लहसुन के 151 चमत्कारी फायदे, उपयोग और दुष्प्रभाव – Garlic Benefits and Side Effects in Hindi

Last Updated on January 21, 2024 by admin

लहसुन क्या है ? : garlic in hindi

संस्कृत में लहसुन को गुणों के आधार पर कई नामों से पुकारा गया है। ‘रसेन ऊनः’ यानी अम्लरस से रहित होने के कारण रसोन, तीक्ष्णगन्ध युक्त होने से उग्रगन्ध, श्रेष्ठ औषधि गुणों वाला होने से महौषधि, दुःखों का नाश करने वाला होने से अरिष्ट, म्लेच्छ और यवन जाति वालों को प्रिय होने से म्लेच्छकन्द रस व यवनेष्ट तथा सर्वाधिक पांच रसों (अम्ल रस को छोड़ कर) वाला होने से इसे रसोनक कहा है। इसे सारे भारत के लोग भली भांति जानते हैं और प्रयोग करते हैं अतः इसका विशेष परिचय देना ज़रूरी नहीं।

लहसुन का विभिन्न भाषाओं में नाम :

संस्कृत   लशुन, रसोन।
हिन्दी       लहसुन।
अग्रेजी       गारलिक, शैलोट।
बंगाली       लशुन।
मराठी   लसूण।
गुजराती  लसणा।
फारसी       सीर।
लैटिन       एलियम सैटाइवम।

लहसुन के औषधीय गुण :

  • यह पुष्टिकारक, वीर्यवर्द्धक, स्निग्ध, गरम, पाचक, दस्तावर, पाक तथा रस में कटु और मधुर है।
  • यह भग्न स्थान को जोड़ने वाला है।
  • यह कण्ठशोधक, भारी, पित्तरुधिर को बढ़ाने वाला है।
  • यह बलवर्ण के लिए उत्तम है।
  • यह मेधा के लिए हितकारी है।
  • यह नेत्रों को सुखदायक, रसायन और हृदय रोग दूर करने वाला है ।
  • यह जीर्णज्वर, पार्श्वशूल, मलावरोध, गुल्म, अरुचि, खांसी, सूजन, बवासीर, कुष्ठ, मन्दाग्नि, कृमि, वात, श्वास तथा कफ को नष्ट करने वाला है।

लहसुन कैसे खाएं :

लहसुन के सेवन करने का एक सरल सामान्य ढंग तो यह है कि सोते समय दो कली बारीक-बारीक काट कर पानी के साथ निगल ली जाएं। दूसरा ढंग, शुद्ध घी में 2 से 5 कली तक तल कर ठण्डा करके घी सहित चबा कर या निगल कर, प्रतिदिन सुबह भोजन से पहले या रात को सोते समय सेवन की जाए।
कली की संख्या अपनी प्रकृति के अनुसार कम ज्यादा की जा सकती है।

लहसुन में पाए जाने वाले तत्त्व :

तत्त्वमात्रा
प्रोटीन6.3 प्रतिशत
वसा0.1 प्रतिशत
कार्बोहाइड्रेट29.0 प्रतिशत
पानी62.8 प्रतिशत
विटामिन-सी13 मिग्रा./100 ग्राम
लौह1.3 मिग्रा./100 ग्राम
फास्फोरस0.31 प्रतिशत
कैल्शियम0.03 प्रतिशत

विभिन्न रोगों में लहसुन के फायदे (Lahsun ke Fayde)

1. बाल उड़ना: लहसुन का रस बालों में लगायें और सूखने दें। इस तरह 3 बार रोज लहसुन का रस लगातार 60 दिनों तक लगायें। इससे सिर में बाल उग जाते हैं।

2. सिर की जूं: लहसुन को पीसकर नींबू के रस में मिलायें। रात को सोने से पहले सिर पर लगायें और सुबह धो लें यह क्रिया 5 दिन तक करें। ध्यान रहे कि यह आंखों पर न लगे। इससे सिर की जुंए मर जाती हैं।

3. दांत दर्द:

  • दांतों में कीडे़ लगने या दर्द होने पर लहसुन के रस को लगाने से दर्द दूर होता है। लहसुन की कली दांत के नीचे रखकर उसका रस चूसने से दर्द जल्दी दूर होता है।
  • लहसुन को पीसकर सरसों के तेल में मिलाकर आग पर गर्म करें। लहसुन जल जाने पर तेल को ठंडा करके छान लें। इस तेल में थोड़ा-सा सेंधानमक मिलाकर रोजाना मंजन करें। इससे दांतों के सभी प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं।
  • लहसुन को आग पर सेंककर दांतों के नीचे दबाकर रखें। इससे दांतों को दर्द ठीक हो जाता है।

4. कफ: लहसुन को खाने से श्वास नलियों में इकट्ठा कफ आराम से बाहर निकल जाता है। यह टी.बी. के रोगियों के लिए बहुत लाभकारी है।

5. दिल का दौरा: 4-5 लहसुन की कलियों को दौरे के समय ही चबाकर खाना चाहिए। ऐसा करने से दिल का दौरा पड़ने का खतरा नहीं रहता है। इसके बाद लहसुन को दूध में उबालकर देते रहना चाहिए। दिल के रोग में लहसुन देने से पेट की वायु निकल जाती है। इससे दिल का दबाव हल्का हो जाता है और दिल को ताकत मिलती है।

6. वृद्धावस्था की झुर्रियां: जो व्यक्ति रोज लहसुन चबाता है। इसके चेहरे पर झुर्रियां नहीं आती हैं।

7. प्लूरिसी: अगर फेफडे़ के पर्दे में पानी भर गया हो, बुखार हो, सांस रुक-रुक कर आती है और छाती में दर्द हो तो लहसुन पीसकर, गेहूं के आटे में मिलाकर गर्म-गर्म पट्टी बांधने से लाभ होता है।

8. क्षय (टी.बी):

  • लहसुन खाने वालों को क्षय रोग नहीं होता है। लहसुन के प्रयोग से क्षय के कीटाणु मर जाते हैं।
  • लहसुन का रस 3.5 से 7 मिलीलीटर सुबह-शाम सेवन करने से उपवृक्क (गुर्दे) की टी.बी. या किसी भी प्रकार की टी.बी में लाभ मिलता है।
  • 250 मिलीलीटर दूध में लहसुन की 10 कली उबालकर खाएं तथा ऊपर से उसी दूध को पीयें। यह प्रयोग लंबे समय तक करते रहने से टी.बी ठीक होती है।
  • लहसुन की 1-2 कली सुबह-शाम खाकर ऊपर से ताजा पानी पीना चाहिए। लहसुन यक्ष्मा (टी.बी.) को दूर करने में बहुत सहायक होता है।

9. फेफड़ों की टी.बी.: लहसुन के प्रयोग से कफ गिरना कम होता है। यह रात को निकलने वाले पसीने को रोकता है, भूख बढ़ाता है और नींद अच्छी लाता है। फेफड़ों में क्षय (टी.बी) होने पर लहसुन के रस में रूई तर करके सूंघना चाहिए ताकि श्वास के साथ मिलाकर इनकी गन्ध फेफड़ों तक पहुंच जाए। इसे बहुत देर तक सूंघते रहने से लाभ होता है। खाना खाने के बाद भी लहसुन का सेवन करना चाहिए। यक्ष्मा, ग्रिन्थक्षय और हड्डी के क्षय में लहसुन खाना बहुत ही फायदेमंद है।

10. आंतों की टी.बी.: लहसुन के रस की 5 बूंदे 12 ग्राम पानी के साथ लेते रहने आंतों की टी.बी. दूर होती है।

11. प्लीहा बढ़ना: लहसुन, पीपरामूल और हरड़ के बारीक चूर्ण को गाय के मूत्र के साथ पी लें। इससे प्लीहा का बढ़ना रुक जाता है।

12. जी मिचलाना: बस में या यात्रा करते समय जी मिचले तो लहसुन की कली को चबाना चाहिए। इससें मिचली दूर होगी।

13. निमोनिया: 1 चम्मच लहसुन का रस गर्म पानी में मिलाकर पीने से निमोनिया के रोगी के सीने का दर्द दूर होता है।

14. स्तनों का ढीलापन: नियमित 4 कली लहसुन की खाते रहने से स्तन उभरकर तन जाते हैं।

15. रक्तविकार के कारण उत्पन्न खुजली: लहसुन को तेल में उबालकर मालिश करने से खुजली में लाभ मिलता है। लहसुन को खाने से खून भी साफ होता है।

16. मक्खियां भगाना: आग पर 5 कली लहसुन और चने की दाल के बराबर हींग डाल देने से मक्खियां भाग जाती हैं।

17. पेट का कैंसर:

  • लहसुन को रोज खाने से पेट का कैंसर नहीं होता है। अगर कैंसर हो भी जाये तो लहसुन को पीसकर पानी में घोलकर कुछ हफ्ते तक पीयें इससे कैंसर ठीक होता है। खाना खाने के बाद 3 कली लहसुन लेने से पेट साफ रहता है और पेट की पेशियों में संकोचन पैदा होता है, जिससें आंतों को काम कम करना पड़ता है। लहसुन खाने से लीवर भी उत्तेजित होता है जिससे आक्सीजन और पेट की कोशिकाओं को बल मिलता है।
  • लहसुन को पीसकर पानी में घोलकर कुछ सप्ताह तक पीने से पेट के कैंसर में लाभ होता है।

