Last Updated on January 1, 2024 by admin
बरगद क्या है ? : Banyan in Hindi
बरगद उष्ण-कटिबन्धीय भागों में पाया जानेवाला एक विशाल वृक्ष है। यह भारत और पाकिस्तान सहित कुछ अन्य देशों में भी पाया जाता है। भारत में यह लगभग सभी स्थानों पर मिलता है। इसे हिमालय के तराईवाले भागों में भी देखा जा | सकता है। किन्तु यह हिमालय के अधिक ऊँचाईवाले भागों में नहीं मिलता।
बरगद भारत का एक महत्त्वपूर्ण वृक्ष है। इसकी गणना पीपल के समान पूजनीय वृक्षों में की जाती है। यह भारत में पाए जानेवाले वृक्षों में सर्वाधिक विशाल अथवा फैलाव वाला वृक्ष है। बरगद गर्म देशों में पाया जानेवाला एक सदाबहार वृक्ष है। अर्थात् यह पूरे वर्ष भर हरा रहता है। इसके सम्बन्ध में यह कहा जाता है कि इसके नीचे गर्मी के मौसम में ठंडक रहती है और सर्दी के मौसम में गर्मी रहती है। विशेष रूप से रात के समय।
भारत में बरगद प्राचीनकाल से एक महत्त्वपूर्ण वृक्ष माना गया है। यजुर्वेद, अथर्ववेद, रामायण, महाभारत, शतपथ ब्राह्मण, ऐतरेय ब्राह्मण, महोपनिषद, सुभाषितावली, मनुस्मृति, रघुवंश, रामचरितमानस आदि ग्रन्थों में इसका उल्लेख किया है।
बरगद मोरासी (Moraceae) परिवार का वृक्ष है। इसे अंग्रेजी में फाइकस बेंगालेन्सिस (Ficus Bengalensis) कहते हैं। हिन्दी में इसे वट, बर, बड़ आदि नामों से जाना जाता है। विश्व तथा भारत में अलग-अलग स्थानों पर बरगद केअलग-अलग नाम हैं। इसे अरबी में कतिरूल अश्जार और जातुज्ज वानिब, फा रसी में दरख्ते रीश और दरख्ते रेशा, इंडोनेशिया में सर्द, पुर्तगाली में डी रैज़ और अलबेरो | डी रैज़ तथा रूसी में देरेवो और फीगोवोए कहते हैं। भारतीय भाषाओं में इसे कन्नड़ में गोड़ियर, गुजराती में बड़, तमिल में आलमरम, तेलुगु में पेद्दामार्रि, पंजाबी में बूहड़ और बोहड़, बंगाली में बड़गाछ, मराठी में वड़, वर, मलयालम में आलमरम और सिन्धी में नुग कहते हैं।
बरगद को संस्कृत में न्यग्रोथ, वट आदि नामों से जाना जाता है। वनस्पति निघन्टुओं में इसके 29 नामों का उल्लेख किया गया है–अवरोही, क्षीरी, जटाल, दान्त, ध्रुव, नील, न्यग्रोथ, पदारोही, पादरोहिण, पादरोही, बहुपाद, मंडली, महाच्छाय, यक्षतरु, यक्षवासक, यक्षावास, रक्तपदा, रक्तफल, रोहिण, वट, वनस्पति, वास, विटपी, वैश्रवण, शृङ्गी, वैष्णवणावास, शिफारूह, स्कन्धज एवं स्कन्धरूह! ये सभी नाम बरगद की संरचना सम्बन्धी विशेषताओं और इसके गुणों पर आधारित हैं।
आइये जाने बरगद के औषधीय गुणों के बारे में |
बरगद के औषधीय गुण : bargad ke Aushadhiya Gun in hindi
- बरगद का पेड़ कषैला, शीतल, मधुर तथा पाचन शक्तिवर्धक होता है।
- यह भारी, पित्त, कफ (बलगम), व्रणों (जख्मों) तथा धातु (वीर्य) विकार को दूर करता है ।
- बरगद जलन, योनि विकार, ज्वर (बुखार), वमन (उल्टी), विसर्प (छोटी-छोटी फुंसियों का दल) तथा दुर्बलता को खत्म करता है।
- यह दांत के दर्द, स्तन की शिथिलता (स्तनों का ढीलापन), रक्तप्रदर, श्वेत प्रदर (स्त्रियों का रोग) तथा स्वप्नदोष की लाभप्रद औषधि है ।
- बरगद कमर दर्द, जोड़ों का दर्द, बहुमूत्र (बार-बार पेशाब का आना), अतिसार (दस्त), बेहोशी तथा योनि दोष को दूर करता है ।
- यह गलित कुष्ठ (कोढ़), घाव, बिवाई (एड़ियों का फटना), सूजन, वीर्य का पतलापन, बवासीर, पेशाब में खून आना आदि रोगों में गुणकारी है।
सेवन की मात्रा :
इसे 6 ग्राम की मात्रा में सेवन करना चाहिए।
आइये जाने विभिन्न रोगों के उपचार में बरगद के देसी नुस्खे ,जाने बरगद के दूध का प्रयोग कैसे करें ,बरगद के फल खाने के फायदे ,बरगद की जटा के फायदे
बरगद के फायदे और उपयोग : Bargad ke Fayde in Hindi
1. चोट लगने पर बरगद के दूध के फायदे : बरगद का दूध चोट, मोच और सूजन पर दिन में 2-3 बार लगाने और मालिश करने से फायदा होता है।
2. पैरों की बिवाई : बरगद के दूध के फायदे- बिवाई की फटी हुई दरारों पर बरगद का दूध भरकर मालिश करते रहने से कुछ ही दिनों में वह ठीक हो जाती है।
