 से 18 वर्ष की आयु तक इनका विकास होता रहता है । गर्भ स्थापना होने की स्थिति में इनका विकास तेजी से होता है, ताकि बालक का जन्म होते ही, उसे इनसे दूध मिल सके। स्तनों का यही प्रमुख एवं महत्वपूर्ण उपयोग है।
स्तनों का आकार छोटा होने के कारण :
stano ka aakar chota kyon hota hai
- स्तनों का उचित विकास न होने के पीछे शारीरिक स्थिति एक प्रमुख कारण होती है। यदि शरीर बहुत दुबला-पतला हो, गर्भाशय में विकार हो, मासिक धर्म अनियमित हो तो युवती के स्तन अविकसित और छोटे आकार वाले रहेंगे, पुष्ट और सुडौल नहीं हो पाएंगे।
- एक कारण मानसिक भी होता है । लगातार चिन्ता, तनाव, शोक, भय और कुंठा से ग्रस्त रहने वाली, स्वभाव से निराश, नीरस और उदासीन प्रवृत्ति की युवती के भी स्तन अविकसित ही रहेंगे।
- यदि वंशानुगत शारीरिक दुबलापन न हो तो उचित आहार और हल्के व्यायाम से शरीर को पुष्ट और सुडौल बनाया जा सकता है। जब पूरा शरीर हृष्ट-पुष्ट हो जाएगा तो स्तन भी विकसित और पुष्ट हो जाएंगे । शरीर बहुत ज्यादा दुबला-पतला, चेहरा पिचका हुआ और आंखें धंसी हुई होंगी तो यही हालत स्तनों की भी होना स्वाभाविक है।
स्तनों (ब्रेस्ट) का आकार ज्यादा बड़ा व बेडौल होने के कारण :
युवतियों की एक समस्या और है-बेडौल, ज्यादा बड़े आकार के व शिथिल स्तन होना। इसके कारण हैं-
- शरीर का मोटा होना।
- चर्बी ज्यादा होना ।
- ज्यादा मात्रा में भोजन करना ।
- मीठे व गरिष्ठ पदार्थों का सेवन ।
- सुबह ज्यादा देर तक सोना ।
- दिन में अधिक देर तक सोना आदि ।
- मानसिक कारणों में एक कारण और है-कामुक विचारों का चिन्तन करना ।
- अश्लील साहित्य या चित्रों का अवलोकन ।
- हमउम्र सहेलियों से कामुकतापूर्ण बातें ।
- किसी बहाने से अपने स्तन सहलवाना या मर्दन करवाना ।
- किसी बहाने से स्तनों को छूने के पुरुषों को ज्यादा मौके देना आदि।
स्तनों का आकार बढाने के आसान घरेलू उपाय : Stan Badhane ke gharelu Nuskh
stano ka aakar kaise badhaye
पहला उपाय :-
गम्भारी की छाल 50 ग्राम लेकर कूट-पीसकर खूब महीन बारीक चूर्ण कर लें। इसे जैतून के तेल में मिलाकर गाढ़ा लेप बना लें। इसे सुबह नहाने से पहले स्तनों पर लगाकर मालिश करें। रात को सोते समय लेप कर मालिश करें और सुबह स्नान करते समय धो लें। यदि शरीर दुबला-पतला हो तो पौष्टिक आहार लें। 3-4 माह में स्तनों का आकार सुडौल और पुष्ट हो जाएगा।
दूसरा उपाय :-
अरंडी के पत्ते, घीग्वार (ग्वारपाठा) की जड़, इंद्रायन की जड़, गोरखमुंडी एक छोटी कटोरी, सब 50-50 ग्राम। पीपल वृक्ष की अंतरछाल, केले का पंचांग (फूल, पत्ते, तना, फल व जड़), सहिजन के पत्ते, अनार की जड़ और अनार के छिल्के, खम्भारी की अंतरछाल, कूठ और कनेर की जड़, सब 10-10 ग्राम। सरसों व तिल का तेल 250-250 मिलीग्राम तथा शुद्ध कपूर 15 ग्राम।
