Last Updated on August 2, 2024 by admin
गुड़मार क्या है ? gudmar in hindi
“गुड़मार” मध्य भारत, पूर्वी व उत्तरी भारत में बहुत पैदा होती है।इसकी बहुशाखी चक्रा रोही लताएं होती हैं। जो ऊंचे वृक्षों का सहारा पाने पर काफी ऊंचाई तक चढ़ जाती हैं। इसकी शाखाएं पीले रंग की होती हैं तथा पत्तियां 2 से 3 इंच लम्बी व एक से डेढ़ इंच चौड़ी, अग्रभाग पर नुकीली तथा आधार पर गोलाकार होती हैं।
पत्तियों के दोनों पृष्ठों पर रोम होते हैं जो नसों पर अधिक स्पष्ट होते हैं। इसके पुष्प सूक्ष्म पीले रंग के होते हैं तथा फलियां प्रायः एकाकी होती हैं जो 2-3 इंच लम्बी और अग्रभाग में संकुचित हो चोंच जैसी हो जाती हैं। शरद ऋतु में इसमें पुष्प और शीतकाल में फल लगते हैं।
इस वनस्पति के औषधीय उपयोग के अंग होते हैं पत्ते, जड़ एवं बीज। ‘गुड़मार’ की पत्तियां स्वाद में कुछ नमकीन एवं कड़वी होती हैं। पत्तियों को चबाने पर जीभ की स्वाद ग्रहण शक्ति (मधुर, तिक्त) कुछ समय के लिए नष्ट हो जाती है। इसको चबाने के बाद गुड़ या शक्कर की मिठास जिह्वा अनुभव नहीं कर पाती है इसीलिए इसे गुड़मार या मधुनाशिनी कहते हैं । इसकी जड़ छोटी अंगुली के बराबर मोटी होती है।
ताजी जड़ों का छिलका लालिमा लिये भूरे रंग का तथा मुलायम होता है। जिस पर लम्बाई में दरारें होती हैं। सूखने पर छिलका आसानी से अलग हो जाने योग्य हो जाता है तथा इस पर आड़ी दरारें उत्पन्न हो जाती हैं। इसके बीज आधे इंच तक लम्बे किन्तु चौड़ाई में अपेक्षाकृत कम, चपटे, भूरे, चिकने और पक्षयुक्त होते हैं।
गुड़मार का विभिन्न भाषाओं में नाम :
- संस्कृत – अजगन्धिनी, मधुनाशिनी, मेषश्रृंगी ।
- हिन्दी – गुड़मार।
- गुजराती – गुड़मार ।
- बंगाली – मेड़ासिंगी ।
- लैटिन – जिम्नेमा सिलवेस्ट्रेिस (Ganemia Sylvestris).
संग्रह एवं संरक्षण :
फूल फल आ जाने पर पत्तियों का संग्रह छाया में सुखा कर अच्छी तरह डाट बंद शीशियों में किया जाता है। जड़ों का संग्रह फल पकने के बाद छाया में सुखा कर डाट बन्द पात्रों में शीतल स्थान पर किया जाता है।
गुड़मार के औषधीय गुण व प्रधानकर्म :
- यह लघु , रूक्ष, रस-कषाय, कटु, विपाक-कटु, वीर्य-उष्ण है।
- यह दीपन,ग्राही, यकृदुत्तेजक, हृदयोत्तेजक, मूत्रल है।
- आयुर्वेदिक मत से यह वनस्पति शक्कर के स्वाद को नष्ट करने वाली,
- यह सर्प विषनाशक होती है।
- जीभ की स्वाद परखने की शक्ति को नष्ट करने वाली है।
- पेशाब में जाने वाली शक्कर को रोकने वाली होती है।
- इसके बीज प्रतिश्याय (जुकाम) तथा कास श्वास नाशक होते हैं तथा जड़ विषनाशक होती है।
- सामान्य मात्रा में यह हृदय और रक्ताभिषरण क्रिया को बढ़ाती है। तथा वृक्क और गर्भाशय की क्रिया को उत्तेजित करती है।
संगठन :
‘गुड़मार’ की पत्तियों में 2 रेजिनस, एक तिक्त क्लीव तत्व, ऐल्ब्यूमिन, कैल्शियम ऑक्ज़लेट, जिम्नेमिक एसिड (6%), क्वर्सिटॉल, शर्करापाचक किण्व, फेरिक ऑक्साइड एवं मैग्नीज आदि तत्व पाये जाते हैं
गुड़मार के फायदे और उपयोग : gudmar ke fayde in hindi
1. मधुमेह (Diabetes Mellitus) में गुड़मार के फायदे : ‘गुड़मार’ का उपयोग प्राचीन काल से मधुमेह के रोगियों के लिए किया जाता रहा है। मधुमेह की चिकित्सा में दी जाने वाली आयुर्वेदिक औषधियों में गुड़मार प्रमुख घटक द्रव्य के रूप में प्रयोग में लाया जाता है। ( और पढ़े – मधुमेह के 25 रामबाण घरेलु उपचार)
