Last Updated on September 19, 2024 by admin
गुणकारी करेला : Bitter gourd in Hindi
करेला बहुत ही गुणकारी सब्ज़ी है। इसे कच्चा खाएँ तो अधिक लाभ देता है। मगर कड़वा होने के कारण इसे सलाद, टमाटर, प्याज आदि की तरह नहीं खा सकते। चूंकि इसमें औषधीय गुणों की भरमार होती है, अतः औषधि के रूप में कच्चा भी खा सकते हैं या इसका रस निकालकर ले सकते हैं। यह कई रोगों से छुटकारा दिलाता है, अतः यह प्रकृति की एक देन है।
आइये जाने करेला खाने का सही तरीका और करेले का उपयोग के बारे में |
करेला का विभिन्न भाषाओं में नाम : Name of Bitter gourd in Different Languages
Karela in –
- संस्कृत (Sanskrit) – कारवेल्ल
- हिन्दी (Hindi) – करेला, करेली
- मराठी (Marathi) – कारले, दुद्रकारली
- गुजराती (Gujarati) – करेलो
- बंगाली (Bangali) – उच्छे
- तेलगु (Telugu) – काकर
- मलयालम (Malayalam) – कैप्पा
- कन्नड़ (kannada) – हागल
- तामिल (Tamil) – पवका पाकल
- फ़ारसी (Farsi) – कारेलाह
- अंग्रेजी (English) – बिटरगार्ड (Bitter gourd)
- लैटिन (Latin) – मामोर्डिका चिरेन्टिया (Momordica Charantia)
करेला के दिव्य औषधीय गुण : Karela ke Gun in Hindi
करेला शीतल, मलभेदक, दस्तावर, हल्का, कड़वा, कृमि और ज्वरनाशक, क्षुधावर्द्धक और पित्त, कफ, रक्तविकार, पाण्डुरोग, प्रमेह तथा मूत्र रोगों का शमन करने वाला और उष्णवीर्य होता है।
केला खाने का सही तरीका :
- करेला अंडाकार, लंबा, खुरदुरा होता है। कुछ लोग इसका खुरदुरापन पूरी तरह हटाकर बनाते हैं जो गलत है। इसको मामूली सा-रगड़कर काम में लाएँ।
- कुछ लोग करेले के बीज निकाल देते हैं और इसकी जगह चने व मसाले भर देते हैं और फिर फ्राई करते हैं। जो गलत करते हैं। करेला पूरा का पूरा उपयोगी है। इसका कोई हिस्सा निकालना या हटाना, अपनी ही हानि करना है | ( और पढ़ें – करेला खाने की सही विधिऔर लाभ )
- करेले की सब्ज़ी कई तरह से बनाते हैं। कुछ लोग इसे नमक लगाकर 2-3 घंटों के लिए रख देते हैं। इससे इसका कड़वापन तो जाता है, मगर इसकी पौष्टिकता भी घट जाती है। लोग स्वाद के लिए अपना नुकसान कर लेते हैं। इसका कड़वा रस ही तो औषधि है।
- जो पूरी तरह शाकाहारी हैं, वे करेले के स्वाद तथा उपयोगिता को पूरी तरह पसंद करते हैं व लाभ उठाते हैं।
- लगता है कि करेला गर्म तासीर वाला होगा, मगर ऐसा नहीं है। इसकी तासीर ठंडी होती है। यह और भी अच्छी बात है।
- इसे सुगमता से पचाया जा सकता है।
- वैद्य, डाक्टर इसको रोग निवारण करने के लिए खाने की सलाह देते हैं। कई रोगों को यह जड़ से भी खत्म कर देता है। यदि कोई करेले का किसी न किसी रूप में प्रयोग करता रहे तो कुछ रोग स्वतः हट जाते हैं और दुबारा नहीं होते।
- कुछ लोग इसे कब्जकारी बताते हैं, मगर यह कब्ज़ नहीं करता। बल्कि कब्ज को दूर कर, पेट को साफ कर देता है।
- करेला पूरा खाना चाहिए और इसका छिलका नहीं हटाना चाहिए। छिलकों में बहत गुण होते हैं। अगर चाकू चलाकर गहरे छीलते जाएँगे, तो इसकी उपयोगिता घटाते जाएँगे। अतः इस सब्जी का पूरा-पूरा लाभ उठाएँ।