3. बच्चों के हरे पीले दस्त में : नाभि में बरगद़ का दूध लगाने और एक बताशे में 2-3 बूंद डालकर दिन में 2-3 बार रोगी को खिलाने से सभी प्रकार के दस्तों में लाभ होता है।
4. कमर दर्द :
- कमर दर्द में बरगद़ के दूध की मालिश दिन में 3 बार कुछ दिन करने से कमर दर्द में आराम आता है।
- बरगद का दूध अलसी के तेल में मिलाकर मालिश करने से कमर दर्द से छुटकरा मिलता है।
- कमर दर्द में बरगद के पेड़ का दूध लगाने से लाभ होता है। ( और पढ़ें – कमर में दर्द के 13 सबसे असरकारक उपाय )
5. शीघ्रपतन : सूर्योदय से पहले बरगद़ के पत्ते तोड़कर टपकने वाले दूध को एक बताशे में 3-4 बूंद टपकाकर खा लें। एक बार में ऐसा प्रयोग 2-3 बताशे खाकर पूरा करें। हर हफ्ते 2-2 बूंद की मात्रा बढ़ाते हुए 5-6 हफ्ते तक यह प्रयोग जारी रखें। इसके नियमित सेवन से शीघ्रपतन, वीर्य का पतलापन, स्वप्नदोष, प्रमेह, खूनी बवासीर, रक्त प्रदर आदि रोग ठीक हो जाते हैं और यह प्रयोग बलवीर्य वृद्धि के लिए भी बहुत लाभकारी है।
6. स्तनों का ढीलापन :
- बरगद की जटाओं के बारीक रेशों को पीसकर बने लेप को रोजाना सोते समय स्तनों पर मालिश करके लगाते रहने से कुछ हफ्तों में स्तनों का ढीलापन दूर हो जाता है।
- बरगद की जटा के बारीक अग्रभाग के पीले व लाल तन्तुओं को पीसकर लेप करने से स्तनों के ढीलेपन में फायदा होता है।
7. कुष्ठ (कोढ़) : रात के समय बरगद के दूध का लेप करने तथा कोढ़ पर बरगद की छाल का चूर्ण बांधने से 7 दिन में ही कोढ़ और रोमक शांत हो जाता है।
8. नपुंसकता :
- बताशे में बरगद के दूध की 5-10 बूंदे डालकर रोजाना सुबह-शाम खाने से नपुंसकता दूर होती है।
- 3-3 ग्राम बरगद के पेड़ की कोंपले (मुलायम पत्तियां) और गूलर के पेड़ की छाल और 6 ग्राम मिश्री को पीसकर लुगदी सी बना लें फिर इसे तीन बार मुंह में रखकर चबा लें और ऊपर से 250 ग्राम दूध पी लें। 40 दिन तक खाने से वीर्य बढ़ता है और धातु क्षय से खत्म हुई शक्ति लौट आती है।
9. पेशाब की जलन : बरगद के पत्तों से बना काढ़ा 50 मिलीलीटर की मात्रा में 2-3 बार सेवन करने से पेशाब की जलन दूर हो जाती है। यह काढ़ा सिर के भारीपन, नजला, जुकाम आदि में भी फायदा करता है। ( और पढ़ें – पेशाब में जलन घरेलु उपाय )
10. आग से जल जाना :
- दही के साथ बड़ को पीसकर बने लेप को जले हुए अंग पर लगाने से जलन दूर होती है।
- जले हुए स्थान पर बरगद की कोपल या कोमल पत्तों को गाय के दही में पीसकर लगाने से जलन कम हो जाती है। ( और पढ़ें – आग से जलने पर आयुर्वेद घरेलु उपचार )
11. ज्यादा पेशाब का आना :
- बड़ की छाल के चूर्ण को आधा चम्मच की मात्रा में एक कप पानी के साथ दिन में 3-4 बार रोज खाने से बार-बार पेशाब आने के रोग में फायदा होता है।
- बरगद के फल के बीज को बारीक पीसकर 1 या 2 ग्राम तक सुबह के समय गाय के दूध के साथ मिलाकर रोज खाने से बार-बार पेशाब आने का रोग ठीक हो जाता है। ( और पढ़ें – बार बार पेशाब आने के कारण और उपचार )
12. रक्तपित्त : bargad ke doodh ka upyog – 3 से 6 ग्राम बरगद के कोमल पत्तों को दूध में पीसकर दिन में तीन बार रोगी को देने से रक्त्तपित्त का रोग ठीक हो जाता है।
13. प्रदर :
- प्रदर रोग में बरगद के पेड़ का दूध 5-10 बूंद दिन में 4 बार देने से प्रदर की रोगी स्त्री को देने से आराम आता है।
- 100 ग्राम ताजे बड़ की छाल को छाया में सुखाकर पीसकर और छानकर 5-5 ग्राम कच्चे दूध के साथ सुबह-शाम सेवन करने से प्रदर रोग में लाभ मिलता है।
14. सुजाक : छाया में सुखाई हुई बरगद की छाल के पाउडर को 3 ग्राम शर्बत बजूरी या साधारण पानी के साथ लेने से सुजाक रोग में लाभ होता है।
15. बालों के रोग :
- बरगद के पत्तों की 20 ग्राम राख को 100 मिलीलीटर अलसी के तेल में मिलाकर मालिश करते रहने से सिर के बाल उग आते हैं।
- बरगद के साफ कोमल पत्तों के रस में, बराबर मात्रा में सरसों के तेल को मिलाकर आग पर पकाकर गर्म कर लें, इस तेल को बालों में लगाने से बालों के सभी रोग दूर हो जाते हैं।
