Last Updated on November 1, 2020 by admin
विटामिन ‘सी’ हमारे शरीर के लिए सबसे अधिक आवश्यक जीवनसत्व (vitamin) है। निसर्ग ने हमें इसे अनेक फलों के रूप में प्रदान किया है जैसे आँवला, संतरा इत्यादि। आँवला तो निसर्ग की अनमोल देन है, इसमें अधिक से अधिक प्रमाण में विटामिन सी उपलब्ध होता है। इसके जीवनसत्व मानवीय शरीर द्वारा फौरन शोषित होते हैं।
करिश्माई फल आँवला के ढेरों फायदे :
आरोग्य और दिर्घायु इन दोनों के लिए आँवला अनमोल है। आँवला का उपयोग प्राचीन काल से चला आ रहा है। हम इसका ‘च्यवनप्राश’ के रूप में नित्य सेवन कर सकते हैं।
आँवला का उपयोग अनेक औषधियों में किया जाता है। आँवला पाचन में हलका और मूत्रल है। आँवले के चम्मच भर रस में शहद मिलाकर खाने से अनेक रोग दूर रहते हैं।
आयुर्वेद में आँवले को अत्यंत श्रेष्ठ माना गया है। किसी भी ऋतु में, वातावरण में, देश में, काल में, उम्र में आँवला आरोग्यदायी होता है। आँवला शीतवीर्य होने के कारण खून की अतिरिक्त उष्णता व तीव्रता कम करता है। आँवले के सेवन से खून में जमा विष द्रव्य, मल वगैरह दूर होते हैं तथा खून की शुद्धि होती है।
आँवले से कई रोग दूर होते हैं, जिनमें से कुछ रोग नीचे दिए गए हैं तथा उनका आँवले द्वारा निवारण भी दिया गया है।
1). मधुमेह : आँवला चूर्ण 2 चम्मच, हल्दी पाउडर 1 चम्मच एक साथ मिलाकर ठंडे पानी में सुबह-शाम लें।
2). पित्त : ठंडे पानी में 1 चम्मच आंवला चूर्ण डालकर शरबत बनाकर पिएँ।
3). अम्ल पित्त : 2 चम्मच आंवले का रस, काली मुनक्का 2 चम्मच पानी में डालकर उसमें 1/2 चम्मच शहद मिलाकर पिएँ।
4). बाल : बाल धोते वक्त शिकाकाई लगाएँ। आँवले का तेल बालों के लिए वरदान है।
संतरा खाने के स्वास्थ्य लाभ :
विटामिन ‘सी’ से परिपूर्ण फल है संतरा। संतरा नींबू के जाति का फल है तथा वह स्वादिष्ट और पौष्टिक फल होता है। संतरा काफी लोकप्रिय फल है।
संतरे में स्थित पिष्टमय पदार्थ सूर्यकिरणों के कारण अपने आप सहजता से खून में घुलकर शक्कर में परिवर्तित होते हैं। खून में सहजता से घुलने की वजह से इसे खाते ही तुरंत ऊर्जा व उष्णता निर्माण होती है। नियमित संतरे का सेवन सर्दी, इंफ्लुएंजा व रक्तस्राव इत्यादि पर प्रतिबंध करता है। इसके सेवन से आरोग्य एवं शक्ति तो प्राप्त होती ही है साथ में आयुष्य में भी वृद्धि होती है। अनेक रोगों में इसका फायदा होता है।
1). ज्वर : किसी भी प्रकार के बुखार में संतरा खाएँ।
2). टायफाइड : क्षय एवं टाइफाइड में छोटी मात्रा में संतरे का रस अन्न के तौर पर उत्तम होता है।
3). अपचन : संतरे के कारण अन्न का पाचन सहज होता है और भूख में भी वृद्धि होती है।
4). हड्डी और दाँतों के रोगों में : संतरे में विटामिन ‘सी’ एवं कैल्शियम की भरपूर मात्रा होने के कारण यह हड्डी व दाँतों में अत्यंत लाभकारी है।
5). हृदय रोग : संतरे के रस में शहद मिलाकर देने से लाभ होता है।
6). कील मुँहासे : संतरे के छिलकों को सुखाकर कील-मुंहासों पर लगाने से कील-मुंहासे दूर होते हैं तथा त्वचा में चमक आती है।
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