यह सभी आयुर्वेद औषधि की दुकान पर मिल जाएगा।
निर्माण विधि – सब द्रव्यों को मोटा-मोटा कूट-पीसकर 5 लीटर पानी में डालकर उबालें। जब पानी संवा लीटर बचे तब उतार लें। इसमें सरसों व तिल का तेल डालकर फिर से आग पर रखकर उबालें। जब पानी जल जाए और सिर्फ तेल बचे, तब उतार कर ठंडा कर लें, इसमें शुद्ध कपूर मिलाकर अच्छी तरह मिला लें। बस दवा तैयार है।
प्रयोग विधि – इस तेल को नहाने से आधा घंटा पूर्व और रात को सोते समय स्तनों पर लगाकर हल्के-हल्के मालिश करें।
लाभ – इस तेल के नियमित प्रयोग से 2-3 माह में स्तनों का उचित विकास हो जाता है और वे पुष्ट और सुडौल हो जाते हैं। ऐसी युवतियों को तंग चोली (brassiere) नहीं पहननी चाहिए और सोते समय चोली पहनकर नहीं सोना चाहिए । इस तेल का प्रयोग लाभ न होने तक करना चाहिए।
स्तनों के सुंदर सुडौल आकार व कसावट के लिए घरेलू उपाय :
1). गम्भारी (Gambhari) की छाल 100 ग्राम व अनार के छिल्के सूखा कर कूट-पीस कर महीन चूर्ण कर लें । दोनों चूर्ण 1-1 चम्मच लेकर जैतून के इतने तेल में मिलाएं कि लेप गाढ़ा बन जाए। इस लेप को स्तनों पर लगाकर अंगुलियों से हल्की हल्की मालिश करें।आधा घंटे बाद कुनकुने गर्म पानी से धो डालें ।
2). छोटी कटेरी नामक वनस्पति की जड़ व अनार की जड़ को पानी के साथ घिसकर गाढ़ा लेप करें । इस लेप को स्तनों पर लगाने से कुछ दिनों में स्तनों का ढीलापन दूर हो जाता है।
3). बरगद के पेड़ की जटा के बारीक नरम रेशों को पीसकर स्त्रियां अपने स्तनों पर लेप
करें तो स्तनों का ढीलापन दूर होता है और कठोरता आती है।
4). इन्हीं के साथ सर्वोत्तम यह भी रहेगा कि रात को सोने से पहले किसी भी तेल की 10 मिनट तक मालिश करें। मालिश के दिनों में गेप न करें, रेग्यूलर करें व दो माह बाद चमत्कार देखें। स्तनों की मालिश हमेशा नीचे से ऊपर ही करें।
5). स्तनों की शिथिलता दूर करने के लिए एरण्ड के पत्तों को सिरके में पीसकर स्तनों पर गाढ़ा लेप करने से कुछ ही दिनों में स्तनों का ढीलापन दूर हो जाता है। कुछ व्यायाम भी हैं जो वक्षस्थल के सौंदर्य और आकार को बनाए रखते हैं।
6). फिटकरी 20 ग्राम, गैलिक एसिड 30 ग्राम, एसिड ऑफ लेड 30 ग्राम, तीनों को थोड़े से पानी में घोलकर स्तनों पर लेप करें और एक घंटे बाद शीतल जल से धो डालें। लगातार एक माह तक यदि यह प्रयोग किया गया तो 45 वर्ष की नारी के स्तन भी नवयौवना के स्तनों के समान पुष्ट हो जाएंगे।
यू करें स्तनों (ब्रेस्ट) की देखभाल :
स्वस्थ और सुंदर स्तनों के लिए इन बातों पर ध्यान दें –