- bargad ki jad ke fayde -25-25 ग्राम बरगद की जड़ और जटामांसी का चूर्ण, 400 मिलीलीटर तिल का तेल तथा 2 लीटर गिलोय का रस को एकसाथ मिलाकर धूप में रख दें, इसमें से पानी सूख जाने पर तेल को छान लें। इस तेल की मालिश से गंजापन दूर होकर बाल आ जाते हैं और बाल झड़ना बंद हो जाते हैं।
- बरगद की जटा और काले तिल को बराबर मात्रा में लेकर खूब बारीक पीसकर सिर पर लगायें। इसके आधा घंटे बाद कंघी से बालों को साफ कर ऊपर से भांगरा और नारियल की गिरी दोनों को पीसकर लगाते रहने से बाल कुछ दिन में ही घने और लंबे हो जाते हैं। ( और पढ़ें – बालों के टूटने व झड़ने से रोकते के घरेलु उपाय )
16. दांत के दर्द में :
- 10 ग्राम बरगद की छाल, कत्था और 2 ग्राम कालीमिर्च इन तीनों को खूब बारीक पाउडर बनाकर मंजन करने से दांतों का हिलना, मैल, बदबू आदि रोग दूर होकर दांत साफ हो जाते हैं।
- दांत के दर्द पर बरगद का दूध लगाने से दर्द दूर हो जाता है। इसके दूध में एक रूई की फुरेरी भिगोकर दांत के छेद में रख देने से दांत की बदबू दूर होकर दांत ठीक हो जाते हैं तथा दांत के कीड़े भी दूर हो जाते हैं।
- अगर किसी दांत को निकालना हो तो उस दांत पर बरगद का दूध लगाकर दांत को आसानी से निकाला जा सकता है।
- बरगद की जटा के फायदे – बरगद के पेड़ की जटा से मंजन करने से दांतों के कीड़े खत्म हो जाते हैं। बरगद की कोमल लकड़ी की दातुन से पायरिया खत्म हो जाता है।
- bargad ka doodh ke fayde in hindi -बरगद का दूध दांतों में लगाने, मसूढ़ों पर मलने से उनका दर्द दूर हो जाता है। बरगद की छाल के काढ़े से कुछ समय तक रोजाना गरारे करने से दांत मजबूत हो जाते हैं।
- बरगद के पेड़ का दूध निकालकर दांतों लगाने से दांतों का दर्द खत्म हो जाता है।
- बरगद की छाल को पीसकर दांतों के नीचे रखें। इससे दांतों का दर्द खत्म हो जाता है।
17. नाक से खून बहना :
- 3 ग्राम बरगद की जटा के बारीक पाउडर को दूध की लस्सी के साथ पिलाने से नाक से खून बहना बंद हो जाता है।
- नाक में बरगद के दूध की 2 बूंदें डालने से नकसीर (नाक से खून बहना) ठीक हो जाती है।
18. नींद का अधिक आना : बरगद के कड़े हरे शुष्क पत्तों के 10 ग्राम दरदरे चूर्ण को 1 लीटर पानी में पकायें, चौथाई बच जाने पर इसमें 1 ग्राम नमक मिलाकर सुबह-शाम पीने से हर समय आलस्य और नींद का आना कम हो जाता है।
19. जुकाम : बरगद के लाल रंग के कोमल पत्तों को छाया में सुखाकर पीसकर रख लें। फिर आधा किलो पानी में इस पाउडर को 1 या आधा चम्मच डालकर पकायें, पकने के बाद थोड़ा सा बचने पर इसमें 3 चम्मच शक्कर मिलाकर सुबह-शाम चाय की तरह पीने से जुकाम और नजला आदि रोग दूर होते हैं और सिर की कमजोरी ठीक हो जाती है।
20. आंख का फूलना : बरगद के 10 मिलीलीटर दूध में 125 मिलीग्राम कपूर और 2 चम्मच शहद मिलाकर आंखों पर लगाने से आंखों का फूलना बंद हो जाता है।
21. आंख का जाला : बरगद के दूध को 2-2 बूंद आंख में डालने से आंख का जाला कटता है।
22. गले के गांठ में : गले में गांठ होने पर बरगद के दूध का लेप करने से लाभ होता है।
23. हृदय के रोग :
- 10 ग्राम बरगद के कोमल हरे रंग के पत्तों को 150 मिलीलीटर पानी में खूब पीसकर छानकर उसमें थोड़ी मिश्री मिलाकर सुबह-शाम 15 दिन तक सेवन करने से दिल की घड़कन सामान्य हो जाती है।
- बरगद के दूध की 4-5 बूंदे बताशे में डालकर लगभग 40 दिन तक सेवन करने से दिल के रोग में लाभ मिलता है।
24. कफ (बलगम) रोग में : बरगद की कोमल शाखाओं को ठंडे पानी या बर्फ के संग 10-20 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से कफ (बलगम) के रोग में फायदा होता है।
25. भगन्दर :
- बरगद के पत्ते, सौंठ, पुरानी ईंट के पाउडर, गिलोय तथा पुनर्नवा की जड़ का चूर्ण समान मात्रा में लेकर पानी के साथ पीसकर लेप करने से भगन्दर के रोग में फायदा होता है।
