Last Updated on May 30, 2024 by admin
अखरोट क्या है ? :
अखरोट के वृक्ष काबुल में और हिमालय में, काश्मीर से मनीपुर तक अधिकता से होते हैं।
इसके वृक्ष की ऊँचाई 40 से 60 फीट तक की होती है । पते 4 से 8 इंच तक लवे अण्डाकार नुकीले और तीन-तीन कगूरेवाले होते हैं।
फूल सफेद रंग के छोटे-छोटे गुच्छे के रूप में लगते हैं । एक ही गुच्छे में नर और मादा दोनों तरह के फूल होते है । इसके फल गोल और मैनफल के समान होते हैं। फल के भीतर बादाम की तरह मींगी निकलती है।
अखरोट दो प्रकार का होता है,एक को अखरोट और दूसरे को रेखाफल कहते हैं । इस पौधे की लकड़ी बहुत ही मजबूत अच्छी और भूरे रंग की होती है ।
अखरोट का विभिन्न भाषाओं मे नाम :
- सस्कृत – अक्षोटः, फलस्नेहः, रेखाफलः, वृत्तफलः
- गुजराती – अखोड़
- मराठी – अक्रोड
- बंगाली – आक्रोट
- तेलगी – अक्षोलमु
- द्राविडी – अक्रोडू
- कर्नाटकी – बेइदगोनूमर
- अरबी – जोजे
- फारसी – गिर्दैगों
- लेटिन – जुगलास रेजिया (Juglans Regia. )
आयुर्वैदिक मत अनुसार अखरोट के गुण : Akhrot ke Gun in Hindi
- आयुर्वेद में अखरोट के पत्ते स्तम्भक, बल्य और कृमिनाशक हैं।
- परिसप एग्ज़िमा, गण्डमाला और सिफ़लिस में अखरोट के पत्तों और छाल का प्रयोग करते हैं।
- अखरोट के फल आमवात में उपयोगी हैं।
- गले के व्रण में अखरोट के कच्चे फल के सिरके से गरारे करते हैं।
- अखरोट का हरा छिलका और कच्चा खोल सिफ़लिसरोधी और कृमिनिस्सारक है।
- अखरोट का तेल मृदु विरेचक है और उदरकृमियों को नष्ट करता है ।
- मलय में उदरशूल और पेचिश में इसकी गिरी खाई जाती है।
- इसके कच्चे फल का छिलका मत्स्यविष के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- अखरोट रस में मधुर, विपाक में मधुर, पुष्टिकारक, पित्त, श्लेष्मा की वृद्धि करने वाला, बलकारक गुणों में स्निग्ध, वीर्य में उष्ण, सारक, बृंहण, शुक्रजनन, विष्टम्भी, रुचिकारक, हृदय के लिए हितकर; क्षयरोग, रक्तविकार एवं दाह को नष्ट करने वाला है।
- अखरोट के कच्चे फलों से अचार, मुरब्बा, चटनी, रस और शर्बत बनाए जा सकते हैं ।
- गिरी से साठ से सत्तर प्रतिशत सूखने वाला तेल निकलता है । तेल धीरे-धीरे सूखता है । गरम करने पर सूखने की क्रिया तेज़ी से होती है।
- बाजार में यह अखरोट का तेल (walnut oil) के नाम से बिकता है। यह आह्लादकारी, सुगन्ध वाला,दन्दासा फीका हरा-पीला या लगभग नारंगी होता है।
- अखरोट का तेल खाना-पकाने के काम आता है। चित्रकारों के तैल-रंगों, छपाई की स्याहियों, वार्निशों और साबुनों के निर्माण में काम आता है।
- अखरोट के हरे फल के छिलके तथा आवरण और वृक्ष की छाल तथा पत्ते, ऊन तथा रुई को रंगने और चमड़ा कमाने में काम आते हैं।
- बाज़ार में इसकी छाल दन्दासा नाम से बिकती है। स्त्रियां इसे दांतों को साफ़ करने के काम में लाती हैं । इससे, होंठ, जीभ और मसूड़े लाल रंग में रंग जाते हैं।
- अखरोट फल के आवरण बालों को रंगने के काम आते हैं।
- हरे फल के आवरण को कुचलकर मिट्टी या लकड़ी के बरतन में डालकर सड़ाते हैं फिर निचोड़कर रस निकालते हैं। यह बढ़िया काली स्याही का काम करता है । सिन्थेटिक रंगों के आने से पहले हिमालय में और हिमालय-पार तिब्बत के लोग भोजपत्र और लामा कागज़ पर अख़रोट की स्याही से लिखते थे।
- अखरोट के पत्ते पशुओं की बिछाली तथा चारे के काम आते हैं।
- यूनानी मत के अनुसार अखरोट पहले दर्जे में गरम और दूसरे दर्जे में रुक्ष, प्रकृति को मृदु करने वाला, ओजकारक, अजीर्ण को नष्ट करने वाला तथा मस्तिष्क, हृदय, यकृत और शान्तरिक इन्द्रियों को बल देने वाला है ।
- इसकी भुनी हुई मीगी सर्दी से होने वाली खांसी में लाभदायक है।
प्रतिनिधि :
अखरोट के प्रतिनिधि चिरौंजी और चिलगोजा हैं तथा इसका दर्पनाशक अनार का रस है ।
अखरोट के फायदे और उपयोग : Akhrot ke Fayde in Hindi
1. ऐंठन- अखरोट के तेल की मालिश करने से हाथ-पैरों की ऐंठन दूर हो जाती है।
2. बाल – काले अखरोट को पानी में उबालकर उस पानी को ठंडा कर के बाल धोएं। कम उम्र में सफेद हुए बाल फिर से काले हो जाएंगे। ( और पढ़े – असमय बालों के सफेद होने का इलाज )
