Last Updated on April 6, 2022 by admin
आमवात क्या है ? : Aamvat in Hindi
आमवात रोग में एक बड़ी सन्धि में पीड़ा और सूजन होती है। कुछ दिन में वह तो ठीक हो जाती है परन्तु दूसरी सन्धि में पीड़ा हो जाती है ।
आमवात रोग के कारण : Aamvat ke Karan in Hindi
- चिकित्सा शास्त्रों के अनुसार जब भोजन अधपचा रह जाता है तो भोजन का कच्चा रस जिसे ‘आम’ कहते हैं, संधियों (जोड़ो ) में पहुंचकर वायु के संयोग से दर्द और सूजन पैदा करता है। इसी रोग को ‘आमवात’ कहा जाता है ।
- आमवात रोग पाचन शक्ति की कमजोरी, तले-भूने व्यंजन व मांस आदि का अत्यधिक मात्रा में सेवन , आराम तलब जीवन शैली ,आसन-व्यायाम के न करने से होता है |
- इस रोग में विरुद्ध आहार को भी आमवात का कारण माना जाता है |
- प्राय: जल में रहने या शीतल खाद्य व पेय पदार्थों का अधिक सेवन करने अथवा शीतल वातावरण में रहने से भी इस रोग की उत्पत्ति होती है।
आमवात रोग के लक्षण : Aamvat ke Lakshan in Hindi
- आमवात के रोग में रोगी को जोड़ों में दर्द तथा सूजन हो जाती है।
- इस रोग से पीड़ित रोगियों की हडि्डयों के जोड़ों में पानी भर जाता है। जब रोगी व्यक्ति सुबह के समय में उठता है तो उसके हाथ-पैरों में अकड़न महसूस होती है और जोड़ों में तेज दर्द होने लगता है।
- जोड़ों के टेढ़े-मेढ़े होने से रोगी के शरीर के अंगों की आकृति बिगड़ जाती है।
- सुबह एड़ियों में दर्द होता है, ।
- अस्थि संधिशोथ में चलने-फिरने या काम-काज करने से ही जोड़ों में दर्द होता है|
- इसका प्रकोप प्राय: व्यक्ति के घुटनों, कलाइयों अथवा पांव के टखनों में अधिक होता है। जोड़ों को छूने पर वे गरम प्रतीत होते हैं।
- रोगी को सिर के पिछले भाग व रीढ़ की हड्डी के नीचे प्राय: दर्द होता है और उसे बार-बार मूत्र त्याग करने की इच्छा होती है।
आइये जाने आमवात के आयुर्वेदिक उपचार ,इलाज और उपाय के बारे में , amavata home remedies,aamvat ka ilaj in hindi
आमवात के घरेलू उपचार : Aamvat ka Gharelu Upchar
1. धतूरा – धतूरे के पत्तों पर अरण्डी का तेल चुपड़कर जोड़ों की सूजन पर बाँधकर ऊपर से नमक की गरम पोटली से सेंक करने से विशेष लाभ होता है । ( और पढ़ें-वात नाशक 50 आयुर्वेदिक घरेलु उपचार )
2. अश्वगंधा – असगन्ध चूर्ण 3 ग्राम में समभाग घृत और 1 भाग शक्कर मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से सन्धिवात में लाभ होता है । ( और पढ़ें – गठिया वात रोग के 13 रामबाण घरेलु उपचार )
3. करेला – करेला के छिलके को निकालकर शेष भाग को आग पर 10 मिनट रखकर भुर्ता बनालें और फिर उसमें थोड़ी शक्कर मिलाकर रोगी को सुहाता-सुहाता गरम सुबह-शाम प्रतिदिन 10 दिनों तक लगभग 100 ग्राम की मात्रा में खिलाने से आमवात में लाभ होता है । ( और पढ़ें –एक्यूप्रेशर द्वारा जोड़ों के दर्द का सफल उपचार )
4. मेथी – मेथी को पीसकर बनाया गया चूर्ण 10 ग्राम की मात्रा में पानी या तक्र के साथ सेवन करने से आमवात में शीघ्र लाभ होता है । अथवा मैथी और सौंठ का चूर्ण 4-4 ग्राम की मात्रा में दिन में 2 बार गुड़ के साथ मिलाकर सेवन करने से आमवात नष्ट हो जाता है । ( और पढ़ें – मेथी के अदभुत 124 औषधीय प्रयोग )
5. अरंडी – अरण्डी का तेल प्रात:काल कुछ दिनों तक खाली पेट लेने से आमवात समूल नष्ट हो जाता है। ( और पढ़ें –अरण्डी तेल के 84 लाजवाब औषधीय प्रयोग )