- वटवृक्ष की छाल, पाकर की छाल, अंबाड़ा की छाल, जलवेन्त की छाल, तुन की छाल, बेर की छाल, मुलहठी, चिरोंजी, लोध्र, गूलर की छाल, पीपल की छाल, महुए की छाल, पारसपिप्पली की छाल, आम की छाल, हरड़ की छाल, जामुन की छाल, सल्लकी की छाल, कदम्ब की छाल, अर्जुन की छाल और शुद्ध भल्लातक को बराबर मात्रा में लें और उसका काढ़ा बनाकर पीये। इसका काढ़ा पीने से योनिदोष, जलन, प्रमेह, अस्थिभंग (हड्डी टूटना), मेदविकार (मोटापा) तथा विष दोष दूर होता है। यह काढ़ा रोगों को रोकने तथा जख्म को रोपने वाला होता है जो भगन्दर रोग को ठीक करता है।
26. बादी बवासीर : 20 ग्राम बरगद की छाल को 400 मिलीलीटर पानी में पकायें, पकने पर आधा पानी रहने पर छानकर उसमें 10-10 ग्राम गाय का घी और चीनी मिलाकर गर्म ही खाने से कुछ ही दिनों में बादी बवासीर में लाभ होता है।
27. खूनी बवासीर :
- बरगद के 25 ग्राम कोमल पत्तों को 200 मिलीलीटर पानी में घोटकर खूनी बवासीर के रोगी को पिलाने से 2-3 दिन में ही खून का बहना बंद होता है। बवासीर के मस्सों पर बरगद के पीले पत्तों की राख को बराबर मात्रा में सरसों के तेल में मिलाकर लेप करते रहने से कुछ ही समय में बवासीर ठीक हो जाती है।
- 10 ग्राम बरगद की कोपलों को 100 मिलीलीटर बकरी के दूध में बराबर पानी मिलाकर पका लें। पकने पर जब सिर्फ दूध रह जायें तो इसे छानकर खाने से रक्तपित्त, खूनी बवासीर में लाभ होता है।
- बरगद की सूखी लकड़ी को जलाकर इसके कोयलों को बारीक पीसकर सुबह-शाम 3 ग्राम की मात्रा में ताजे पानी के साथ रोगी को देते रहने से खूनी बवासीर में फायदा होता है। कोयलों के पाउडर को 21 बार धोये हुए मक्खन में मिलाकर मरहम बनाकर बवासीर के मस्सों पर लगाने से मस्से बिना किसी दर्द के दूर हो जाते हैं।
28. खूनी दस्त : दस्त के साथ या पहले खून निकलता है। उसे खूनी दस्त कहते हैं। इसे रोकने के लिए 20 ग्राम बरगद की कोपलें लेकर पीस लें और रात को पानी में भिगोंकर सुबह छान लें फिर इसमें 100 ग्राम घी मिलाकर पकायें, पकने पर घी बचने पर 20-25 ग्राम तक घी में शहद व शक्कर मिलाकर खाने से खूनी दस्त में लाभ होता है।
29. अतिसार (दस्त) :
- बरगद के दूध को नाभि के छेद में भरने और उसके आसपास लगाने से अतिसार (दस्त) में लाभ होता है।
- 6 ग्राम बरगद की कोंपलों को 100 मिलीलीटर पानी में घोटकर और छानकर उसमें थोड़ी मिश्री मिलाकर रोगी को पिलाने से और ऊपर से मट्ठा पिलाने से दस्त बंद हो जाते हैं।
- बरगद की छाया मे सुखाई गई 3 ग्राम छाल को लेकर पाउड़र बना लें और दिन मे 3 बार चावलों के पानी के साथ या ताजे पानी के साथ लेने से दस्तों में फायदा मिलता है।
- बरगद की 8-10 कोंपलों को दही के साथ खाने से दस्त बंद हो जाते हैं।
- बरगद की 3 से 6 ग्राम कोमल प्ररोही को चावल के पानी के साथ पीसकर दिन में तीन बार रोगी को देने से दस्तों में आराम आता है।
- बरगद (बड़) के पेड़ की छाल को बारीक पीसकर 3 से 6 ग्राम की मात्रा में चीनी (शर्करा) और शहद के साथ सुबह और शाम पीने से दस्त में लाभ मिलता है।
30. मधुमेह :
- 20 ग्राम बरगद की छाल और इसकी जटा को बारीक पीसकर बनाये गये चूर्ण को आधा किलो पानी में पकायें, पकने पर अष्टमांश से भी कम बचे रहने पर इसे उतारकर ठंडा होने पर छानकर खाने से मधुमेह के रोग में लाभ होता है।
- लगभग 24 ग्राम बरगद के पेड़ की छाल लेकर जौकूट करें और उसे आधा लीटर पानी के साथ काढ़ा बना लें। जब चौथाई पानी शेष रह जाए तब उसे आग से उतारकर छाने और ठंडा होने पर पीयें। रोजाना 4-5 दिन तक सेवन से मधुमेह रोग कम हो जाता है। इसका प्रयोग सुबह-शाम करें।
31. प्रमेह :
- बरगद के दूध की पहले दिन 1 बूंद 1 बतासे डालकर खायें, दूसरे दिन 2 बतासों पर 2 बूंदे, तीसरे दिन 3 बतासों पर 3 बूंद ऐसे 21 दिनों तक बढ़ाते हुए घटाना शुरू करें। इससे प्रमेह और स्वप्न दोष दूर होकर वीर्य बढ़ने लगता है।
- प्रमेह रोग में बरगद की ताजी छाल के बारीक पाउडर में चीनी मिलाकर 4 ग्राम की मात्रा में ताजे पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है। बार-बार वीर्य के निकलने पर इसके अंदर चीनी न मिलायें।