18. आंतों के कीड़े:

  • लहसुन के रस में शहद मिलाकर खाने से आंतों के कीड़े खत्म हो जाते हैं।
  • लहसुन को बायविडंग के चूर्ण के साथ खाने से आंतों के कीडें मरकर मल के बाहर निकल जाते हैं।

19. अरुचि: लहसुन, हरा धनियां, अदरक, मुनक्का, चीनी और सेंधानमक की चटनी बनाकर खाने से अरुचि दूर होती है और खाना भी जल्दी पचता है।

20. हैजा

  • अपने आस-पास छिले हुए लहसुन रखने से हैजा के कीटाणु दूर  हो जाते हैं।
  • लहसुन, बिना बीज की लाल मिर्च, कच्ची हींग और कपूर इन चारों को बराबर की मात्रा में मिलाकर थोड़े से पानी में पीसकर 240 मिलीग्राम की गोलियां बना लें हर आधे घंटे के बाद 1 गोली खाने से हैजा के रोग में फायदा होता है।          

21. दर्द:

  • लहसुन की चटनी को घी में मिलाकर खाने से दर्द दूर हो जाता है।
  • 80 ग्राम लहसुन, 5 ग्राम एरण्ड का तेल, सेंधानमक थोड़ा सा और 1 ग्राम घी में सेंकी हुई हींग को मिलाकर बारीक पीस लें। इसे रोजाना 10 ग्राम खाने से दर्द मिट जाता है।
  • लहसुन की 2 गांठ पीसकर 100 मिलीलीटर तिल के तेल में डालकर गर्म करके मालिश करने से दर्द दूर होता है।

22. बुखार:

  • तेज बुखार होने पर लहसुन को कूटकर थोड़े से पानी में मिलाकर पोटली बनाकर रोगी को सुंघायें। यह प्रयोग करने से तेज बुखार भी दूर हो जाता है। लहसुन का रस दिन में 3 बार थोडे़ पानी में डालकर एक सप्ताह तक पीने से बुखार उतर जाता है।
  • लहसुन को खाने से बार-बार आने वाला बुखार उतर जाता है।

23. मलेरिया का बुखार:

  • अगर मलेरिया का बुखार एक निश्चित समय पर आता हो तो लहसुन का रस हाथ-पैरों के नाखूनों पर बुखार के आने से पहले लेप करें और 1 चम्मच लहसुन का रस 1 चम्मच तिल के तेल में मिलाकर जब तक बुखार न आए 1-1 घंटे के अंतराल में जीभ पर लगाकर चूसें। इस तरह यह प्रयोग 3 से 4 दिन तक करने से मलेरिया का बुखार ठीक हो जाता है।
  • लहसुन की 3 से 4 फलियां छीलकर घी में मिलाकर खिलाने से मलेरिया की ठंड उतर जाती है।

24. हाई ब्लडप्रैशर:

  • लहसुन के रस की 6 बूंदे 4 चम्मच पानी में मिलाकर रोजाना 2 बार पीने से हाई ब्लडप्रैशर (उच्चरक्त चाप) के रोग में लाभ मिलता है।
  • लहसुन, पुदीना, जीरा, धनिया, कालीमिर्च और सेंधानमक की चटनी बनाकर खाने से ब्लडप्रैशर (उच्चरक्तचाप) दूर होता है।
  • लहसुन को पीसकर दूध में मिलाकर पीने से ब्लडप्रैशर (उच्च रक्तचाप) में बहुत लाभ होता है।

25. बांझपन: सुबह के समय 5 कली लहसुन की चबाकर ऊपर से दूध पीयें। यह प्रयोग पूरी सर्दी के मौसम में रोजाना करने से स्त्रियों का बांझपन दूर हो जाता है।

26. वातरोग:

  • लहसुन के तेल से रोजाना मालिश करें। लहसुन की बड़ी गांठ को साफ करके 2-2 टुकड़े करके 250 मिलीलीटर दूध में उबाल लें और इस बनी खीर को 6 हफ्ते तक रोजाना खाये। इससे गठिया रोग दूर हो जाता है। वातरोग में खटाई, मिठाई का परहेज करना चाहिए। लहसुन को दूध में पीसकर भी उपयोग में ले सकते हैं।
  • लगभग 40 ग्राम लहसुन लेकर उसका छिलका निकाल लें। फिर लहुसन को पीसकर उसमें 1 ग्राम हींग, जीरा, सेंधानमक, कालानमक, सोंठ, कालीमिर्च और पीपर का चूर्ण डालकर उसके चने की तरह की छोटी-छोटी गोलियां बनाकर खाने से और उसके ऊपर से एरण्ड की जड़ का काढ़ा बनाकर पीने से लकवा, सर्वांगवायु, उरूस्तम्भ (जांघों की सुन्नता), पेट के कीड़े, कमर के दर्द और सारे वायु रोग ठीक हो जाते हैं।
  • लहसुन का सूखा चूर्ण 400 ग्राम, सेंधानमक, काला नमक, सोंठ, कालीमिर्च, लेडी पीपल और हीरा हींग 6 ग्राम लें, घी में हींग को भूनकर अलग रख लें बाकी सभी चीजों को कूटकर पीस लें और उसमें भूनी हुई हींग भी मिला दें इस चूर्ण को 3-3 ग्राम सुबह-शाम पानी से लेने से वात रोग में आराम मिलता है।
  • बूढ़े व्यक्ति अगर सुबह के समय 3-4 कलियां लहसुन खाते रहें तो उन्हें वात रोग नहीं होता है।

27. आमवात: लहसुन की कलियों को शुद्ध घी में तलकर रोजाना खाने से आमवात रोग दूर होता है।

28. घाव:

  • शरीर में कहीं भी कटकर घाव हो जाये तो लहसुन को दबाकर उसका रस निकालकर घाव पर लगाने से घाव जल्दी ठीक हो जाता है।
  • दुर्गन्धित एवं दूषित क्षत या घाव हो तो रोजाना लहसुन का रस 3 भाग और पानी 4 भाग को एक साथ मिलाकर धोयें। इससे जल्द लाभ होता है। दर्द कम होता है। घाव भी जल्दी ठीक होता है। यह कार्बोनिक एसिड से अच्छा प्रतिदूषक है।

29. घाव में कीड़े:

  • फोड़े के अन्दर के कीड़ों को मारने के लिए लहसुन को पीसकर लेप करने से रोगी के फोड़े के अन्दर के कीटाणु मर जाते हैं।
  • 10 कली लहसुन की, चौथाई चम्मच नमक को एकसाथ पीसकर देशी घी में सेंककर घाव में लगाने से घाव के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।

30. जहरीले कीडे़ के काटने पर: अगर शरीर के किसी स्थान पर किसी जहरीले कीड़े ने काट लिया हो तो उस स्थान पर लहसुन का रस मलने से कीड़े का जहर उतर जायेगा।

31. सांप से बचने के लिए: जो लोग घर में लहसुन रखते हैं वहां सांप नहीं आता है अगर सांप आ भी जाये तो उस स्थान पर लहसुन छीलकर फेक दें। इससे सांप तुरन्त भाग जायेगा।

32. गर्मी से निकलने वाले लाल दाने: लहसुन की कलियों को पीसकर उसका रस निकाल लें। यह रस 3 दिन तक शरीर पर मलने से शरीर पर गर्मी से निकलने वाले लाल दाने मिट जाते हैं।

33. अन्दरूनी चोट: लहसुन, हल्दी और गुड़ मिलाकर लेप करने से अन्दरूनी चोट में आराम मिलता है।

34. मिर्गी:

  • लहसुन को पीसकर तिल के तेल में मिलाकर खाने से, लहसुन और उड़द के बडे़ बनाकर तिल के तेल में तलकर खाने से या लहसुन खाने से (अपस्मार) मिर्गी रोग दूर मिट जाता है।
  • मिर्गी के कारण बेहोश व्यक्ति को लहसुन कूटकर सुंघाने से रोगी होश में आ जाता है।
  • लहसुन की 10 कली को दूध में उबालकर रोजाना खिलाने से मिर्गी ठीक हो जाती है। इसका सेवन लंबे समय तक करना चाहिए।
  • लहसुन को तेल में सेंककर रोजाना खाने से मिर्गी के दौरे ठीक हो जाते हैं।
  • एक भाग लहसुन और तीन भाग तिल को पीसकर 30 ग्राम की मात्रा में खाते रहने से “वायु द्वारा पैदा होने वाले मिर्गी का दौरा जो 12 दिन में आता है´´, वह ठीक हो जाता है
  • लहसुन को घी में भूनकर खाने से मिर्गी के दौरे ठीक हो जाते हैं।
  • मिर्गी के बेहोश रोगी को लहसुन कूटकर सुंघाने से रोगी होश में आ जाता है। लहसुन की 10 कली दूध में उबालकर रोज खाने से मिर्गी रोग दूर होता है। लहसुन को तेल में सेंककर नियमित खाना भी फायदेमंद होता है।
  • 10 ग्राम लहसुन और 30 ग्राम काले तिल को मिलाकर लगातार तीन सप्ताहं तक सेवन करने से मिर्गी का रोग दूर हो जाता है।
  • लहसुन और बायबिडंग को गर्म किये गये दूध के साथ सुबह-शाम रोगी को पिलाने से मिर्गी या अपस्मार रोग दूर हो जाता है।
  • भोजन से पहले लहसुन को पीसकर खाने से मिर्गी रोग दूर हो जाता है।      