- करेले के छिलके तथा पत्ते, दोनों को पीसकर तलवों में लगाएँ या लेप करें, जलन खत्म होगी व राहत मिलेगी।
करेला के उपयोग : Uses of Bitter gourd in Hindi
ज्यादातर करेले का प्रयोग शाक के रूप में ही किया जाता है पर कुछ प्रयोग घरेलू इलाज के रूप में भी किये जा सकते हैं। कुछ लाभकारी प्रयोग प्रस्तुत हैं
करेले का जूस पीने व करेला खाने के फायदे : Health benefits of bitter gourd
1) पेट में कीड़े में करेले के जूस के फायदे : करेले का रस आधा कप निकालें, इसे पिला दें। यह पेट के कीड़े मार देगा। छोटे बच्चों को आयु के अनुसार एक से दो चम्मच तक करेले का रस काफ़ी ठीक रहता है। कीड़े मरने से शरीर को पौष्टिक तत्व भी मिलने लगता है। ( और पढ़ें – पेट के कीड़े दूर करने के 55 घरेलु उपचार )
2) पीलिया रोग में करेले के जूस के फायदे : पीलिया एक नामुराद रोग है। यह बिगड़ जाए तो जानलेवा भी हो सकता है। अतः इसका समय रहते इलाज ज़रूरी है। करेले को पीसकर रस निकालें। रस को छाने व रोगी को प्रातः तथा सायं पिलाएँ। उसे जल्दी आराम मिलेगा। ( और पढ़ें – पीलिया के 16 रामबाण घरेलू उपचार )
3) खूनी बवासीर में करेले के जूस के फायदे : यह खूनी बवासीर में भी आराम देता है। इसका लाभ उठाना चाहिए। यह सरल व सुलभ उपचार है। प्रातः खाली पेट तथा शाम को करेले का रस तीन चम्मच, उसमें शक्कर आवश्यकतानुसार मिलाकर रोगी को पिला दें। रोगी ठीक होता जाएगा। ( और पढ़ें – खूनी बवासीर को जड़ से खत्म करेंगे यह देशी 6 उपाय )
4) मधुमेह रोग में करेला कच्चा खाने के फायदे : मधुमेह भी भयभीत करने तथा बरबाद कर देनेवाली बीमारी है। इसे तो जितना जल्दी रोकें, उतना अच्छा। करेला ऐसे रोगी के लिए औषधि से भी ऊपर की चीज़ है तथा यह अमृत तुल्य होने के कारण शरीर में नई जान फूक देता है। डाक्टर मधुमेह के रोगी को करेला अधिक से अधिक खाने की सलाह देते हैं। ऐसे रोगी करेला कच्चा तो खाएँ ही, इसका रस निकालकर भी पीया करें। प्रातः खाली पेट तथा सायं डेढ़ तोला करेले का रस, एक कप पानी में डालकर प्रतिदिन रोगी पी लें। इलाज लंबा होता है। धैर्य के साथ पूरा करें। ( और पढ़ें – मधुमेह(डायबिटिज) का सरल व असरकारक ईलाज )
5) रक्तदोष में करेले के रस पीने के फायदे : : करेले के सेवन से रक्त शुद्ध होता है। इसका कड़वापन ही यह कार्य करता है। पाँच तोले करेले का रस नियमित रूप से एक सप्ताह तक लेने से | खून पूरी तरह साफ हो जाता है। ( और पढ़ें –खून की खराबी दूर करने के 12 घरेलु आयुर्वेदिक उपाय )
6) मंदाग्नि में करेले का रस पीने के फायदे: यदि किसी की पाचन-शक्ति कमज़ोर हो या खाया-पीया सामान्यतः न पचता हो, वह मंदाग्नि का शिकार हो, तो ऐसे में उसे करेले का रस पीकर अपने रोग से छुटकारा पाना चाहिए। यह भोजन को पचाने तथा भोजन में रुचि पैदा करनेवाला है। ( और पढ़ें – भूख न लगना या मन्दाग्नि का सरल आयुर्वेदिक निदान )
