बैंगन खाने के 26 बेहतरीन फायदे – Brinjal Health Benefits in Hindi

बड़े गुणों वाला है बैंगन :

बैंगन का लेटिन नाम-सोलेनम मेलोजिना (Solanum Melonglna) है। इसे अँग्रेजी भाषा में Eggplant और Brinjal आदि नामों से जाना जाता है। भारत में प्राचीनकाल से ही बैंगन सर्वत्र होते हैं । बैंगन की लोकप्रियता स्वाद और गुण के दृष्टिकोण से शीतकाल तक ही सीमित है । इसीलिए समस्त शीतकालीन शाक-भाजियों बैंगन राजा के रूप में जाना जाता है। ग्रीष्मकालीन ऋतु के आगमन के साथ ही इसका स्वाद भी बदल जाता है।

बैंगन में मुख्यतः 2 किस्में होती है – (1) काली और (2) सफदे । काले बैंगन अधिक गुणकारी माने जाते हैं। बेल-बैंगन की एक अन्य किस्म भी है, परन्तु गुण की दृष्टि से वह निम्न किस्म हैं। अत्याधिक बीज वाले बैंगन विष रूप है। बैंगन जितने अधिक कोमल होते हैं उतने ही अधिक गुण वाले और बलवर्धक माने जाते हैं । ग्रीष्मकाल के आगमन पर उत्पन्न होने वाले अथवा अधिक बीज वाले बैंगन निषेध हैं। दीपावली पर्व के पहले बैंगन नहीं खाना चाहिए। ऐसा करना आरोग्य की दृष्टि से हितकारी है। शरदऋतु में पित्त का प्रकोप होता है। अतः इस ऋतु में-पित्तकर बैंगन खाने से अनेकों रोग उत्पन्न होते हैं। बसन्त ऋतु के आरम्भ में बैंगन का सेवन लाभकारी है क्योंकि यह कफनाशक है ।

बैंगन को-“शाक-नायक’ की संज्ञा से विभूषित करने वाले सुप्रसिद्ध ग्रन्थ “क्षेमकुतूहल” के रचियता वैद्य/कवि-बैंगन के साग के विषय में कहते हैं कि “बिना बैंगन का भोजनधिक (धिक्कार) है। बैंगन हो, किन्तु बिना ढेप(डंठल) का हो तो धिक्य है। ढेप हो किन्तु यदि साग तेल से भरपूर न हो तो धिक्य है । ढेपवाला तथा भरपूर तेल वाला बैंगन का साग हो, परन्तु यदि उसमें हींग न हो तो वह धिक्य है ।” तेल और हींग में बनाया हुआ बैंगन का साग वायु प्रकृति वालों के लिए बहुत ही लाभप्रद है। कफ प्रकृतिवालों और समप्रकृति वालों के लिए भी ठण्डी ऋतु में बैंगन का सेवन गुणकारी है।

बैंगन के गुण और उपयोग : baigan ke gun hindi me

  • बैंगन मूत्रवर्धक है |
  • बैंगन मधुर, तीक्ष्ण, गर्म, पाक में तिक्त, परन्तु पित्त न करने वाले ज्वर, वायु, तथा कफ को मिटाने वाले, अग्नि को प्रदीप्त करने वाले, वीर्यवर्धक एवं हल्के हैं ।
  • सुकोमल बैंगन निर्दोष होते हैं और सभी दोषों को दूर करते हैं।
  • अंगारों पर पकाया हुआ, भुर्ता बैंगन, कुछ-कुछ पित्त करने वाला, अत्यन्त हल्का और अग्नि को प्रदीप्त करने वाला है।
  • यह कफ, मेद, वायु और आम को मिटाता है।
  • बैंगन में तेल और नमक डालने से वह भारी और स्निग्ध हो जाता है।
  • सफेद मुर्गी के अण्डे जैसा बैंगन अर्श पर हितकारी है एवं काले बैंगन की अपेक्षा कम गुण वाला है।
  • वैज्ञानिक मतानुसार- बैंगन में कार्बोहाइड्रेट, चर्बी, प्रोटीन और अन्य क्षार कम या अधिक मात्रा में हैं। इसमें विटामिन ‘ए’ विटामिन ‘बी2′ विटामिन ‘सी’ और आयरन भी है ।
  • बैंगन के ढेप(डंठल) में खाद्य-तत्वों और विटामिनों की मात्रा अधिक होने के कारण बैंगन के शाक में ढेप का उपयोग करना आवश्यक है।

