विटामिन बी 3 की कमी के लक्षण ,रोग , गुण ,श्रोत और इलाज | Vitamin B3 ki Kami se Hone Wale Rog

Last Updated on December 4, 2019 by admin

विटामिन बी 3 क्या है ? : What is Vitamin B3 in Hindi

विटामिन बी 3 (नायसिन/ Niacin) विटामिन बी समूह का एक महत्वपूर्ण सदस्य है। थायमीन व रायबोफ्लेविन (विटामिन बी 1 व बी 2) के समान यह भी जल में घुलनशील पोषक तत्व है जिसकी अल्पमात्रा ही शरीर के लिए आवश्यक होती है किन्तु आहार में इससे युक्त पदार्थ न ग्रहण करने पर शरीर में इसकी न्यूनता के लक्षण दिखाई देते हैं।

विटामिन बी 3 की रासायनिक प्रकृति एवं गुणधर्म :

विटामिन बी 3 सफेद रंग का, स्वाद में कसैला और रवे युक्त पदार्थ है जो ताप, प्रकाश, अम्ल व क्षार के सम्पर्क में आने पर तथा आक्सीकरण की प्रक्रिया में अपेक्षाकृत स्थिर होता है। आहार बनाने की सामान्य विधियों में इसका ह्वास नहीं होता किन्तु यदि पकाते समय प्रयुक्त जल को फेंक दिया जाए तो विटामिन बी 3 की काफ़ी मात्रा नष्ट हो जाती है। अनाजों की उपरी पर्त में इस, विटामिन की अधिक मात्रा रहती है, किन्तु अनाजों को कूटने, छानने और पीसने की प्रक्रिया में यह विटामिन नष्ट हो जाता है। विटामिन बी 3 दो रूपों में प्राप्त होता है –
(1) निकोटिनिक एसीड (Nicotinic acid) और (2) निकोटिनामाइड या नायसिनामाइड (Nicotinamide or Niacinamide)

नायसिन शब्द का प्रयोग इन दोनों प्रकारों के लिए, सम्मिलित रूप से किया जाता है।

विटामिन बी 3 का पाचन एवं अवशोषण : Digestion & Absorption of Vitamin B3

विटामिन बी 3 पानी में घुलनशील होने के कारण बड़ी आसानी के साथ छोटी आंत (Small Intestine) के द्वारा अवशोषित हो जाता है और शरीर में प्रभाव करता है।

विटामिन बी 3 के लाभ व शरीर में इसकी उपयोगिता : Benefits of Vitamin B3 in Hindi

1) ग्लूकोज से उर्जा प्राप्त करने में विटामिन बी 3 की उपस्थिति महत्वपूर्ण

शरीर में विटामिन बी 3 की उपयोगिता मुख्यतः सह-एन्ज़ाइम (Coenzyme) के रूप में होती है। को-एन्ज़ाइम उतकों में आक्सीकरण की क्रिया में प्रमुख होते हैं। विटामिन बी 3 के द्वारा दो को-एन्ज़ाइम (1) NAD (Nicotinamide adenine dinucleotide) निकोटिनामाइड एडिनिन डाइन्यूक्लियोटाइड तथा NADP (Nicotinamide adenine dinucleotide phosphate) निकोटिनामाइड एडिनिन डाइन्यूक्लियोटाइड फॉस्फेट का निर्माण होता है। ये को-एन्ज़ाइम शरीर में चयापचय (Metabolism) सम्बन्धी अनेक क्रियाओं में भाग लेते हैं । ग्लूकोज़ से उर्जा प्राप्त होने की प्रक्रिया में इन को-एन्ज़ाइम की उपस्थिति महत्वपूर्ण होती है।

2) विभिन्न स्नायुओं पाचनसंस्थान की सामान्य क्रियाशीलता के लिए विटामिन बी 3 का होना आवश्यक

रायबोफ्लेविन के साथ विटामिन बी 3 की आवश्यकता, शरीर में प्रोटीन का अमीनोहरण (Deamination) कर, ग्लूकोज़ में बदलने की प्रक्रिया के लिए होती है। शरीर के विभिन्न स्नायुओं, कोशिकाओं, रक्त कोषों (Blood Cells) पाचनसंस्थान आदि की सामान्य क्रियाशीलता के लिए विटामिन बी 3 का होना आवश्यक है।

3) पेलाग्रा नामक रोग से बचाता है विटामिन बी 3

विटामिन बी 3 शरीर को पेलाग्रा (Pellagra) नामक रोग से बचाता है इसलिए यह विटामिन, पी-पी विटामिन यानी पेलाग्रा प्रिवेण्टिंग विटामिन (Pellagra Preventing Vitamin) के नाम से भी जाना जाता है।

