आक (मदार) के 22 चमत्कारी फायदे | Aak Ke Fayde in Hindi

Last Updated on February 8, 2020 by admin

आक (मदार) क्या है ? : Madar (Aak) in Hindi

आकड़ा (आक/मदार) का पौधा 120 सेमी से 150 सेमी लम्बा होता है। यह जंगल में बहुत मिलता है। कैलोट्रोपिस जाइगैण्टिया नाम से यह होम्योपैथी औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।

आक (मदार) के औषधीय गुण : Madar (Aak) Ke Gun in Hindi

आक का रस कटु (कड़वा), तिक्त (तीखा), उष्ण (गर्म) प्रकृति, वात-कफ दूर करने वाला, कान-दर्द, कृमि (कीड़ा), अर्श (बवासीर), खांसी, कब्ज, पेट के रोग, त्वचा रोग, वात रोग, सूजन नाशक होता है।

आकड़े के फायदे : Madar (Aak) Ke Fayde

१) मलेरिया :   आकड़े(आक) के फूल की दो डोडी (बिना खिले फूल) जरा-से गुड़ में लपेटकर मलेरिया ज्वर आने से पहले खाने से मलेरिया नहीं चढ़ता है।
२) बाला :   तिल का तेल गर्म करके बाला निकलने के स्थान पर लगायें। आकड़े का पत्ता गर्म करके उस पर यही तेल लगाकर बांध दें। आकड़े(Madar) के फूल की डोडी के अंदर का छोटा टुकड़ा गुड़ में लपेटकर खाने से बाला नष्ट हो जाता है। बाला रोग ठीक हो जायेगा।
३) जुकाम :   जुकाम हो, नाक बंद हो तो आकड़े के 2 चम्मच दूध में 2 चम्मच चावल भिगों दें और छाया में पड़ा रहने दें। जब सूख जाये तो पीसकर कपड़े से छान लें। इसे जरा-सा सूंघें। नाक छींकें आकर खुल जायेगी, जुकाम ठीक हो जायेगा। रुका हुआ पानी टपकने लगेगा। इसे सूंघने से छीकें अधिक आयें तो देशी घी गर्म करके सूंघे।
४) एड़ियों का दर्द :   एक मुट्ठी आकड़े के फूल 2 गिलास पानी में रात को उबालें और इसकी भाप से एड़ियों को सेंके। इसके बाद गर्म-गर्म फूलों को एड़ियों पर बांध लें। एक सप्ताह नित्य इस प्रकार करते रहने से एड़ियों का दर्द दूर हो जायेगा। शरीर के किसी भी अंग में दर्द हो तो इस प्रयोग से लाभ होगा।
५) पथरी :   आकड़े के 2 से 3 फूल पीसकर 1 गिलास दूध में घोलकर प्रतिदिन सुबह 40 दिन पीने से पथरी निकल जाती है।
६) बवासीर :   सूर्योदय से पहले आकडे़ की 3 बूंद दूध बताशे में डालकर खाने से बवासीर में लाभ होता है।
७)आधे सिर का दर्द :   यदि दर्द सूर्योदय के साथ बढ़ता-घटता हो तो सुबह सूरज उगने से पहले 1 बताशे पर 2 बूंद आकड़े के दूध को टपकाकर खांये। शीघ्र ही लाभ होगा।
८) घट्टा (कार्न) :   आकड़े(आक) का दूध और गुड़ दोनों को समान मात्रा में मिलाकर घट्टा (आटण) पर लगाने से घट्टा ठीक हो जाता है।
९) पेटदर्द : आकड़े के जड़ की छाल, नौसादर, गेरू, कालीमिर्च सभी समान मात्रा में 1-1 चम्मच लेकर पीस लें। इसमें आधा चम्मच कपूर पीसकर मिला लें। गर्म पानी से इसकी आधी चम्मच फंकी लेने से पेट में दर्द, कब्ज, दस्त, तिल्ली, यकृत आदि पेट के सभी रोग, सर्दी, खांसी, बुखार में लाभ होता है।
१०)दमा कफयुक्त :
• आकड़े के चार पत्ते, आठ चम्मच कालीमिर्च दोनों को एक साथ बारीक पीसकर मटर के दाने के बराबर गोलियां बना लें। दस दिन तक इसकी एक गोली सुबह-शाम गर्म पानी से लें। दमा कफयुक्त, खांसी, हिस्टीरिया में लाभ होगा।
• आकड़े का एक पत्ता 25 कालीमिर्च के साथ पीसकर कालीमिर्च के बराबर ही गोलियां बना लेते हैं। 7 गोली वयस्कों को तथा दो गोली बच्चों को देने से दमा (श्वास) रोग नष्ट हो जाता है।
• धाणी (सिंके हुए जौ) को आधा कप आकड़े के दूध में 15 दिन तक भिगो दें। इसके बाद सुखाकर पीस लें। इसे चौथाई चम्मच की मात्रा में शहद के साथ मिलाकर एक बार नित्य चाटें। दमा में लाभ होगा है।
• आकड़े के पत्ते का छोटा-सा टुकड़ा पान में रखकर नित्य 40 दिन तक खाने से हर प्रकार का दमा, खांसी ठीक होता है।
