ऊर्ध्व पद्मासन करने का तरीका और इसके लाभ

Last Updated on July 13, 2021 by admin

ऊर्ध्व पद्मासन के लाभ (Urdhva Padmasana ke Labh in Hindi)

इंसान प्रयास करता है, लेकिन प्रयासरहित अवस्था अधिक सुखद होती है। जब आप किसी चीज़ को घटित कराने की कोशिश न करें, बल्कि अपने वास्तविक स्वरूप में रहें, तो चीजें बस अपने आप प्रकट होती हैं। दूसरों की राय सुनने या लोगों की खुशामद करने में लगे रहने से अक्सर विपरीत परिणाम मिलते हैं। प्रयास के साथ काम करने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि किसी भी प्रकार की इच्छाओं को स्वीकार कर लें। फिर बस सृष्टि पर विश्वास करें, यह आपकी इच्छाओं को साकार करने की योजना बना लेगी। प्रयासरहित बनने के लिए ऊर्ध्व पदमासन का अभ्यास करें। ऊपर से नीचे कमल मुद्रा में पैरों को मोड़ने के लिए अभ्यासी को हस्तक्षेप न्यूनतम करने होते हैं और बस “मुद्रा” में रहना भर होता है।

अन्य फायदे –

  • गर्दन, कंधे तथा मांसपेशियां मजबूत होती है ।
  • चित की स्थिरता व मन की एकाग्रता में लाभ होता है ।
  • पाचन में सुधार कर पेट के सभी अंगों को लाभ प्रदान करता है ।
  • सर दर्द में लाभदायक ।
  • मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति को बढाता है ।

ऊर्ध्व पद्मासन करने की विधि (Urdhva Padmasana Karne ki Vidhi in Hindi)

  1. फर्श पर लेटें, अपनी पीठ को टिका लें।
  2. पैरों को ऊपर उछालें और शरीर का वज़न पीठ के ऊपरी हिस्से पर साधे।
  3. घुटने को मोड़ते हुए दाएँ पैर की एड़ी को बाईं जाँघ के अंदरूनी हिस्से पर रख लें।
  4. घुटने को मोड़ते हुए बाएँ पैर की एड़ी को दाईं जाँघ के अंदरूनी हिस्से पर रख लें।
  5. हाथों को ऊपर की ओर फैलाएँ, घुटने उठाएँ और हथेलियाँ घुटनों पर रखें।

ऊर्ध्व पद्मासन करने में सावधानी (Urdhva Padmasana Karne me Savdhani in Hindi)

  • उच्च रक्तचाप की समस्या या कमर में दर्द होने की अवस्था में ऊर्ध्व पद्मासन ना करें ।
  • रीढ़ की हड्डी, गर्दन या कंधों में चोट लगी होने पर यह आसन नहीं किया जाना चाहिये ।
  • शुरुआत में अभ्यासी को योग्य प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में ही इसका अभ्यास करना चाहिये ।
  • प्रारम्भ में अधिक जोर न लगाएं।

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