Last Updated on August 15, 2019 by admin
नई बीमारी “टेक्स्ट नेक” क्या है ? : text neck in hindi
“टेक्स्ट नेक” गर्दन में होने वाले दर्द और झुकाव को कहते हैं। इस बीमारी के होने पर गर्दन का सामान्य झुकाव आगे की तरफ़ होने की बजाए पीछे की तरफ़ हो जाता है। इस तरह गर्दन की हड्डियों की प्रकृति में बदलाव आने से हड्डियों का क्षरण होने का ख़तरा बना रहता है। इसी क्षरण के कारण से रोगी को प्रायः सिर, गर्दन, कंधे और पीठ में दर्द बना रहता है और इन अंगों की मांसपेशियाँ अकड़ जाती हैं। इसे ही टेक्स्ट सिंड्रोम या टेक्स्ट नेक कहा जाता है।
केस-1
अविनाश को गर्दन में हल्का-हल्का दर्द रहता था, लेकिन वह दर्द दिनों-दिन बढ़ता जा रहा था। आज सुबह जब वह सोकर उठा तो उसे चक्कर आ रहे थे, वह अपना संतुलन नहीं बना पा रहा था। जब वह जाँच के लिए आया तो पता चला कि उसकी गर्दन का कर्व गड़बड़ हो गया है जिससे ब्रेन-स्टेम में खिंचाव के कारण उसे चक्कर आ रहे थे।
केस-2
दीप्ति को रात में मोबाइल फोन से चैट करने की आदत थी।
जब रात में वह मोबाइल फ़ोन ऑफ़ करके सोने लगी तो उसके सिर और आँखों में तेज़ दर्द होने लगा। जाँच में पाया गया कि दीप्ति की सर्वाइकल डिस्क प्रोलेप्स हो गई है जिसके कारण उसे यह समस्या हुई।
केस-3
तरुण एक अव्वल विद्यार्थी है जो काफ़ी देर रात तक पढ़ाई करता है, साथ ही साथ कम्प्यूटर, लेपटॉप और मोबाइल फ़ोन पर भी सक्रिय रहता है। हमेशा गर्दन झुकाने के कारण उसे गर्दन, कंधे एव हाथों में तेज़ दर्द शुरू होने लगा। दर्द बढ़ता जा रहा था और परीक्षाएँ नज़दीक आ रही थी। उपरोक्त तीनों केस आज से 15 साल पहले कभी-कभार ही देखने को मिलते थे लेकिन अब ऐसे मामले हम चिकित्सकों की प्रैक्टिस में रोज़ाना की बात हो गए हैं। अब रोज़ाना ही लगभग 4 से 5 युवा रोगी “टेक्स्ट नेक” नाम की एक आम हो रही बीमारी से पीड़ित होकर रोज़ाना मुझसे परामर्श लेने आते हैं।
टेक्स्ट नेक के कारण :
इक्कीसवीं सदी में मानवता के लिए उपहार बनकर आए गेजेट्स अब उसके लिए दुश्वारियाँ पैदा कर रहे हैं। ये गैजेट्स लोगों को दर्द के साथ-साथ तनाव भी दे रहे हैं। गैजेट्स की लत का इतना भयंकर प्रभाव पड़ रहा है। इसे लेकर ऑस्ट्रेलियन स्पाइनल रिसर्च फाउंडेशन के पूर्व गवर्नर डॉ. जेम्स कार्टर का कहना है कि “टेक्स्ट नेक” बीमारी से स्पाइन 4 से.मी. तक झुक सकती है।
इस बीमारी को लेकर सबसे बड़ा खतरा युवाओं और बढ़ते बच्चों को है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल से उनकी सर्वाइकल स्पाइन यानी गर्दन की हड्डियों को स्थायी नुक़सान पहुँच सकता है। यही चिंता की सबसे बड़ी वजह है, क्योंकि इस कारण उन्हें अपना पूरा जीवन गर्दन दर्द के साथ बिताना पड़ सकता है।
“टेक्स्ट नेक” यानी गर्दन, पीठ और कंधे की मांसपेशियों में अकड़न, दर्द और सुन्नपन एक वैश्विक बीमारी बन चुकी है।
एक शोध बताता है कि 18 से 44 साल तक की उम्र की लगभग 79 प्रतिशत जनसंख्या रोज़ाना जागी हुई अवस्था में, मात्र दो घंटे को छोड़कर, हर समय सेलफ़ोन का किसी न किसी रूप में इस्तेमाल करती रहती है। इन तकनीकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से हमारे शरीर को काफ़ी हानि पहुँच रही है, लेकिन अगर हम इन गैजेट्स के इस्तेमाल को लेकर सतर्कता बरतें तो टेक्स्ट नेक की परेशानी से बच सकते हैं। एक नज़र “टेक्स्ट नेक” के लक्षणों के बारे में :
टेक्स्ट नेक के लक्षण :
• इस बीमारी के होने पर अचानक रोगी की पीठ के ऊपरी हिस्से में भयानक दर्द होने लगता है और वहाँ की मांसपेशियों में तनाव आ जाता है। लेकिन ऐसा होने के पहले रोगी को इस बात का अहसास तक नहीं होता है। वह यह जान ही नहीं पाता है कि मैसेज भेजने या चैट करने के दौरान लंबे समय तक गर्दन को नीचे झुकाए रखने से उसकी गर्दन की मांसपेशियों को नुक़सान पहुँच रहा है और वे अकड़ती जा रही हैं।
• इस बीमारी के होने पर रोगी में तनाव जैसे भावनात्मक और व्यावहारिक परिवर्तन भी परिलक्षित हो सकते हैं। तनाव की वजह से “हैप्पी हॉर्मोन” प्रभावित हो सकता है।
• फ़ोन पर देखने के क्रम में अपनी ठोड़ी को अपनी छाती की ओर रखने से हमारी रीढ़ की हड्डी और ब्रेन स्टेम में खिंचाव होता है। इस कारण हमारे श्वसन, दिल की धड़कनों और रक्तचाप पर प्रभाव पड़ता है। इसके कारण हमारे भीतर ऐंडॉर्फिन और सेरोटोनिन जैसे हैप्पी हार्मोन्स का सिक्रेशन बंद हो जाता है। इन्हीं हार्मोन्स की वजह से हम खुशी महसूस करते हैं। इनके अभाव में हम हमेशा चिंता और तनावग्रस्त रहने लगते हैं।
बचाव के उपाय :
1- सेलफ़ोन, लैपटॉप और टैबलेट को जितना हो सके और अपनी आँखों के सामने रखें। अगर इन गैजेट्स का इस्तेमाल करते हुए आपको अपने जोड़ों और मांसपेशियों में तनाव महसूस हो रहा है, तो अपनी शारीरिक स्थिति में बदलाव करना चाहिए।
2- पूरे दिन अपने सिर को झुकाकर नीचे देखना घातक हो सकता है। घर में या ऑफ़िस में, कम्प्यूटर पर काम करते हुए थोड़े-थोड़े अंतराल पर 10 से 15 मिनट का ब्रेक अवश्य लेना चाहिए।
गर्दन झुकाकर सेलफ़ोन या कम्प्यूटर का प्रयोग नहीं करें।
3- टेबल और कुर्सी की ऊँचाई का अनुपात ठीक हो ताकि हमारी कमर सीधी रहे।
4- स्मार्ट फोन के स्थान पर साधारण फ़ोन का प्रयोग अधिक करें।
5- रीढ़ की हड्डी की नियमित मसाज़ करवाएँ।
6- रीढ़ की हड्डी के लिए नियमित व्यायाम एवं योग करें।
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