११) यक्ष्मा (टी.बी.) :  आकड़े का 4 चम्मच दूध और 200 ग्राम पिसी हुई हल्दी मिलाकर पीसें। पीसते-पीसते सूख जाने पर शीशी भरकर रख लें। यह पाउडर एक चने के बराबर आधा चम्मच शहद में मिलाकर नित्य 4 बार चाटें। टी.बी. के रोगी 3 माह में ठीक हो जायेंगें। टी.बी. में रक्त की उल्टी भी ठीक हो जायेगी। टी.बी. के असाध्य रोगी भी लाभान्वित होंगें।
१२) बुखार :   आकड़े की कोंपल आखिरी छोर (नया पत्ता) नागरबेल के पान में रखकर थोड़ी सी सौंफ डालकर चबायें, रस चूसते जायें। इससे हर प्रकार का बुखार, मलेरिया, वायरल, सामान्य बुखार एक बार लेने से ठीक हो जाते हैं।
१३)श्वेत कुष्ठ :  श्वेत कुष्ठ में भी इसके प्रयोग से लाभ मिलता है। आकड़े(मदार) के सूखे पत्तों का चूर्ण को श्वेत कुष्ठ प्रभावित स्थानों पर लगाने से सीघ्र लाभ मिलता है। इस चूर्ण को किसी तेल या मलहम में मिलाकर भी लगाया जा सकता है।
१४)बिच्छू का विष:   बिच्छू के काटने पर विष उतारने के लिए आक की जड़ को पानी में पीसकर लेप लगाया जाता है।
१५)कुत्ते का काटना :  कुत्ते के काट लेने पर दंश स्थान पर या काटने से बने घाव में आक का दूध अच्छी तरह भर देना चाहिए। इससे विष का प्रभाव खत्म हो जाता है और फिर कोई परेशानी नहीं होती।
१६)कान के रोग:   मदार के पीले पके पत्तों पर घी चुपड़ कर धीमी आंच में गर्म कर उससे रस निकालकर दो से तीन बूँद कान में डालने से कान के रोगों में बड़ा ही लाभ मिलता है।
१७)दांत दर्द :  दांत के किसी भी प्रकार के दर्द में मदार के दूध में हल्का सैंधा नमक मिलाकर पीड़ा वाले स्थान पर लगा देने मात्र से दंतशूल में लाभ मिलता है।
१८)दांत को मजबूती:  आक के आठ से दस पत्तों में पांच से दस ग्राम काली मिर्च मिलाकर अच्छी तरह पीसकर ,थोड़ी हल्दी मिलाकर मंजन करने से दांत को मजबूती मिलती है।
१९)पुराना घाव :  आक के पत्तों का चूर्ण लगाने से पुराने से पुराना घाव भी ठीक हो जाता है। कांटा, फांस आदि चुभने पर आक के पत्ते में तेल चुपड़कर उसे गर्म करके बांधते हैं।
२०) जीर्ण ज्वर:  जीर्ण ज्वर के इलाज के लिए आक को कुचलकर लगभग बारह घंटे गर्म पानी में भिगो दे, इसके बाद इसे खूब रगड़−रगड़ कर कपड़े से छान कर इसका सेवन करें इससे शीघ्र फायदा पहुंचता है। मलेरिया के बुखार में इसकी छाल पान से खिलाते हैं।
२१)अंदरूनी चोट :  किसी गुम चोट पर मोच के इलाज के लिए आक के पत्ते को सरसों के तेल में पकाकर उससे मालिश करनी चाहिए।
२२) कनपटी में गांठ :  कान और कनपटी में गांठ निकलने एवं सूजन होने पर आक के पत्ते पर चिकनाई लगाकर हल्का गर्म करके बांधते हैं। कान में दर्द हो तो आक के सूखे पत्ते पर घी लगाकर, आग पर सेंककर उसका रस निकालकर ठंडा कर कान में एक बूंद डालें।

आक के नुकसान : Aak Ke Nuksan in Hindi

आक पौधे से निकलने वाले दूध में जहरीले गुण होते है । जिसका उपयोग पशुओं को बेहोस करने के लिए किया जाता है। यदि इसका अधिक मात्रा में सेवन किया जाता है तो इससे मृत्यु भी हो सकती है।

आक पौधे का उपयोग करते समय ध्‍यान रखना चाहिए कि इसका दूध थोड़ा भी आंखों में न जाने पाए। यदि इसका दूध आंखों में चला जाए तो यह आंखों की दृष्टि को हानि पहुचा सकता है।

आकड़े के हानिकारक प्रभाव को नष्ट करना : आकड़े के पत्ते, फूल या अन्य कोई भाग अधिक सेवन करने से दुष्परिणाम उत्पन्न हो गये हों तो ढाक (पलाश) के पत्तों को उबालकर उसका पानी पीने से आकड़े की विषाक्तता दूर हो जाती है। आकड़े का दूध लगाने से घाव हो जाये तो भी इसी पानी से घावों को धोयें।

(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)

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