Last Updated on May 30, 2022 by admin
पादहस्तासन आसन( Pada Hasta Asana )से रोगो में लाभ-
- इस आसन ( asana )के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी, गर्दन, पसली, कमर तथा पैरों की हडि्डयों के रोग दूर होते हैं तथा इन अंगों की मांसपेशियां सख्त व मजबूत बनती हैं।
- यह खून को साफ व नियमित करता है।
- इससे शरीर चुस्त व फुर्तीला बनता है।
- यह पेट की चर्बी को कम करता है तथा छाती को चौड़ा व शक्तिशाली बनाता है।
- यह जिगर, तिल्ली, गुर्दे, मसाने आदि के रोगो को दूर कर उसके कार्य को नियमित करता है।
- इस आसन के अभ्यास से मेरुदंड लचीला बनता है और शरीर की लम्बाई भी बढ़ती है।
- इस आसन ( asana) के अभ्यास से गर्दन, हाथ, पैर, कमर तथा घुटनों से सम्बंधित बीमारियां खत्म होती है।
- इस आसन ( asana )से शरीर का अधिक मोटापा कम होकर शरीर सुड़ौल बनता है।
पादहस्तासन आसन ( Pada Hastasana ) की विधि-
- पादहस्तासन आसन (Pada Hastasana) का अभ्यास स्वच्छ व हवादार जगह पर करें।
- अभ्यास के लिए पहले एड़ी व पंजों को मिलाते हुए सीधे सावधान की स्थिति में खड़े हो जाएं। इसके बाद दोनों हाथों को ऊपर की ओर ले जाएं।
- इसमें हाथों की उंगलियों को मिलाकर रखें तथा हथेलियों को सामने की तरफ करके रखें।
- इसके बाद सांस को छोड़ते हुए हाथों को नीचे लगाते हुए कमर से ऊपर के भाग को धीरे-धीरे आगे झुकाते हुए दोनों हाथ से दोनों पैर के अंगूठे को छुएं।
- इस स्थिति में घुटने व हाथों को सीधा व तान कर रखें।
- कुछ समय तक इस स्थिति में रहकर उसके बाद सांस अंदर लेते हुए धीरे-धीरे ऊपर आ जाएं।
- फिर सांस छोड़ते हुए नीचे जाएं। इस तरह इस क्रिया को 10 बार तक करें।
इस आसन के अभ्यास से रीढ़ की हड्डी, गर्दन, पसली, कमर तथा पैरों की हडि्डयों के रोग दूर होते हैं तथा इन अंगों की मांसपेशियां सख्त व मजबूत बनती हैं।
विशेष – यह आसन मोटे व्यक्तियों को करने में कठिनाई हो सकती है, इसलिए आरम्भ में इस आसन को करते समय पैर को छूने के क्रम में जितना नीचे झुक सकें, झुकें तथा धीरे-धीरे पैरों के उंगलियों को पकड़ने की कोशिश करें।
सावधानी-
इस आसन का अभ्यास कमर दर्द और गर्दन में दर्द वाले व्यक्ति को नहीं करना चाहिए। इसके अभ्यास के समय झटके से कोई भी क्रिया नहीं करनी चाहिए। (इसे भी पढ़े : लम्बाई बड़ाने के 10 सबसे तेज घरेलु उपाय )
विपरीत पादहस्तासन (Viparita Pada Hasta Asana )-
विधि :
- इस आसन ( Asana )के अभ्यास के लिए पहले सीधे खड़े हो जाएं और दोनो हाथों को ऊपर की ओर करके रखें।
- इसके बाद धीरे-धीरे शरीर को पीछे की ओर झुकाते हुए एड़ियों को उठाकर पंजों पर खड़े हो जाएं और हाथों से एड़ियों को पकड़ने की कोशिश करें।
- सिर व गर्दन को नीचे की ओर तानकर रखें तथा पूरे शरीर का भार हाथ व पंजों पर डालें। हाथों को सीधा रखें।
- इस स्थिति में 1 मिनट तक रहे, इसके बाद धीरे-धीरे सामान्य रूप में आ जाएं। इस तरह इस क्रिया को 3 बार करें।
विशेष –
यह आसन उष्ट्रासन से मिलता-जुलता आसन है। इस आसन को करना कठिन होता है, परंतु प्रतिदिन अभ्यास करने से इस आसन को आसानी से कर सकते हैं।
सावधानी –
- इस आसन ( Asana )का अभ्यास कमर दर्द तथा पीठ दर्द वाले व्यक्तियों को नही करना चाहिए।
- इस आसन की कोई भी क्रिया झटके से न करें। इससे गर्दन आदि में मोच आ सकती है।
विपरीत पादहस्तासन (Viparita Pada Hastasana) से रोगों में लाभ-
- यह आसन सुषुम्ना नाड़ी को शुद्ध बनाता है और मेरूदंड में लचीलापन लाता है, जिससे व्यक्ति अधिक उम्र के बाद भी जवान बना रहता है।
- इस आसन के अभ्यास से मेरुदंड लचीला बनता है और शरीर की लम्बाई भी बढ़ती है।
- यह शरीर को स्वस्थ व पुष्ट बनाता है और इससे युवावस्था अधिक समय तक बनी रहती है।
- यह आसन नाड़ियों को कोमल, लचकदार तथा चुस्त बनाता है।
- इसके अभ्यास से सिरदर्द, गर्दन दर्द, पीठदर्द, कमरदर्द तथा हाथ, पैर व जांघों का दर्द दूर होता है।