Last Updated on November 20, 2019 by admin
पवन मुक्तासन ( Pavanamukthasana )
परिचय :
सुप्त पवन मुक्तासन में हृदय से पेट तक की सारी वायु बाहर निकाली जाती है। इसलिए इसे सुप्त पवन मुक्तासन कहते हैं। यह आसन दो प्रकार से किया जाता है।
मुक्तासन (Pawana mukta asana) से रोग में लाभ :-
★ पवन मुक्तासन (Pawana mukta asana)से मांसपेशियां और मेरूदंड (रीढ़ की हड्डी) मजबूत होती है।
★ यह फेफड़े और हृदय के विकारों को दूर करता है।
★ यह आसन शारीरिक व मानसिक थकान को दूर करता है तथा यह बुद्धिजनो के लिए भी लाभकारी आसन है।
★ इस आसन से खून के बहाव की गति तेज होती है तथा आलस्य दूर होता है।
★ पवन मुक्तासन ( Pavanamukthasana )वायु प्रकोप तथा अधिक डकार को खत्म कर वायु को शरीर से मुक्त करता है।
★ इस आसन के द्वारा एक स्थान पर लगातार कई घंटों बैठने से गिल्टियां, शरीर की सुन्नता व झन्नाहट आदि रोग ठीक होते हैं।
★ यह आसन मधुमेह के रोगी के लिए अधिक लाभदादयक है।
★ इससे पेट की चर्बी कम होती है और कब्ज, अफारा, अम्लपित व पेट के सभी रोग ठीक होते हैं।
★ इस आसन को करने से अग्नाशय सक्रिय बनता है, पाचनतंत्र ठीक होता है, शरीर की जकड़न, तनाव, थकान तथा सांस (दमा) के रोग दूर होते हैं।
★ यह आसन बवासीर को दूर करता है तथा 1 गिलास पानी पीकर सुबह इस आसन को करने से शौच आदि खुलकर आते हैं।
==> जिन महिलाओं का प्रसव के बाद पेट आगे निकल गया हो उन्हें यह आसन करना चाहिए। ध्यान रखें कि प्रसव के एक महीने बाद यदि शरीर स्वस्थ रहे तो ही यह आसन करें।
आसन को करने की 2 विधियाँ है –
पहली विधि-
★ सुप्त पवन मुक्तासन ( Pavanamukthasana ) में सबसे पहले चटाई पर पीठ के बल लेट जाएं।
★ दोनों पैरों को सीधे सामने की और फैलाकर रखें।
★ अब अपने दाहिने पैर को घुटने से मोड़कर सिर की ओर लाएं और अपने दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में फंसाकर उसके बीच में घुटनों को रखें।
★ अब धीरे-धीरे घुटनों को जितना सम्भव हो मुंह की ओर लाएं और अपने सिर को फर्श से ऊपर उठाकर घुटने से नाक छूने की कोशिश करें। ★ इस स्थिति में 2 मिनट तक रहें।
★ आखिर में सांस अंदर खींचकर सिर व पैरों को सामान्य स्थिति में लाकर सांस को बाहर निकाल दें।
★ यह प्रक्रिया बाएं पैर से भी करें। दोनों पैरों से यह क्रिया 10-10 बार करें।
दूसरी विधि-
★ इस पवन मुक्तासन ( Pawana mukta asana ) को दोनों पैरों से भी कर सकते हैं।
★ इसके लिए अपने दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर सिर की ओर लाएं तथा दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में फंसाकर हाथ के बीच में घुटनों को रखें।
★ अब घुटनों को हाथों के सहारे ऊपर खींचे और सिर को ऊपर उठाकर घुटनों को नाक में लगाने की कोशिश करें।
★ कुछ समय तक इस स्थिति में रहने के बाद सांस लेते हुए पैरो व सिर को सीधा कर सांस को छोड़ें।
★ इस तरह इस क्रिया को 3 बार करें।
विशेष लाभ के लिए क्रिया-
दूसरी विधि को करने के बाद आप चाहे तो इस विधि को भी कर सकते हैं।
★ अपने दोनों हाथो को पहले की तरह ही आपस में फंसाकर तथा उसके बीच में घुटनों को रखकर सिर व कंधों को जमीन पर टिकाकर पूरे शरीर को उसके सहारे ऊपर उठाएं।
★ कुछ देर तक इस स्थिति में रहें और पुन: सामान्य स्थिति में आ जाएं।
★ इसके बाद इसी तरह से घुटनों को पकड़कर दाहिनी तरफ करवट लें, फिर बाईं तरफ करवट लें।
★ इस क्रिया में दाईं ओर करवट लेते समय मुंह को बाईं ओर (कंधे पर) लगाएं तथा बाईं ओर करवट लेते समय मुंह को दाईं ओर (कंधे पर) लगाएं।
विशेष-
मोटे पेट वाले व्यक्तियों को सुप्त पवन मुक्तासन करने में परेशानी हो सकती है। शुरू में घुटने नाक या ठोड़ी पर न लग सके तो ऐसी स्थिति में घुटनों को सिर के जितना करीब ले जा सके लें जाएं। मोटे व्यक्ति को दोनों घुटनों को बांधकर शरीर को दाएं-बाएं व ऊपर-नीचे वाले आसन को करना चाहिए।
सावधानी-
★ इस आसन को आराम से करें तथा पहले दिन जितना सम्भव हो उतना ही घुटनो को सिर के पास ले जाएं।
★ जिन लोगों को कमर व गर्दन में दर्द की शिकायत हो उन्हे इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।