35. लकवा: पहले दिन लहसुन की 1 कली निगल जाये। अगले दिन बढ़ा दें रोज 1-1 बढ़ा दें 40 वें दिन 40 कली निगल जाये और फिर रोज 1-1 कम करते जायें इससे लकवा रोग मिटता है।

36. स्वप्नदोष: रात को सोने से पहले हाथ, पैर, मुंह को धोकर पोछ लें फिर लहसुन की 1 कली मुंह में चबा-चबाकर खाने से स्वप्न दोष के रोग में लाभ मिलता है।

37. पेशाब में रुकावट: नाभि के नीचे लहसुन का लेप बनाकर पट्टी बांध लें। इससे पेशाब की जलन दूर होती है और पेशाब खुलकर आता है।

38. श्वास रोग (दमा):

  • लहसुन के रस को 10 ग्राम की मात्रा में लेकर हल्के गर्म पानी के साथ सेवन करने से अस्थमा के रोगी का श्वास का रुकना खत्म हो जाता है।
  • लगभग 2 बूंद लहसुन का रस और 10 बूंदे कुठार का रस को शहद के साथ दिन में चार बार देने से दमा और श्वास की बीमारी ठीक हो जाती है।
  • सोमलता, कूट, बहेड़ा, मुलहठी, अर्जुन की छाल सभी को बराबर की मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें, फिर इसमें भुने लहसुन को पीसकर मिला दें। इस तैयार मिश्रण को एक चम्मच की मात्रा में लेकर शहद के साथ दिन में तीन बार चाटने से दमा और श्वास की बीमारी में काफी लाभ मिलता है।
  • लगभग 15-20 बूंद लहसुन के रस को लेकर हल्के गर्म पानी के साथ सुबह, दोपहर और शाम को खाने से दमा और श्वास की बीमारी ठीक हो जाती है।
  • लहसुन को कुचलकर उसका रस निकालकर गुनगुना करके पिलाना श्वास रोग में लाभकारी होता है।
  • लहुसन, तुलसी की पत्तियां और गुड़ को लेकर चटनी बनाकर खाने से दमा ठीक होता है।
  • लहसुन के एक जवे को भूनकर सेंधानमक के साथ चबाकर खाएं।
  • 10 बूंद लहसुन का रस, एक चम्मच शहद के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।
  • लहसुन की 20 कलियां व 20 ग्राम गुड़ को 250 मिलीलीटर पानी में उबालें जब पानी आधा रह जाए तो इसे छानकर लहसुन की कलियां खा लें और पानी को गुनगुना ही दिन में एक बार पीयें। इससे श्वास व दमा रोग में आराम मिलता है। आराम न होने तक इसका सेवन करते रहना चाहिए।
  • लहसुन के तेल से छाती व पीठ की मालिश करें। इससे दमा का रोग दूर होता है।

39. आंखों का फड़कना: लहसुन को सरसों के तेल में पका लें, फिर इस तेल को पलकों पर मालिश करें या वायविडंग और लहसुन के रस को एक साथ पकाकर सेवन करने से पलकों का फड़कना ठीक हो जाता है।

40. पुनरावर्तक ज्वर: 2 से 3 ग्राम लहसुन के रस को घी के साथ खाली पेट सुबह सेवन करने से बुखार में आराम मिलता है।

41. फेफड़ों का ताकतवर होना: पोथिया लहसुन की एक गांठ पीसकर 250 मिलीलीटर पानी मिले दूध में उबालें, फिर इसमें खांड मिलाकर सेवन करें। इससे फेफड़ों की कमजोरी दूर हो जाती है।

42. फेफड़ों के रोग: लहसुन के प्रयोग से कफ गिरना कम हो जाता है, इसके लिए खाना खाने के बाद लहसुन का सेवन करना चाहिए।

43. बालों के रोग: सिर के बाल उड़ने पर लहसुन को खाने से बाल फिर से उग आते हैं।

44. काली खांसी (कुकर खांसी):

  • बच्चों की कुकर खांसी में लहसुन की माला पहनाते हैं जिससे इसकी गंध खांसने के साथ-साथ अन्दर चली जाती है और इसी का रस आधा चम्मच शहद के साथ भी पिलाते हैं। इससे काली खांसी दूर हो जाती है।
  • लहसुन का रस दस बूंद से आधा या एक चम्मच की मात्रा में (उम्र के अनुसार) शहद मिलाकर प्रतिदिन दो-तीन बार सेवन करने से खूब लाभ मिलता है।
  • लहसुन के रस को जैतून के तेल में मिलाकर बच्चों की छाती और पीठ पर मालिश करने से खांसी मिट जाती है।

45. खांसी:

  • कफवाली खांसी में लहसुन की कली चबाकर उसके ऊपर से गर्म पानी पी लें। इससे छाती में जमा हुआ सारा कफ, तीन-चार दिनों में ही निकल जाएगा।
  • 60 मिलीलीटर सरसों के तेल में लहसुन की 1 गांठ को साफ करके पकाकर रख लें। इस तेल से गले और सीने की मालिश करें तथा मुनक्का के साथ दिन में तीन बार लहसुन खाएं, ध्यान रहें इस बीच खटाई न खायें। इससे खांसी दूर हो जाती है।
  • 20 बूंद लहसुन का रस अनार के शर्बत में मिलाकर पीने से हर तरह की खांसी में लाभ होता है।
  • श्वास और खांसी के रोग में लहसुन को त्रिफला के चूर्ण के साथ खाने से बहुत फायदा होता है।
  • सूखी और कफवाली खांसी में लहसुन की कली को आग में भूनकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस एक चुटकी चूर्ण में शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से लाभ मिलता है। यह खांसी की अचूक औषधि है।
  • 5 ग्राम लहसुन का रस तथा शहद 20 ग्राम को एक साथ मिलाकर दिन में 3 बार एक-एक उंगली चटाने से लाभ होता है।
  • लहसुन की कलियों को आग में भूनकर चूर्ण तैयार कर लें। इस चूर्ण की मात्रा एक चुटकी शहद के साथ दिन में तीन-चार बार चटाना चाहिए।
  • एक कली लहसुन की और तीन-चार मुनक्के लेकर इसके बीज निकाल लेते हैं फिर दोनों की चटनी बनाकर सुबह-शाम खाने से लाभ मिलता है।

46. पायरिया: लहसुन का रस निकालकर 20 बूंद रस में 1 चम्मच शहद मिलाकर चाटें। इसके रोजाना प्रयोग से पायरिया, मसूढ़ों की सूजन, दर्द एवं बदबू बंद हो जाती है।

47. गैस्ट्रिक अल्सर: खाना खाने के बाद चार कच्चे लहसुन की कली को खाने से आमाशयिक व्रण (जख्म) में लाभ होता है।

48. कब्ज:

  • साग-सब्जियों में लहसुन को मिलाकर खाने से कब्ज नहीं रहती है।
  • एक पुतिया लहसुन की कली और सोंठ 250 ग्राम अलग-अलग पीसकर आधा किलो शहद में मिलाकर रख लें। 10-10 ग्राम की मात्रा में यह मिश्रण खाने से वायु की पीड़ा मिटती है।

49. अतिझुधा भस्मक रोग (भूख अधिक लगना): 4 फांके लहुसन में घी मिलाकर सुबह-शाम गर्म पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है।

50. मुंह के छाले:

  • लहसुन की 2 कलियों का रस निकालकर 1 गिलास पानी में मिलाकर कुल्ला करें। रोजाना 4 से 5 दिन तक प्रयोग करने से मुंह के छाले दूर होते हैं।
  • लहसुन की कली को पानी के साथ पीसकर उसमें थोड़ा-सा देशी घी मिलाकर मलहम तैयार करें। इस मलहम को छालों पर लगाने से छाले खत्म होते हैं।

51. पेट की गैस:

  • एक कली लहसुन की लेने से पेट में गैस नहीं बनती है। पेट में अम्ल बनता है, तो लहसुन का सेवन अधिक नहीं करना चाहिए।
  • 1 से 2 लहसुन की फांके (कली) को छीलकर बीज निकाली हुई मुनक्का के साथ भोजन करने के बाद, चबाकर खाने से ही कुछ समय के बाद ही पेट में रुकी हुई हवा बाहर निकल जाती है।
  • लहसुन का पिसा हुआ मिश्रण 240 मिलीग्राम से 360 मिलीग्राम को घी के साथ सेवन करने से पेट में बनी गैस बाहर निकल जाती है।
  • पेट में गैस बनने पर सुबह 4 कली लहसुन की खाएं। इससे पाचन शक्ति बढ़ती है और गैस दूर होती है।

52. योनि व गर्भाशय के रोग: लहसुन की 3-4 कली छीलकर भुनी हुई हींग 120 मिलीग्राम के साथ सुबह कुछ दिनों तक प्रयोग करने से बच्चा होने के बाद गर्भाशय का जहरीला तरल पदार्थ बाहर निकल जाता है।

53. जुकाम:

