Last Updated on April 17, 2024 by admin
टांसिल बढ़ना क्या होता है ? : tonsil badhna kya hota hai
गले के प्रवेश द्वार के दोनों तरफ मांस की एक गांठ सी होती है, जो लसिका ग्रंथि के समान होती है जिसे टांसिल कहते हैं।
गले में छोटे-छोटे गोल कृत (गोल आकार के) मांसल तन्तु टॉन्सिल कहलाते हैं। इनमें पैदा होने वाले शोथ (सूजन) को टाँन्सिलाइटिस कहा जाता है।
टांसिल बढ़ने का कारण : tonsil badhane ka karan
- मैदा, चावल, आलू, चीनी, ज्यादा ठंडा, ज्यादा खट्टी चीजों का जरूरत से ज्यादा प्रयोग करना टांसिल के बढ़ने का मुख्य कारण है।ये सारी चीजें अम्ल (गैस) बढ़ा देती है। जिससे कब्ज की शिकायत बढ़ जाती है।
- सर्दी लगने की वजह से भी टांसिल बढ़ जाते हैं।
- खून की अधिकता, मौसम का अचानक बदल जाना जैसे गर्म से अचानक ठंडा हो जाना, आतशक (गर्मी), हवा का बुखार, दूषित वातावरण में रहने से भी टांसिल बढ़ जाते हैं।
- खराब दूध पीने से भी टांसिल बढ़ जाते हैं।
टांसिल बढ़ने के लक्षण : tonsil badhane ke lakshan
- गले में सूजन, दर्द, बदबूदार सांस, जीभ पर मैल, सिर में दर्द, गर्दन के दोनों तरफ लसिका ग्रंथियों का बढ़ जाना और उन्हें दबाने से दर्द होना, सांस लेने में परेशानी होना, आवाज का बैठ जाना, हरदम बैचेनी होना और सुस्ती आदि के लक्षण दिखाई देते हैं।
- इस रोग के होते ही ठंड लगने के साथ बुखार भी आ जाता है, गले पर दर्द के मारे हाथ नहीं रखा जाता और थूक निगलने में तकलीफ महसूस होती है।
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टांसिल बढ़ने पर खान-पान और परहेज :
- इस रोग में दूध, रोटी, खिचड़ी, तोरई और लौकी का पानी, नींबू का पानी, अनन्नास का रस, मौसंबी का रस और आंवले की चटनी का सेवन करना चाहिए।
- भोजन में बिना नमक की उबली हुई सब्जियां खाने से टांसिल में जल्दी आराम आ जाता है।
- मिर्च-मसाले से बने भोजन, ज्यादा तेल की सब्जी, खट्टी चीजें और तेज पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
- मूली, टमाटर, गाजर और पालक आदि सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए।
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टांसिल बढ़ने का घरेलू उपचार : tonsil badhane ka gharelu ilaj
1. लहसुन : लहसुन की एक गांठ को पीसकर पानी में मिलाकर गर्म करके उस पानी को छानकर गरारे करने से टांसिल(tonsils) के बढ़ने की बीमारी में लाभ मिलता है।
2. पपीता :
- टांसिल बढ़ने तथा गले में दर्द होने पर 1 गिलास गर्म पानी में 1 चम्मच पपीते का दूध मिलाकर गरारे करने से तुरंत आराम हो जाता है।
- कच्चे पपीते के हरे भाग को चीरकर उसका दूध निकालकर 1 चम्मच दूध को 1 गिलास गुनगुने पानी में डालकर गरारें करें। इससे टॉसिल में लाभ मिलता है।
3. लौंग : एक पान का पत्ता, 2 लौंग, आधा चम्मच मुलेठी, 4 दाने पिपरमेन्ट को एक गिलास पानी में मिलाकर काढ़ा बनाकर रोगी को पिलाने से टांसिल बढ़ने में लाभ होगा।
4. अजवाइन :
- 1 चम्मच अजवाइन को 1 गिलास पानी में डालकर उबाल लें। फिर इस पानी को ठंडा करके उससे कुल्ला और गरारे करने से आराम आता है।
- गर्म पानी में ग्लिसरीन मिलाकर कुल्ला करने से गले में काफी आराम आता है।