7) भूख बढ़ाने में करेले के फायदे : जिन्हें भूख कम लगती है, उनके लिए भी करेला बड़ा मददगार रहता है। यह भूख को बढ़ाता है। भोजन में रुचि पैदा करता है। करेले की सब्ज़ी रोजाना खाने से हम फास्फोरस की काफ़ी मात्रा पा लेते हैं। ( और पढ़ें – भूख बढ़ाने के 55 घरेलू नुस्खे )
8) पथरी के उपचार में करेले का उपयोग : दो करेले का रस रोज़ पीएँ। रोज़ करेले की सब्जी एक कटोरी खाएँ। यह गुर्दे तथा मूत्राशय की पथरी को भी निकाल सकता है। ( और पढ़ें – पथरी के सबसे असरकारक 34 घरेलु उपचार )
9) गठिया रोग में करेले के लाभ : यदि जोड़ों में दर्द रहता हो तो जोड़ों पर करेले के पत्तों के रस की मालिश करें। करेले की सब्जी भी खाएँ। यह गठिया रोग को जड़ से हटा देगा। लेकिन समय तो लगेगा ही। ( और पढ़ें – गठिया वात रोग के 13 रामबाण घरेलु उपचार )
10) दमा रोग में करेले के लाभ : करेले का सेवन करना तथा इसके रस का पान दमा रोगी के लिए बड़ा हितकारी है। करेला एक ऐसी अनुपम सब्जी है, जो अनेक रोगों को दूर करता है, अतः इसे आजमाएँ। ( और पढ़ें – दमा या अस्थमा के कारगर 15 घरेलु उपाय )
11) सूजन में करेले के फायदे : सुजन में करेले का रस फायदा करता है | इसके साथ ही पुराना गेहूं, जौ, चावल, अरहर, मूग, मसूर का यूष, परवल, लहसुन, आसव, घी, एरण्डी का तेल, ककड़ी, सहिजन की फली, गो-मूत्र, आम तथा गाजर का उपयोग विशेष लाभदायक है।
12) उदर (पेट) के रोग दूर करने में करेले का उपयोग : पेट के रोगों में करेले का रस (Karela Juice ) लेना लाभदायक है | इसके साथ ही पुराने चावल का भात, दूध, अरारोट, मूंग, कुलथी का यूष, मीठा दूध, गो-मूत्र, लहसुन, परवल, गूलर, बैंगन, करेला, हरड़, एरण्डी का तेल, पान तथा इलायची लाभदायक हैं।
13) शूल (पेट-दर्द) में करेले के फायदे :पेट-दर्द में करेले का रस लेना लाभदायक है | इसके साथ ही दूध, परवल, सहजन, बैंगन, द्राक्षा, काला नमक, जौ की लप्सी, पुराने चावल का भात तथा हींग विशेष हितकर हैं।
14) चर्म रोग में करेले के फायदे : : रक्तविकार हो जाने से कई चर्म रोग सिर उठा लेते हैं। यदि ऊपर बताए तरीके से रक्त की शुद्धि कर लें तो चर्म रोगों से बचा जा सकता है।
आइये जाने अत्यधिक मात्रा में करेला खाने या उसके रस का सेवन करने से होने वाले नुक्सान के बारे में -karela juice side effects
करेले खाने के नुकसान : karela khane ke nuksan
- करेला शरीर में शक्कर (शुगर) की मात्रा को कम करता है ।
- अत्यधिक मात्र में इसके सेवन से यह यह हाइपोग्लाइकोमिया कोमा नामक रोग को जन्म दे सकता है ।
- अत्यधिक मात्रा में करेला के सेवन से पेट में मरोड़ व दस्त जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है।
दोषों को दूर करने के लिए : करेले के अत्यधिक सेवन करने से किसीभी प्रकार की कोई परेशानी हो तो चावल व घी खाएं।
अस्वीकरण: इस लेख में उपलब्ध जानकारी का उद्देश्य केवल शैक्षिक है और इसे चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं ग्रहण किया जाना चाहिए। कृपया किसी भी जड़ी बूटी, हर्बल उत्पाद या उपचार को आजमाने से पहले एक विशेषज्ञ चिकित्सक से संपर्क करें।
very Nice sir