  • जुकाम में छीकें ज्यादा आने पर लहसुन खाने से फायदा होता है।
  • लहसुन को खाने से जुकाम में बार-बार छींके आना बंद हो जाती हैं।
  • लहसुन और तुलसी का रस 5 मिलीलीटर लेकर उसमें सौंठ का चूर्ण 2 ग्राम और कालीमिर्च का चूर्ण 1 ग्राम मिलाकर आधा लीटर गाय के दूध के साथ रोज सुबह-शाम पीयें। इससे थोडे़ ही दिनों में जुकाम में लाभ होता है।

54. दस्त के साथ ऑव आना:

  • 1 कली लहसुन को अफीम के साथ सेवन करने से आंव का आना बंद हो जाता है।
  • आधे चम्मच देशी घी में 5 कली लहसुन को मिलाकर पीने से आंव बंद जाता है।

55. नपुंसकता:

  • लहसुन की एक पुत्तिया घी में भूनकर शहद के साथ खाने से कामोत्तेजना होती है।
  • रोज लगभग 20 दिन तक 4-5 लहसुन की कलियां दूध के साथ खाने से लाभ होता है।
  • 60 ग्राम लहसुन की कली को घी में तलकर रोजाना खाने से नपुंसकता समाप्त हो जाती है।

56. चेहरे का सौन्दर्य: लहसुन की कली को छीलकर सरसों के तेल में तलकर खाने से त्वचा की झुर्रियां मिटती हैं।

57. कान में आवाज होना: लहसुन की 2 कलियां छिलका हटाई हुई, आक (मदार) का 1 पीला पत्ता और 10 ग्राम अजवायन को एक साथ मिलाकर पीसकर चूर्ण बना लें और लगभग 60 मिलीलीटर सरसों के तेल में पकाने के लिए रख दें। पकने के बाद जब सब जल जाये तो इसे आग पर से उतारकर बचे हुए तेल को छानकर शीशी में भर लें। इस तेल की 2-3 बूंदों को रोजाना 3-4 बार कान में डालने से कान का दर्द, कान में आवाज होना और बहरेपन का रोग ठीक हो जाता है।

58. कान का बहना:

  • 10 ग्राम सिन्दूर और 1 कली लहसुन की लेकर लगभग 60 मिलीलीटर तिल्ली के तेल में डालकर आग पर पकाने के लिए रख दें। जब पकने पर लहसुन जल जाये तो इस तेल को आग पर से उतारकर छान लें और एक शीशी में भर दें। इस तेल की 2 बूंद रोजाना कान में डालने से कान से मवाद बहना, खुजली होना, कान में दर्द होना जैसे रोग ठीक हो जाते हैं।
  • 4 कली लहसुन की 1 चम्मच सरसों के तेल में उबालकर कान में टपकाने से कान का दर्द, जख्म और मवाद बहना ठीक हो जाता है।

59. कान की सूजन और गांठ: लहसुन की जड़ को पानी के साथ पीसकर गर्म करके कान में लगाने से कान के पीछे की सूजन ठीक हो जाती है।

60. कान के रोग:

  • लहसुन की 1 कली और 10 ग्राम सिन्दूर को लगभग 60 मिलीलीटर तिल के तेल में डालकर आग पर पकाने के लिए रख दें। पकने पर जब लहसुन जल जाये तो तेल को आग पर से उतारकर छान लें और शीशी में भर लें। इस तेल की 2 बूंद रोजाना कान में डालने से कान में से मवाद बहना, कान में खुजली होना और कान में अजीब-अजीब आवाजे सुनाई देना आदि रोग समाप्त हो जाते हैं।
  • लहसुन के तेल को गर्म करके कान में डालने से कान का दर्द दूर हो जाता है।

61. बहरापन:

  • लहसुन की 8 कलियों को 60 मिलीलीटर तिल के तेल में तलकर उसकी 2 बूंद कान में टपकाते रहने से कुछ ही दिनों में बहरापन ठीक हो जाता है।
  • 1 चम्मच बरना का रस, 1 चम्मच लहसुन का रस और 1 चम्मच अदरक के रस को लेकर हल्का सा गर्म करके कान में डालने से कान के सभी रोग दूर हो जाते हैं।
  • लहसुन की 8 कलियों को लगभग 60 मिलीलीटर तिल के तेल में डालकर पका लें। फिर इस तेल की 2 बूंद कान में डालने से थोड़े ही दिनों में बहरेपन का रोग ठीक हो जाता है।
  • लहसुन के रस को हल्का सा गर्म करके या लहसुन से बने तेल की 2 बूंद रोजाना 3-4 बार कान में डालने से बहरापन दूर होता है।

62. कान का दर्द:

  • लहसुन की 2 कलियां, नीम के 10 नये मुलायम पत्ते और 4 निंबोली को एक साथ पीसकर सरसों के तेल में डालकर अच्छी तरह से पका लें। पकने के बाद इस तेल को छानकर किसी शीशी में भर लें। इस तेल को कान में डालने से कान का जख्म, कान से मवाद बहना, कान में फुंसी होना या बहरेपन का रोग दूर हो जाता है।
  • कान के दर्द में लहसुन के रस या उसकी कलियों को तिल के तेल में देर तक पकायें। जब रस जलकर खत्म हो जाये तो तेल को छानकर, हल्का गर्म कान में बूंद-बूंद डालने से सर्दी से पैदा होने वाले कान का दर्द दूर हो जाता है।
  • आक के पीले पत्ते, तिल के फूल और लहसुन को पीसकर उसका रस कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
  • 2 ग्राम लाल मिर्च, 20 ग्राम लहसुन, 2 ग्राम अजवायन, 50 मिलीलीटर तिल का तेल और 1 ग्राम सेंधानमक को 300 मिलीलीटर पानी में डालकर आग पर पकाने के लिए रख दें। पकने के बाद बचे हुए तेल को कपड़े में छानकर बूंद-बूंद करके कान में डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।
  • लगभग 200 मिलीलीटर सरसों के तेल को लेकर उसके अन्दर 4 लहसुन की कलियां डालकर तेल को पका लें। पकने के बाद इस तेल को छानकर एक शीशी में भर लें। इस तेल की रोजाना 2 बूंद दिन में 4 बार कान में डालकर कान में रूई लगा दें।
  • बिना किसी जख्म के अगर कान में दर्द हो तो पहले कान को अच्छी तरह से साफ कर लें। फिर उसके अन्दर लहसुन और अदरक का रस मिलाकर डालना चाहिए।
  • लहसुन, अदरक और करेले को मिलाकर उसका रस निकाल लें। इस रस को कान में डालने से अगर कान में बहुत तेज दर्द हो तो वह भी दूर हो जाता है।
  • 10 ग्राम लहसुन की कलियां, 20 मिलीलीटर तिल का तेल और 5 ग्राम सेंधानमक को एक साथ पकाकर कपड़े में छानकर गुनगुना सा ही कान में बूंद-बूंद करके डालने से कान का दर्द ठीक हो जाता है।

63. हिचकी का रोग: लहसुन की गंध को सूंघने से हिचकी नहीं आती है।

64. बेरी-बेरी रोग: लहसुन का रस निकालकर 10 से 30 बूंद रस की मात्रा दूध के साथ मिलाकर दिन में 2 से 3 बार पीने से बेरी-बेरी रोग में लाभ मिलता है।

65. कमर दर्द:

  • 20 ग्राम लहसुन, 50 ग्राम सोंठ, 20 ग्राम लाहौरी नमक, इन सबको पीसकर चटनी बना लें। इसमें से 3-4 ग्राम चटनी गुनगुने पानी के साथ लें। इससे कमर दर्द में लाभ होगा।
  • ठंडी हवा लगने से उत्पन्न कमर के दर्द में लहसुन की कलियां दूध या गर्म पानी के साथ निगलने से कमर दर्द मिट जाता है।
  • लहसुन को छीलकर पानी में डालकर रख दें। सुबह उसमें कालानमक, भुनी हींग, सेंधानमक, सोंठ, कालीमिर्च, पीपर, अजवायन, जीरा सभी को 5-5 ग्राम चूर्ण करके मिलाएं। इस मिश्रण में से 6 ग्राम की मात्रा को एरण्ड की जड़ के काढ़े के साथ सेवन करने पर शीत लहर के कारण उत्पन्न कमर का दर्द मिट जाता है।

66. मासिकस्राव का कष्ट के साथ आना (कष्टार्तव): लहसुन को पीसकर घी में भूनकर शहद के साथ सेवन करने से मासिकस्राव का दर्द दूर होता है।

67. नष्टार्तव (बंद मासिक धर्म): लहसुन का रस 30 बूंद, प्रतिदिन दो बार दूध के साथ या लहसुन का काढ़ा 2 से 3 मिलीलीटर घी के साथ सेवन करने से तिवभारी के कारण रुकी हुई माहवारी शुरू हो जाती है। इसे गर्भवती स्त्री को नहीं देना चाहिए। इससे गर्भपात हो सकता है।

68. मासिक-धर्म संबन्धी परेशानियां: मासिक-धर्म यदि अनियमित हो तो लहसुन की दो पुतिया को प्रतिदिन सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से मासिक-धर्म नियमित रूप से आने लगता है।