विटामिन बी 3 प्राप्ति के श्रोत : Sources of Vitamin B3 in Hindi

1- विटामिन बी 3 (Vitamin B3) प्राप्ति का एक प्रमुख व समृद्ध साधन सूखा खमीर है।
2- इसके अलावा वे सभी भोज्य पदार्थों, जिनमें प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है, में विटामिन बी 3- की काफ़ी मात्रा पाई जाती है, जैसे- फलियां, मटर, दालें, मंगफली आदि।
4- साबुत अनाज, मक्खन, पिस्ता, बादाम आदि में विटामिन बी 3अच्छी मात्रा में पाया जाता है।
5- औसत आहार में अनाज, दालें, गिरी, मूंगफली आदि से विटामिन बी 3 की आवश्यकता पूरी हो जाती है।
6- इसके अलावा हमारे शरीर में भी विटामिन बी 3 का निर्माण होता है। अनेक भोज्य पदार्थों में, जो प्रोटीन पाया जाता है, उनमें ट्रीप्टोफेन (Tryptophan) नामक अमीनो-अम्ल होता है। यह अमीनो अम्ल शरीर में विटामिन बी 3 के निर्माण का पूर्वगामी तत्व (Precursor) की तरह कार्य करता है।
इस प्रकार विटामिन बी 3 युक्त आहार न लेने पर भी शरीर में कुछ मात्रा में इसका निर्माण हो जाता है किन्तु जब ऐसे आहार का सेवन लम्बे समय तक किया जाए जिसमें विटामिन बी 3 के साथ-साथ ट्रीप्टोफेन अमीनो-अम्ल का भी अभाव हो (विशेष कर मक्का, चावल पर आधारित भोजन) तो इस विटामिन की कमी के दुष्परिणाम देखे जाते हैं। इसी आधार पर कहा जा सकता है कि हरी पत्तीदार सब्जियों, आलू, फलियों और दूध आदि में विटामिन बी 3 तो न्यूनतम होता है किन्तु ट्रीटोफेन की पर्याप्त मात्रा होने से इनके लगातार सेवन से विटामिन बी 3 की कमी नहीं हो पाती।

विटामिन बी 3 की दैनिक आवश्यकता : Daily Requirements of Vitamin B3 in Hindi

शरीर में ग्लूकोज़ से उर्जा प्राप्ति में यह विटामिन सहायक होता है अतः इसकी आवश्यकता शरीर में उर्जा की आवश्यकता पर आधारित होती है। अनुमानित तौर पर शरीर में प्रति एक हज़ार कैलौरी ग्रहण किये जाने में 6.6 मि.ग्रा. विटामिन बी 3 आवश्यक होता है। विभिन्न आयु वर्ग व अवस्थाओं में, ICMR के पोषण-विशेषज्ञों द्वारा, विटामिन बी 3 की जो आवश्यक मात्रा बताई गई है उसकी जानकारी लेख के अन्त में दी जाएगी।

आवश्यक दैनिक मात्रा –

आयु समूहविटामिन बी 3 मि.ग्रा. / प्रतिदिन
शैशवावस्था
शुरु 6 माह तक710 मि.ग्रा.
6 से 12 माह तक650 मि.ग्रा.
बाल्यावस्था
1 से 3 वर्ष8 मि.ग्रा.
4 से 6 वर्ष11 मि.ग्रा.
7 से 9 वर्ष13 मि.ग्रा
किशोरावस्था
लड़के
10-12 वर्ष15
13-15 वर्ष16
16-18 वर्ष17
लड़कियां
10-12 वर्ष13
13-15 वर्ष14
16-18 वर्ष14
प्रौढ़ावस्था पुरूष
अत्यधिक क्रियाशील21
मध्यम क्रियाशील18
साधारण क्रियाशील16
महिला
अत्यधिक क्रियाशील16
मध्यम क्रियाशील14
साधारण क्रियाशील12
गर्भावस्था+2
शिशु को दुग्धपान कराने की अवस्था में प्रथम से 6 माह+3
6-12 माह+4

विटामिन बी 3 की कमी क्या है ? : What is Vitamin B3 deficiency in Hindi

सामान्यतः विटामिन बी 3 व रायबोफ्लेविन की कमी एक साथ ही देखी जाती है क्योंकि उर्जा व अन्य पोषक तत्वों के चयापचय की विभिन्न प्रक्रियाओं में, नियन्त्रक तत्व के रूप में, ये विटामिन अर्न्तसम्बन्धित (Inter-related) होते हैं तथापि भोजन के लम्बे समय तक विटामिन बी 3 की कमी बनी रहने पर ‘पेलाग्रा’ (Pellagra) नामक रोग हो जाता है।

( और पढ़े – विटामिन के प्रकार और उनकी कमी से होने वाले रोग )