6. लहसुन – लहसुन का रस 6 ग्राम गोदुग्ध 50 ग्राम में मिलाकर पिलाते रहने से कुछ ही दिनों में आमवात में लाभ होता है। ( और पढ़ें – लहसुन के 13 बड़े फायदे )
7. खजूर – रात्रि को 250 ग्राम खजूरों को पानी में भिगो दें। सुबह मलकर रस नियोड़ लें । इसको पिलाने से आमवात में लाभ होता है । ( और पढ़ें – खजूर खाने के 40 जबरदस्त फायदे )
8. विधारा – नागौरी असगन्ध, सौंठ, विधारा तीनों को 50-50 ग्राम तथा मिश्री 150 ग्राम सभी को बारीक कूट पीसकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रखें । इसे 6 से 10 ग्राम तक की मात्रा में गरम जल के साथ कुछ दिनों तक सेवन कराने से आमवात, सन्धिवातं में शीघ्र लाभ होता है । ( और पढ़ें – गुणकारी अदरक के 111 औषधीय प्रयोग )
9. कुचला – कुचला शुद्ध और काली मिर्च दोनों को सममात्रा में लेकर अदरक के रस में घोंट कर मूंग के आकार की गोलियाँ बनाकर सुखाकर शीशी में सुरक्षित रखें । इसे. सुबह-शाम (1 गोली) पानी के साथ सेवन करने से कुछ ही दिनों में पुराने से पुराना आमवात नष्ट हो जाता है । ( और पढ़ें –कालीमिर्च के 51 जबरदस्त फायदे )
10. चोबचीनी – चोबचीनी 1 किलो, दालचीनी, अकरकरा, जावित्री, सोंठ, सतावर, वंशलोचन, लवंग, पीपल, श्वेत मूसली, जायफल, (प्रत्येक 6-6 ग्राम) सभी को कूट पीसकर चूर्ण बनाकर सुरक्षित रख लें तथा इसमें बराबर वजन में मिश्री मिलालें। इसे 10-10 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम गोदुग्ध के साथ सेवन करने से आमवात में लाभ होता है । ( और पढ़ें –दालचीनी के 79 अमृतमय औषधीय प्रयोग )
11. सरसों – सरसों का तैल 200 ग्राम, काला जीरा 3 ग्राम, धतूरे का फल 1 नग, लहसुन 10 ग्राम, अफीम 15 ग्राम । लोहे की कड़ाही में तैल को फैन निकलने तक गरम होने दें, फिर काला जीरा छोड़ दें । इसके बाद धतूरे का फल तथा उसके बाद लहसुन डालें । तत्पश्चात् अफीम और कर्पूर डालें । ठण्डा होने के बाद छानकर बोतल में रख लें । इस तैल को 2-3 बार लगाने से हर प्रकार का वात का दर्द जड़ से नाश हो जाता है । यह योग आमवात में विशेष लाभकारी है । परीक्षित है ।
12. सरसों तेल – मिट्टी का तैल 1 कि.लो , सरसों का तैल 1 कि.लो, शुद्ध मोम 125 ग्राम, इलायची का तैल 28 ग्राम , लौंग का तैल 1.5 ग्राम लें । प्रथम सभी तैलों को परस्पर मिला लें । फिर यह तैल थोड़ा गरम करके धूप में बैठकर मलने तथा मालिश करने के बाद ऊपर से रुई बाँधने से सन्धि शूल आमवात नष्ट हो जाता है। इसके अतिरिक्त भी सभी अन्य शूलों में भी लाभप्रद है ।
13. अजवायन – कुचला 8 नग, खुरासानी अजवायन 100 ग्राम, कलौंजी 200 ग्राम का चूर्ण कर 750 ग्राम सरसों के तैल में जलावें । तेल मात्र शेष रह जाने पर आग से पात्र उतार कर छानकर, व्यवहार करने से (मालिश करने से) आमवात में विशेष लाभ होता है।
14. कपूर – मिट्टी का तैल 40 ग्राम, कपूर पिसा हुआ 10 ग्राम लें । दोनों को शीशी में डालकर मजबूत कार्क लगायें तथा आधा घन्टा धूप में रख दें। फिर दोनों को हिला लें । जहाँ दर्द हो वहाँ धीरे-धीरे इस तेल की मालिश करें तथा बाद में सिंकाई कर दें । दर्द ठीक हो जाएगा । यह तैल वात रोगियों के लिए अमृत समान है।
15. काला नमक – अजवायन 3 ग्राम, काला नमक 5 ग्राम को मिलाकर (यह एक मात्रा है) दिन में 3 बार गरम जल से सेवन करने से पतला पाखाना तथा आम का बनना बन्द हो जाता है। आमवात नाशक भी है।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)