Last Updated on October 25, 2020 by admin
भूल जाना मस्तिष्क की एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। भूल जाने से ही मस्तिष्क के पास नई सूचनाएँ संग्रहित रहती हैं। किसी भी सूचना को तुरंत भूल जाना या कुछ दिन के बाद पूर्णतः भूल जाना यह रोग है, जिसे भुलक्कड़पन या स्मृति का कमजोर हो जाना कहते हैं।
क्यों होती है भूलने की बीमारी ?
स्मृति का कमजोर होना प्रायः 45 वर्ष के बाद शुरू होता है। यदि यह बीमारी 20 वर्ष के बाद शुरू हो जाए तो उसका निदान ज़रूरी है। भुलक्कड़पन का सीधा संबंध मस्तिष्क की उन कोशिकाओं से होता है, जिनके पास स्मृति का भंडार सुरक्षित रहता है।
मस्तिष्क में यह स्मृति का भंडार अग्रमस्तिष्क व प्रमस्तिष्क के पास सुरक्षित रहता है। प्रमस्तिष्क का पिछला भाग रीढ़ की हड्डी से व अगला भाग सुष्मना नाड़ी से जुड़ा रहता है। सुषुम्ना नाड़ी दाईं व बाई नासिका छिद्र के बीच की नाड़ी है, अतः यह कह सकते हैं कि प्रमस्तिष्क का अगला भाग नाक से व पिछला भाग रीढ़ की हड्डी जहाँ गरदन पीछे की तरफ मुड़ती है, जुड़ा रहता है। प्रमस्तिष्क के तंत्रिका तंतुओं की क्रियाशीलता इस बात पर निर्भर करती है कि उन्हें उचित मात्रा में खून व ऑक्सीजन नहीं मिलता है तो कोशिकाओं की क्रियाशीलता में कमी आने लगती है, जिसके फलस्वरूप याददाश्त धीरे-धीरे कम होने लगती है ।
याददाश्त कैसे बढ़ाये ? (Yaddasht Kaise Badhaye in Hindi)
याददाश्त को बढ़ाने के लिए हमेशा निम्न बातों का ध्यान रखें –
रीढ़ सीधी रहे –
जब आप किसी भी आसन में बैठे, सोचें या चलें तो आपकी रीढ़ एकदम सीधी रहे। रीढ़ में झुकाव आपकी याददाश्त को कम कर सकता है। करवट से सोना, मुड़कर बैठना, अधिक तकिया का प्रयोग करना, एक ही मुड़ी हुई स्थिति में लंबे समय तक रहना प्रमस्तिष्क की कोशिकाओं की क्रियाशीलता को कम करता है, जिससे याददाश्त कमजोर होती है।
दिमाग की कमजोरी दूर करे “व्यायाम” –
पीछे की ओर झुकनेवाले व्यायाम अवश्य करें। रीढ़ को पीछे की तरफ ले जाने से प्रमस्तिष्क की कोशिकाओं में सक्रियता पैदा होती है जैसे- चक्रासन, हलासन, सर्वांगासन, ताड़ासन, शीर्षासन आदि।
नाक से श्वास लें –
दोनों नासा छिद्रों से श्वास लेने पर सुषुम्ना नाड़ी की क्रियाशीलता में वृद्धि होती है, जिसके फलस्वरूप सुषुम्ना प्रमस्तिष्क तक सही व उचित मात्रा में ऑक्सीजन पहुँचाती है। जिन व्यक्तियों को जुकाम, साइनस या नाक बंद रहता है उनकी याददाश्त कमजोर होती है, अतः दोनों नासा छिद्र साफ व खुले रखें। इसके लिए नाड़ीशोधन, अनुलोम विलोम प्राणायाम, जलनेति व सूत्रनेति करें।
स्मरण शक्ति बढ़ाने में सहायक है “त्राटक” –
एकाग्रता बढ़ाने के लिए प्रतिदिन 15-20 मिनट त्राटक का अभ्यास करें। किसी भी वस्तु को आँखें खोलकर वगैर पलक झपकाए लगातार देखते रहना जब तक कि आँखों से आँसू न टपकने लगे। इसे त्राटक कहते हैं। इसके अभ्यास से एकाग्रता में वृद्धि होती है, याददाश्त बढ़ाने में त्राटक का अभ्यास महत्वपूर्ण है।
याददाश्त बढ़ाने के लिए आहार –
अपने आहार में एंटी ऑक्सीडंट की मात्रा बढ़ाएँ जिनमें बादाम, अखरोट, दूध, पनीर, अश्वगंधा, ब्रह्मी, शंखपुष्पी हो सकते हैं। हरी सब्ज़ियाँ, मौसम के फल, दाल आदि का भरपूर प्रयोग करें। पेट को साफ रखने के लिए छिलके सहित गेहूँ व जौ की रोटी खाएँ।
पंचतत्त्वों का प्रयोग –
प्रतिदिन के कार्यक्रम में प्रकृति द्वारा प्रदत्त पंचतत्त्वों का प्रयोग करें।
- 10 मिनट घास पर चलें।
- 10 मिनट तक ताज़ा पानी से स्नान करें।
- 10 मिनट तक आँख बंद कर प्रभु स्मरण करें।
- 10 मिनट तेज़ गति के कोई भी नाक से श्वास लेकर व छोड़कर व्यायाम करें।
दिमाग की कमजोरी का देसी इलाज :
- तुलसी – नित्य तुलसी के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से याददाश्त मजबूत होती है।
- बादाम – नित्य सुबह-शाम नाक में बादाम का तेल डालने से मेमोरी मजबूत होती है।
- काली मिर्च – काली मिर्च, तुलसी और बादाम को पीसकर नित्य सुबह-शाम शहद के साथ सेवन करने से भूलने की बीमारी ठीक हो जाती है।
- सेब – सेब तथा अंगूर के अधिक सेवन से दिमाग की कमजोरी दूर होती है।
- अखरोट – दो अंजीर तथा पाँच से छ: अखरोट नित्य सेवन करने से स्मरण शक्ति बढ़ाती है।
- मुनक्का – रात्री में मुनक्का या बादाम को भिगोकर प्रातः चबा-चबाकर खाने से भूलने की बीमारी ठीक हो जाती है।
याददाश्त बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवा :
आयुर्वेदिक चिकित्सा के अंतर्गत निम्न औषधियों का प्रयोग चिकित्सक परामर्शानुसार प्रयोग करने पर लाभदायक है।
- स्मृतिसागर रस – स्मृतिसागर रस स्मरण शक्ति बढ़ाने वाला उत्तम रसायन है।
- शंखपुष्पी सिरप – शंखपुष्पी सिरप मस्तिष्क की नाड़ीयों की कमजोरी दूर करके स्मरणशक्ति बढ़ाने में अत्यंत लाभदायी है ।
- ब्राह्मी घृत – ब्राह्मी घृत स्मरण-शक्ति (याददाश्त) की कमी, बुद्धि की निर्बलता, मनोदोष, दिमाग की कमजोरी में बहुत उपयोगी है।
- ज्योतिष्मती (मालकांगनी) तेल – बुद्धि व स्मृति को बढ़ाने में ज्योतिष्मती बहुत ही लाभप्रद है ।
इन नुस्खों द्वारा प्रमस्तिष्क की कार्यप्रणाली में वृद्धि की जा सकती है।
(अस्वीकरण : दवा ,उपाय व नुस्खों को वैद्यकीय सलाहनुसार उपयोग करें)