- 400 ग्राम बरगद के कोमल पत्ते और 200 ग्राम बहुफली को खूब शर्बत की तरह घोट-छानकर कलईदार बर्तन में पकायें, पकने पर जब यह गाढ़ा हो जाये तो इसे नीचे उतारकर इसमें थोड़ा वंशलोचन या इमली के बीजों की गिरी मिलाकर 125 से 300 मिलीग्राम की गोलियां बना लें। रोजाना यह 1-2 गोली खाकर ऊपर से ताजा गाय का दूध पीने से प्रमेह, धातु (वीर्य) क्षीणता, स्वप्नदोष आदि रोग दूर होते हैं। मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) में भी यह प्रयोग लाभकारी है।
- लगभग ढाई किलो बरगद के पीले पके पत्ते लेकर, 15 लीटर पानी में 3-4 दिन भिगोने के बाद पका लें। पकने पर थोड़ा पानी बचने पर उसे मसलकर छान लें, पानी को दोबारा गाढ़ा होने तक पकायें, अब नीचे उतारकर इसमें 3 से 6 ग्राम गिलोय का सत व प्रवालपिष्टी तथा 2 ग्राम छोटी इलायची के बीज को पीसकर मिलायें। फिर इसकी 250 मिलीग्राम की गोली बनाकर सुबह-शाम 1-1 गोली गाय के दूध या पानी के साथ सेवन करने से प्रमेह रोग में लाभ होता है।
- बरगद की जटा के फायदे- 4 ग्राम बरगद की जटा के चूर्ण को सुबह-शाम ताजे पानी के साथ खाने से प्रमेह, पेशाब के धातु आना और स्वप्नदोष आदि रोग दूर हो जाते हैं।
- 10-20 ग्राम बरगद के पके फलों के चूर्ण को मिश्री मिलाये हुए दूध के साथ खाने से प्रमेह रोग में फायदा होता है। यह पौष्टिक व धातुवर्धक होता है।
32. रक्तप्रदर :
- 20 ग्राम बरगद के कोमल पत्तों को 100 से 200 मिलीलीटर पानी में घोटकर रक्तप्रदर वाली स्त्री को सुबह-शाम पिलाने से लाभ होता है। स्त्री या पुरुष के पेशाब में खून आता हो तो वह भी बंद हो जाता है।
- 10 ग्राम बरगद की जटा के अंकुर को 100 मिलीलीटर गाय के दूध में पीसकर और छानकर दिन में 3 बार स्त्री को पिलाने से रक्तप्रदर में लाभ होता है।
- 3 से 5 ग्राम बरगद की कोपलों का काढ़ा बनाकर सुबह-शाम खाने से प्रमेह व प्रदर रोग खत्म होता है।
- बरगद की 3 से 6 ग्राम छाल का चूर्ण चावल के पानी के साथ दिन में 3 बार सेवन करने से रक्तप्रदर का रोग कुछ ही समय में ठीक हो जाता है।
- बरगद के दूध की 5-7 बूंदे बताशे में भरकर खाने से रक्तप्रदर मिट जाता है। ( और पढ़ें – रक्तप्रदर के घरेलु उपाय )
33. खून की उल्टी :
- बरगद की नर्म शाखाओं के फांट में शक्कर या बतासा मिलाकर खाने से खून की उल्टी बंद हो जाती है।
- बरगद की जटा के 6 ग्राम अकुंरों को पानी में घोटकर और छानकर पिलाने से खून की उल्टी नहीं होती है।
34. प्यास ज्यादा लगने पर : बरगद की कोंपलों के साथ दूब घास, लोध्र, अनार की फली और मुलेठी को बराबर मात्रा में लेकर एक साथ पीस कर शहद में मिलाकर चावलों के पानी के साथ सेवन करने से वमन (उल्टी) और प्यास शांत हो जाती है।
35. जी मिचलना : 20 ग्राम बरगद के हरे पत्ते, 7 लौंग को पानी में घोंटकर रोगी की इच्छानुसार पिलाने से जी मिचलाना ठीक हो जाता है।
36. उपदंश (सिफलिस) :
- बरगद की जटा के साथ अर्जुन की छाल, हरड़, लोध्र व हल्दी को समान मात्रा में लेकर पानी में पीसकर लेप लगाने से उपदंश के घाव भर जाते हैं।
- बरगद का दूध उपदंश के फोड़े पर लगा देने से वह बैठ जाती है।
- बड़ के पत्तों की भस्म (राख) को पान में डालकर खाने से उपदंश रोग में लाभ होता है।
37. पेशाब करने में परेशानी : 9 ग्राम बरगद की जटा का बारीक चूर्ण, 2-2 ग्राम कलमी शीरा, श्वेतजीरा, छोटी इलायची के बीज का बारीक चूर्ण एक साथ मिलाकर पानी में घोटकर एक ही गोली बनाकर सुबह-शाम गाय ताजे दूध के साथ सेवन करने से मूत्रकृच्छ (पेशाब में जलन) व सुजाक रोग में लाभ होता है। ( और पढ़ें –पेशाब रुक जाने के घरेलु उपचार )
38. गर्भपात से रक्षा :
- 4 ग्राम बरगद की छाया में सुखाई हुई छाल के चूर्ण को दूध की लस्सी के साथ खाने से गर्भपात नहीं होता है।
