Last Updated on December 27, 2022 by admin
शरीर के लिए बेहद जरूरी है विटामिन सी :
विटामिन `सी´ के लाभ और उस्से जुडी कुछ महत्वपूर्ण बातें –
- विदेशों में न्यूमोनिया तथा लाल ज्वर जैसे खतरनाक संक्रमण युक्त रोगों में विटामिन `सी´ रोगी को देना अति आवश्यक समझा जाता है।
- कनपेड़े अर्थात् मम्पस रोगों में रोगी को विटामिन सी पानी में घोलकर पिलाते रहने से सूजन, वेदना तथा ज्वर धीरे-धीरे नष्ट हो जाते हैं।
- काली खांसी में विटामिन `सी´ लाभ प्रदान करता है।
- जोड़ों में सूजन होने के दर्द में विटामिन `सी´ लाभप्रद हो जाता है।
- मोतियाबिन्द के रोगी को विटामिन `सी´ देने से मोतियाबिन्द रुक जाता है।
- गर्भावस्था में विटामिन `सी´ का प्रयोग करने से सूजन समाप्त हो जाती है।
- विटामिन `सी´ की कमी से रोगी स्कर्वी रोग का शिकार हो जाता है।
- विटामिन `सी´ गंधहीन तथा रंगहीन होता है।
- विटामिन `सी´ रक्त में लाल कणों को बनाने में अति महत्वपूर्ण कार्य करता है।
- शरीर में विटामिन `सी´ की कमी हो जाने से कोशिकाओं तथा रक्त कोशिकाओं की दीवारें फटने लगती हैं और रोगी कई रोगों के संक्रमण का शिकार हो जाता है।
- गर्भपात को रोकने के लिए विटामिन `सी´ का महत्वपूर्ण योगदान रहता है।
- शरीर के किसी भी अंग से रक्तस्राव को रोकने में विटामिन `सी´ सहायता प्रदान करता है।
- विटामिन `सी´ की कमी से आमाशय में घाव हो जाते हैं।
- क्षय (टी.बी.) रोग में विटामिन `सी´ का प्रयोग बहुत लाभ करता है।
- टूटी हड्डी को जोड़ने के लिए ऑप्रेशन के बाद विटामिन `सी´ की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है।
- फेफड़े का रक्तस्राव विटामिन `सी´ के प्रयोग से रुक जाता है।
- विटामिन `सी´ की कमी से पायरिया रोग होता है। जो विटामिन `सी´ का प्रयोग करने पर ठीक हो जाता है।
- यदि थोड़ा काम करते ही रोगी थक जाता है तो यह शरीर में विटामिन `सी´ की कमी का कारण है।
- सांस के रोग का होना ही साबित करता है कि रोगी के शरीर में लंबे समय से विटामिन `सी´ की कमी होती चली आ रही है।
- विटामिन `सी´ की कमी से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो जाती है।
- विटामिन `सी´ के प्रयोग से शरीर की रक्तवाहिनियां लचीली हो जाती हैं और उनकी कठोरता समाप्त हो जाती है।
- विटामिन `सी´ बूढ़ों में भी चुस्ती-फुर्ती और शक्ति का संचार करने में मददगार होती है।
- विटामिन `सी´ के प्रयोग से हर प्रकार की एलर्जी में लाभ होता है।
- चलते-चलते थक जाना, दर्द होना, ऐंठन होना शरीर में विटामिन `सी´ की कमी को दर्शाता है।
- विटामिन `सी´ को पानी में घोलकर पीने से सांप के विष का प्रभाव भी समाप्त हो जाता है।
- विटामिन `सी´ की कमी से घाव भरने में देरी लगती है।
- विटामिन `सी´ के प्रयोग से नासूर जैसे खतरनाक घाव भी ठीक होने लगते हैं।
- आग में जल जाने के बाद तुरन्त ही विटामिन `सी´ का प्रयोग करने से जलन एवं वेदना में धीरे-धीरे आराम होने लगता है।