3. वीर्य वर्धक योग – चार अखरोट की गिरी पीसकर आधा लीटर दूध में औटाएँ। इसमें दो रत्ती अस्ली केशर तथा स्वाद अनुसार चीनी डालकर पियें। तुरन्त वीर्य-वृद्धि होगी। ( और पढ़े – वीर्य वर्धक चमत्कारी 18 उपाय)
4. बूढ़ों की शक्ति बढ़ाने का योग – 10 ग्राम अखरोट की गिरी, 5 दाने बादाम की गिरी, 10 दाने मुनक्का– इनको प्रतिदिन प्रात:काल खाकर ऊपर से एक प्याला दूध प्रतिदिन पीने से बूढे मनुष्य की शक्ति में वृद्धि होती है। यदि सर्दियों के तीन महीने इसका सेवन करें तो बूढों में भी जवानों-जैसा बल पैदा हो जाता है।
5. बच्चों के पेट के कीड़ों का इलाज – एक अखरोट की गिरी खिलाकर ऊपर से मन्दोष्ण दूध पिला दें। प्रात:काल उसके उदर-कृमि मल के साथ बाहर निकल जाएँगे। ( और पढ़े – पेट के कीड़े दूर करने के 55 रामबाण इलाज )
6. बच्चे का बिस्तर पर मूत्र करना – यदि बच्चा रात को सोते-सोते बिस्तर पर मूत्र कर दे तो एक अखरोट की गिरी तथा 5 ग्राम मेवा खिला दें। एक सप्ताह या दस दिनों में कष्ट दूर हो जाएगा।
7. मस्तिष्क की दुर्बलता – अखरोट की गिरी 25 ग्राम दिन में भोजन के साथ खाने से तीन मास में मस्तिष्क की दुर्बलता दूर हो जाती है।
विधि-कटोरी में जरा-सा देसी घी डालिए। उसमें अखरोट की गिरियाँ थोड़ी देर भून लीजिए। ऊपर से स्वाद-अनुसार चीनी मिला लीजिए। शीतल होने पर खाइए। ( और पढ़े – दिमाग तेज करने के चमत्कारी नुस्खे )
8. एग्ज़ीमा का इलाज – अखरोट की गिरी का तेल एग्ज़ीमा वाले स्थान पर साफ रुई से लगाइए। एक मास में एग्ज़ीमा साफ़ हो जाएगा।
9. दाद का इलाज – सवेरे बिना कुल्ला किये ही अखरोट की गिरी चबाइए और उसी को दावाले स्थान पर लगाइए। एक मास में दाद दूर होगा।
10. नासूर का इलाज नुस्खा – अखरोट की गिरी मोम 25 ग्राम ,मीठा तेल 25 ग्राम ।
विधि-अखरोट की गिरी तथा मोम को मीठे तेल में डालकर गर्म करें। मरहम-सी तैयार हो जाएगी। इसे नासूर पर लगाइए। ( और पढ़े –पुराने घाव ठीक करने का रामबाण फकीरी नुस्खा )
11. अदित (मुहका लकवा) – अदित में इसके तेल का मर्दन करके बाद मिटाने वाली औषधियों के क्वाथ का वफारा लेने से बड़ा लाभ होता है ।
12. नारू – नारू (शरीर में होनेवाली फुंसियों में से सफेद रंग के सूत के समान लंबे लंबे कीड़े निकलते हैं) में इसकी खली को पानी के साथ पीस कर गरम कर सुजन पर लेप कर पट्टी बाँध कर तपाने से सूजन उतर जाती है । ऐसे 15-20 दिन तक नित्य प्रयोग करने से नारू गल कर नष्ट हो जाता है।
13. कंठमाला – इसके पत्तों का क्वाथ पीने और उसीसे गाँठ को धोने से कंठमाला मिटती है। ( और पढ़े – कण्ठमाला के 22 घरेलू उपचार)
14. शोथ ( सूजन) – पाव भर गोमूत्र में 1 से 4 तोले तक अखरोट का तेल मिलाकर पीने से शरीर की सूजन उतरती है ।
15. अफीम का विष – इसकी गिरी को खिलाने से अफीम के विष के उपद्रव में फायदा होता है।
16. विरेचन- इसकी गिरी से जो तेल खींचा जाता है वह 1 औस (ढाई तोला) से लगाकर 3 औंस तक देने से मृदु विरेचन होता है।
अखरोट से तेल निकालने की विधि :
- इसकी गिरी को महीन कूट गाढ़े कपडे की थैली में भर यंत्र में दवाने से तेल निकलता है। यह तेल सफेद, पतला और स्वादिष्ट होता है। इसमें जलाने व फफोला उठाने की शक्ति होती है। यह तेल ज्यों-ज्यों पुराना होता है त्यों-त्यों फफोला उठाने की शक्ति बढ़ती जाती है ।
- जितनी गिरी में से तेल निकालना हो उसेमें से ¾ को पहले कोल्हू में डालकर पेरना चाहिये । जब वह महीन हो जाती हैं, तब शेष गिरी भी उसमें डाल दें और उसके बाद एक सेर भर मिसरी के टुकड़े डाल दें जिससे खली तेल को छोड़ देगी । इस तेल को छानकर काँच या चीनी के बर्तन , में भर देना चाहिये।
अखरोट के नुकसान : Akhrot ke Nuksan in Hindi
- अखरोट के ज्यादा सेवन से पेट दर्द ,उल्टी,दस्त जैसी परेसानी हो सकती है।
- काले अखरोट का सेवन किड्नी सम्बन्धित रोगों को जन्म दे सकता है।
(दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)
Bahut sunder jaankari hai health ke liye