परिचय :
बर्फ पानी का ठोस रूप है। बर्फ भी रंगहीन और गंधहीन होती है। बर्फ का रंग बहुत ही हलका नीला होता है। पृथ्वी का लगभग 2.4 प्रतिशत पानी हिम नदियों, नद और ध्रुवों तथा ऊँचे पर्वतों पर बर्फ के रूप में सुरक्षित है। धुरवों तथा बहुत ऊँचाई, जहाँ तापमान जीरो अक्षांश या उससे नीचे चला जाता है, तो पानी बर्फ में बदल जाता है। कड़ाके की सर्दी में नदियों तथा झीलों का पानी भी बर्फ बन जाता है। कश्मीर में वहाँ की झीलें जम जाती हैं। धुरखों पर बर्फ की। हिमानियाँ तथा हिमखंड बहते-खिसकते रहते हैं। टुंड्रा प्रदेश के निवासी एस्किमो तो बर्फ के बने मकानों में रहते हैं। यह बड़े अचरज की बात है कैसे? वहाँ का तापमान जीरो माइनस 30-35 तक चला जाता है, बर्फ का अपना तापमान जीरो डिग्री होता है, अतः बर्फ से घिरी दीवारों के भीतर बाहर की अपेक्षा 30 या 35 गुनी ठंड कम होती है। अतः बर्फ के सुकून देते हैं। हमारे घरों में फ्रीज में बर्फ हमेशा उपलब्ध रहती है। इसे कृत्रिम रूप से तापमान कम करके फ्रीजर में जमाया जाता है।
बर्फ के उपयोग :
• बर्फ का उत्पादन आज बड़े पैमाने पर होता है, आइस-फैक्टरियों में बर्फ की सिल्लियाँ जमाई जाती हैं। कुल्फी एवं आईसक्रीम उद्योग में इसका बड़ा उपयोग है।
• घरों में ठंडे पेय, लस्सी, कोल्ड ड्रिंक्स, बीयर तथा शराब आदि को ठंडा करने के लिए बर्फ उपयोग में लाई जाती है।
• इसका खास गुण है कि जो वस्तु बर्फ में रखी जाती है, वह वैसी ही बनी रहती है।
• कुल्फी जमाने, पानी तथा डिंक्स की बोतलें ठंडी करने, फैक्ट्रियों में डाइयों को ठंडा करने, शव आदि को सड़ने से बचाने के लिए बर्फ का उपयोग होता है।
• दुग्ध के उत्पाद भी बर्फ में सुरक्षित रहते हैं।
• कुछ खाद्य जैसे, पानी-पूड़ी, दही-भल्ला आदि को ठंडा करने के लिए बर्फ का उपयोग होता है।
• नीबू की शिकंजी गरमियों में बर्फ डालकर ही स्वादिष्ट लगती है।
• भीषण गरमी के मौसम में बर्फ की माँग बहुत बढ़ जाती है। विवाह-शादी तथा समारोहों में भी इसकी बड़ी खपत है। अब तो बर्फ में खेल भी आयोजित होते हैं।
बर्फ के फायदे / चिकित्सीय उपयोग :
घरेलू चिकित्सा में बर्फ कई प्रकार से उपयोग में लाई जाती है। बर्फ खुले स्थान में तेजी से पिघलती है, अतः इसे ढककर रखा जाता है तथा उपयोग किया जाता है।
1-रक्तस्राव होने पर :
चोट, घाव या अन्य किसी कारण से शरीर के किसी हिस्से में रक्तस्राव हो रहा हो तो उस स्थान पर बर्फ रख दें, इससे रक्त बहना बंद हो जाएगा।
2-नकसीर फूटना :
गरमियों में अकसर नाक से खून बहने लगता है या नाक पर जरा सा कुछ लगने पर नकसीर फूट पड़ती है। ऐसी स्थिति में नाक के दोनों ओर बर्फ के टुकड़ रख दें। इससे नाक से खून आना तुरंत बंद हो जाएगा।
3-घमोरियों पर :
उमस भरी गरमी में अकसर घमोरियाँ हो जाया करती हैं, छोटे बच्चे तो बेचारे बहुत परेशान हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में घमोरियों पर बर्फ रगड़ने से आराम मिलता है।
4-तीव्र ज्वर :
कई बार बुखार बहुत तेज हो जाता है । मरीज बड़बड़ाने लगता है; ऐसी स्थिति में रोगी के माथे पर तुरंत बर्फ की पट्टी रखें। कुछ ही देर में ज्वर की तीव्रता कम हो जाती है और रोगी चैतन्य हो जाता है।
5-लू लगने पर :
गरमी में बाहर निकले पर यदि किसी को लू लग जाए तो उसके हाथ-पैरों पर बर्फ रगड़नी चाहिए तथा नीबू की शिकंजी अथवा आम का पना बर्फ डालकर पिलाना चाहिए। इससे रोगी आराम महसूस करता है।
6-चेहरे की झुर्रियाँ :
गरमियों में चेहरे पर रौनक लाने तथा चेहरे पर झुर्रियाँ मिटाने के लिए चेहरे पर रोजाना बर्फ रगड़नी चाहिए। यह ताजगी देती है।
7-भोजन में अरुचि :
गरमियों में भोजन करने की इच्छा न होती हो तो खीरा या अनन्नास के टुकड़ों पर नीबू निचोड़कर तथा काला नमक छिड़ककर बर्फ पर रख दें। आधा घंटा बाद इसे खाएँ तो भूख खुलकर लगती है। भोजन करने की इच्छा जाग्रत् होती है।
8-इंजेक्शन की सिंकाई :
सूई या इंजेक्शन लगने के बाद दर्द होता हो या उस जगह गाँठ पड़ गई हो तो इसे दिन में दो-तीन बार बर्फ से सेंकें। कुछ दिन में ही दर्द तथा सोज गायब हो जाएगी।
9-उलटी-कै :
गरमियों में बार-बार उल्टियाँ हो रही हों या सूखी उबकाई आती हों तो रोगी के बर्फ चूसने पर उल्टियाँ बंद हो जाती हैं। हैजा में भी यह फायदा करती है।
10-भूख न लगना :
ज्यादा गरमी पड़ने पर गरमी के कारण प्यास ज्यादा लगती है, कुछ भी खाने को मन नहीं करता। ऐसी स्थिति भोजन से पहले खुब ठंडा पानी पिएँ या बर्फ चाट लें तो खाने की अरुचि दूर होकर भूख लगने लगेगी।
11-नवजात शिशु :
प्रसव के बाद यदि शिशु न रो रहा हो और न साँस लेता प्रतीत हो, परंतु जीवित हो, तो शिशु के गुदाद्धार पर बर्फ का टुकड़ा रखने से वह साँस लेने और रोने भी लगता है। वह सामान्य बच्चों की तरह रोता है।
12-शीघ्र पाचन :
अगर भोजन अधिक मात्रा में या स्वाद-स्वाद में ज्यादा खा लिया गया है तो खाने के बाद बर्फ चाट ली जाए तो भोजन जल्दी पच जाता है।
13-पेट में जलन-दाह :
पेट में जलन हो रही हो या उल्टी-दस्त की शिकायत है तो बर्फ का। पानी पी लें, अथवा पेट पर बर्फ रगड़े (खासकर गरमियों में) तो दाह शांत हो जाता है।
14-चोट-मोच पर :
छोटे-बड़े किसी को यदि हाथ या पैर में मोच आ जाए तो उस स्थान पर बर्फ को कुछ देर तक (पाँच गिनट) रगड़ें, इससे उस स्थान पर सूजन नहीं आएगी।