- विटामिन `सी´ की टिकिया कारबंकल जैसे भयंकर घावों पर पीसकर भर देने से घाव जल्दी ही ठीक होने लगते हैं।
- विटामिन `ए´ की भांति विटामिन `सी´ का भी नेत्र रोग के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव होता है।
- विटामिन `सी´ को ही एस्कोर्बिक एसिड कहा जाता है और यह जल में घुलनशील होता है।
- विटामिन `सी´ को टूटे-फूटे अंगों को जोड़ने के लिए सीमेंट जैसी संज्ञा दी जा सकती है।
- विटामिन `सी´ की कमी से शरीर में खून की कमी हो जाती है।
- विटामिन `सी´ खून में लाल कणों की वृद्धि करने में सहायक होता है।
- अर्टिकेरिया, फीवर, त्वचा के दानों में रोगी को विटामिन `सी´ देने से लाभ होता है।
- विषैले जन्तुओं के काट लेने पर विटामिन `सी´ से तुरन्त राहत मिलती है तथा जलन और दर्द दूर हो जाते हैं।
- ज्वर (बुखार) हो तो विटामिन `सी´ का इंजेक्शन देते ही ज्वर उतर जाता है।
- प्रोस्टेट ग्लैण्ड का संक्रमण विटामिन `सी´ से शान्त हो जाता है।
- आंख, नाक, कान और गले के रोगों एवं विकारों के लिए विटामिन सी का प्रयोग अतिशय गुणकारी प्रभाव रखता है।
- विटामिन `सी´ की कमी से हडि्डयों के जोड़ों में से रक्तस्राव होने लगता है। कभी-कभी हडि्डयों के यह अन्तिम छोर अलग ही हो जाते हैं।
- स्वस्थ शरीर के लिए 25 से 30 मिलीग्राम विटामिन `सी´ पर्याप्त होता है।
- बच्चों के शरीर में विटामिन `सी´ की पूर्ति करनी हो तो नारंगी, आंवला, मौसमी का रस पिलाना ही पर्याप्त है। आंवला विटामिन `सी´ के लिए सबसे उत्तम होता है। सूखे और ताजे दोनों आंवलों में यह विटामिन समान रूप से विद्यमान रहता है।
- संधिवात, संधिशोथ तथा आमवात यानी जोड़ों के दर्द में विटामिन `सी´ गुणकारी उत्तम प्रभाव पैदा करता है।
- यदि शरीर में विटामिन `सी´ की अत्यधिक कमी हो तो शीघ्र लाभ के लिए इंजेक्शन का प्रयोग करना ज्यादा हितकर होता है।
- एक वर्ष से डेढ़ वर्ष तक के बच्चों को यह विटामिन प्रतिदिन 50 मिलीग्राम तक की मात्रा में देना आवश्यक होता है।
- विटामिन `सी´ की कमी से त्वचा लटक जाती है तथा चेहरे एवं शरीर पर झुर्रियां पड़ जाती हैं।
- पक्षाघात तथा पोलियों जैसे रोग शरीर में विटामिन `सी´ की कमी से होते हैं जिन्हें विटामिन `सी´ का प्रयोग करके ठीक किया जा सकता है।
- चेहरे के खतरनाक दाग-धब्बे विटामिन `सी´ के प्रयोग से ठीक हो जाते हैं।
- कंजेस्टिट हार्ट फेल्यूर रोग में विटामिन `सी´ का प्रयोग करने से अधिक पेशाब आकर शरीर की सूजन तथा हृदय की तकलीफ सहित अन्य कई विकार नष्ट हो जाते हैं।
- विदेशों में न्यूमोनिया तथा लाल ज्वर जैसे खतरनाक संक्रमण युक्त रोगों में विटामिन `सी´ रोगी को देना अति आवश्यक समझा जाता है।
- कनपेड़े अर्थात् मम्पस रोगों में रोगी को विटामिन सी पानी में घोलकर पिलाते रहने से सूजन, वेदना तथा ज्वर धीरे-धीरे नष्ट हो जाते हैं।
- काली खांसी में विटामिन `सी´ लाभ प्रदान करता है।
- जोड़ों में सूजन होने के दर्द में विटामिन `सी´ लाभप्रद हो जाता है।
