Last Updated on October 24, 2021 by admin
शिशु के जन्म के बाद माँ की सबसे ज्यादा यही शिकायत सुनने को मिलती है कि उसे दूध कम उतरता है। वह अपने बच्चे को भरपेट दूध नहीं पिला पाती। बच्चा भूखा रहता है। दुविधा तब होती है जब डॉक्टर यह मानते ही नहीं कि माँ को दूध कम भी आ सकता है। पर बहुत बार यह बात सची होती है कि दूध इतना नहीं बन रहा होता, जितनी शिशु की जरूरत होती है। इस समस्या के कारण और उपाय जानने से पहले यह जानते हैं कि प्राकृतिक तौर पर दूध कबकब कितना बनता है और शिशु को कम दूध मिलने के क्या लक्षण हैं।
दूध बनने की सामान्य प्रक्रिया :
शुरू के एक-दो हफ्ते गाढ़ा पीले रंग का दूध निकलता है, जिसे Colostrun कहते हैं। यह नवजात शिशु को बीमारियों से बचाने वाला व शक्ति देनेवाला होता है। एक-दो हफ्ते में स्तन से पतला दूध बनने लगता है। पहले-दूसरे दिन, खास तौर से जब पहला बच्चा पैदा हुआ हो, तो दूध दो-तीन बूंद या कैंट भी शिशु के लिए एक बार में काफी होता है। स्तनों में दूध की मात्रा बच्चे के स्तनपान करने से एक-दो हफ्ते में 500 ml. प्रतिदिन हो जाती है। यह तभी बढ़ती है, जब बच्चा बार-बार स्तनपान करता रहे। इससे यह स्पष्ट है कि प्राकृतिक तौर पर ही शुरू के दिनों में दूध कम बनता है और साथ ही यह जानना भी आवश्यक है कि बच्चे के लिए शुरू में एक-दो बूंद दूध भी काफी है।
दूध कम आने से संबंधित शिकायत आमतौर पर शुरुआती दिनों में देखी जाती है। इन दिनों में बच्चे को सही तरीके से स्तन पकड़ाने में बहुत मेहनत करनी पड़ सकती है। बच्चा बार-बार भूखा होकर हर एक-दो घंटे के अंतराल से स्तनपान कर सकता है। यदि एक बार स्तनपान करके (जो कि 30 मिनट तक चल सकता है) बच्चा एक-दो घंटे सो जाए और शुरू के दो दिन शुरू में एक बार भी पेशाब कर ले तो यह नार्मल (Normal) है और इसमें चिंता की कोई बात नहीं। इसके बाद दूध की मात्रा और बच्चे के पीने का तरीका, दोनों बेहतर हो जाते हैं। इससे बच्चा दिन में 6-8 बार पेशाब, 3-4 बार पैखाना (मलत्याग) और एक बार स्तनपान के बाद 3-4 घंटे सो जाता है। उपरोक्त जानकारी से आप जान सकते हैं कि शिशु को दूध समुचित मात्रा में मिल रहा है या नहीं।
शुरुआती दिनों में नवजात के भूखा रहने और रोने का कारण दूध कम उतरना मान लिया जाता है। जबकि इसका मुख्य कारण है बच्चे का ठीक से स्तन न पकड़ पाना और स्तनपान कराने की गलत मुद्रा (Posture, Position) । यदि इन दो कारणों का ठीक से समाधान हो जाए तो कम दूध आने की 99.99 प्रतिशत शिकायतों का निवारण हो जाएगा। आइए, जानते हैं
माँ का दूध कम होने के कारण : Maa Ka Doodh (breast milk) kam hone ke karan
1. स्तन सही ढंग से न पकड़ पाना –
यदि शिशु स्तनपान करते हुए केवल निप्पल मुँह में लेकर चूसता रहेगा तो पेट भरने का यह प्रयत्न असफल रहेगा। निप्पल और उसके चारों तरफ का गहरे रंग का Areola जब तक बच्चे के मुँह (जबड़े) से नहीं दबेगा, तब तक स्तन की दूध की ग्रंथियों से दूध नहीं निकलेगा। अत: स्तन का एक बड़ा भाग (केवल निप्पल नहीं) बच्चे के मुँह के अंदर जाना चाहिए।
2. गलत मुद्रा –
इसका दूसरा कारण है। माँ को चाहिए कि बच्चे को अपने स्तन के पास उठाएँ, न कि उसके ऊपर झुकें। ऊपर झुकना लगातार संभव नहीं है, कुछ देर में सीधे होने का मन करेगा, नहीं तो पीठ दुख जाएगी। बच्चे को उठाने से उसका सिर व शरीर एक लाइन में रखा जा सकता है। इससे भी शिशु का दूध पीना आसान हो जाता है। अन्यथा यदि शिशु गरदन घुमाकर दूध पीए तो वह भी ज्यादा देर लगातार ऐसा नहीं कर सकता।
माँ का दूध (ब्रेस्ट मिल्क) बढ़ाने का तरीका / उपाय / नुस्खे : maa ka doodh badhane ke upay hindi me
