Last Updated on July 18, 2019 by admin
हरड़ के उपयोग :
(1) हरड़, लौंग और सेंधानमक – अजीर्ण और निर्बल पाचन शक्ति होने पर सेवन करना चाहिए।
(2) हरड़, पीपल और सेंधा नमक – गरम पानी से अजीर्ण को दूर करने के लिए सेवन करना चाहिए।
(3) हरड़, पीपल और काला नमक – पेट दर्द और अग्निमांद्य दूर करने के लिए।
(4) हरड़, मिश्री, मख्खन, पीपल – बवासीर रोग नष्ट करने के लिए।
(5) हरड़, पीपल, मुनक्का , शहद – गले की जलन दूर करने के लिए।
(6) हरड़, पीपल, सोंठ, काला नमक, निशोत्तर (निशोथ) – जोड़ों का दर्द दूर करने के लिए।
(7) हरड़ और सेंधा नमक – वर्षाकाल में कफनाश हेतु।
(8) हरड़ और शकर – शरद ऋतु में पित्त नाश हेतु।
(9) हरड़ और सोंठ – हेमंत ऋतु में आम एवं वात का शमन करने के लिए।
(10) हरड़ और पीपल – कब्ज दूर करने के लिए।
(11) हरड़ और शहद – वसंत ऋतु में कफ का शमन करने के लिए।
(12) हरड़ और गुड़ – ग्रीष्म ऋतु में पित्त का शमन एवं वातरक्त को नष्ट करने के लिए।
नोट- क्रमांक 7 से क्र. 12 तक के प्रयोग ‘रसायन’ का कार्य करते हैं।
(13) हरड़, गुड़ और घी – पित्तदाह और शूल का नाश करने के लिए।
(14) हरड़ और मुनक्का – अम्लपित्त के शमन हेतु।
(15) हरड़, सोंठ और गुड़ – (भोजन के पूर्व) अग्नि बढ़ाने के लिए।
(16) हरड़, सोंठ और सेंधा नमक – कब्ज और बवासीर रोग दूर करने के लिए।
(17) हरड़ और एरंड तेल – पेट की शुद्धि और संधिवात दूर करने के लिए।
(18) हरड़ और घी में भुना स्याह जीरा – सब प्रकार के अतिसार दूर करने के लिए।
(19) हरड़, सोंठ और नागरमोथा – पतले दस्त ठीक करने के लिए।
(20) हरड़,इंद्रजौ और गुड़ – शीतज्वर ठीक करने के लिए।
(21) हरड़, गिलोय और छाछ – पाण्डु (कामला) रोग ठीक करने के लिए।
(22) हरड़ और घी – वातजन्य रोगों को ठीक करने के लिए।
(23) हरड़ और वायविडंग – पेट की कृमि नष्ट करने के लिए।
(24) हरड़, बहेड़ा और आमला (समभाग) – कब्ज नाश एवं आंत्रशुद्धि के लिए।
(25) हरड़ और ग्वारपाठे का रस या गूदा – यकृत एवं प्लीहा के रोगों के लिए।
(26) हरड़, ग्वारपाठा और गिलोय – यकृत और प्लीहा की वृद्धि होने पर।
इन योगों में बताये गये द्रव्यों को समान मात्रा में मिलाकर 5 से 10 ग्राम मात्रा के लगभग सुबह-शाम या सिर्फ सुबह सेवन करना चाहिए। इन प्रयोगों में बड़ी हरड़ लेना चाहिए।
आयुर्वेद ने हरड़ की सात जातियां बताई हैं-
(1) विजया (2) रोहिणी (3) पूतना (4) अमृता (5) अभया (6) जीवन्ती और (7) चेतकी
चेतकी हरड़ काली और सफेद दो प्रकार की होती है। इनमें विजया हरड़ सर्वोत्तम है जो सब रोगों में हितकारी और सर्वत्र उपलब्ध भी होती है।
निषेध / हरड़ सेवन के नुकसान :
इतनी गुणकारी और लाभप्रद होते हुए भी कुछ स्थितियों में इसका सेवन वर्जित भी किया गया है। जो व्यक्ति बहुत थका हुआ, दुबले व कमजोर शरीर का हो, भूखा रहने से निढाल हो, शरीर में खुश्की बढ़ी हुई हो, अधिक पित्त प्रकृति या कुपित पित्त का रोगी हो, जिसके शरीर से काफी रक्त निकल गया हो या निकाला गया हो और जो स्त्री गर्भधारण किये हुए हो- इन सबके लिए हरड़ का सेवन हानिकारक होने से वर्जित किया गया है।