2. इक्षुमेह (Alimentary Glycosuria) में गुड़मार के फायदे : मधुमेह के अलावा इक्षुमेह में भी यह लाभ करता है। इस व्याधि में सामान्यतः शर्करा की जिस मात्रा का शरीर में चयापचय हो जाता है तथा पेशाब में शर्करा उत्सर्जित नहीं होती उसी मात्रा में शर्करा या स्टार्च का सेवन करने पर पेशाब में शर्करा निकलने लगती है। मधुमेह रोग होने पर कुछ लक्षण प्रकट होते हैं जैसे मुंह सूखना, अधिक प्यास लगना, अधिक भूख लगना, अधिक मात्रा में पेशाब आना (खास कर रात को), शरीर में कमज़ोरी, थकावट और सुस्ती बनी रहना, शरीर में फोड़ेफुसी और खुजली होना आदि।
जब रक्त में शर्करा 160-180 mg/dl के स्तर से अधिक हो जाती है तब यह मूत्र में उत्सर्जित होने लगती है जिससे जहां पेशाब की जाती है वहां चींटे लगने लगते हैं। पेशाब गाढ़ी और चिपचिपी हो जाती है तथा बारबार आती है। इन दोनों व्याधियों में‘गुड़मार’ अर्क के साथ 3-3 रत्ती शिलाजीत लेने से इन लक्षणों में कमी आती है तथा भोजन से शर्करा बनने की प्रक्रिया पर अंकुश लगता है। यदि इसके साथ शिला प्रमेह वटी का सेवन भी कराया जाए तो विशेष लाभ मिलता है।
3. गुड़मार एवं जामुन की गुठली आधा-आधा तोला मिला कर इसका काढ़ा बना कर पीने से भी मधुमेह में लाभ मिलता है।
4. कफ खांसी में गुड़मार के फायदे : खांसी और छाती में जमें कफ को बाहर निकालने (Expectoration )के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है। गुड़मार की जड़ की छाल का चूर्ण 1-2 रत्ती शहद के साथ दिन में 3 बार देने से
कफ सरलता से फेफड़ों से बाहर निकल जाता है और घबराहट भी कम होती है। ( और पढ़े – खांसी दूर करने के 191 सबसे असरकारक घरेलू इलाज )
5. सर्प विष निवारण में गुड़मार के फायदे : इसकी जड़ को पीस कर छान कर इसका जल पिलाने अथवा जड़ की छाल का चूर्ण आधा-आधा चम्मच पानी के साथ 2-3 घण्टे से 2-3 बार देने पर वमन द्वारा आमाशय साफ हो जाता है तथा यह रक्त में अवशोषित हो शरीर में व्याप्त विष का नाश करता है। इसके साथ ही दंश स्थान पर इसका लेप भी लगाया जाता है। ( और पढ़े – सर्प दंश का विष नष्ट करने हेतु सरल उपाय )
6. अफीम का ज़हर उतारने में गुड़मार के फायदे : गुड़मार की जड़ को जल में पीस कर छान कर इसका जल पिला देने से आमाशय स्थित अफीम का ज़हर वमन द्वारा बाहर निकल जाता है।
7. गुड़मार अर्क के फायदे : गुड़मार की पत्तियों को चौगुने जल में भिगो कर विशेष विधि से इसका अर्क खींच लिया जाता है। दिन में दो बार डेढ़-डेढ़ तोला की मात्रा में सेवन करने से यह अर्क यकृत (Liver) की शर्करा बनाने की प्रक्रिया का दमन कर रक्त में शर्करा के बढ़े हुए स्तर को कम करता है।
8. गुड़मार चूर्ण के फायदे : इसकी पत्तियों का चूर्ण 1/2 चम्मच प्रातः सांय शहद या गाय के दूध के साथ दिया जाता । इससे यकृत (Liver) की क्रिया में सुधार होता है जिससे उसकी मधुजन (Glycogen) संचय की शक्ति बढ़ती है। -अग्न्याशय (Pancreas) और अधिवृक्क (Adrenals) ग्रन्थियों के स्राव में भी यह सहायता करता है जिससे अप्रत्यक्ष रूप से यकृत में ग्लूकोज़ का ग्लायकोज़न के रूप में संचय होने की प्रक्रिया तेज हो जाती है।
गुड़मार के नुकसान : gudmar ke nuksan in hindi
- गुड़मार का अधिक मात्रा में सेवन आपके शरीर में रक्त शर्करा की कमी का कारण बन सकता है।
- इस दवा को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक या सम्बंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ से राय अवश्य ले ।
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)
Good
महोदय मुझे गुड़मार के पौधे की आवश्यकता है, आप कही से दिलवा सकते हैं।।