- बरगद की छाल के काढ़े में 3 से 5 ग्राम लोध्र की लुगदी और थोड़ा सा शहद मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करने से गर्भपात में जल्द ही लाभ होता है। योनि से रक्त का स्राव यदि अधिक हो तो बरगद की छाल के काढ़ा में छोटे कपड़े को भिगोकर योनि में रखें। इन दोनों प्रयोग से श्वेत प्रदर में भी फायदा होता है।
- बरगद के 2 कोमल पत्तों को 250 मिलीलीटर गाय के दूध में डालकर उसमें बराबर मात्रा में थोड़ा पानी डालकर पकायें। पकने पर जब सिर्फ दूध ही रह जाये तो छानकर पीने से गर्भपात में लाभ होता है।
39. योनिशौथिल्य (योनि का ढीलापन) : बरगद की कोपलों के रस में फोया भिगोकर योनि में रोज 1 से 15 दिन तक रखने से योनि का ढीलापन दूर होकर योनि टाईट हो जाती है।
40. गर्भधारण करने हेतु : पुष्य नक्षत्र और शुक्ल पक्ष में लाये हुए बरगद की कोपलों का चूर्ण 6 ग्राम की मात्रा में मासिक-स्राव काल में प्रात: पानी के साथ 4-6 दिन खाने से स्त्री अवश्य गर्भधारण करती है, या बरगद की कोंपलों को पीसकर बेर के जितनी 21 गोलियां बनाकर 3 गोली रोज घी के साथ खाने से भी गर्भधारण करने में आसानी होती है।
41. शक्तिवर्द्धक :
- bargad ke fal ke labh -बरगद के पेड़ के फल को सुखाकर बारीक पाउडर लेकर मिश्री के बारीक पाउडर मिला लें। रोजाना सुबह इस पाउडर को 6 ग्राम की मात्रा में दूध के साथ सेवन से वीर्य का पतलापन, शीघ्रपतन आदि रोग दूर होते हैं।
- बरगद के पके हुए फल और पीपल के फल को सुखाकर बारीक चूर्ण बना लें इस 25 ग्राम चूर्ण को 25 ग्राम घी में भूनकर, हलवा बना लें इसे सुबह-शाम खाने से ऊपर से बछड़े वाली गाय का दूध पीने से विशेष बल वृद्धि होती है। अगर स्त्री-पुरुष दोनों खायें तो रस वीर्य शुद्ध होकर सुन्दर सन्तान जन्म लेती है।
- बरगद की सूखी कोपलों के पाउडर में मिश्री मिलाकर 7 दिन तक रोज बिना खाना-खाये ही 7 से 10 ग्राम तक दूध की लस्सी के संग खायें इससे वीर्य का पतलापन मिटता है।
42. याददाश्त बढ़ाना : बरगद की छाल जो छाया में सुखाई गई हो उसके बारीक पाउडर में दुगनी चीनी या मिश्री मिला लें, इसे 6 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम खाने से याददाश्त शक्ति बढ़ती है। इस प्रयोग में खट्टे पदार्थों से परहेज रखें।
43. घाव :
- घाव में कीड़े हो गये हो, बदबू आती हो तो बरगद की छाल के काढ़े से घाव को रोज धोने से इसके दूध की कुछ बूंदे दिन में 3-4 बार डालने से कीड़े खत्म होकर घाव भर जाते हैं।
- bargad ke dudh ke fayde – साधारण घाव पर बरगद के दूध को लगाने से घाव जल्दी अच्छे हो जाते हैं।
- अगर घाव ऐसा हो जिसमें कि टांके लगाने की जरूरत पड़ जाती है। तो ऐसे में घाव के मुंह को पिचकाकर बरगद के पत्ते गर्म करके घाव पर रखकर ऊपर से कसकर पट्टी बांधे, इससे 3 दिन में घाव भर जायेगा, ध्यान रहे इस पट्टी को 3 दिन तक न खोलें।
- फोड़े-फुन्सियों पर इसके पत्तों को गर्मकर बांधने से वे शीघ्र ही पककर फूट जाते हैं।
- बरगद के पत्तों को जलाकर उसकी भस्म (राख) में मोम और घी मिला कर मलहम जैसा बनाकर घावों में लगाने से जल्दी आराम होता है।
- बारिश के महीनों में पानी में ज्यादा रहने से अगुंलियों के बीच में जख्म से हो जाते हैं, उन पर बरगद का दूध लगाने से जख्म जल्दी अच्छे हो जाते हैं।
- व्रण (घाव) की सूजन कम करने के लिए बरगद, गूलर, पीपल, पाकर, बेल, सफेद चंदन, लाल चंदन, मंजीठ, मुलहठी, गेरू और जमीकंद को बराबर मात्रा में लेकर पीसकर व छानकर सौ बार कांसे के बर्तन में धोएं फिर उस मिश्रण को घी में मिलाकर लेप बना लें। इस मिश्रण को घाव पर लगाने से घाव जल्दी ठीक होता है।
- घाव को ठीक करने के लिए बरगद के कोमल पत्तों को गाय के दूध की दही में पीसकर लगाने से रोगी का घाव ठीक हो जाता है।
44. रक्तपित्त : बरगद की कोपलों या पत्तों को 10 से 20 ग्राम तक पीसकर लुगदी बना लें, फिर इसमें शहद और शक्कर मिलाकर खाने से रक्त पित्त में फायदा होता है।
45. नाड़ी में घाव :