5. ग्लिसरीन : ग्लिसरीन को फुरेरी (रूई के फाये से) टांसिल पर लगाने से सूजन कम हो जाती है।
6. तुलसी :
- तुलसी की माला गले में पहनने से टांसिल (tonsils)के रोग नहीं होते हैं।
- तुलसी की एक चुटकी मंजरी (बीज) को पीसकर शहद के साथ चाटने से टांसिल ठीक होकर गला खुल जाता है।
- तुलसी के 4-5 पत्तों को पानी में डालकर उबाल लें। इस पानी से गरारे करने से गले में आराम आता है।
7. अनन्नास : टांसिल के बढ़ जाने पर अनन्नास का जूस गर्म करके पीने से लाभ होता है।
8. शहतूत : 1 चम्मच शहतूत के शर्बत को गर्म पानी में डालकर गरारे करने चाहिए।
9. दालचीनी :
- दालचीनी को पीसकर शहद में मिलाकर इसे उंगली से टांसिल पर लगाएं। इससे टांसिल के बढ़ने में लाभ होता है।
- चुटकी भर दालचीनी एक चम्मच शहद में मिलाकर प्रतिदिन 3 बार चूसने से टॉंसिल के रोग में सेवन करने से लाभ होता है।
10. नीम : निर्गुण्डी की जड़ चबाने से, नीम के काढ़े से कुल्ला करने से या थूहर का दूध टांसिल पर लगाने से टांसिल समाप्त हो जाते हैं।
11. मालकांगनी : मालकांगनी, हल्दी, पाढ़, रसौत, जवाखार और पीपल को बराबर लेकर पीस लें फिर इसमें शहद मिलाकर छोटी-छोटी गोलियां बनाकर रोजाना 2 गोली चूसने से टांसिल में आराम आता है।
12. हल्दी : 2 चुटकी पिसी हुई हल्दी, आधी चुटकी पिसी हुई कालीमिर्च, और 1 चम्मच अदरक के रस को मिलाकर आग पर गर्म कर लें और फिर शहद में मिलाकर रात को सोते समय पीने से 2 ही दिन में टांसिल की सूजन दूर हो जाती है। इसे भी पढ़े : गला बैठना के आयुर्वेदिक अनुभूत प्रयोग | Effective Home Remedies For Hoarseness
13. सिंघाड़ा : गले में टांसिल होने पर सिंघाड़े को पानी में उबालकर उसके पानी से कुल्ला करने से आराम आता है।
14. दारूहल्दी : टॉसिल (tonsil) में दारूहल्दी, नीम की छाल, रसौत तथा इन्द्रजौ को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाकर सेवन करें तथा इस बात का ध्यान रखें कि काढ़ा चार चम्मच से ज्यादा न हो, क्योंकि ज्यादा काढ़ा गले में खुश्की (गला सूख जाना) पैदा करता है।
15. नमक : गर्म पानी में एक चम्मच नमक डालकर गरारे करने से गले की सूजन में काफी लाभ होता है।
16. कालीमिर्च : कालीमिर्च, कूट, सेंधानमक, पीपल, पाढ़ और केवरी मोथा को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें और एक शीशी में भर लें। इसके बाद इसे शहद में मिलाकर बाहरी गालों और कंठ पर लेप करें।
17. तोरई : कड़वी तोरई को चिलम में रखकर तम्बाकू की तरह उसका धुंआ गले में लेकर लार टपकाने से गले की सूजन दूर हो जाती है।
18. फिटकरी : गले में दर्द होने पर गर्म पानी में फिटकरी और नमक डालकर गरारे करने से टांन्सिल (tonsil)ठीक होते हैं। इसके अलावा मुंह, गला और दांत साफ होते हैं।
19. वत्सनाभ : वत्सनाभ को पीसकर गले पर लेप करने से टांसिल इत्यादि गले के रोगों में बहुत लाभ मिलता है।
20. पलास : पलास की जड़ को घिसकर कान के नीचे लेप करने से गलगंड मिटता है।
टॉन्सिल की आयुर्वेदिक दवा : tonsil badhane ki dawa
तुलसी आर्क का टॉंसिल के रोग में सेवन करने से लाभ होता है।
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)