Last Updated on February 12, 2020 by admin
कांचनार गुग्गुल क्या है ? : What is Kanchnar Guggul in Hindi
कांचनार गुग्गुल टैबलेट के रूप में एक आयुर्वेदिक औषधि है। जिसका उपयोग – अर्बुद (गाँठ),कैंसर,स्तनों के गाँठ,खून की खराबी,अत्यधिक लार बहना, मूत्र संबंधी विकार,सूजन, गठिया ,जीवाणु संक्रमण ,घाव और मधुमेह जैसे रोगों के उपचार के लिए किया जाता है।
कांचनार गुग्गुल के घटक द्रव्य : Kanchnar Guggul Ingredients in Hindi
- कांचनारत्वक् – 200 ग्राम,
- सोंठ – 40 ग्राम,
- पिप्पली – 40 ग्राम,
- काली मिर्च – 40 ग्राम,
- हरीतकी (हरड) – 20 ग्राम,
- बहेड़ा – 20 ग्राम,
- आँवला – 20 ग्राम,
- वरुणत्वक – 10 ग्राम,
- तेजपत्र – 5 ग्राम,
- छोटी इलायिची – 5 ग्राम,
- दालचीनी – 5 ग्राम,
- गुग्गुल शुद्ध – 400 ग्राम,
प्रमुख घटकों के विशेष गुण :
- कांचनार अन्तरत्वक : कृमिघ्न, कुष्ठघ्न, गण्डमाला, ग्रन्थि (गाँठ) नाशक, चुल्लिकाग्रंथि (थायरायड /Thyroid) स्राव सन्तुलन कारक, क्षयघ्न, कासघ्न (खाँसी में लाभप्रद) ।
- सोंठ : दीपक, पाचक, रोचक, अग्निवर्धक।
- पिप्पली : दीपक, पाचक, वात कफनाशक, रसायन।
- काली मिर्च : दीपक, पाचक, रोचक, अग्निवर्धक।
- हरीतकी : सारक, दीपक, पाचक, रसायन।
- बहेड़ा : कासघ्न (खाँसी में लाभप्रद), श्वासघ्न, दीपक, पाचक।
- आँवला : पित्तशामक, वात शामक, कफशामक, बल्य, बृष्य(पौष्टिक, बलदायक), रसायन।
- वरुण त्वक : मूत्रल, अश्मरीन, मूत्रपथ शोधक।
- तेज पत्र : दीपन, पाचन, कफ वत नाशक, सुगंधित।
- छोटी इलायची : हृदय, मूत्र दाह प्रशामक, मलवात सारक, सुगंधित।
- दाल चीनी : दीपन, पाचन, शोथन, वेदना शामक, सुगंधित।
- शुद्ध गुग्गुलु : जन्तुघ्न, वात कफनाशक, योगवाही रसायन।
कांचनार गुग्गुल बनाने की विधि :
शुद्ध गुग्गुलु के छोटे-छोटे टुकड़े करके चार गुणा जल डाल कर लोहे की कड़ाही में मन्द आँच पर पकाएं और कड़ाही स्थित गुग्गुलु को सतत् कड़छी से चलाते रहें। जब रबड़ी जैसा हो जाए तो, सोंठ से लेकर दाल चीनी तक सभी औषधियों का वस्त्रपूत चूर्ण मिलाकर आँच बन्द कर दें और औषधि को यथावत् चलाते रहें।
पिण्ड वत् होने पर औषधि को कड़ाही से निकाल कर इमाम दस्ते में डाल दें और दस्ते को थोड़ा-थोड़ा घी लगा कर कुटवाएँ। गुग्गुलु योगों की गुणकारिता, कूटने पर निर्भर करती है। जितनी अधिक चोटें गुग्गुलु पर पड़ेंगी उतनी ही अधिक शक्तिकृत औषधि तैयार होगी।
मोम की तरह नरम हो जाने पर 250 मि.ग्रा. की वटिकाएं (गोली) बनवाकर छाया शुष्क करवा लें।
उपलब्धता : यह योग इसी नाम से बना बनाया आयुर्वेदिक औषधि विक्रेता के यहां मिलता है।
कांचनार गुग्गुल की खुराक : Dosage of Kanchnar Guggul
एक से तीन गोली, रोग और रोगी की अवस्था के अनुसार भोजनोपरान्त।
अनुपान (जिस पदार्थ के साथ दवा सेवन की जाए) :
मुण्डि का क्वाथ, हरीतकी क्वाथ, खदिर क्वाथ, उष्णोदक, शीतल जल ,धारोष्ण दूध।
कांचनार गुग्गुल के फायदे और उपयोग : Uses & Benefits of Kanchnar Guggul in Hindi
गलगण्ड में कांचनार गुग्गुल के प्रयोग से लाभ (Kanchnar Guggul Benefits in Goiter Treatment in Hindi)