विटामिन बी 3 की कमी के लक्षण : Vitamin B3 Deficiency Symptoms in Hindi

✦ रोग का प्रारम्भ त्वचा के खुरदुरेपन से होता है।
✦ इसके साथ साथ कमज़ोरी का अनुभव होना, सिरदर्द, वज़न व भूख में कमी आना, अपच, शरीर मे दर्द बने रहना, जैसी शिकायतें रहती हैं।
✦ थकावट के साथ उपरोक्त लक्षणों के कारण रक्ताल्पता (Anaemia) की स्थिति निर्मित हो जाती है।

विटामिन बी 3 की कमी से होने वाले रोग : Vitamin B3 ki Kami se Hone Wale Rog

विटामिन बी 3 की कमी बनी रहने पर ‘पेलाग्रा’ (Pellagra) नामक रोग हो जाता है।पेलाग्रा रोग के लक्षणों की गम्भीरता व क्रमबद्धता के आधार पर इसे 4-D का रोग (Disease of 4D’s) भी कहा जाता है क्योंकि इस विटामिन की अधिक समय तक न्यूनता होने पर प्राथमिक लक्षणों के अलावा निम्नलिखित दुष्परिणाम परिलक्षित होते हैं-

(1) त्वचा शोथ (Dermatitis) –
त्वचा के खुरदुरेपन के प्राथमिक लक्षण में बढ़ोतरी होने लगती है। त्वचा धीरे धीरे फटने लगती है। त्वचा का जो हिस्सा सूर्य के प्रकाश में आता है वह लाल पड़ जाता है व उसमें जलन होने लगती है। विशेष रूप से गर्दन, हाथ, बाहों, कोहनी, टांगों व घुटनों की त्वचा अत्यधिक प्रभावित होती है।

( और पढ़े – त्वचा की 6 प्रमुख समस्याएं और उनके घरेलू उपाय )

(2) अतिसार (Diarrhoea)-
पाचन संस्थान प्रभावित हो कर अपच व.वमन होने लगती है। मुंह के प्रभावित होने के कारण व्यक्ति ठीक से भोजन ग्रहण नहीं कर पाता व पचा भी नहीं पाता, परिणाम स्वरूप अतिसार हो जाता है।

(3) उन्माद (Dementia)-
इस स्थिति में स्नायु तंत्र पर प्रभाव दृष्टिगोचर होने लगता है। यह पेलाग्रा रोग की गम्भीरतम अवस्था है जबकि केन्द्रीय तंत्रिका पर दुष्परिणाम होने से मस्तिष्क की कार्यक्षमता प्रभावित होती है। व्यक्ति चिन्तित, और तनावग्रस्त रह कर चिड़चिड़ा हो जाता है, चक्कर आते हैं और उसकी स्मरणशक्ति भी अति न्यून हो जाती है। इसके अलावा अन्य स्नायविक परिवर्तनों (Neurologic symptoms) के अन्तर्गत भ्रम (Confusion), चक्कर आना (Dizziness), उन्माद (Dementia) की स्थिति पैदा हो जाती है जो आगे चल कर बेहोशी अथवा पागलपन (Delirium) का कारण बनती है।

( और पढ़े – मानसिक रोग के कारण व इलाज )

(4) मृत्यु (Death)-
इस 4-D रोग की चौथी और अन्तिम ‘डी’ होती है Death यानी मृत्यु ।

भोज्य पदार्थों में विटामिन बी 3 की मात्रा :

भोज्य पदार्थ 100 ग्रामविटामिन बी 3 / मि. ग्रा.
अनाज
बाजरा2.3
जव(जौ)5.4
ज्वार3.1
मक्का सूखी0.6
चावल 3.8
पोहा4.0
मोरधन (सांवा)4.2
गेहूं5.5
गेहूं का आटा4.3
मैदा2.4
सिवइयां1.8
ब्रेड0.7
चना2.9
दाल व फलियां
चना की दाल2.4
उड़द की दाल2.0
मूंग2.1
मसूर2.6
मोठ1.5
सोयाबीन3.2
मटर0.8
चवला1.3
ग्वार फली0.6
सूखे मेवे
बादाम4.4
काजू1.2
मूंगफली19.9
पिस्ता2.3
अखरोट1.0
चिलगोज़ा3.6
नारियल सूखा3.0
शाक सब्ज़ी
करी पत्ता1.2
सुरजना पत्ती0.8
पोदीना1.0
मूली की पत्ती0.8
पालक0.5
प्याज0.4
शक्कर कन्द0.7
आलू1.2
गाजर0.6
बैगन0.9
पत्ता गोभी0.4
कद्दू0.5
बथुआ0.6
हरा धनिया0.8
चवलाई0.6
मैथी की भाजी0.8
सलाद पत्ता0.5
चुकन्दर0.4
शलजम0.5
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