- मोतियाबिन्द के रोगी को विटामिन `सी´ देने से मोतियाबिन्द रुक जाता है।
- गर्भावस्था में विटामिन `सी´ का प्रयोग करने से सूजन समाप्त हो जाती है।
- विटामिन `सी´ की कमी से रोगी स्कर्वी रोग का शिकार हो जाता है।
- विटामिन `सी´ गंधहीन तथा रंगहीन होता है।
- विटामिन `सी´ रक्त में लाल कणों को बनाने में अति महत्वपूर्ण कार्य करता है।
- शरीर में विटामिन `सी´ की कमी हो जाने से कोशिकाओं तथा रक्त कोशिकाओं की दीवारें फटने लगती हैं और रोगी कई रोगों के संक्रमण का शिकार हो जाता है।
- गर्भपात को रोकने के लिए विटामिन `सी´ का महत्वपूर्ण योगदान रहता है।
- शरीर के किसी भी अंग से रक्तस्राव को रोकने में विटामिन `सी´ सहायता प्रदान करता है।
- विटामिन `सी´ की कमी से आमाशय में घाव हो जाते हैं।
- क्षय (टी.बी.) रोग में विटामिन `सी´ का प्रयोग बहुत लाभ करता है।
- टूटी हड्डी को जोड़ने के लिए ऑप्रेशन के बाद विटामिन `सी´ की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है।
- फेफड़े का रक्तस्राव विटामिन `सी´ के प्रयोग से रुक जाता है।
- विटामिन `सी´ की कमी से पायरिया रोग होता है। जो विटामिन `सी´ का प्रयोग करने पर ठीक हो जाता है।
- यदि थोड़ा काम करते ही रोगी थक जाता है तो यह शरीर में विटामिन `सी´ की कमी का कारण है।
- सांस के रोग का होना ही साबित करता है कि रोगी के शरीर में लंबे समय से विटामिन `सी´ की कमी होती चली आ रही है।
- विटामिन `सी´ की कमी से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो जाती है।
- विटामिन `सी´ के प्रयोग से शरीर की रक्तवाहिनियां लचीली हो जाती हैं और उनकी कठोरता समाप्त हो जाती है।
- विटामिन `सी´ बूढ़ों में भी चुस्ती-फुर्ती और शक्ति का संचार करने में मददगार होती है।
- विटामिन `सी´ के प्रयोग से हर प्रकार की एलर्जी में लाभ होता है।
- चलते-चलते थक जाना, दर्द होना, ऐंठन होना शरीर में विटामिन `सी´ की कमी को दर्शाता है।
- विटामिन `सी´ को पानी में घोलकर पीने से सांप के विष का प्रभाव भी समाप्त हो जाता है।
- विटामिन `सी´ की कमी से घाव भरने में देरी लगती है।
- विटामिन `सी´ के प्रयोग से नासूर जैसे खतरनाक घाव भी ठीक होने लगते हैं।
- आग में जल जाने के बाद तुरन्त ही विटामिन `सी´ का प्रयोग करने से जलन एवं वेदना में धीरे-धीरे आराम होने लगता है।
- विटामिन `सी´ की टिकिया कारबंकल जैसे भयंकर घावों पर पीसकर भर देने से घाव जल्दी ही ठीक होने लगते हैं।
- विटामिन `ए´ की भांति विटामिन `सी´ का भी नेत्र रोग के लिए महत्वपूर्ण प्रभाव होता है।
- विटामिन `सी´ को ही एस्कोर्बिक एसिड कहा जाता है और यह जल में घुलनशील होता है।
- विटामिन `सी´ को टूटे-फूटे अंगों को जोड़ने के लिए सीमेंट जैसी संज्ञा दी जा सकती है।
- विटामिन `सी´ की कमी से शरीर में खून की कमी हो जाती है।
- विटामिन `सी´ खून में लाल कणों की वृद्धि करने में सहायक होता है।