पर्वतों की तलहटी में बसने वाले लोगों में गलगण्ड अधिक मात्रा में पाया जाता है। सामान्य रोगियों में गले के निचले भाग में ग्रन्थि जो अखरोट के आकार से खरबूजे के आकार तक की होती है, इससे रोगी को विशेष कष्ट नहीं होता। जन्म, बल, प्रवृत्त रोगियों में मूर्खत्व, वामनत्व, बुद्धि ह्रास, अंग विकृति, खञ्जनत्व, पंगुत्व इत्यादि लक्षण मिलते हैं। आधुनिक मत से ‘आयोडीन की कमी’ इस रोग का प्रमुख कारण माना जाता है, और इस में कोई सन्देह भी नहीं कि जबसे लोगों ने आयोडायज्ड नमक का प्रयोग प्रारम्भ किया है, इस रोग पर नियन्त्रण होने लगा है।
प्रकृति का सन्तुलन भी देखिए काँचनार और अखरोट के पेड़ भी पर्वतों की तलहटी में ही अधिक उगते हैं। अखरोट की अन्तरत्वक (दंदासा) से दाँत साफ करने से आयोडीन की आपूर्ती रक्त द्वारा अवटुका ग्रंथि को होती है। अत: गलगण्ड निर्माण की क्रिया बाधित होती है। काँचनार के फूलों को दही में डालकर उक्त प्रदेशों के निवासी रायता बनाकर खाते हैं, इससे भी गलगण्ड की सम्प्राप्ती भंग होकर, गलगण्ड में प्रत्यक्ष लाभ मिलता है।
काँचनार अपने प्रभाव के कारण अवटुका ग्रन्थि के स्राव को नियन्त्रित करता है। अतः गलगण्ड की प्रत्येक अवस्था में लाभदायक है।
गलगण्ड का होना, या न होना, केवल आयोडीन की मात्रा पर निर्भर करता है। अतः सदैव सभी लोगों को आयोडीन युक्त (आयोडायज्ड) नमक के प्रयोग का परामर्श देना चाहिए।
काँचनार गुग्गुलु गलगण्ड की एक वशिष्ट औषधि है। गलगण्ड में इसका प्रयोग अवश्य करना चाहिए, नवीन रोगियों में जिनका गला बढ़ने ही लगा हो इसके प्रयोग से तुरन्त लाभ होता है। पूर्ण लाभ के लिए कम-से-कम चालीस दिन औषधि का सेवन करवाएँ।
सहायक औषधियों में गण्डमाला कण्डण रस, तथा कांचनाराभ्र दो उपयुक्त औषधिएँ है। इनका सेवन भी करवाएँ।
अपची रोग में कांचनार गुग्गुल से फायदा :
गण्ड माला, अपची, और ग्रंथि वास्तव में एक ही रोग की विभिन्न अवस्थाएँ है। इनका कारण प्रायशः राजयक्ष्मा होता है, संक्रमण अधिक होने पर यदि सभी ग्रंथियाँ प्रभावित होती है तो सभी में शोथ (सूजन) होने के कारण ग्रथियों की माला जैसी गले में परिलक्षित होती है। अत: उसे गण्डमाला कहा जाता है। यदि एक ही ग्रंथि प्रभावित हुई हो तो उसे ग्रंथि कहते हैं । सामान्यत: यह ग्रंथि पककर फूट जाती है। परन्तु यदि वह ग्रंथि छ: मास तक नहीं पके तो अपची (अपची) कहा जाता है।
चिकित्सा की दृष्टि से इनमें कोई भेद नहीं होता, केवल विदीर्ण हो जाने वाली ग्रंथि में सार्वेदैहिक के अतिरिक्त स्थानीय शोधन के उपरान्त व्रणवत् रोपन क्रिया की जाती है। उपरोक्त रोग की प्रत्येक अवस्था में काँचनार गुग्गुल एक आर्दश औषधि है। इसका प्रयोग अवश्य करवाना चाहिए ।
सहायक औषधियों में मूल रोग (यक्ष्मा) नाशक, हिरण्यगर्भ पोटली रस, स्वर्ण वसन्त मालती रस, सहस्रपुटी अभ्रक भस्म, च्यवन प्राश, बलारिष्ट इत्यादि का प्रयोग भी करवाना चाहिए। चिकित्सावधि, अवस्थानुसार।
अर्बुद (रसौली, गुल्म या ट्यूमर) मिटाए कांचनार गुग्गुल का उपयोग (Benefits of Kanchnar Guggul in Tumor Treatment in Hindi)
काँचनार गुग्गुलु, अर्बुदों की प्रसिद्ध औषधि हे, काँचनार में अर्बुद विरोधी गुण कांचनार के प्रभाव के कारण होते हैं, किसी भी प्रकार के अर्बुद में काँचनार गुग्गुल के प्रयोग से अर्बुद का आयतन कम होने लगता है। अर्बुदों में इसका प्रयोग दीर्घ काल (छ: मास से एक वर्ष पर्यन्त) तक करवाना चाहिऐ।