- कभी-कभी स्तनों में हल्की सूजन और कठोरता आ जाती है। मासिक धर्म के दिनों में प्राय: यह व्याधि हुआ करती है, जो मासिक ऋतु स्राव बंद होते ही ठीक हो जाती है। ऐसी स्थिति में गर्म पानी से नैपकिन गीला करके स्तनों को सेकना चाहिए।
- गर्भावस्था के दिनों में स्तनों को भली प्रकार धोना, अच्छे साबुन का प्रयोग करना, चुचुकों को साफ रखना यानि चुचुक बैठे हुए और ढीले हों तो उन्हें आहिस्ता से अंगुलियों से पकड़कर खींचना व मालिश द्वारा उन्नत व पर्याप्त उठे हुए बनाना चाहिए, ताकि नवजात शिशु के मुंह में भलीभांति दिए जा सकें । यदि हाथों के सहयोग से यह संभव न हो सके तो ‘ब्रेस्ट पम्प’ के प्रयोग से चुचुकों को उन्नत और उठे हुए बनाया जा सकता है।
- कभी-कभी चुचुकों में कटाव, शोथ या अल्सर जैसी व्याधि हो जाती है। इसके लिए थोड़ा सा शुद्ध घी (गाय के दूध का) लें ,सुहागा फुलाकर पीसकर इसमें मिला दें। माचिस की सींक की नोक के बराबर गंधक भी मिला लें। इन तीनों को अच्छी तरह मिलाकर मल्हम जैसा कर लें और स्तनों के चुचुक पर दिन में 3-4 बार लगाएं ।
ताजे मक्खन में थोड़ा सा कपूर मिलाकर लगाने से भी लाभ होता है।
सावधानियां :
- किशोरावस्था में जब स्तनों का आकार बढ़ रहा हो, तब तंग अंगिया या ब्रेसरी का प्रयोग नहीं करना चाहिए, बल्कि उचित आकार की और तनिक ढीली अंगिया पहनना चाहिए। बिना अंगिया पहने नहीं रहना चाहिए वरना स्तन बेडौल और ढीले हो जाएंगे। ज्यादा तंग अंगिया पहनने से स्तनों के स्वाभाविक विकास में बाधा पड़ती है।
- भलीभांति शारीरिक परिश्रम करने वाली, हाथों से काम करने वाली किशोर युवतियों के अंग-प्रत्यंगों का उचित विकास होता है और स्तन बहुत सुडौल और पुष्ट हो जाते हैं । प्राय: घरेलू काम जैसे कपड़े धोना, छाछ बिलौना, बर्तन मांजना, झाडू-पोछा लगाना ऐसे ही व्यायम हैं , जो स्त्री के शरीर के सब अवयवों को स्वस्थ और सुडौल रखते हैं।
- बच्चे को जन्म देते ही स्तनों का प्रयोग शुरू हो जाता है । स्तन के चुचुकों को भलीभांति अच्छे साबुन-पानी से धोकर साफ करके ही शिशु के मुंह में देना चाहिए। यदि बच्चे को दूध पिलाने के बाद भी स्तनों में दूध भरा रहे तो इस स्थिति में हाथ से या ब्रेस्ट पंप’ से दूध निकाल देना चाहिए।
- स्तन में कभी कोई छोटी सी गांठ हो जाए जो कठोर हो और स्तन से दूध की जगह खून आने लगे तो यह स्तन के कैंसर हो सकने की चेतावनी हो सकती है। ऐसी स्थिति में तत्काल चिकित्सक से संपर्क करना जरूरी है।
- किसी भी स्थिति में स्तनों पर आघात नहीं लगने देना चाहिए ।
- सब प्रयत्न करने पर भी स्तन में कोई व्याधि, सूजन या पीड़ा हो तो शीघ्र ही किसी कुशल स्त्री चिकित्सक को दिखा देना चाहिए।
(दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)