69. गुर्दे की पथरी: लहसुन की पुती के साथ 2 ग्राम जवाखार पीसकर रोगी को सुबह-शाम देने से गुर्दे की पथरी बाहर निकल जाती है।

70. संग्रहणी: लहसुन की भुनी हुई पुती, 3 ग्राम सोंठ का चूर्ण, 5 ग्राम मिश्री तीनों एक साथ मिलाकर दिन में 3 बार लेने से संग्रहणी अतिसार का रोग दूर हो जाता है।

71. बवासीर (अर्श): लहसुन को घी में भूनकर खाने से बवासीर ठीक होता है।

72. चोट लगना: लहसुन की कलियों को नमक के साथ पीसकर उसकी पुल्टिस बांधने से चोट और मरोड़ में लाभ होता है।

73. उरूस्तम्भ (जांघों की सुन्नता): लहसुन एवं वायविडंग की लुगदी को गर्म कर खाने से और लहसुन से निकाले गये तेल की मालिश करने से उरूस्तम्भ ठीक हो जाता है।

74. पक्षाघात-लकवा-फालिस, फेसियल पैरालिसिस:

  • दूध में लहसुन तथा वायविडंग डालकर उबाल लें। इसे नियमित रूप से दिन में दो बार पिलाने से अंगघात या पक्षाघात में बहुत लाभ होता है।
  • चेहरे के लकवा में लहसुन और बायविडंग को पकाकर सुबह-शाम खाने से और लहसुन से बने तेल से मालिश करने से पक्षाघात (लकवा) में पूरा लाभ मिलता है।
  • 500 मिलीलीटर सरसों के तेल में 100 ग्राम लहसुन, एक गोली (मटर के बराबर) अफीम, 10 लौंग, 50 ग्राम कालीमिर्च, 100 ग्राम अजवाइन को डालकर अच्छी तरह से उबालें तथा उबलने पर इसे छान लें, फिर लकवे वाले अंग पर नियमित रूप से मालिश करने से पक्षाघात ठीक हो जाता है।
  • मक्खन के साथ लहसुन की 4 या 5 पोथियां नियमित रूप से खाने से पक्षाघात में आराम मिलता है।
  • लहसुन की लगभग 10 पोथियां सुबह और शाम को गर्म घी के साथ पीसकर मिलाकर खाने से लकवा ठीक हो जाता है।
  • शरीर के एक भाग में लकवा हो गया हो तो लगभग 25 ग्राम की मात्रा में छिले हुए लहसुन को पीसकर दूध में खीर की तरह गाढ़ा होने तक उबालें और गाढ़ा होने पर आंच से उतारकर ठंडा कर लें। इसे नियमित रूप से सुबह के समय खाली पेट खाने से लकवा ठीक हो जाता है।
  • लगभग 50 ग्राम लहसुन को पीस लें। इसे 500 मिलीलीटर सरसों के तेल और एक किलो पानी को लोहे की कढ़ाई में तब तक गर्म करें जब तक कि सारा पानी जल न जाये, ठंडा होने पर नियमित सुबह शरीर पर मालिश करनी चाहिए और इसकी मालिश लगभग एक महीने तक करने से लकवा ठीक हो जाता है।

75. टांसिल: लहसुन का रस निकालकर टांसिल पर लेप करें। इससे टांसिल का बढ़ना बंद हो जाता है।

76. अग्निमान्द्यता (अपच): 1 कली लहसुन, 2 टुकड़े अदरक, आधा चम्मच धनिया के दाने और 4 कालीमिर्च के दानों को पीसकर चटनी बना लें। इसे खाना खाने के बाद चाटने से लाभ होता है।

77. आमाशय की जलन: लहसुन की 4 कच्ची कली को खाना खाने के बाद सेवन करना चाहिए।

78. अम्लपित्त:

  • लहसुन की 1 कली को देशी घी में भूनकर पीसकर ठंडी कर लें, फिर धनिया और जीरा 5-5 ग्राम को पीसकर मिला दें। इस बने मिश्रण को दिन में सुबह, दोपहर और शाम पीने से लाभ मिलता है।
  • लहसुन को खाली पेट सुबह खाने से अम्लपित्त शांत होती है।

79. दर्द व सूजन: दो गांठ लहसुन को पीसकर 100 मिलीलीटर तिल के तेल में मिलाकर गर्म करके लगाने से दर्द दूर हो जाता है।

80. जलोदर:

  • लहसुन के 10 से 30 बूंद रस को दूध में मिलाकर पीने से पेशाब खुलकर आता है। इससे जलोदर में लाभ मिलता है।
  • 2 से 3 ग्राम लहसुन को पीसकर घी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से दिल को ताकत मिलती है और जलोदर की शिकायत कम हो जाती है।
  • 250 मिलीलीटर पानी में एक चम्मच लहसुन को डालकर गर्म कर रस छान लें। इस रस को दिन में रोज तीन बार खुराक के रूप में पीने से जलोदर की बीमारी समाप्त होती है।
  • लहसुन का रस 10 से 12 बूंदों को दूध में मिलाकर या लहसुन का मिश्रण 2 से 3 ग्राम तक को घी में मिलाकर सुबह और शाम सेवन करने से दिल को ताकत मिलती है और पेशाब खुलकर और साफ आकर पेट में मौजूद पानी पेशाब के द्वारा बाहर निकल जाता है।

81. आमाशय का जख्म: लहसुन का रस 2 से 3 ग्राम की मात्रा में देशी घी के साथ पीने से आमाशय के जख्म में लाभ होता है।

82. मधुमेह का रोग: 2 लहसुन की पुतियों का रस निकालकर बेल के पत्ते के रस के साथ सुबह सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है।

83. पेट का दर्द:

  • लहसुन का रस 3 ग्राम को थोड़ी-सी मात्रा में सेंधानमक मिलाकर खाकर ऊपर से गर्म पानी पीने से पेट का दर्द समाप्त होता है।
  • आधा चम्मच लहसुन का रस पानी में मिलाकर पीने से पेट के दर्द में लाभ होता है।
  • लहसुन, कालीमिर्च, घी और नमक को मिलाकर छोटी-छोटी गोली को खुराक के रूप में खाने से लाभ होता है।
  • लहसुन के रस के 5 बूंदों को नमक के साथ सेवन करने से पेट के दर्द में लाभ होता है।

84. पेट के कीड़े:

  • लहसुन और गुड़ को बराबर मात्रा में लेकर खाने से पेट के कीड़ें मर जाते हैं।
  • लहसुन की चटनी बनाकर उसमें थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर सुबह और शाम पीने से लाभ होता हैं।
  • लहसुन की एक कली को पपीते के सूखे हुए थोड़े-से बीजों के साथ पीसकर चटनी बनाकर खिलाने से पेट के कीड़े मरकर मल के द्वारा बाहर निकल जाते हैं।
  • 1 पुती (एक फली) लहसुन को देशी घी में भून लें, इसे आधा चम्मच अजवायन के चूर्ण और 10 ग्राम पुराने गुड़ में मिलाकर दिन में चार बार खाने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं।
  • लहसुन के रस की 8 से 10 बूंदों को छाछ के साथ रोजाना दिन में 3 बार पीने से लाभ मिलता है।
  • 5 लहसुन की कली को मुनक्का या शहद के साथ दिन में तीन बार 2 से 3 महीने तक पीने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।

85. नाक के कीड़े: 3 भाग लहसुन का रस और 4 भाग पानी को एक साथ मिलाकर उस पानी से जख्म को साफ करने से नाक के कीड़े खत्म होकर जख्म भी ठीक हो जाता है।

86. पोलियो: लहसुन खाने से पोलियो दूर रहता है। लहसुन खाने वालों को पोलियो कभी नहीं होता है। 2 या 4 लहसुन की कच्ची पोथियों को पोलियो होने पर सुबह के समय खाली पेट पानी के साथ खाने से पोलिया धीरे-धीरे दूर हो जाता है।

87. आधासीसी (माइग्रेन) अधकपारी:

  • 30 ग्राम लहसुन को पीसकर उसका रस निकालें, फिर इस रस में लगभग 600 मिलीग्राम हींग मिला लें। इसके बाद इस मिश्रण की एक-एक बूंद नाक में डालने से आधासीसी का दर्द खत्म हो जाता है।
  • लहसुन का रस नाक में टपकाने से आधासीसी का दर्द दूर हो जाता है।

88. टीके से होने वाले दोष: 30 ग्राम लहसुन का मिलीलीटर 40 मिलीलीटर पानी में मिलाकर टीके के घाव को धोने से रोग सही हो जाता है। इससे घाव का दर्द भी दूर हो जाता है।

89. आक्षेप (आक्रोश के समय कंपकंपाना): दूध में लहसुन और वायविडंग को उबालकर सुबह और शाम रोगी को पिलाने से आक्षेप में बहुत लाभ होता है।

90. नजला, नया जुकाम: हफ्ते में 2 बार रात को भोजन में लहसुन खाने से सर्दी का रोग नहीं होता।

91. वीर्य की कमी: रोज रात में 1-2 कली लहसुन जरूर खायें या लहसुन का रस शहद के साथ खाएं। इससे धातु (वीर्य) की कमजोरी, शीघ्रपतन और नपुंसकता दूर होती है।

92. अंगुलियों का कांपना: लहसुन के रस में वायविडंग को पकाकर खाने से एवं लहसुन से प्राप्त तेल की मालिश करने से अंगुलियों का कंपन ठीक हो जाता है।