सामान्य अर्बुदों में कांचनारम्भ्र रस, गण्डमाला कण्डण रस, आरोग्यवर्धिनी वटी इत्यादि औषधियों को सहायक औषधियों के रूप में प्रयोग करवाना चाहिए और दुष्टार्बुदों में अर्केश्वररस, कुष्ठराक्षस रस, त्रैलोकय चिन्तामणि रस, ताम्रभस्म, हीरकभस्म, व्योषाद्य वटी, चिंचा भल्लातक वटी, अमृत भल्लातक इत्यादि औषधियों को सहायक औषधियों के रूप में प्रयोग करवाना चाहिए।
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थॉइराँयड ग्लैड ग्रंथि स्राव नियंत्रण में लाभकारी कांचनार गुग्गुल का सेवन
अवटुका ग्रंथि(थॉइराँयड ग्लैड) के स्राव की हीनता हो या अधिकता काँचनार गुग्गुलु दोनों परिस्थितियों में लाभदायक होता है। अवटुका ग्रंथि के स्राव को सन्तुलित करने की क्षमता केवल इसी काष्टौषधि में है। यह अपने प्रभाव के कारण बढ़े हुए स्राव को कम करती है और घटे हुए स्राव को बढ़ाती है।
स्राव की अल्पता में पिप्पली, अखरोट की छाल, नवक गुग्गुलु, कल्पतरु रस, व्योषाद्य वटी, भल्लातक लोह, इत्यादि का और स्रावाधिक्य में कामदुधा रस स्वर्ण सूत शेखर रस, चन्द्र कला रस, आवला, शतावरी, प्रवाल भस्म, प्रवाल पंचामृत इत्यादि औषधियों का प्रयोग करवाना चाहिए।
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गर्भाशय और स्तनों के गाँठ में लाभकारी है कांचनार गुग्गुल का प्रयोग (Kanchnar Guggul Uses to Cures Breast Lump in Hindi)
सामान्य प्रकार की ग्रथियाँ (गाँठ) चाहे वह स्तनों में हो, अथवा गर्भाशय में काँचनार गुग्गुलु के सेवन से विलीन हो जाती है। हाँ चिकित्सा धैर्य से करनी आवश्यक है। काँचनार गुग्गुलु की दो गोलियाँ प्रात: दोपहर सायं भोजन के बाद, शीतल जल से दें।
सहायक औषधियों में आरोग्य वर्धिनीवटी, व्योषादिवटी, भल्लातक लोह, अधिक रक्तस्राव की दशा में बोल पर्पटी, बोलवद्धरस ,बावली घास धन सत्व, तृणकान्त मणिपिष्टि इत्यादि एवं दोनों में त्रैलोक्य चिन्तामणि रस, गण्ड माला कण्डण रस, अर्केश्वर रस, आरोग्य वर्धिनी वटी, व्योषाद्य वटी, अमृत भल्लातक, अमृतवटी (स्वानुभूत) का प्रयोग भी करवाना चाहिए।
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कांचनार गुग्गुल के दुष्प्रभाव और सावधानी : Kanchnar Guggul Side Effects in Hindi
- काँचनार गुग्गुल लेने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें ।
- काँचनार गुग्गुल एक सौम्य औषधि है, इसके प्रयोग काल में किसी प्रकार की प्रतिक्रिया नहीं होती है। परन्तु गुग्गुल कुछ लोगों को विशेषता पित्त प्रकृति वालों को अनुकूल नहीं रहते। इसके सेवन से पित की वृद्धि होकर अम्ल पित्त के लक्षण उत्पन्न हो – सकते हैं। अत: गुग्गुलु युक्त औषधियों को सदैव भोजन के उपरान्त देना और अनुपान में दूध देना ठीक रहता है। आवश्यकता होने पर अविपत्तिकर चूर्ण या अन्य किसी भी अम्लनाशक कल्प का प्रयोग करवाया जा सकता है।
काँचनार गुग्गुल का मूल्य : Kanchnar Guggul Price
- Baidyanath Kanchnar Guggulu – 80 Tablet – Rs 98
- Patanjali” Kanchnar Guggul – 80 Tablet (3 x 80) – Rs 195
- AVS KOTTAKKAL Kanchanar Guggulu -100 Tablet – Rs 184
- BACFO KACHNAR GUGGULU – 60 Tablet – Rs 171
- Jain Kanchanara Guggulu – 80 Tablet (Pack of 2) – Rs 220
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