बैंगन खाने के फायदे : baigan khane ke fayde

1. गैस – पेट में गैस बनती हो, पानी पीने के बाद पेट इस प्रकार फूलता हो जैसे फुटबाल में हवा भर जाती है तो ताजा लम्बे बैंगन की सब्जी-जब तक मौसम में बैंगन रहें खाते रहें। इससे गैस की बीमारी दूर हो जाएगी । इस प्रयोग से यकृत और तिल्ली बढ़ी हुई हो तो उसमें भी आराम होता है। ( और पढ़े –पेट की गैस को ठीक करने के आयुर्वेदिक उपाय )

2. पसीना – हाथ की हथेलियों व पैरों के तलुवों में पसीना आने पर बैंगन का रस निकाल कर हथेलियों व तलुवों पर लगाएँ । लाभप्रदायक प्रयोग है।

3. बाला (नारू) – बैंगन को सेंक कर दही में पीसकर 10 दिनों तक जहाँ बाला निकल रहा हो लगाएँ। लाभप्रद है।

4. बबासीर – बैंगन का दाँड (वह हिस्सा जिससे बैंगन जुड़ा रहता है) को पीसकर बबासीर पर लेप करने से दर्द और जलन में आराम मिलता है। बैंगन का दाँड और छिलके को सुखा लें और फिर इनको कूट लें । जलते हुए कोयलों पर डालकर मस्सों को धूनी दें । बैंगन को जला लें । इसकी राख शहद में मिलाकर मरहम बना लें। इसे मस्सों पर लगाएँ । मस्से सूखकर गिर जाएँगें । ( और पढ़े – बवासीर के 52 सबसे असरकारक घरेलु उपचार )

5. हृदय – बैंगन हृदय को शक्ति देता है। ( और पढ़े – हार्ट ब्लॉकेज दूर करने के 10 सबसे असरकारक घरेलु उपचार )

6. मन्दाग्नि – बैंगन और टमाटर का सूप पीने से मन्दाग्नि मिटती है और आम का पाचन होता है।

7. तिल्ली – कोमल बैंगन को अँगारों पर सेंक कर प्रतिदिन सबेरे के समय खाली पेट गुड़ के साथ खाने से मलेरिया ज्वर से तिल्ली बढ़ गई हो और उसके कारण शरीर पीला पड़ गया हो तो लाभ होता है।

8. धतूरे का विष – बैंगन का 40 ग्राम रस पीने से धतूरे का विष उतरता है।

10. पथरी – बैंगन का साग खाने से पेशाब की छूट होकर प्रारम्भिावस्था की छोटी पथरी पिघलकर मूत्र मार्ग से बाहर निकल जाती है। ( और पढ़े – पथरी के सबसे असरकारक 34 घरेलु उपचार)

11. वायु – बैंगन का साग, भुर्ता अथवा सूप बनाकर हींग और लहसुन के साथ सेवन करने से पेट के भीतर की वायु का जोर कम होता है और गुल्म मिटता हैं।

12. अनिद्रा – कोमल बैंगन को अँगारों पर सेंक कर, शहद में मिलाकर शाम को चाटने से नींद अच्छी आती है। इस प्रयोग को निरन्तर करते रहने से अनिद्रा की शिकायत में भी लाभ होता है।

13. मासिकधर्म – यदि स्त्रियों का मासिकधर्म बन्द हो गया हो, क्षीण हो गया हो या साफ न आता हो तो सर्दियों में बैंगन का साग, बाजरे की रोटी और गुड़ का नियमित सेवन करें। इससे लाभ होता है। गर्म प्रकृति की स्त्रियों को यह प्रयोग न कराएँ। ( और पढ़े –मासिक धर्म की अनियमितता को दूर करते है यह 19 घरेलू उपचार )

14. पेट फूलना – बैंगन को अंगारों पर सेंक कर उसमें सज्जीखार मिलाकर पेट पर बाँधने से, पेट में भार हो गया हो तो वह दूर होता है।