- बरगद की कोपलें (नई पत्तियां) तथा कोमल पत्तों को पीसकर पानी में छान लें फिर पानी में तिल का तेल मिलाकर तेल को गर्म कर लें। इस तेल को दिन में 2-3 बार जख्म पर लगाने से फायदा होता है।
- बरगद के दूध में सांप की केंचुली की भस्म (राख) मिलाकर उसमें पतले कपड़े या रूई की बत्ती को भिगोकर नाड़ी के घाव में रखने से उन्हें 10 दिन में लाभ होता है। रसौली की शुरुआत अवस्था में इसके लेप से जल्द लाभ होता है।
46. वीर्य वर्धक : bargad ke fal ke labh -बरगद के पके फल को छाया में सुखाकर पीसकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को बराबर मात्रा की मिश्री के साथ मिलाकर पीस लें। इसे एक चम्मच की मात्रा में सुबह खाली पेट और सोने से पहले एक कप दूध से नियमित रूप से सेवन करते रहने से कुछ हफ्तों में बहुत लाभ मिलता है।
47. रसौली : कूठ व सेंधानमक को बरगद के दूध में मिलाकर लेप करें, तथा ऊपर से छाल का पतला टुकड़ा बांध दें, इसे 7 दिन तक 2 बार उपचार करने से बढ़ी हुआ गांठ दूर हो जाती है। गठिया, चोट व मोच पर बरगद का दूध लगाने से दर्द जल्दी कम होता है।
38. तालु कंटक : तालु कंटक या तालु के नीचे की ओर धंस जाने पर इसके दूध को मिट्टी की टिकिया पर लगाकर तालु पर बांधने से या लेप करने से तालू उसी जगह पर आ जाती है।
49. सूजन : बरगद के पत्तों पर घी चुपड़कर बांधने से शोथ (सूजन) दूर हो जाती है।
50. खुजली : बरगद के आधा किलो पत्तों को पीसकर, 4 किलो पानी में रात के समय भिगोकर सुबह ही पका लें। एक किलो पानी बचने पर इसमें आधा किलो सरसों का तेल डालकर दोबारा पकायें, तेल बचने पर छानकर रख लें, इस तेल की मालिश करने से गीली और खुश्क दोनों प्रकार की खुजली दूर होती है। ( और पढ़ें – खुजली के घरेलु उपचार )
51. शीतला (मसूरिका) का ज्वर : बरगद, गूलर, पीपल, पाकर और मौलश्री को मिलाकर और पीसकर घावों या चेचक के दानों (मसूरिका) पर लगाने से शीतला (मसूरिका) का ज्वर दूर हो जाता है।
52. दांत मजबूत करना : बरगद की पेड़ की टहनी या इसकी शाखाओं से निकलने वाली जड़ की दातुन करने से दांत मजबूत होते हैं। ( और पढ़ें –दांतों को मजबूत बनाने के उपाय )
53. दांत में कीड़े लगना : कीड़े लगे या सड़े हुए दांतों में बरगद का दूध लगाने से कीड़े तथा पीड़ा दूर हो जाती है।
54. जीभ की जलन और सूजन : बरगद की छाल को 1 लीटर पानी में उबाल लें। रोजाना सुबह-शाम इस काढ़े से गरारे करने पर जीभ की सूजन व जलन खत्म हो जाती है।
55. वमन (उल्टी) : लगभग 3 ग्राम से 6 ग्राम बरगद की जटा का सेवन करने से उल्टी आने का रोग दूर हो जाता है।
56. मुंह के छाले : 30 ग्राम वट की छाल को 1 लीटर पानी में उबालकर गरारे करने से मुंह के छाले खत्म हो जाते हैं। ( और पढ़ें – मुंह के छाले दूर करने के घरेलू उपाय )
57. दस्त के साथ आंव आना : लगभग 5 ग्राम की मात्रा में बड़ के दूध को सुबह-सुबह पीने से आंव का दस्त समाप्त हो जाता है।
58. कान का दर्द : बरगद के पत्तों के दूध की थोड़ी-सी बूंदे कान में डालने से कान के कीड़े मर जाते हैं और कान का दर्द दूर हो जाता है।
59. गर्भवती स्त्री की उल्टी में bargad ki jata ke fayde : बड़ की जटा के अंकुर को घोटकर गर्भवती स्त्री को पिलाने से सभी प्रकार की उल्टी बंद हो जाती है।
60. गर्भवती स्त्री का अतिसार में bargad ke dudh ke fayde – बट की कोंपलों (मुलायम पत्तियां) बकरी के दूध में पीसकर रोगी को पिलाने से गर्भवती स्त्री का अतिसार (दस्त) बंद हो जाता है।
61. आमातिसार : आमातिसार के रोगी को 3 से 6 ग्राम बरगद की छाल का काढ़ा बनाकर 50 से 100 मिलीलीटर काढ़ा रोजाना सुबह-शाम पिलाने से लाभ होता है।
62. दर्द व सूजन में बरगद के दूध के फायदे : चोट, मोच की दर्द में बरगद का दूध अलसी के तेल में मिलाकर मालिश करने से दर्द कम होता है। यह दूध एक अच्छी औषधि का काम करती है जो दर्द को दूर करती है।