इन दोनों त्रुटियों को सुधारने के बाद भी यदि आप समझती हैं कि स्तनपान से शिशु का पेट नहीं भर रहा है तो दूध बढ़ाने के निम्नलिखित उपाय करें
1). शिशु को जरुरत अनुसार स्तनपान कराएं -बच्चे को स्तनपान किसी समय-सारिणी के अनुसार न कराएँ। जब जब बच्चा रोए भूखा लगे, तब-तब उसे स्तनपान कराएँ। इसके लिए यदि रात में बार-बार जागना पड़े तो आलस न करें। प्रकृति ने माँ के शरीर की सरंचना कुछ इस प्रकार से की है कि उसके स्तन शिशु की जरूरत के अनुसार पूरा दूध बना लेते हैं। अत: कभी भी भूखे शिशु को चूसनी (Pacitier) या दूध की बोतल न दें। याद रखें, जितनी बार आप शिशु को स्तनपान कराएँगी, उतनी ही अधिक मात्रा में दूध बनेगा। ( और पढ़े – माँ के दूध को बढ़ाते हैं यह 22 घरेलु उपाय )
2). पौष्टिक आहार लें- चूंकि दूध बच्चे का पूर्ण आहार है, इसलिए माँ को पौष्टिक आहार लेना चाहिए। इसमें उसे 500-1000 कैलोरी अतिरिक्त मिलनी चाहिए।
3). फलों का रस – तरल पदार्थ अधिक मात्रा में लें, चाहे वह पानी हो, दूध हो या फलों का रस (जूस) हो। घर के कामकाज में व्यस्त रहने से यदि आपको यह ध्यान न रहे तो कम-से-कम जब-जब स्तनपान कराएँ, तब-तब एक गिलास पानी अवश्य पीएँ। ( और पढ़े – स्तनपान से होने वाले फायदे व कराने का सही तरीका )
4). विश्राम करें- कई बार माताएँ शिशु जन्म के कुछ दिन बाद शीघ्र ही घर के सारे काम करना शुरू कर देती हैं और खुद पर ध्यान नहीं दे पातीं। इससे भी दूध कम हो जाता है। स्तनपान करा रही माताओं को घरेलू कामकाज में भागीदारी धीरे-धीरे बढ़ानी चाहिए। शुरुआत में पति, रिश्तेदार, नौकरानी इत्यादि की मदद लें। इन माताओं के आराम करने से दूध की मात्रा अवश्य बढ़ेगी।
5). चिंतामुक्त रहें – आप जितना चिंतामुक्त रहेंगी, दूध उतना अधिक बनेगा। शिशु का सामाजिक और बौद्धिक विकास भी अच्छा होगा। ( और पढ़े –बच्चों के रोने के मुख्य कारण व घरेलु उपचार )
6). स्तनपान कराते समय ज्यादा लोगों का मौजूद होना या अन्य कारणों से माँ को संकोच होने से भी दूध उतरने (Let Down Reflex) में बाधा आती है। अत: इस बात का ध्यान रखें कि मिलनेवाले लोगों की वजह से कहीं माँ और शिशु परेशान तो नहीं हो रहे ।
7). मेथीदाना – सब्जी में मेथीदाने का उपयोग करें। इससे भी दूध की मात्रा बढ़ती है। ( और पढ़े – आपके नवजात शिशु का ऐसे करें स्वागत )
8). जई का आटा – रोटी बनाने के गेहूँ के आटे में जई का आटा मिला सकते हैं। यह भी दूध बढ़ाने में मददगार है।
9). मालिश – स्तनों पर कैस्टर ऑयल (Castor Oil) की मालिश करें । ( और पढ़े – बच्चों के सोने के आठ प्रकार और उनसे जुडी खास बातें)
10). बल वर्धक चीजों का सेवन करें – शक्ति-बर्धक योगों व खाद्य एवं पेय पदार्थों का सेवन करें। दूध, घी, मक्खन, मलाई, गेहूँ का दलिया, मूंगफली, बिनौले की खीर इत्यादि अधिक खायें ।
11). शतावरी – शतावरी ताजा अधिक मात्रा में खायें । ( और पढ़े –सौ रोगों को हरने वाली दिव्य औषधि शतावरी )
इन सब उपायों से निश्चित ही दूध की मात्रा बढ़ जाएगी तथा शिशु का पेट भरने लगेगा और आपका तनाव भी कम हो जाएगा।
माँ का दूध बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा : Maa Ka Doodh (breast milk) badhane ki ayurvedic dawa
माँ का दूध बढ़ाने में वाली लाभदायक आयुर्वेदिक औषधियां –
- शतावरी चूर्ण
- अश्वगंधा पाक
- च्यवनप्राश
मित्रों माँ का दूध बढ़ाने के घरेलू नुस्खे /उपाय (maa ka doodh badhane ke upay in hindi) का यह लेख आप को कैसा लगा हमें कमेन्ट के जरिये जरुर बताये और अगर आपके पास भी maa ka doodh badhane ke liye gharelu nuskhe है तो हमारे साथ भी शेयर करे।
(दवा व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार सेवन करें)