93. मुर्च्छा (बेहोशी): मिर्गी से बेहोश रोगी को लहसुन को कूटकर सुंघाने से बेहोशी दूर हो जाती है।

94. गठिया रोग:

  • 10 से 30 बूंद लहसुन के रस को 2 से 3 ग्राम शहद के साथ सेवन करने से गठिया का दर्द दूर हो जाता है। लहसुन से प्राप्त तेल से रोगी की मालिश करने से गठिया का दर्द दूर हो जाता है।
  • लहसुन को सरसों के तेल में पकाकर मालिश करने से जोड़ों का दर्द ठीक होता है।

95. दिल की धड़कन:

  • लहसुन की तीन कलियों का रस एक गिलास पानी में डालकर रोगी को देने से दिल की बढ़ी हुई धड़कन में लाभ होगा।
  • लहसुन को आग में भूनकर चूर्ण बना लें। उसमें 5 ग्राम गिलोय का रस और दो चुटकी प्रवाल पिष्टी मिला लें। इसके बाद इसमें से एक चुटकी चूर्ण के साथ रोगी को सेवन कराएं।

96. उच्चरक्तचाप:

  • खाना खाने के बाद कच्चे लहसुन की एक-दो कली छीलकर पानी के साथ चबाने उच्च रक्तचाप मिटती है। लहसुन की ताजा कलियां बढ़े हुए रक्तचाप को कम कर साधारण संतुलित अवस्था में रखने में मदद करती है। लहसुन की एक कली लेना अधिक अच्छा रहता है। लहसुन खाने की विधि- सुबह खाली पेट लहसुन की दो-तीन कलियों को छील लें। फिर प्रत्येक कली के तीन-चार टुकड़े कर थोड़े पानी के साथ सुबह खाली पेट चबा लें या उन टुकड़ों को पानी के घूंट के साथ निगल ले। इस विधि से कच्चे लहसुन का सेवन करने से खून (रक्त) में कोलेस्ट्रोल की मात्रा शीघ्रता से घटती है, रक्तचाप सामान्य होता है और ट्यूमर नहीं बनता है।
  • लहसुन का रस निकालकर 10 ग्राम मात्रा सुबह-शाम पीने से उच्च रक्तचाप (हाई ब्लड प्रेशर) कम होने लगता है।

97. फोड़ा: लहसुन को पीसकर फोड़ों पर लगाने से फोड़ों के कीड़े मर जाते है और फोड़े ठीक हो जाते हैं।

98. त्वचा के रोग: शरीर में जहां पर फोड़े-फुंसियां या खुजली हो उस जगह पर लहसुन का रस लगाने से लाभ होता है।

99. खाज-खुजली:

  • लहसुन को तेल में उबालकर शरीर पर लेप करने से खुजली ठीक हो जाती है। यह खून को भी साफ कर देता है।
  • लहसुन की कली को पीस लें और राई के तेल में उबालकर छान लें। इस तेल से मालिश करने से त्वचा की खुजली दूर होती है।

100. चालविभ्रम (कलाया खन्ज): वायविडंग में लहसुन के रस को पकाकर सेवन करने से कलाया खन्ज रोग में हाथ व पैर का हिलना बंद हो जाता है।

101. गुल्यवायु हिस्टीरिया:

  • लहसुन सुंघाने से हिस्टीरिया के दौरे में लाभ मिलता है और इससे बेहोशी दूर हो जाती है।
  • यह एक रोग है जिसमें बेहोशी या दौरे पड़ने लगते है। लहसुन का रस नाक में टपकाने से होश आता है।

102. हृदय रोग:

  • यदि यह शंका हो कि अमुक समय हृदय में दर्द शुरू हो सकता है, तो लहसुन की चार कलियां चबाकर खा जायें।
  • हृदय की गति रुकने की संभावना होते ही तीन-चार लहसुन की कलियों को तुरन्त चबा लेने से हार्टफेल नहीं होता। इसके पश्चात इसे दूध में उबालकर देने से काफी लाभ होता है और लहसुन को पीसकर दूध के साथ पीने से ब्लडप्रेशर में भी लाभ होता है। लहसुन हृदय रोगी के लिए अति उत्तम प्रकृति प्रदत्त औषधि है।
  • दिल में दर्द और सांस फूलने पर लहसुन की दो-तीन कलियों को चबाकर रस चूसने से बहुत लाभ होता है। इससे पेट से गैस निकल जाने पर हृदय का दबाव भी कम होता है।
  • लहसुन का रस 10 से 30 बूंद घी के साथ या दूध में उबालकर सेवन करने से हृदय के ऊपर का दबाव कम होकर, हृदय का दर्द नश्ट होता है।

103. चेचक (मसूरिका):

  • लहसुन को पानी में उबाल लें। यह पानी रोगी को आधा कप सुबह और शाम को पिलाने से चेचक के रोग में लाभ होता है।
  • घर के वातावरण को शुद्ध बनाने के लिए हवन की सामग्री के साथ लहसुन की कलियां भी जलानी चाहिए। इसमें से निकलने वाले धुंए से हवा में घूमने वाले कीड़े भी मर जाते हैं।

104. नासूर (पुराना घाव): लहसुन की पुती को पीसकर घाव पर लगाएं तथा ऊपर से पट्टी बांध दें। इसके अलावा लहसुन की चटनी सेवन करते रहने से कुछ ही दिनों में घाव ठीक हो जाता है।

105. दाद: अगर दूध पीने वाले बच्चे को (छोटे बच्चे को) दाद हो तो लहसुन को जलाकर उसकी राख को शहद में मिलाकर दाद पर लगाने से लाभ होता है।

106. पीलिया का रोग: लहसुन की चार कली पीसकर आधा कप गर्म दूध में मिलाकर पीयें । ऐसा प्रयोग चार दिन करने से पीलिया ठीक हो जाता है।

107. पसलियों का दर्द: लहसुन का रस तथा आधा चुटकी श्रृंगभस्म-दोनों को मिलाकर शहद के साथ खाने से पसलियों के दर्द में आराम मिलता है।

108. शरीर का सुन्न पड़ जाना: 10 बूंद लहसुन का रस, आधा चम्मच सोंठ और आधा चम्मच तुलसी का रस मिलाकर रोजाना सुबह-शाम लेने से सुन्न पडे़ हुए अंग ठीक होते हैं।

109. विसर्प-फुंसियों का दल बनना: चौथाई चम्मच लहसुन के रस को चौथाई कप गर्म पानी में मिलाकर रोजाना 3 बार पीने से फुंसिया ठीक हो जाती हैं।

110. मानसिक उन्माद (पागलपन): लहसुन का रस, तगर, सिरस के बीज, मुलहठी और बच को बराबर मात्रा में लेकर कूटकर चूर्ण बनाकर रख दें, इस चूर्ण को आंखों में लगाने और इसको सूंघने से पागलपन या उन्माद दूर हो जाता है।

111. साइटिका (गृध्रसी):

  • लहसुन पीसकर तिल के तेल में मिलाकर कुछ देर तक आग पर गर्म करें। फिर छानकर दिन में 3 से 4 बार पैरों पर मालिश करने से साइटिका के रोग में आराम मिलता है।
  • बायबिडंग के साथ लहसुन से प्राप्त रस को पकाकर खाने से और इससे पैरों की मालिश करने से रोगी को दर्द दूर हो जाता है।

112. सिर का दर्द:

  • कनपटी पर लहसुन की पोथियों को पीसकर लेप की तरह लगाने से सिर दर्द खत्म हो जाता है।
  • लहसुन को शहद की 10 से 30 बूंद के साथ रोजाना खाने से या इसके रस को माथे पर लेप की तरह से लगाने से सिर का दर्द दूर हो जाता है।
  • जिस ओर सिर में दर्द हो रहा हो उसी ओर के नाक के नथुने में एक या दो बूंद लहसुन के रस की बूंदे डालने से आधासीसी के कारण होने वाला सिर का दर्द दूर हो जाता है।

113. सफेद दाग:

  • लहसुन का रस सफेद दागों पर लगाने से जल्दी लाभ होता है।
  • इस रोग में लहसुन जरूर खाना चाहिए। लहसुन के रस को निकालकर सफेद दाग पर लगाने से दाग जल्दी ठीक हो जाते हैं।
  • हरड़ को घिसकर लहसुन के रस में मिलाकर लेप करने से सफेद दाग ठीक हो जाते है। लहसुन को खाने से भी सफेद दाग ठीक हो जाते हैं।

114. नाड़ी का दर्द: वायविडंग एवं लहसुन की लुगदी बना लें, इसे गर्म कर सेवन करें। इसे नाड़ी का दर्द खत्म होता है।

115. कण्ठ रोहिणी:

  • लहसुन की एक-एक कली को साफ करके लगभग 60 ग्राम लहसुन लेकर तीन से चार घंटे के अन्दर रोगी को दे देते हैं। इसकी बदबू के कारण यदि रोगी खा भी न सके तो लहसुन की कलियों को छीलकर 3 दिन तक छाछ में डालकर भिगो दें। ऐसा करने से लहसुन की बदबू तो मिट जायेगी परन्तु इसके गुण समाप्त नहीं होगें। इस तरह रोजाना लहसुन खाने से जब गले की झिल्ली साफ हो जाये तो पूरे दिन में लगभग 60 ग्राम लहसुन रोगी को खिलाया करें। यदि रोगी कोई बच्चा हो तो 20 से 30 बूंद लहसुन का रस हर 3 से 4 घंटे के अन्दर शर्बत में मिलाकर रोगी बच्चे को दें।
  • लगभग 50 ग्राम लहसुन की कली 4 घंटे तक चूसने से रोहिणी रोग में लाभ होता है। बच्चों को लहसुन का रस शर्बत में मिलाकर पिलाना चाहिए। इसकी कलियों का बार-बार रस देते रहना चाहिए।

116. कंठशालूक (गले में गांठ):

  • लहसुन को बारीक पीसकर उसे कपडे़ पर लगाकर पट्टी बना लें फिर उसे गांठ वाले स्थान पर लगायें। इससे गले की गांठे दूर हो जाती हैं।
  • लहसुन का लेप तैयार करके उसे एक कपड़े के टुकड़े पर मल दें। अब उसे हल्की आग पर गर्म करने के लिए रख दें और बाद में उसे आग पर से उतारकर निचोड़कर उसका रस निकाल लें। इस रस के बराबर ही शहद मिलाकर टांसिल पर लगाने से लाभ मिलता है।

117. सर्दी (जाड़ा) अधिक लगना: लगभग 10 से 30 बूंद लहसुन के रस की या 2 से 3 ग्राम की मात्रा में लहसुन के काढ़े को शहद के साथ रोजाना खाने से शीत ऋतु में लगने वाली आवश्यकता से अधिक सर्दी नहीं लगती है। सर्दी के कारण होने वाले रोग भी दूर रहते हैं।

118. शरीर में सूजन:

  • लहसुन, गिलोय, गोखरू, मुण्डी, पुनर्नवा और त्रिफला का काढ़ा बनाकर रोगी को पिलाने से गुर्दे की खराबी के कारण होने वाली सूजन दूर हो जाती है।
  • लहसुन, बेलगिरी, कचूर, ग्वारपाठा और आंबाहल्दी को पीसकर लेप की तरह से लगाने से किसी कीड़े के कारण काटने से होने वाली सूजन दूर हो जाती है।
  • लगभग 10 से 30 बूंद लहसुन के रस को दूध में मिलाकर या 2 से 3 ग्राम लहसुन के काढ़े को घी में मिलाकर खाने से हृदय मजबूत होता है और पेशाब खुलकर आता है इससे शरीर की सूजन खत्म हो जाती है।

119. गले के रोग:

  • लहसुन को सिरके में भिगोकर खाने से गले का दर्द और रगो (नसों) का ढीलापन दूर होता है।
  • लहसुन की एक गांठ को पीसकर पानी में मिलाकर गर्म कर लें। फिर उस पानी को छानकर गरारे करने चाहिए।
  • गले में काग हो जाने पर लहसुन के रस को शहद में मिलाकर रूई के फाये से काग पर लगाएं।
  • टांन्सिलाइटिस (गले में गांठ) होने पर लहसुन को बारीक पीसकर गर्म पानी में मिलाकर गरारे करने से लाभ होता है।

120. गर्दन में दर्द: लहसुन के तेल को सरसों के तेल में मिलाकर गर्दन पर लगाएं।

121. आवाज का बैठ जाना:

  • गला बैठ जाना, टान्सिल (गले की गांठे) और गले में दर्द होने पर गर्म पानी में लहसुन को पीसकर मिला लें फिर उस पानी को छानकर गरारे करें। इससे बंद आवाज खुल जाती है।
  • पानी में एक कली लहसुन का रस और फूली हुई फिटकरी को पानी में डालकर कुल्ला करने से बैठी हुई आवाज में लाभ होता है।
  • लहसुन को दीपक की लौं में भूनकर पीस लें। उसमें मुलहठी का चूर्ण मिला लें। फिर इसके 2 ग्राम चूर्ण को शहद के साथ सुबह और शाम सेवन करने से बैठी हुई आवाज ठीक हो जाती है।
  • गर्म पानी में लहसुन का रस मिलाकर सुबह-शाम गरारे करने से गले में लाभ होता है।
  • लहसुन को पीसकर गर्म पानी में मिलाकर बार-बार गरारे करने से सिर्फ दो-तीन बार में ही गला साफ हो जाता है। एक बार में कम से कम 10 मिनट तक लगातार गरारे करें।

लहसुन के अन्य उपयोग (uses of lahsun in hindi)

Lahsun ke upyog in hindi

लहसुन खाने वालों को इमली अमचूर की खटाई का सेवन नहीं करना चाहिए। प्रकृति ने लहसुन में अम्ल रस नहीं रखा है इससे पता चलता है कि लहसुन के सेवन के साथ अम्ल रस यानी खट्टा रस वर्जित है क्योंकि यह लहसुन के गुणों को नष्ट करता है। लहसुन के कुछ अनुभूत प्रयोग इस प्रकार हैं

1. दिल की घबराहट में लहसुन के फायदे : दिल की घबराहट, हाथ-पैर शिथिल होना, जी बैठता सा लगे, धड़कन की गति अनियमित सी लगने लगे तब लहसुन की 3-4 कलियां चबा कर तुरन्त खा लेना चाहिए। चबा कर न खा सकें तो बारीक कतर कर पानी के साथ निगल जाना चाहिए। थोड़ी देर में ही हालत सम्भल जाएगी।

2. घाव में लहसुन के फायदे : शरीर में कहीं कट जाए या फुसी उठ आए तो इस पर लहसुन की कली मसलने से आराम हो जाता है। आवश्यकता के अनुसार 2-3 बार यह प्रयोग करें।( और पढ़े – घाव को सिघ्र भरते है यह 19 घरेलु उपाय)

3. गठिया में लहसुन के फायदे : आधा दूध और आधा पानी (लगभग 1-1 कप) मिलाकर इसमें लहसुन और वायविडंग समान भाग ( अन्दाजन 2 कली लहसुन की और इसकी वज़न के बराबर वायविडंग ले लेना चाहिए ) लेकर डाल दें और आग पर औटाएं। जब पानी जल कर सिर्फ दूध बचे तब उतार कर छान लें। इसे प्रतिदिन पीने से वात रोग, जोड़ों का दर्द, गठिया, पेट का अफारा आदि में लाभ होता है। आराम न होने तक सेवन करना चाहिए। ( और पढ़े – )

4. क्षय रोग में लहसुन के फायदे : क्षय के रोगी के लिए लहसुन अमृत के समान सिद्ध होता है। इसमें Allyl, Propyl disulphide Diallyl disulphide आदि गन्धक यौगिक युक्त उड़नशील तैल होता है। जो लहसुन में अनेक व्याधियों को नष्ट करने की गुणवत्ता और क्षमता होने का मुख्य तत्व है। यह तैल बहुत सशक्त जन्तुनाशक होता है और पूरे शरीर पर इसका प्रभाव बहुत तेज़ी से होता है। क्षय रोग के कीटाणुओं की वृद्धि रोकने का इसमें अद्भुत गुण होता है। लहसुन की कलियों को शक्कर या सेन्धा नमक मिला कर खरल में डाल कर घोंट लें। इसे 6 ग्राम (आधा तोला) वज़न में लेकर छः ग्राम यानी बराबर वज़न का शुद्ध घी (जो जमा हुआ हो, पिघला न हो) दोनों को मिला कर चाट लें। यह एक खुराक है। ऐसी तीन खुराक सुबह, दोपहर और शाम को सेवन करने से क्षय रोग की पहले स्टेज हो तो रोग ठीक हो जाता है। इसे लगातार सेवन करते रहना चाहिए जब तक व्याधि पूर्णतः नष्ट न हो।
परहेज़ – खटाई का सेवन नहीं करना चाहिए।

5. सर्दी कफ खांसी में लहसुन के फायदे : सरसों के या खाने के तैल में लहसुन की 4-5 कलियां छील कर डाल दें और आग पर खूब गरम करके उतार लें। जोड़ों के दर्द, पीठ, छाती व पसली के दर्द, सर्दी कफ खांसी के लिए इस तैल की मालिश करने से आराम होता है। कान में 2-2 बूंद टपकाने से कान का दर्द ठीक होता है। गठिया और बाय के दर्द में इसकी मालिश करने से आराम होता है। ( और पढ़े –खांसी और कफ के रामबाण घरेलु उपचार )

6. वीर्य व पौरुष शक्ति बढ़ाने में लहसुन के फायदे : प्रौढ़ अवस्था के पुरुष लहसुन की 4-5 कलियां शुद्ध घी में तल कर सुबह खाली पेट चबा कर या निगल कर, लगातार सेवन करें तो पौरुष शक्ति की कमी दूर होती है। और पौरुष बल में वृद्धि होती है। कलियां खाकर इसके घी में थोड़ी शक्कर मिला कर खा लेना चाहिए। यह बहुत कारगर, निरापद और सरल-सुलभ उपाय है। यह प्रयोग स्नायविक दौर्बल्य और लकवा के रोगी के लिए भी लाभकारी होता है।