63. गर्भवती की पीड़ा और दर्द : बरगद की कोपल (मुलायम पत्तियां) और छाल पीसकर चूर्ण बनाकर और दूध में घोलकर पिलाने से भी लाभ होता है। यह योग पांचवे माह में गर्भ की रक्षा, गर्भिणी की पीड़ा का नष्ट करना तथा स्राव को रोकने वाले होते हैं।
64. नवें महीने के गर्भ के विकार : बरगद के पेड़ की जड़ और काकोली को पीसकर ताजे पानी के साथ पिलाने से नवें महीने में होने वाली गर्भ सम्बन्धी सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं।
65. गिल्टी (ट्यूमर) : बरगद का दूध लगाने से गिल्टी बिल्कुल नष्ट हो जाती है।
66. स्तनों का कठोर होना : बरगद की नई कोमल बरोहें को पानी में पीसकर स्तनों पर लेप करने से स्तन कठोर हो जाते हैं।
67. वीर्य रोग में :
- bargad ke fal ke labh- बरगद के फल छाया में सुखाकर चूर्ण बना लें। गाय के दूध के साथ यह 1 चम्मच चूर्ण खाने से वीर्य गाढ़ा व बलवान बनता है।
- 1 भाग बरगद की कोंपल (मुलायम पत्तियां), 1 भाग गूलर की छाल और 2 भाग चीनी मिलाकर चूर्ण बना लें। 21 दिन तक 10 ग्राम चूर्ण रोजाना दूध के साथ खाने से वीर्य गाढ़ा होता है।
- 25 ग्राम बरगद की कोपलें (मुलायम पत्तियां) लेकर 250 मिलीलीटर पानी में पकायें। जब एक चौथाई पानी बचे तो इसे छानकर आधा किलो दूध में डालकर पकायें। इसमें 6 ग्राम ईसबगोल की भूसी और 6 ग्राम चीनी मिलाकर सिर्फ 7 दिन तक पीने से वीर्य गाढ़ा हो जाता है।
- बरगद के दूध की 5-7 बूंदे बताशे में भरकर खाने से वीर्य के शुक्राणु बढ़ते है।
68. स्तनों के रोग : बरगद और पीपल के पेड़ की हरी छाल को उतार कर पीसकर गुनगुना ही स्तनों पर लगाने से स्तनों के रोग ठीक हो जाते हैं।
69. मूत्ररोग : बरगद के दो नये कोमल पत्तों के छोटे-छोटे टुकड़े करके 1 कप पानी में उबालें। पानी जब आधा कप बचा रह जाये, तो उसे उतारकर छान लें। इसमें थोड़ी-सी चीनी डालकर पी जायें। सात दिन तक यह करने से मूत्ररोग ठीक हो जाता है।
70. गठिया रोग : गठिया के दर्द में बरगद के दूध में अलसी का तेल मिलाकर मालिश करने से लाभ मिलता है।
71. नहरूआ (स्यानु) : बरगद की कोमल टहनी में गुड़ बराबर मात्रा में मिलाकर पीस लें। इसकी टिकिया बनाकर बांधने से नहरूआ रोग नष्ट हो जाता है।
72. नासूर (पुराना घाव) : बरगद के दूध के फायदे – बरगद के दूध में सांप की केंचुली की राख मिलाकर और उसमें रूई भिगोकर नासूर पर रखें। दस दिन तक इसी प्रकार करने से नासूर में लाभ मिलता है।
73. फोड़े-फुंसियों के लिए :
- बरगद के पेड़ के दूध को फोड़े पर लगाने से फोड़ा पककर फूट जाता है।
- बरगद के नये पत्तों को आग के ऊपर से ही हल्का-सा गर्म करके उसके ऊपर थोड़ा-सा तेल लगाकर बांधने से फोड़े- फुंसियां ठीक हो जाती हैं।
74. सिर का दर्द : बरगद के चूर्ण का लेप करने से शंखक नामक सिर का रोग ठीक हो जाता है।
75. दमा : दमा के रोगी को बड़ के पत्ते जलाकर उसकी राख 240 मिलीग्राम पान में रखकर खाने से लाभ मिलता है।
76. आंखों का जाला में bargad ke dudh ke fayde -बड़ का दूध आंख में लगाने से आंखों का जाला कट जाता है।
77. कण्डमाला के रोग में : बरगद के दूध का लेप करने से कण्ठमाला रोग (गले की गांठे) ठीक हो जाता है।
बरगद के दूध के नुकसान : bargad ke dudh ke nuksan
अधिक मात्रा में सेवन करने पर यह गर्म स्वभाव (तासीर) वालों को नुकसान पहुंचा सकता है।
दोषों को दूर करने के लिए : इसके दोषों को दूर करने के लिए कतीरा का उपयोग किया जाता है।
Read the English translation of this article here ☛ Banyan Tree (Bargad): 79 Incredible Uses, Benefits, and Side Effects
(अस्वीकरण : दवा, उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)
जब भी औषधीय उपयोग हेतु बरगद के दूध की जरुरत हो तब … किसी भी बरगद के पेड़ से एक से दो पत्तियों को तोड़ लें …अब पत्तियों के डंठल से निकलने वाले दूध को (जो एक से दो बूंद की मात्रा में होगा) बताशे पर या किसी बर्तन में संग्रहीत कर लें …अब इसका उपयोग करें !!
Where did I can get the milk of banyan tree (badgad ka doodh) please inform me
बहुत अच्छा लगा