15. फोड़े फुंसी – बैंगन की पुल्टिश फोड़े-फुन्सियों पर बाँधने से फोड़े जल्दी पक जाते हैं।

16. कब्ज (गैस) का बनना :

  • बैंगन और पालक का सूप पीने से कब्ज मिट जाती है और पाचन-शक्ति को बढ़ती है।
  • बैंगन को धीमी आग पर पकाकर खाने से कब्ज दूर हो जाती है।

17. कान का दर्द : बैंगन को आग में भूनकर उसका रस निकाल लें। फिर उसके अंदर नीम का गोंद मिलाकर गुनगुना करके कान में बूंद-बूंद करके कान में डालने से कान का दर्द समाप्त हो जाता है।

18. कान के कीड़े :

  • बैंगन को भूनकर उसमें से निकलने वाले धुंए को कान में लेने से कान के सारे कीड़े खत्म हो जाते हैं।
  • बैंगन का धुंआ और सरसों के तेल को गर्म करके गाय के पेशाब में मिलाकर उसमें हरताल की राख को मिलाकर कान में डालने से कान के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।

19. जिगर का रोग : यकृत वृद्धि में रोगी को बैंगन का भर्ता बनाकर खिलाने से बहुत फायदा होता है। भर्ता को लोहे की कड़ाही में सरसों के तेल के साथ बनाएं और इसमें लाल मिर्च का प्रयोग करें इससे जिगर का बढ़ना कम हो जाता है।

20. जलोदर के लिए : 1 बड़े बैंगन को चीरकर उसके अंदर ठंडा नौसादार रखकर रात में खुली हुई जगह में रख दें। सुबह-सुबह इसे निचोड़कर इस रस की 4 से 5 बूंद रस को बतासे में भरकर रोगी को सेवन कराने से अधिक पेशाब आकर जलोदर (पेट में पानी भरना) के रोग से छुटकारा मिल जाता है।

21. प्लीहा वृद्धि (तिल्ली) : ताजे लंबे बैंगन की सब्जी खाने से तिल्ली (प्लीहा) बढ़ने के रोग में आराम मिलता है।

22. योनि का आकार छोटा होना : सूखे हुए बैंगन को पीसकर योनि में रखने से योनि सिकुड़कर छोटी हो जाती है।

23. आन्त्रवृद्धि का बढ़ना : मारू बैंगन को गर्मराख में भूनकर बीच से चीरकर अंडकोषों पर बांधने से आन्त्रवृद्धि व दर्द दोनों बंद हो जाते हैं। बच्चों की अंडवृद्धि को ठीक करने के लिए यह बहुत ही उपयोगी है।

24. सूखा रोग : बैंगन को अच्छी तरह से पीसकर उसका रस निकालकर उसके अंदर थोड़ा सा सेंधानमक मिला लें। इस एक चम्मच रस को रोजाना दोपहर के भोजन के बाद कुछ दिनों तक बच्चे को पिलाने से सूखा रोग (रिकेट्स) में लाभ मिलता है।

25. अंडकोष की सूजन : बैंगन की जड़ को पानी में मिलाकर अंडकोषों पर कुछ दिनों तक लेप करने से अंडकोषों की सूजन और वृद्धि ठीक नष्ट हो जाती है।

26. अफारा (गैस का बनना) : बैंगन की सब्जी में ताजे लहसुन और हींग का छौंका लगाकर खाने से आध्यमान (अफारा, गैस) आदि दूर हो जाती है।

बैगन खाने के नुकसान : baigan khane ke nuksan

  • शीतकाल में बैंगन पथ्य होने पर भी पित्तप्रकृति वालों गर्म प्रकृति वालों, अर्श तथा अम्लपित्त वालों को अनुकूल नहीं होते । अतः पित्तप्रकृति वालों, सगर्भा स्त्रियों तथा अम्लपित्त वालों को बैंगन नहीं खाने चाहिए।
  • बैंगन गर्म है । अतः इनका सेवन ग्रीष्मकाल में निषेध है।
  • बैंगन के अत्याधिक सेवन से वीर्य पतला होता है और इसके शाक में अत्याधिक मसालों के उपयोग से आँखों और दस्त में दाह होता है।

(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)

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