7. टूटी हुई हड्डियाँ जोड़ने में लहसुन के फायदे : लहसुन की कलियों को घी में तलकर खाने से टूटी हुई हड्डियाँ जुड़ जाती हैं । लहसुन, शहद, लाख और शक्कर को चटनी की तरह पीसकर घी मिलाकर प्रतिदिन खाने से भी टूटी हुई या उतरी हुई हड्डी जुड़ जाती हैं। ( और पढ़े – टूटी हड्डी को शीघ्र जोड़ने वाले 15 सबसे असरकारक आयुर्वेदिक उपचार )

8. खाँसी में लहसुन के फायदे : लहसुन के रस को जैतून के तेल में मिलाकर बच्चों की छाती और पीठ पर मालिश करने से काली खाँसी मिट जाती है।

9. नारू में लहसुन के फायदे : लहसुन, चित्रक और राई को पानी में पीसकर नारू पर बाँधने से नारू नष्ट हो जाता है।

10. गाँठ में लहसुन के फायदे : लहसुन को अच्छी तरह पीसकर मरहम जैसा बना लें । उसे कपड़े पर लगा कर पट्टी बनाकर कण्ठमूल सदृश गले की गाँठों पर पट्टी लगाते रहने से गले की असाध्य गाँठे अच्छी हो जाती हैं।

11. लाल चकत्ते दूर करने में लहसुन के फायदे : लहसुन की कलियों को पीसकर रस निकालें । यह रस 3 दिन तक मसलने से शारीरिक गर्मी के कारण शरीर पर निकले हुए लाल चकत्ते दूर होते हैं।

12. फोड़े में लहसुन के फायदे : लहसुन और कालीमिर्च को पीसकर उसका लेप करने से गाँठ, फोड़े, कखौरी वगैरह जल्दी पक कर फूटते हैं।

13. अन्दरूनी चोट में लहसुन के फायदे : लहसुन, हल्दी और गुड़ मिलाकर लेप करने से अन्दरूनी चोट में आराम मिलता है।

14. अरुचि में लहसुन के फायदे : लहसुन, हरा धनियाँ, अदरक, सफेद द्राक्ष, चीनी और सेंधानमक की चटनी बनाकर खाने से अरुचि मिटती है और आहार का पाचन होता है।

15. जुकाम में लहसुन के फायदे : लहसुन और तुलसी का रस 5-5 ग्राम लेकर उसमें सौंठ का चूर्ण 2 माशा और काली मिर्च का चूर्ण 1 माशा मिलाकर आधा लीटर गाय के दूध के साथ प्रतिदिन सुबह शाम पीने से थोड़े ही दिनों में जुकाम में आश्चर्यजनक रूप से लाभ होता है।

16. दमा और साँस में लहसुन के फायदे : लहसुन का रस 1 तोला, बायविडंग का चूर्ण 3 माशा, अदरक का रस आधा तोला और सेंधानमक 1 माशा लेकर एक महीने तक गर्म पानी के साथ पीने से जुकाम, दमा और साँस के रोगियों को लाभ होता है।

17. विषम ज्वर में लहसुन के फायदे : 3 माशा लहसुन को पीसकर उसमें 6 माशा तिल का तेल या घी और सेंधानमक मिलाकर प्रातः खाने से विषम ज्वर, वात-कफज्वर और सभी प्रकार के वाद-व्याधि दूर होते हैं।

18-. मन्दाग्नि में लहसुन के फायदे : लहसुन, शक्कर और सेंधानमक समभाग में मिलाकर, चटनी बना कर उसमें दुगुना जमा हुआ घी मिलाकर चाटने से मन्दाग्नि, अजीर्ण, अफरा, उदरशूल, खाँसी, इन्फ्लूएन्जा, नासूर, सन्धिवात आदि रोग मिटते हैं एवं क्षय रोग में भी लाभ होता है।

19. क्षय रोग में लहसुन के फायदे : लहसुन का रस और अडूसों के पत्तों का रस अथवा केवल लहसुन को पीसकर गाय के घी और गर्म दूध में मिलाकर पीने से क्षय रोग मिटता है।

20. उदररोग में लहसुन के फायदे : लहसुन की कलियाँ एक हिस्सा सेंधानमक और घी में सेंकी हुई हींग चौथाई हिस्सा एवं अदरक का रस डेढ़ गुना मिलाकर उसका सेवन करने से उदररोग का नाश होता है तथा पेट की बढ़ी हुई चर्बी कम होती है और दस्त भी साफ आता है।

21. प्लीहा वृद्धि में लहसुन के फायदे : लहसुन, पीपरामूल और हर्र मिलाकर खाने से और ऊपर से एक घूंट गोमूत्र पीने से प्लीहा की वृद्धि मिटती है।

22. शूल में लहसुन के फायदे : लहसुन की चटनी घी में मिलाकर खाने से शूल मिटता है।

23. आमजन्य शूल में लहसुन के फायदे : लहसुन 8 तोला, एरण्ड का तेल आधा तोला, सेंधानमक 4 आना भर, घी में सेकी हुई हींग 1 माशा मिलाकर बारीक पीसकर प्रतिदिन 1-1 तोला लेने से आमजन्य शूल मिटता है।

24. आमवात में लहसुन के फायदे : लहसुन की कलियों को आधा तोला गाय के घी में तलकर प्रतिदिन भोजन के पूर्व खाने से आमवात मिटता है।

25. वात में लहसुन के फायदे : लहसुन को तिल के तेल के साथ खाने से अथवा लहसुन और उड़द के बडे बनाकर तिल के तेल में तलकर खाने से वात मिटता है।

26. अर्दित में लहसुन के फायदे : लहसुन को पीसकर तिल के तेल में मिलाकर खाने से या लहसुन और उड़द के बड़े बनाकर तिल के तेल में तलकर खाने से या लहसुन खाने से अपस्मार और अर्दित वायु (मुख का वक्र यानि टेढ़ा हो जाना) मिटता है।

27. वात में लहसुन के फायदे : लहसुन की 5 कलियाँ प्रतिदिन रात में पानी में भिगोकर रखें और सुबह के समय उन्हें पीस-छानकर पीएँ। दूसरे सप्ताह में सात और तीसरे सप्ताह में 10 कलियों का इसी प्रकार प्रतिदिन सेवन करें । तीन सप्ताह के उपरान्त यह प्रयोग बन्द कर दें । एक सप्ताह के बाद यह प्रयोग पुनः प्रारम्भ करें । प्रयोगकाल में मक्खन का सेवन आवश्यक है। यह प्रयोग वात-व्याधियों में गुणकारी है।

28. कमर दर्द में लहसुन के फायदे : लहसुन 4 तोला लेकर छिलके निकालें । फिर उसे पीसकर उसमें हींग, जीरा, सेंधानमक, कालानमक, सोंठ, कालीमिर्च और पीपर का चूर्ण 1-1 माशा डालकर उसकी चने के आकार की गोलियाँ बनाकर सेवन करने से और उसके ऊपर से एरण्ड-मूल का क्वाथ पीने से पक्षघात, सर्वांगवायु, उरुस्तम्भ, कृमिशूल, कमर का दर्द, कुक्षि की पीड़ा, उदर वायु आदि समस्त प्रकार के वायुरोग मिटते हैं।

29. हैजा में लहसुन के फायदे : लहसुन, जीरा, सेंधानमक, हींग, शुद्ध गन्धक, सोंठ, कालीमिर्च और पीपर समभाग में लेकर उनका चूर्ण बनाएँ। इस चूर्ण को नीबू के रस में पीसकर मटर के आकार की गोलियाँ बना लें । आवश्यकतानुसार इस रसोनादिवटी की 1-2 गोलियों का सेवन करने से अजीर्ण और हैजा मिटता है। पाचनशक्ति तेज होती है और समस्त प्रकार के वायुरोग मिटते हैं।

30. ब्लडप्रेशर में लहसुन के फायदे : लहसुन, पुदीना, जीरा, धनिया, कालीमिर्च और सेंधानमक की चटनी बनाकर सेवन करने से रक्तचाप (ब्लडप्रेशर) कम होता है।
लहसुन को पीसकर दूध में पीने से रक्तचाप में बहुत लाभ होता है।

31. हैजा में लहसुन के फायदे : लहसुन (बीज रहित) लाल मिर्च, कच्ची हींग और कपूर इन चारों को समभाग में मिलाकर थोड़े से पानी में पीसकर 2-2 रत्ती की गोलियाँ बना लें । आधा-आधा घण्टे के अन्तराल से 1-1 गोली के सेवन से प्रबल वेगयुक्त हैजा में भी लाभ होता है।

लहसुन के नुकसान : side effects of garlic in hindi

lahsun ke nuksan in hindi

  • लहसुन खाने से सांस में बदबू का होना , मुंह ,पेट या सीने में जलन जैसी परेशानी हो सकती है ।
  • लहसुन उल्टी और दस्त का कारण बन सकता है।
  • लहसुन से रक्तस्राव का खतरा बढ़ सकता है।
  • सर्जरी के बाद लहसुन सेवन से बचना चाहिये ।

(अस्वीकरण : ये लेख केवल जानकारी के लिए है । myBapuji किसी भी सूरत में किसी भी तरह की चिकित्सा की सलाह नहीं दे रहा है । आपके लिए कौन सी चिकित्सा सही है, इसके बारे में अपने डॉक्टर से बात करके ही निर्णय लें।)

Leave a Comment

Share to...