- अर्टिकेरिया, फीवर, त्वचा के दानों में रोगी को विटामिन `सी´ देने से लाभ होता है।
- विषैले जन्तुओं के काट लेने पर विटामिन `सी´ से तुरन्त राहत मिलती है तथा जलन और दर्द दूर हो जाते हैं।
- ज्वर (बुखार) हो तो विटामिन `सी´ का इंजेक्शन देते ही ज्वर उतर जाता है।
- प्रोस्टेट ग्लैण्ड का संक्रमण विटामिन `सी´ से शान्त हो जाता है।
- आंख, नाक, कान और गले के रोगों एवं विकारों के लिए विटामिन सी का प्रयोग अतिशय गुणकारी प्रभाव रखता है।
- विटामिन `सी´ की कमी से हडि्डयों के जोड़ों में से रक्तस्राव होने लगता है। कभी-कभी हडि्डयों के यह अन्तिम छोर अलग ही हो जाते हैं।
- स्वस्थ शरीर के लिए 25 से 30 मिलीग्राम विटामिन `सी´ पर्याप्त होता है।
- बच्चों के शरीर में विटामिन `सी´ की पूर्ति करनी हो तो नारंगी, आंवला, मौसमी का रस पिलाना ही पर्याप्त है। आंवला विटामिन `सी´ के लिए सबसे उत्तम होता है। सूखे और ताजे दोनों आंवलों में यह विटामिन समान रूप से विद्यमान रहता है।
- संधिवात, संधिशोथ तथा आमवात यानी जोड़ों के दर्द में विटामिन `सी´ गुणकारी उत्तम प्रभाव पैदा करता है।
- यदि शरीर में विटामिन `सी´ की अत्यधिक कमी हो तो शीघ्र लाभ के लिए इंजेक्शन का प्रयोग करना ज्यादा हितकर होता है।
- एक वर्ष से डेढ़ वर्ष तक के बच्चों को यह विटामिन प्रतिदिन 50 मिलीग्राम तक की मात्रा में देना आवश्यक होता है।
- विटामिन `सी´ की कमी से त्वचा लटक जाती है तथा चेहरे एवं शरीर पर झुर्रियां पड़ जाती हैं।
- पक्षाघात तथा पोलियों जैसे रोग शरीर में विटामिन `सी´ की कमी से होते हैं जिन्हें विटामिन `सी´ का प्रयोग करके ठीक किया जा सकता है।
- चेहरे के खतरनाक दाग-धब्बे विटामिन `सी´ के प्रयोग से ठीक हो जाते हैं।
- कंजेस्टिट हार्ट फेल्यूर रोग में विटामिन `सी´ का प्रयोग करने से अधिक पेशाब आकर शरीर की सूजन तथा हृदय की तकलीफ सहित अन्य कई विकार नष्ट हो जाते हैं।
विटामिन `सी´ की कमी से होने वाले रोग :
- शरीर में दूषित कीटाणुओं की वृद्धि।
- आंखों में मोतियाबिन्द हो जाना।
- खाया-पिया हुआ भोजन शरीर में न लगना।
- घाव में पीप पड़ना।
- हडि्डयां कमजोर पड़ जाना।
- चिडचिड़ा स्वभाव हो जाना।
- खून का बहना।
- मसूड़ों से खून व पीप बहना।
- लकवा हो जाना।
- रक्तविकार।
- मुंह से बदबू आना।
- शरीर कमजोर होना।
- पाचन क्रिया में दोष उत्पन्न होना।
- श्वेतप्रदर और सन्धिशोथ।
- पुट्ठों की कमजोरी।
- भूख न लगना।
- सांस कठिनाई से आना।
- चर्म रोग।
- अल्सर का फोडा।
- चेहरे पर दाग पड़ जाना।
- फेफड़े कमजोर पड़ जाना तथा नजला जुकाम होना।
- आंख, कान और नाक के रोग।
- एलर्जी होना।
विटामिन सी के खाद्य स्रोत :
विटामिन `सी´ के स्रोत वाले खाद्य पदार्थों की तालिका –
- आंवला।
- नारंगी
- अमरूद
- सेब
- केला
- बेर
- बेल पत्थर
- कटहल
- शलगम
- पुदीना
- मूली के पत्ते
- मुनक्का
- दूध
- नींबू
- टमाटर
- चुकन्दर
- चोलाई का साग
- पत्ता गोभी
- हरा धनिया
- पालक